सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • चेहरे पर चेहरा (पार्ट 1)

    "कल मौसाजी के बेटे के एट होम में गए थे।वहां डॉक्टर ईश्वर भी सपरिवार आये थे।हमने...

  • फोकट की कमाई

    कोरी बातों से पेट नहीं भरता। पेट की आग बुझाने के लिए हाथ पैर...

  • मार्क्स - Season-1 - भाग - 3

    अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन र...

मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 2 ) By ARUANDHATEE GARG मीठी

रामलाल और उसकी बेटी घर आ चुके थे । लेकिन उनके घर आते ही, झमाझम बारिश शुरू हो चुकी थी । बारिश लगातार एक हफ्ते तक चलती रही । पर अगर सिर्फ बारिश ही होती, तो उतना नुकसान नहीं था । लेकि...

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महेश कटारे - छछिया भर छाछ By राज बोहरे

छछिया भर छाछ हर नुक्कड़ पर ठट्ठे थे। गो कि अलाव उसी अनुपात में कम हो चुके थे जिस अनुपात में बैलों से खेती। खेतों में बैलों की घंटियों से टुनटुन की जगह ट्रेक्टर की भटर-भटर है। हफ्त...

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चेहरे पर चेहरा (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"कल मौसाजी के बेटे के एट होम में गए थे।वहां डॉक्टर ईश्वर भी सपरिवार आये थे।हमने उनका लड़का देख लिया था।"जगदीश मेरे से बोला,"लड़का सेल्सटैक्स इंस्पेक्टर है।सूंदर है।गुड़िया के साथ अच्छ...

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फोकट की कमाई By Vijay Tiwari Kislay

कोरी बातों से पेट नहीं भरता। पेट की आग बुझाने के लिए हाथ पैर भी चलाने पड़ते हैं। हमें इसका भी भान होना चाहिए कि पैर पेट की ओर, पेट के लिए ही मुड़ते हैं। पर, दीन...

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मार्क्स - Season-1 - भाग - 3 By ARUANDHATEE GARG मीठी

अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन रात अपनी पढ़ाई करता और सुबह स्कूल अटेंड करता। टाइम पर कोचिंग जाता, साथ ही टाइम पर घर आता। वह वक्त भी...

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इन्तजार एक हद तक - 11 - (महामारी) By RACHNA ROY

बिमला बोली अरे सहाब बहुत पुराना काम है पन्द्रह साल हो गए।रमेश अच्छा अब ये बताओ कि वो बच्ची कौन थी?बिमला ने कहा अरे अनाथ है बिचारी। ये लोग लाये थे अपना बच्चा बना कर पर उसको ही नौकरा...

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भोली By Mayank Saxena Honey

भोली "बधाई हो बाबूजी भोली बिटिया का ब्याह तय हो गया", नौकर रमेश ने ये कहते हुए आदर्श बाबू को उनकी बिटिया का रिश्ता पक्का होने की बधाई दी। आदर्श बाबू सुबह समाचार पत्र पढ़ते हुए हल्की...

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एक सपना सुहाना By Rama Sharma Manavi

आज रीमा की आँख जरा देर से खुली,क्योंकि आजकल रात में नींद भी बड़ी देर से आती है।उसने चौंककर इधर- उधर देखा,नितेश दिखाई नहीं दे रहे थे,घड़ी नौ बजा रही थी।सुबह शरीर अत्यधिक भारी रहता...

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लाउडस्पीकर By Anand M Mishra

वैसे हमारे घर में शादी-विवाह में लाउडस्पीकर नहीं बजता है। इसका कारण मुझे जो समझ में आया वह यह कि हमारे घर में सभी जोर-जोर से बोलते हैं। मुंह दाब कर बोलना हमलोगों की आदत में नहीं है...

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क्रिसमस ट्री और विवाह By Lajpat Rai Garg

दॉस्तोवस्की की कहानी “द क्रिसमस ट्री एण्ड द वेडिंग” का अनुवाद एक दिन मैं एक विवाह में गया ….  लेकिन नहीं, मैं तुम्हें विवाह के बारे में नहीं, क्रिसमस ट्री क...

