सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • राम रचि राखा - 5 - 2

    राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (2) रुचि की जब बारहवीं की परीक्षाएँ समाप्त हुई तो...

  • बात बस इतनी सी थी - 6

    बात बस इतनी सी थी 6 प्रोजेक्टर के पर्दे पर चल रही फिल्म में मंजरी के पिता का वाक...

  • एनीमल फॉर्म - 2

    एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (2) तीन रात बाद जनाब मेजर नींद में...

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 16 By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 16 आप देखिएगा नानी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इन्हें कैसा सबक सिखाती हैं। यह बहुत इतराते हैं ना कि सारी दुनिया में राज्य करके आए हैं अब हम इन पर राज्य कर के...

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राम रचि राखा - 5 - 2 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (2) रुचि की जब बारहवीं की परीक्षाएँ समाप्त हुई तो दीदी के यहाँ चली आई। आने के पहले बहुत उत्साहित थी, किन्तु इस छोटे से कस्बे में आकर उसका सारा उत्साह...

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बात बस इतनी सी थी - 6 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 6 प्रोजेक्टर के पर्दे पर चल रही फिल्म में मंजरी के पिता का वाक्य समाप्त होते ही मंडप में मंजरी की आवाज गूंज उठी - "यह तो बस ट्रेलर है ! पिक्चर तो अभी बाकी है !" क...

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अपनों से मिला दर्द By Raghuraj Singh

अपनों से मिला दर्द एक दिन धरती माता काफी विचलित हो रही थी। चेहरे की चमक और मन में शांति का भाव दोनों लुप्त हो गए। कारण था मनुष्य का अनैतिक पाप कर्म, वनों की कटाई और अवांछित कार्यों...

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एनीमल फॉर्म - 2 By Suraj Prakash

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (2) तीन रात बाद जनाब मेजर नींद में ही चल बसे। उनका शव फलोद्यान के आगे दफना दिया गया। मार्च का महीना शुरू हो चुका था। अगले तीन महीनों के...

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इक समंदर मेरे अंदर - 5 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (5) उन्‍होंने यह कभी नहीं सोचा था कि भविष्‍य में उनकी बेटियां नौकरी भी करेंगी....उन्‍हें इस बात का सपने में भी गुमान नहीं था। उनकी तो बस यही तमन्ना थी...

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जिंदगी मेरे घर आना - 3 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – ३   सुबह उठी तब भी ये भारीपन दिलो-दिमाग पर तारी था। कल वाली घटना भुलाए नहीं भूल रही थी। इसलिए मन बदलने की खातिर लाॅन में चलीं आई। सुनहरी धूप, हर...

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जय हिन्द की सेना - 8 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म आठ आठ दिसम्बर की प्रातः, आज पिछले दिनों की अपेक्षा कम कोहरा था। ओस की बूँदें धरती पर कालीन—सी बिछी हरी घास पर पड़ रही सूर्य की स्वर्णिम किरणों से मोत...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 18 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 18. गुज़रते समय के साथ समीर और प्रखर की खूब जमने लगी| दोनों कभी उसके यहाँ तो कभी शिखा के यहाँ बैठकर घंटों चैस खेलते या गपियाते| अक्सर शिखा भी उन दोनों के...

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गवाक्ष - 24 By Pranava Bharti

गवाक्ष 24== सत्यनिधि के पास से लौटकर कॉस्मॉस कुछ अनमना सा हो गया, संवेदनाओं के ज्वार बढ़ते ही जा रहे थे। उसके संवेदनशील मन में सागर की उत्तंग लहरों जैसी संवेदनाएं आलोड़ित हो...

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गूंगा गाँव - 5 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

दुनियाँ में कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और न किसी काम के करने से आदमी का मूल्य ही कम होजाता है। सफाई करने का जो काम, लोग अपनाये हुए हैं, वे उसे त...

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मन की साध By padma sharma

मन की साध शालिनी बेसब्री से दरवाजे पर टकटकी लगाये देख रही थी। हर आहट पर उसकी नजरें उठ जातीं और हृदयगति तीब्र हो जातीं । वह आँगन में बैठी सब्जी काट रही थी । व्यग्रत...

