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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • गुलनार

    गुलनारजैसे ही मेरी नींद खुली, मैंने देखा कि दूर खड़ी वो कातर दृष्टि से मुझे देख र...

  • सोन पिंजरा

    रघु ने बाबू को साफ़ साफ़ कह दिया था कि चाहे मूंगफली के पैसे की उगाही धनीराम के य...

  • प्रोटोकॉल

    जाड़े के दिनों में पेड़-पौधों को पानी की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं रहती। तापमान कम रह...

विश्वासघात--भाग(८) By Saroj Verma

और उधर संदीप और प्रदीप के कमरे पर___ क्या हुआ भइया! आप अभी तक गए नहीं है,प्रदीप ने पूछा।। हाँ,आज जरा कचहरी जाना है, सर ने बुलाया था कि जरा कचहरी आकर देख जाना कि मुकदमे की सुनवाई...

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गुलनार By mandavi barway

गुलनारजैसे ही मेरी नींद खुली, मैंने देखा कि दूर खड़ी वो कातर दृष्टि से मुझे देख रही थी। आँखों की चमक, सेब जैसे गालों का गुलाबीपन बहुत फीका था। मुझे याद है अप्रैल का वो दिन जब मैंने...

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सलीब पर टँगी लड़की By Amrita Sinha

कहानी सलीब पर टंगी लड़की ———— अमृता सिन्हा ————————बेडरूम में आराम करते-करते थकने लगी तो किचन में आ गई पल्लवी ।साफ़-सुथरे और चमकते किचन को देखकर उसके होठों परमुस...

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

जय श्री राम का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी । रावण सूक्ष्म रूप में था जो कि धरती...

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सोन पिंजरा By Prabodh Kumar Govil

रघु ने बाबू को साफ़ साफ़ कह दिया था कि चाहे मूंगफली के पैसे की उगाही धनीराम के यहां से आए या न आए, वो काकाजी के पास ज़रूर जाएगा। उसका दसवीं का इम्तहान था जिसके बस सात पेपर बाक़ी थे...

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वचन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

वचन--(अन्तिम भाग) हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगीं, दिवाकर बोला।। नहीं, दिवाकर! जब सबको पता है कि आफ़रीन का ख़ून मैने किया है तो केस लड़ने से क्या फायदा...

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चाहत दिलकी - 2 By SWARNIM स्वर्णिम

पहुंचने की जगह की जिज्ञासा से अधिक, मन उसके साथ चलने के लिए उत्साहित था। उसके साथ चलते समय, मैं अक्सर सोचती थी कि जैसे-जैसे मैं चलूँ, सड़क और लंबी हो जाए और समय धीमे हो जाए, चलने म...

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आर्यन By Prabodh Kumar Govil

और दिनों के विपरीत आर्यन छुट्टी होते ही बैग लेकर स्कूल बस की ओर नहीं दौड़ा बल्कि धीरे-धीरे चलता हुआ, क्लास रूम के सामने वाले पोर्च में रुक गया। इतना ही नहीं, उसने दिव्यांश को भी कला...

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प्रोटोकॉल By Prabodh Kumar Govil

जाड़े के दिनों में पेड़-पौधों को पानी की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं रहती। तापमान कम रहने से वातावरण की नमी जल्दी नहीं सूखती। बल्कि इस मौसम में खिलते फूलों को तो हल्की-हल्की गुलाबी धूप ही...

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एक फैसला By राज कुमार कांदु

रहमान आज सुबह से ही परेशान था । नशे की सनक में उसने अपनी प्यारी सी बेगम सलमा को रात में ‘ न आव देखा न ताव ‘ तलाक ‘ दे दिया था । सुनकर सलमा सन्न रह गयी थी । दहाड़ें मारकर रोने लगी ।...

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चल बताऊं तोय By Prabodh Kumar Govil

- वाह, क्या बात है ! बप्पी लाहिड़ी सुन ले तो अभी एडवांस चैक दे जाए। तुम तो ऐसा करो अम्मा, कि ए आर रहमान को चिट्ठी लिख दो, वो ज़रूर ले जाएगा तुम्हें। तमाम वक्रोक्तियों और अलंकारों क...

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पूत पांव और पालना By Prabodh Kumar Govil

रात के तीन बजे थे। सुकरात थरमस लेकर सीढ़ियों पर चढ़ रहा था। उसे थरमस की कॉफी बड़ी नर्स दीदी को देकर शिफ़्ट बदलने का अलार्म बजाना था। अकस्मात पूरे हॉस्पिटल की बत्ती गुल हो गई। सुकरा...

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चाणक्य की चतुराई By राज बोहरे

चाणक्य ऐतिहासिक कहानी चाणक्य की चतुराई मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र उस दिन दुलहिन की तरह सजाई गई थी। साम्राज्य के नये राजा चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया जा रहा था। पाट...

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शराफ़त By Prabodh Kumar Govil

मेरी और शराफ़त की पहली मुलाकात बेहद नाटकीय तरीक़े से हुई थी। भोपाल तक सोलह घंटे का सफ़र था, बस का। सारी रात बस में निकाल लेने के बावजूद अभी कुल नौ घंटे हुए थे और कम से कम सात घंटे...

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आज़ादी By Prabodh Kumar Govil

सारा गांव स्कूल की ओर बढ़ रहा है। आज पंद्रह अगस्त है, स्कूल में झण्डा फहराया जाएगा। शहीदों से प्रेम नहीं है गांव को, पर क्योंकि कुछ भी हो रहा है, इसलिए सारा गांव जा रहा है। समय बहु...