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कहानी घरों की By Rama Sharma Manavi

बन्द दरवाजों के पीछे घरों में तमाम कहानियां पलती हैं।अभी मिसेज वर्मा ने उसके यादों के समंदर में कंकड़ फेंककर तरंगे उत्पन्न कर दी थीं।उन्होंने तो बड़े सामान्य भाव से बताया था कि उन...

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इंस्पेक्शन - 2 By Kishanlal Sharma

मीणा पिछले कई दिनों से मण्डल से लगेज वाहन की डिमांड कर रहे थे।लेकिन मण्डल द्वारा लगेज वाहन उपलब्ध नही कराए जा रहे थे।लेकिन इंस्पेक्शन की वजह से लम्बे अरसे से डिस्पेच के लिए पड़े पेक...

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उम्मीद By Anand M Mishra

पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाती है तो जिन्दगी उम्मीदों की परिधि के चारों ओर चक्कर लगाती है। जो बीता वह जिन्दगी और जो बची हुई है – वही उम्मीद है। इसका ही दूसरा नाम आशा, आस, इच्...

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स्वीकृति - 7 By GAYATRI THAKUR

स्वीकृति अध्याय 7 उस बड़े और घने वृक्ष की पत्तियों के बीच से अस्त होते सूरज की झिलमिलाती रोशनी उसके चेहरे पर गिर रहे थे. संध्या हो रही थी, परंतु शायद सूरज के इन झिलमिलाती किरणों का...

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मुझे बचाओ !! - 3 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

(3) विचित्र बारात धन्ना व उसके रिष्तेदारों ने उनका स्वागत किया । सत्या (दूल्हे का मामा) ने धन्ना से कहा,” दूल्हे की सवारी के लिए घोड़ी का इंतजार कीजिए । “ धन्ना बोला, &l...

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हरेराम काका By Anand M Mishra

आज माँ से हरेराम काका के कहलगांव में होने की बात सुनी। मन को सुकून मिला। उनका पता बहुत दिनों से नहीं चल रहा था। फोन पर हरेराम काका का हाल निरंतर पूछते रहता हूँ। हमारे भरे-पूर परिव...

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बड़े धोखे हैं... By Rama Sharma Manavi

संसार में हर कदम पर धोखे हैं, देने वालों और खाने वालों की कमी नहीं है।कुछ खुशकिस्मत बाल-बाल बच जाते हैं। विविधा के बाल्यकाल में ही माँ की मृत्यु हो गई थी, पिता ने अपने से आधी...

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संयोग--मुराद मन की - 2 By Kishanlal Sharma

उस दिन के बाद अनुराग को रोज तीनो लडकिया नज़र आने लगी।वे तीनों लडकिया कहां जाती है?इस बात का पता करने के लिए एक दिन उसने उनका पीछा किया।तब उसे पता चला तीनो लडकिया किरन होटल जाती है।य...

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ब्रेड-बटर... By Saroj Verma

रामनगर में एक किसान रहता था,जिसका नाम रामसजीवन था,उसकी मेहरारू बिंदिया और वो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करते थे,तब जा के दो वक़्त के खाने का जुगाड़ हो पाता था, धीरे-धीरे वक़्त गुजर...

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स्थानीय बोली का विकास By Anand M Mishra

बाजारवाद ने स्थानीय भाषा को करीब-करीब समाप्त कर दिया है। एक बालक जन्म के बाद अपनी माँ से भाषा सीखता था। घर के वातवरण तथा आसपास के वातावरण से प्रभावित होकर बच्चा अपनी मातृभाषा सीख ल...

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मुखौटा ही मुखौटा - 2 By Heena_Pathan

अब तक आपने पढ़ा देव जो की आज के जमाने का लड़का है और वह सोशल मीडिया का आदि है और जिंदगी में बस गेम और सोशल मीडिया ही उसका जीवन है ना घर में माता पिता से बात करता न कुछ जॉब और दोस्...

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नकली गहनें By SHAMIM MERCHANT

"चाचाजी, नेहा के लिए, शादी के गहने मेरी तरफ से।""लेकिन बेटा, ये तो बहुत ज़्यादा है। तुम इतना बोझ अपने सिर पर मत लो, मैं कुछ न कुछ बन्दोबस्त कर लूंगा।"परन्तु, गनेश ने अपने चाचाजी की...