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चार डिग्री सेल्सियस वाला रिश्ता By Garima Dubey

चार डिग्री सेल्सियस वाला रिश्ता डॉ. गरिमा संजय दुबे "पापा, आपने मेरी मम्मा से शादी क्यों की " 11 साल का कौस्तुभ हर बार यही प्रश्न करता और सौम्य हर बार एक ही जवाब देता "क्योंकी वो त...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 2 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (2) शनै-शनै काॅलेज की दिनचर्या में मैं व्यस्त होने लगी। मन को नियत्रित करना व तनाव भरी घटनाओं को विस्मृृत करना मै सीख गयी हूँ । ये तो छोटी-सी घटना है। मैं अत्य...

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आखा तीज का ब्याह - 3 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (3) प्रतीक के हॉस्पिटल जाने के बाद वासंती ने अपनी सासुमां को फोन लगाया, "हैलो! प्रणाम मम्मा!" "खुश रहो बेटा! कैसे हो! हमारी परी वनू कैसी है?" "बहुत बदमाश हो गई है...

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बना रहे यह अहसास - 6 By Sushma Munindra

बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 6 रूम में यामिनी और व्याख्या हैं। रविवार होने से व्याख्या दोपहर में आ गई है। कर्मचारी लंच दे गया। भरी हुई थाली देख कर अम्मा अकबका जाती हैं। ‘‘गूड़ा,...

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 2 By Priyamvad

एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (2) इन उलझे और आपस में लड़ते चीखते विचारों के पार उसके अंदर मृत्यु की गहरी तड़प थी। यह तड़प पहली बार एक तिलचट्‌टे की हत्या करने के बाद पैदा हुयी थी। उस रा...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 10 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Eposode 10 by Rinki Vaish रिंकी वैशदरख्तों पर पसर गए हैं साए आंखों से बहते खारे पानी ने ताज़ी लिखी इबारत को धो डाला था। अपनी टैगला...

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यारबाज़ - 10 By Vikram Singh

यारबाज़ विक्रम सिंह (10) मैं उस शाम को अपनी प्रेमिका बबनी के आंगन के आसपास घूमने लगा अर्थात गुमटी के पास था । मैंने आज एक फिर पत्र लिखा था वह मैं बबनी को देना चाह रहा था। अचानक से...

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पितृशोक By Deepak sharma

पितृशोक “आप से एक सर्टिफिकेट चाहिए था, डॉ. साहिबा,” नीरू का केस हमारे मनश्चिकित्सा विभाग के बाबू अशोक चन्द्र लाए थे, “जिस लड़की को हम लोग ठीकमठीक समझ कर अभी दो माह पहले अपने छोटे भा...

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पोषम्पा By AKANKSHA SRIVASTAVA

पोषम्पा भई पोषम पा,सौ रुपये की घड़ी चुराई दो रुपये की रबड़ी खाई,अब तो जेल में जाना पड़ेगा। जेल की रोटी खाना पड़ेगा,जेल का पानी पीना पड़ेगा अब तो जेल में जाना पड़ेगा।  ये प्यारी तोतली भा...

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आपकी आराधना - 1 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी.....

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आउटडेटिड By Sudha Adesh

आउटडेटेड ‘ मैडम अभी तक नहीं आई ? मेरा ग्यारह बजे का अपाइन्टमेंट था ।’ नीलेश ने व्यग्रता से अर्दली से पूछा ।‘ आती ही ह...

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राधे चाची By Pratibha Adhikari

राधे चाची '' ओ गीता ! चाहा बना दे ! '', राधे चाची ने अपनी बहू से कहा |'' होय '', गीता उत्तर दिया | फुसेरी रंगत, अंडाकार चेहरे वाली गीता के माथे से ई...

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किस्सा बाँके बाबू के जाने का By प्रेम गुप्ता 'मानी'

किस्सा बाँके बाबू के जाने का प्रेम गुप्ता ‘मानी’ मई की बेहद गर्म पिघलती हुई दोपहरी थी। कमरा किसी हलवाई की भट्टी की तरह तप रहा था। कमरे के बाहर आँगन और आँगन से बाहर गेट के उस पार का...

