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आखिरकार, जिस ट्रेन में मैं दिल्ली लाइन पर था, वह मेरे गंतव्य के रास्ते में पूरी...
69 बहू कहाँ है? डॉक्टर ने किशोर और राधा के माँ-बापू का मायूस का चेहरा देखा व...
और शबनम उसे कोई काम नही करने देती थी।वह शबनम के इशारे और क्या बोलती है कुछ कुछ स...
अध्याय 1: अनजान गांव की दहलीज राजेश ने जैसे ही गांव की ओर कदम बढ़ाया, उसे महसूस...
अब आगे,अराध्या की बात सुन कर, अब अर्जुन ने उस की आंखो में देखते हुए उस से कहा, "...
शिव वहां से खड़े होकर चल जाता है ... उसके जाते ही अनंता उसको देखते ही रहती है .....
प्रकरण - ४६मैं दिन की अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग ख़त्म करके अभी-अभी घर पहुँचा था। मैं...
रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था, और शहर के बाहरी हिस्से में स्थित एक पुरानी हवेल...
खण्ड काव्य बेटी का यथार्थ राम गोपाल भावुक वेदराम राम प्रजापति...
शालू के हाथ पाँव ठंडा पड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? एक पल...
शेयरबाजार व फिल्मनिर्माण के व्यवसाय में तूफानी उतार चढाव की लोमहर्षक दास्तान जुऐं की लत से परिवार के बर्बाद व फिर से आबाद होने की रोंगटे खड़े करने वाली कहानी लेखक : ब्रजमोहन श...
वीरपुर गाँव ऐसी धरती पर बसा था, जिसे कई बार इंद्र देवता शायद भूल ही जाते थे कि वहाँ भी धरती प्यासी होगी। पानी के लिए तड़पती धरती में दरारें पड़ गई होंगी और वह दरारें चीख-चीख कर चिल...
एक था ठुनठुनिया। बड़ा ही नटखट, बड़ा ही हँसोड़। हर वक्त हँसता-खिलखिलाता रहता। इस कारण माँ का तो वह लाड़ला था ही, गाँव गुलजारपुर में भी सभी उसे प्यार करते थे। गाँव में सभी आकर ठुन...
माघ का महीना है। दिन ढल चुका है। केंटाकी प्रदेश के किसी नगर के एक मकान में भोजन के उपरांत दो भलेमानस पास-पास बैठे हुए किसी वाद-विवाद में लीन हो रहे थे। कहने को दोनों ही भलेमानस...
शुक्र गुजार था वह सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा का जिसने उसे ऐसी सूरत बख्सी थी।लम्बा कद,गोरा रंग, आकर्षक नैन नक्स और व्यक्तित्व।कुल मिलाकर ऐसी सीरत पायी थी कि उसके आगे हीरो भी फीके लग...
"भैया ! कितनी देर करोगे चलने मैं "आया अदिति !"भैया ! आपको अजीब नही लगता नाम सुनने में ..पैहरगढ़"लगता तो है पर क्या करे मां ने बुलाया है जाना तो पड़ेगा न चल अब "...
चरित्रहीन........(भाग-1)मैं वसुधा पाठक दिल्ली में ही पैदा हुई, यही पढी लिखी, नौकरी और फिर शादी भी यहीं....। दिल्ली के चप्पे चप्पे से वाकिफ हूँ मैं....पर मैं खुद को खुद से मिलाना ही...
ज़िंदगी जब बदरंग और बेमेल होती है तो अपना साया तक साथ छोड़ देता है। क्या हुआ जब धनाढ्य जमींदार राजवीर सिंह की बेटियों ने अपने छोटे भाई मनोहर की मंदबुद्धि का फायदा उठाकर उसकी सारी सम्...
वैसे नाम तो मेरा पप्पू है पर अब पप्पू कम लोग कहते हैं मुझे, क्योंकि मैं बड़ा हो गया हूं और इतने बड़े लड़के को पप्पू कहना शायद लोगों को अजीब सा लगता हो, इसलिए पिछले कुछ सालों से लोग...
चिंतन एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से या समुदाय से जोड़ने की माध्यमी भावना है। इससे तो भगवान भी अछूते नहीं रहे है। तो भगवान के मनुज अवतार राम और उनकी भार्या सीता कैसे रहते?? शांतिप्...
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