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इस सुबह को नाम क्या दूँ - महेश कटारे - 4 - अंतिम भाग By राज बोहरे

महेश कटारे - इस सुबह को नाम क्या दूँ 4 फट-फट फटक, फटक फट फट की दनदनाती आवाज़ के साथ प्रवेश द्वार पर वजनी एन्फील्ड़ मोटर-साईकिल चमकी और मैदान में अपनी भरपूर आवाज़ घोषित करती हु...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों?? - 1 - क्या मैं लड़की हूं ? By Bushra Hashmi

वह केवल एक राज़ था जिसे मैं जानना चाहती थी मेरे अंदर जो छिपा था । मैं खुद अपने अंदर के बदलाव से दंग थी ना जाने कैसी असमंजस थी वो जिससे निकालना मेरे लिए मुश्किल सा होता जा रहा था ।श...

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जिंदगी और जंग By Anand Tripathi

जिंदगी और जंग की कहानी बड़ी विचित्र है। जीवन की धुरी पर एक साथ वर्षो तक घूर्णन करना कोई खेल नहीं है। बस एक अनुमान ही है जिसके सहारे इंसान ने विज्ञान को पाया है। जिंदगी में जिंदा रह...

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सर्कस - 3 - अंतिम भाग By Keval Makvana

हार्दिक ने उर्मी को मार डाला था। सभी कलाकार हैरान थे कि जिस जोड़े की शादी को एक महीने से भी कम समय हुआ था, वह टूट गया और पति ने अपनी पत्नी को मार डाला। हार...

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मिडल क्लास - 1 By Jigar Joshi

अपने भारत में करीब 50% मिडल क्लास के लोग रहते हे llहर समय के चलते इसमें संख्या हर साल बधता चला। ये। वो? हे जो सपने तो इनके भी बहुत कुछ है मगर अपने जीवन में कभी कभी सफल होते...

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काश By अंजु पी केशव अना

********** सर से पाव तक नज़ाकत, अंदाज़ ऐसे कि कोई देखे तो दो पल के लिए आँखे जरूर ठहर जाए। कुछ महीनों पहले ही मिली थी मैं "मिली" से, लेकिन गहरी दोस्ती हो गई थी हमार...

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बूढ़ा मरता क्यों नही ? By Neelima Sharrma Nivia

बूढ़ा मरता क्यों नी !!!रिश्ते कितने मुश्किल होते हैं आजकल . एक जमाना था सबसे आसान रिश्ता था माँ- बाप का बच्चो से और बच्चो का माँ- बाप से ,उसके बाद भाई और बहन का उस बाद के...

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गृहकार्य और मिमामोरू पद्धति By Anand M Mishra

कोरोना के कारण देशबंदी में शिक्षकों को पढ़ाने का ‘जुनून’ होता है तथा साथ ही वे अपने छात्रों से ‘लगन’ के साथ ‘कठोर परिश्रम’ चाहते हैं। ये बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास में तो ठीक है ल...

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सपनों की कीमत By Rama Sharma Manavi

हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है,सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने पर हम अक्सर अकेले रह जाते हैं, इसे सफलता का अभिशाप भी कह सकते हैं या मूल्य,यह हमारी सोच पर भी निर्भर करता है और कुछ पर...

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आधार By राज कुमार कांदु

रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था । बहुत दिन हुए उसने शहर से कुछ नहीं भेजा था । जब पिछली बार फोन किया था , निराश लग रहा था । रुआंसा होकर उसने रज्जो को बताया थ...

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ये कैसी मित्रता? By Dinesh Tripathi

मित्र का शब्द बड़ा व्यापक है| इसेसखा,सखी मित,्र दोस्त आदि नाम से जाना जाता है लेकिन प्रचलन में दोस्त शब्द व्यापक है मित्रता के बाजार में एक नया शब्द अंग्रेजी का फ्रेंड ज्यादातर उपय...