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इतिहास भक्षी By Prabodh Kumar Govil

इतिहास-भक्षी नब्बे साल की बूढ़ी आँखों में चमक आ गई। लाठी थामे चल रहे हाथों का कंपकपाना कुछ कम हो गया। … वो उधर , वो वो भी, वो वाला भी... और वो पूरी की पूरी कतार … कह कर जब बूढ़ा...

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रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः - अंतिम भाग By रामगोपाल तिवारी

रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः लेखकः रामगोपाल ‘भावुकः’ संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः मुंबई सम्पादकः डा. विष्णुनारायण तिवारी रत्नावली - 19...

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खिचड़ी By r k lal

खिचड़ीआर 0 के 0 लालमम्मी ! तुम्हारे पापा के घर से इस बार खिचड़ी नहीं आई? सुमित ने अपनी मां पूनम से पूछा। पूनम आज सुबह से ही उदास थी उसने सोचा कि छोटे बच्चे सुमित को क्यों दुखी करे...

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रामायण के कुछ अशं कलियुग में (मोर्डेन रामायण) - 1 By Kalpana Sahoo

            जैसे की आप सब जानते हैं की त्रेतया युग में राम और सीता की गाथा को रामायण रूपरेख् देके बर्णना किया गया था । सीफ् राम और सीता नहीं, उनके साथ...

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मरखना By Prabodh Kumar Govil

बंगले की छत से पीछे कुछ दूरी पर ग़ज़ब की हरियाली दिखाई देती थी। उस दिन मेरी बड़ी बहनजी मिलने आईं तो मैं उन्हें बंगला दिखाते हुए छत पर भी ले गया। वो देखते ही ठिठक गईं। बोलीं- वाह, क...

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दुनिया पूरी By Prabodh Kumar Govil

"दुनिया पूरी" मेरी पत्नी का देहांत हुए पांच वर्ष बीत गए थे। ऐसे दुःख कम तो कभी नहीं होते, पर मन पर विवशता व उदासीनता की एक परत सी जम गई थी। इससे दुःख हल्का लगने लगा था।जीवन और परिव...

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सार्थक सीख By राज कुमार कांदु

अमर जल्दी जल्दी ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था । रमा रसोई में अमर के लिए नाश्ता बनाने में व्यस्त थी ।अमर के पिताजी दीनदयाल हाथ में अख़बार लिये कुछ परेशान से अमर से बोले ‘ ” बेटा !...

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विश्वासघात--भाग(८) By Saroj Verma

और उधर संदीप और प्रदीप के कमरे पर___ क्या हुआ भइया! आप अभी तक गए नहीं है,प्रदीप ने पूछा।। हाँ,आज जरा कचहरी जाना है, सर ने बुलाया था कि जरा कचहरी आकर देख जाना कि मुकदमे की सुनवाई...

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गुलनार By mandavi barway

गुलनारजैसे ही मेरी नींद खुली, मैंने देखा कि दूर खड़ी वो कातर दृष्टि से मुझे देख रही थी। आँखों की चमक, सेब जैसे गालों का गुलाबीपन बहुत फीका था। मुझे याद है अप्रैल का वो दिन जब मैंने...

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सलीब पर टँगी लड़की By Amrita Sinha

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

जय श्री राम का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी । रावण सूक्ष्म रूप में था जो कि धरती...

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सोन पिंजरा By Prabodh Kumar Govil

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वचन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

वचन--(अन्तिम भाग) हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगीं, दिवाकर बोला।। नहीं, दिवाकर! जब सबको पता है कि आफ़रीन का ख़ून मैने किया है तो केस लड़ने से क्या फायदा...

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चाहत दिलकी - 2 By SWARNIM स्वर्णिम

पहुंचने की जगह की जिज्ञासा से अधिक, मन उसके साथ चलने के लिए उत्साहित था। उसके साथ चलते समय, मैं अक्सर सोचती थी कि जैसे-जैसे मैं चलूँ, सड़क और लंबी हो जाए और समय धीमे हो जाए, चलने म...

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आर्यन By Prabodh Kumar Govil

और दिनों के विपरीत आर्यन छुट्टी होते ही बैग लेकर स्कूल बस की ओर नहीं दौड़ा बल्कि धीरे-धीरे चलता हुआ, क्लास रूम के सामने वाले पोर्च में रुक गया। इतना ही नहीं, उसने दिव्यांश को भी कला...

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एक फैसला By राज कुमार कांदु

रहमान आज सुबह से ही परेशान था । नशे की सनक में उसने अपनी प्यारी सी बेगम सलमा को रात में ‘ न आव देखा न ताव ‘ तलाक ‘ दे दिया था । सुनकर सलमा सन्न रह गयी थी । दहाड़ें मारकर रोने लगी ।...

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चल बताऊं तोय By Prabodh Kumar Govil

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इतिहास भक्षी By Prabodh Kumar Govil

इतिहास-भक्षी नब्बे साल की बूढ़ी आँखों में चमक आ गई। लाठी थामे चल रहे हाथों का कंपकपाना कुछ कम हो गया। … वो उधर , वो वो भी, वो वाला भी... और वो पूरी की पूरी कतार … कह कर जब बूढ़ा...

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रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः - अंतिम भाग By रामगोपाल तिवारी

रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः लेखकः रामगोपाल ‘भावुकः’ संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः मुंबई सम्पादकः डा. विष्णुनारायण तिवारी रत्नावली - 19...

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खिचड़ी By r k lal

खिचड़ीआर 0 के 0 लालमम्मी ! तुम्हारे पापा के घर से इस बार खिचड़ी नहीं आई? सुमित ने अपनी मां पूनम से पूछा। पूनम आज सुबह से ही उदास थी उसने सोचा कि छोटे बच्चे सुमित को क्यों दुखी करे...

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सार्थक सीख By राज कुमार कांदु

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