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 11 - अंतिम भाग By Mallika Mukherjee

मेरा स्वर्णिम बंगाल संस्मरण (अतीत और इतिहास की अंतर्यात्रा) मल्लिका मुखर्जी (11) समय तेजी से आगे बढ़ रहा था। अख़बार रखकर मै वसुंधरा सेंटर जाने के लिए तैयार हो गई। सौरभ टीवी देख रहा थ...

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फीनिक्स By padma sharma

फीनिक्स शेफाली ने शादी डॉट कॉम पर अपनी प्रोफाइल बनाने के लिये नेट खोला । शादी डॉट कॉम को सिलेक्ट करने के बाद रजिस्ट्रेशन के कॉलम पर क्लिक किया। कई सारे...

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आबरू By Dr Fateh Singh Bhati

आज उसके यहाँ पंचायती बैठी थी | हालाँकि उसके श्वसुर जी अपनी जाति के पाँच पंचों में से एक थे | ज़िन्दगी भर दूसरों के घर पंचायती करते रहे लेकिन आज दुर्भाग्य ने उनके घर को घेर लिया | उस...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 16 By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 16 आप देखिएगा नानी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इन्हें कैसा सबक सिखाती हैं। यह बहुत इतराते हैं ना कि सारी दुनिया में राज्य करके आए हैं अब हम इन पर राज्य कर के...

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राम रचि राखा - 5 - 2 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा मुझे याद करोगे ? (2) रुचि की जब बारहवीं की परीक्षाएँ समाप्त हुई तो दीदी के यहाँ चली आई। आने के पहले बहुत उत्साहित थी, किन्तु इस छोटे से कस्बे में आकर उसका सारा उत्साह...

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बात बस इतनी सी थी - 6 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 6 प्रोजेक्टर के पर्दे पर चल रही फिल्म में मंजरी के पिता का वाक्य समाप्त होते ही मंडप में मंजरी की आवाज गूंज उठी - "यह तो बस ट्रेलर है ! पिक्चर तो अभी बाकी है !" क...

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अपनों से मिला दर्द By Raghuraj Singh

अपनों से मिला दर्द एक दिन धरती माता काफी विचलित हो रही थी। चेहरे की चमक और मन में शांति का भाव दोनों लुप्त हो गए। कारण था मनुष्य का अनैतिक पाप कर्म, वनों की कटाई और अवांछित कार्यों...

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एनीमल फॉर्म - 2 By Suraj Prakash

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (2) तीन रात बाद जनाब मेजर नींद में ही चल बसे। उनका शव फलोद्यान के आगे दफना दिया गया। मार्च का महीना शुरू हो चुका था। अगले तीन महीनों के...

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इक समंदर मेरे अंदर - 5 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (5) उन्‍होंने यह कभी नहीं सोचा था कि भविष्‍य में उनकी बेटियां नौकरी भी करेंगी....उन्‍हें इस बात का सपने में भी गुमान नहीं था। उनकी तो बस यही तमन्ना थी...

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जिंदगी मेरे घर आना - 3 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – ३   सुबह उठी तब भी ये भारीपन दिलो-दिमाग पर तारी था। कल वाली घटना भुलाए नहीं भूल रही थी। इसलिए मन बदलने की खातिर लाॅन में चलीं आई। सुनहरी धूप, हर...

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जय हिन्द की सेना - 8 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म आठ आठ दिसम्बर की प्रातः, आज पिछले दिनों की अपेक्षा कम कोहरा था। ओस की बूँदें धरती पर कालीन—सी बिछी हरी घास पर पड़ रही सूर्य की स्वर्णिम किरणों से मोत...

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 18 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 18. गुज़रते समय के साथ समीर और प्रखर की खूब जमने लगी| दोनों कभी उसके यहाँ तो कभी शिखा के यहाँ बैठकर घंटों चैस खेलते या गपियाते| अक्सर शिखा भी उन दोनों के...

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गवाक्ष - 24 By Pranava Bharti

गवाक्ष 24== सत्यनिधि के पास से लौटकर कॉस्मॉस कुछ अनमना सा हो गया, संवेदनाओं के ज्वार बढ़ते ही जा रहे थे। उसके संवेदनशील मन में सागर की उत्तंग लहरों जैसी संवेदनाएं आलोड़ित हो...

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गूंगा गाँव - 5 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

दुनियाँ में कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और न किसी काम के करने से आदमी का मूल्य ही कम होजाता है। सफाई करने का जो काम, लोग अपनाये हुए हैं, वे उसे त...