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रिश्तों में फूफा-मौसा-जीजाजी की भूमिका By Anand M Mishra

भारत में रिश्ते चुनने की परम्परा रही है। प्राचीन काल में बहुत ही कम को स्वेच्छा से रिश्ते चुनने की छूट मिली थी। उदाहरण के लिए हम सावित्री, माता सीता, द्रौपदी आदि को रख सकते हैं। इन...

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शैतानियाँ By Brijmohan sharma

( कॉलेज के छात्रों की शैतानियाँ )  भूमिका  प्रस्तुत कहानी एक सत्यकथा पर आधारित है कि किस प्रकार एक बहादुर मिलिट्री रिटायर्ड प्रिंसिपल गुंडागर्दी से त्रस्त बदनाम कॉलेज को...

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“बिशुन बिशुन बार बार” – परम्परा का खोता हुआ प्रवाह By Meenakshi Dikshit

उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में लोक पर्वों की बहुतायत है। हिंदी पंचांग के कुछ माह तो ऐसे हैं जिनमें हर एक दो दिन बाद एक लोकपर्व आ जाता है। ये पंचमी, वो षष्ठी, ये अष्टमी और इनमें से ह...

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आधुनिकता और हमारा समाज By Anand M Mishra

हम भारतीयों ने अपनी जीवन-शैली को त्याग कर पश्चिमी देशों की नकल की। कहने को ये पश्चिमी देश विकसित हैं। हमारे देश को अविकसित या विकासशील कहते हैं। मगर विकास का पैमाना सभी के लिए अलग-...

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BOYS school WASHROOM - 20 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश, प्रज्ञा का हाथ थामे जैसे-तैसे उसके पड़ोस के घर, गिन्नी के दरवाजे पर पहुँच ही गया। उसने कई बार ज़ोर-ज़ोर दरवाजा थप थपाया...तब जाकर गेट खुलते ही एक औरत की आवाज़ आयी-अरे! प्रज्ञा...

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एक बिनती By SHAMIM MERCHANT

"एक बिनती है आपसे। माँ को इस बारे में पता न चले।"यक़ीन नहीं हो रहा था, की मैं अपने चाचाजी के सामने, मजबूर होकर, मिन्नते कर रही थी। वह मेरी मदद ज़रूर कर रहे थे, पर सिर्फ और सिर्फ अपने...

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मेरी मिट्टी मेरा खेत - ( भाग - 2 ) By ARUANDHATEE GARG मीठी

रामलाल और उसकी बेटी घर आ चुके थे । लेकिन उनके घर आते ही, झमाझम बारिश शुरू हो चुकी थी । बारिश लगातार एक हफ्ते तक चलती रही । पर अगर सिर्फ बारिश ही होती, तो उतना नुकसान नहीं था । लेकि...

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महेश कटारे - छछिया भर छाछ By राज बोहरे

छछिया भर छाछ हर नुक्कड़ पर ठट्ठे थे। गो कि अलाव उसी अनुपात में कम हो चुके थे जिस अनुपात में बैलों से खेती। खेतों में बैलों की घंटियों से टुनटुन की जगह ट्रेक्टर की भटर-भटर है। हफ्त...

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चेहरे पर चेहरा (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"कल मौसाजी के बेटे के एट होम में गए थे।वहां डॉक्टर ईश्वर भी सपरिवार आये थे।हमने उनका लड़का देख लिया था।"जगदीश मेरे से बोला,"लड़का सेल्सटैक्स इंस्पेक्टर है।सूंदर है।गुड़िया के साथ अच्छ...

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फोकट की कमाई By Vijay Tiwari Kislay

कोरी बातों से पेट नहीं भरता। पेट की आग बुझाने के लिए हाथ पैर भी चलाने पड़ते हैं। हमें इसका भी भान होना चाहिए कि पैर पेट की ओर, पेट के लिए ही मुड़ते हैं। पर, दीन...

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मार्क्स - Season-1 - भाग - 3 By ARUANDHATEE GARG मीठी

अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन रात अपनी पढ़ाई करता और सुबह स्कूल अटेंड करता। टाइम पर कोचिंग जाता, साथ ही टाइम पर घर आता। वह वक्त भी...