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मन की साध By padma sharma

मन की साध शालिनी बेसब्री से दरवाजे पर टकटकी लगाये देख रही थी। हर आहट पर उसकी नजरें उठ जातीं और हृदयगति तीब्र हो जातीं । वह आँगन में बैठी सब्जी काट रही थी । व्यग्रत...

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चार डिग्री सेल्सियस वाला रिश्ता By Garima Dubey

चार डिग्री सेल्सियस वाला रिश्ता डॉ. गरिमा संजय दुबे "पापा, आपने मेरी मम्मा से शादी क्यों की " 11 साल का कौस्तुभ हर बार यही प्रश्न करता और सौम्य हर बार एक ही जवाब देता "क्योंकी वो त...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 2 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (2) शनै-शनै काॅलेज की दिनचर्या में मैं व्यस्त होने लगी। मन को नियत्रित करना व तनाव भरी घटनाओं को विस्मृृत करना मै सीख गयी हूँ । ये तो छोटी-सी घटना है। मैं अत्य...

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आखा तीज का ब्याह - 3 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (3) प्रतीक के हॉस्पिटल जाने के बाद वासंती ने अपनी सासुमां को फोन लगाया, "हैलो! प्रणाम मम्मा!" "खुश रहो बेटा! कैसे हो! हमारी परी वनू कैसी है?" "बहुत बदमाश हो गई है...

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बना रहे यह अहसास - 6 By Sushma Munindra

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 2 By Priyamvad

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Eposode 10 by Rinki Vaish रिंकी वैशदरख्तों पर पसर गए हैं साए आंखों से बहते खारे पानी ने ताज़ी लिखी इबारत को धो डाला था। अपनी टैगला...

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यारबाज़ विक्रम सिंह (10) मैं उस शाम को अपनी प्रेमिका बबनी के आंगन के आसपास घूमने लगा अर्थात गुमटी के पास था । मैंने आज एक फिर पत्र लिखा था वह मैं बबनी को देना चाह रहा था। अचानक से...

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पितृशोक By Deepak sharma

पितृशोक “आप से एक सर्टिफिकेट चाहिए था, डॉ. साहिबा,” नीरू का केस हमारे मनश्चिकित्सा विभाग के बाबू अशोक चन्द्र लाए थे, “जिस लड़की को हम लोग ठीकमठीक समझ कर अभी दो माह पहले अपने छोटे भा...

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पोषम्पा By AKANKSHA SRIVASTAVA

पोषम्पा भई पोषम पा,सौ रुपये की घड़ी चुराई दो रुपये की रबड़ी खाई,अब तो जेल में जाना पड़ेगा। जेल की रोटी खाना पड़ेगा,जेल का पानी पीना पड़ेगा अब तो जेल में जाना पड़ेगा।  ये प्यारी तोतली भा...

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आपकी आराधना - 1 By Pushpendra Kumar Patel

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राधे चाची By Pratibha Adhikari

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किस्सा बाँके बाबू के जाने का By प्रेम गुप्ता 'मानी'

किस्सा बाँके बाबू के जाने का प्रेम गुप्ता ‘मानी’ मई की बेहद गर्म पिघलती हुई दोपहरी थी। कमरा किसी हलवाई की भट्टी की तरह तप रहा था। कमरे के बाहर आँगन और आँगन से बाहर गेट के उस पार का...

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मेरा स्वर्णिम बंगाल - 11 - अंतिम भाग By Mallika Mukherjee

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फीनिक्स By padma sharma

फीनिक्स शेफाली ने शादी डॉट कॉम पर अपनी प्रोफाइल बनाने के लिये नेट खोला । शादी डॉट कॉम को सिलेक्ट करने के बाद रजिस्ट्रेशन के कॉलम पर क्लिक किया। कई सारे...

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आबरू By Dr Fateh Singh Bhati

आज उसके यहाँ पंचायती बैठी थी | हालाँकि उसके श्वसुर जी अपनी जाति के पाँच पंचों में से एक थे | ज़िन्दगी भर दूसरों के घर पंचायती करते रहे लेकिन आज दुर्भाग्य ने उनके घर को घेर लिया | उस...

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