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इन्तजार एक हद तक - 11 - (महामारी) By RACHNA ROY

बिमला बोली अरे सहाब बहुत पुराना काम है पन्द्रह साल हो गए।रमेश अच्छा अब ये बताओ कि वो बच्ची कौन थी?बिमला ने कहा अरे अनाथ है बिचारी। ये लोग लाये थे अपना बच्चा बना कर पर उसको ही नौकरा...

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भोली By Mayank Saxena Honey

भोली "बधाई हो बाबूजी भोली बिटिया का ब्याह तय हो गया", नौकर रमेश ने ये कहते हुए आदर्श बाबू को उनकी बिटिया का रिश्ता पक्का होने की बधाई दी। आदर्श बाबू सुबह समाचार पत्र पढ़ते हुए हल्की...

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एक सपना सुहाना By Rama Sharma Manavi

आज रीमा की आँख जरा देर से खुली,क्योंकि आजकल रात में नींद भी बड़ी देर से आती है।उसने चौंककर इधर- उधर देखा,नितेश दिखाई नहीं दे रहे थे,घड़ी नौ बजा रही थी।सुबह शरीर अत्यधिक भारी रहता...

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लाउडस्पीकर By Anand M Mishra

वैसे हमारे घर में शादी-विवाह में लाउडस्पीकर नहीं बजता है। इसका कारण मुझे जो समझ में आया वह यह कि हमारे घर में सभी जोर-जोर से बोलते हैं। मुंह दाब कर बोलना हमलोगों की आदत में नहीं है...

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क्रिसमस ट्री और विवाह By Lajpat Rai Garg

दॉस्तोवस्की की कहानी “द क्रिसमस ट्री एण्ड द वेडिंग” का अनुवाद एक दिन मैं एक विवाह में गया ….  लेकिन नहीं, मैं तुम्हें विवाह के बारे में नहीं, क्रिसमस ट्री क...

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कहानी घरों की By Rama Sharma Manavi

बन्द दरवाजों के पीछे घरों में तमाम कहानियां पलती हैं।अभी मिसेज वर्मा ने उसके यादों के समंदर में कंकड़ फेंककर तरंगे उत्पन्न कर दी थीं।उन्होंने तो बड़े सामान्य भाव से बताया था कि उन...

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इंस्पेक्शन - 2 By Kishanlal Sharma

मीणा पिछले कई दिनों से मण्डल से लगेज वाहन की डिमांड कर रहे थे।लेकिन मण्डल द्वारा लगेज वाहन उपलब्ध नही कराए जा रहे थे।लेकिन इंस्पेक्शन की वजह से लम्बे अरसे से डिस्पेच के लिए पड़े पेक...

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उम्मीद By Anand M Mishra

पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाती है तो जिन्दगी उम्मीदों की परिधि के चारों ओर चक्कर लगाती है। जो बीता वह जिन्दगी और जो बची हुई है – वही उम्मीद है। इसका ही दूसरा नाम आशा, आस, इच्...

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स्वीकृति - 7 By GAYATRI THAKUR

स्वीकृति अध्याय 7 उस बड़े और घने वृक्ष की पत्तियों के बीच से अस्त होते सूरज की झिलमिलाती रोशनी उसके चेहरे पर गिर रहे थे. संध्या हो रही थी, परंतु शायद सूरज के इन झिलमिलाती किरणों का...

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मुझे बचाओ !! - 3 - अंतिम भाग By Brijmohan sharma

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हरेराम काका By Anand M Mishra

आज माँ से हरेराम काका के कहलगांव में होने की बात सुनी। मन को सुकून मिला। उनका पता बहुत दिनों से नहीं चल रहा था। फोन पर हरेराम काका का हाल निरंतर पूछते रहता हूँ। हमारे भरे-पूर परिव...

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बड़े धोखे हैं... By Rama Sharma Manavi

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उस दिन के बाद अनुराग को रोज तीनो लडकिया नज़र आने लगी।वे तीनों लडकिया कहां जाती है?इस बात का पता करने के लिए एक दिन उसने उनका पीछा किया।तब उसे पता चला तीनो लडकिया किरन होटल जाती है।य...

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ब्रेड-बटर... By Saroj Verma

रामनगर में एक किसान रहता था,जिसका नाम रामसजीवन था,उसकी मेहरारू बिंदिया और वो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करते थे,तब जा के दो वक़्त के खाने का जुगाड़ हो पाता था, धीरे-धीरे वक़्त गुजर...

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स्थानीय बोली का विकास By Anand M Mishra

बाजारवाद ने स्थानीय भाषा को करीब-करीब समाप्त कर दिया है। एक बालक जन्म के बाद अपनी माँ से भाषा सीखता था। घर के वातवरण तथा आसपास के वातावरण से प्रभावित होकर बच्चा अपनी मातृभाषा सीख ल...

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मुखौटा ही मुखौटा - 2 By Heena_Pathan

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इस सुबह को नाम क्या दूँ - महेश कटारे - 4 - अंतिम भाग By राज बोहरे

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जिंदगी और जंग By Anand Tripathi

जिंदगी और जंग की कहानी बड़ी विचित्र है। जीवन की धुरी पर एक साथ वर्षो तक घूर्णन करना कोई खेल नहीं है। बस एक अनुमान ही है जिसके सहारे इंसान ने विज्ञान को पाया है। जिंदगी में जिंदा रह...

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हार्दिक ने उर्मी को मार डाला था। सभी कलाकार हैरान थे कि जिस जोड़े की शादी को एक महीने से भी कम समय हुआ था, वह टूट गया और पति ने अपनी पत्नी को मार डाला। हार...

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मिडल क्लास - 1 By Jigar Joshi

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काश By अंजु पी केशव अना

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गृहकार्य और मिमामोरू पद्धति By Anand M Mishra

कोरोना के कारण देशबंदी में शिक्षकों को पढ़ाने का ‘जुनून’ होता है तथा साथ ही वे अपने छात्रों से ‘लगन’ के साथ ‘कठोर परिश्रम’ चाहते हैं। ये बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास में तो ठीक है ल...

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सपनों की कीमत By Rama Sharma Manavi

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आधार By राज कुमार कांदु

रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था । बहुत दिन हुए उसने शहर से कुछ नहीं भेजा था । जब पिछली बार फोन किया था , निराश लग रहा था । रुआंसा होकर उसने रज्जो को बताया थ...

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ये कैसी मित्रता? By Dinesh Tripathi

मित्र का शब्द बड़ा व्यापक है| इसेसखा,सखी मित,्र दोस्त आदि नाम से जाना जाता है लेकिन प्रचलन में दोस्त शब्द व्यापक है मित्रता के बाजार में एक नया शब्द अंग्रेजी का फ्रेंड ज्यादातर उपय...

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रिश्तों में फूफा-मौसा-जीजाजी की भूमिका By Anand M Mishra

भारत में रिश्ते चुनने की परम्परा रही है। प्राचीन काल में बहुत ही कम को स्वेच्छा से रिश्ते चुनने की छूट मिली थी। उदाहरण के लिए हम सावित्री, माता सीता, द्रौपदी आदि को रख सकते हैं। इन...

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शैतानियाँ By Brijmohan sharma

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“बिशुन बिशुन बार बार” – परम्परा का खोता हुआ प्रवाह By Meenakshi Dikshit

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आधुनिकता और हमारा समाज By Anand M Mishra

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BOYS school WASHROOM - 20 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश, प्रज्ञा का हाथ थामे जैसे-तैसे उसके पड़ोस के घर, गिन्नी के दरवाजे पर पहुँच ही गया। उसने कई बार ज़ोर-ज़ोर दरवाजा थप थपाया...तब जाकर गेट खुलते ही एक औरत की आवाज़ आयी-अरे! प्रज्ञा...

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एक बिनती By SHAMIM MERCHANT

"एक बिनती है आपसे। माँ को इस बारे में पता न चले।"यक़ीन नहीं हो रहा था, की मैं अपने चाचाजी के सामने, मजबूर होकर, मिन्नते कर रही थी। वह मेरी मदद ज़रूर कर रहे थे, पर सिर्फ और सिर्फ अपने...

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