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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • ख़ाम रात - 11

    मैं असमंजस में था। क्या करूं? क्या अपना इरादा छोड़ कर चैन से अपने कमरे में जा सो...

  • वेश्या का भाई - भाग(५)

    इन्द्रलेखा भीतर जाकर भगवान के मंदिर के सामने खड़ी होकर फूट फूटकर रो पड़ी और भगवान...

  • अपराधी कौन ?

    अदालत परिसर में काफी गहमागहमी थी लेकिन अदालत कक्ष में नीरव शांति थी जहाँ नृशंस ह...

ख़ाम रात - 11 By Prabodh Kumar Govil

मैं असमंजस में था। क्या करूं? क्या अपना इरादा छोड़ कर चैन से अपने कमरे में जा सोऊं? भूल जाऊं मैडम और उनके आशिक को? नहीं- नहीं, इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगा। हाथ में आया हुआ मौका...

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वेश्या का भाई - भाग(५) By Saroj Verma

इन्द्रलेखा भीतर जाकर भगवान के मंदिर के सामने खड़ी होकर फूट फूटकर रो पड़ी और भगवान से प्रार्थना करते हुए बोली.... हे!ईश्वर! ये कौन-कौन से दिन दिखा रहा है मुझको,वो नन्ही सी बच्ची है कु...

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अपराधी कौन ? By राज कुमार कांदु

अदालत परिसर में काफी गहमागहमी थी लेकिन अदालत कक्ष में नीरव शांति थी जहाँ नृशंस हत्या के एक आरोपी की सुनवाई चल रही थी। सरकार द्वारा मुफ्त वकील दिए जाने के प्रस्ताव को मुस्कुरा कर न...

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दुर्गेशनन्दिनी (बंगला उपन्यास) : बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय By Suvayan Dey

प्रथम परिच्छेद : देवमन्दिर बङ्गदेशीय सम्वत् ९९८ के ग्रीष्मकाल के अन्त में एक दिन एक पुरुष घोड़े पर चढ़ा विष्णुपुर से जहानाबाद की राह पर अकेला जाता था। सायंकाल समीप जान उसने घोड़े क...

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मासूम बच्चे से कैसा प्रतिशोध By Vandana

दृश्य 1 उस क्षेत्र में लोग शांतिपूर्वक रहते थे, लोग क्या, पशु पक्षी भी वहाँ अपना अभयराज समझते थे। छोटे छोटे बालक और शावक वहाँ प्रसन्नचित होकर निर्द्वन्द्व विचरण करते। ऐसा नहीं कि य...

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चाँद- बदली की ओट में By राज कुमार कांदु

शाम गहरा गई थी। आसमान में चाँद चमक रहा था और रजनी अपने कमरे में पड़ी सिसक रही थी।आज वह सुबह से ही खुद को बड़ी असहज महसूस कर रही थी। हर साल की तरह आज भी उसने करवा चौथ का व्रत रखा था,...

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चल उड़ जा रे पंछी By सुधाकर मिश्र ” सरस ”

सुनील को घर गए हुए साल भर हो गया था। इंदौर में प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था। वह हर साल की तरह गेहूं की फसल आने पर घर जाने को तथा अपने माता - पिता से मिलने क...

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दशा और दिशा - गहरे मित्र By Varun Sharma

इस कहानी में दो मित्र है जिनका जीवन अलग अलग दिशा में बढ़ता है और अपनी जिंदगी को किस मार्ग पर ले आते है इस कहानी से जरूर जाने

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भय से संतुष्टि By Anand M Mishra

कहानी नानी-दादी से सुनी थी। बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। उसके पास घोडा था। घोड़ा सुंदर था। लेकिन घोड़ा लालची था। राजा घोड़े की देखभाल अच्छे से करता था। उसकी सेवा के लिए कई साईस थ...

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कशिश - वो शायर बदनाम By Anand Tripathi

वो शायर बदनाम में आज बात कुछ ऐसे लोगो को कर रहा हूं। जिनकी तबीयत बड़ी मासूम मिजाजी थी। जिनका करिश्मा उनके कारनामे से बड़ा होता है। ऐसे कुछ कलाम और नगमे जिनको सवार कर लोग चले गए और...

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प्रतीक्षा By नन्दलाल सुथार राही

प्रतीक्षा १ विक्रमनगर में आज प्रातः की शुरुआत ही शंख की पवित्र ध्वनि और ढोल - नगाड़ों की गूंज से हुई। आज सम्पूर्ण नगर में हर्ष और उल्लास...

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साहित्‍य की जनवादी धारा By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

साहित्‍य की जनवादी धारा डॉ0 स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना साहित्‍य के पाठक एवं रचना...

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चाणक्य की उलटफेर By राज बोहरे

ऐतिहासिक कहानी चाणक्य की चतुराई मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र उस दिन दुलहिन की तरह सजाई गई थी। साम्राज्य के नये राजा चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया जा रहा था। पाटलिपुत्र...

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अतीत By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

वर्षा ऋतु का सुहावना समय था। आकाश में काले काले बादल छाए हुए थे 1 पपीहा पीयू पीयू की पुकार कर रहा था। मोर अपने सुंदर पंखों को फैला कर मस्त होकर नाच रहे थे। प्रकृति अपने पूर्ण यौवन...

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आधुनिक युग By Anand Tripathi

कैसा जमाना आ गया है। है रि इसको देखो ये क्या से क्या हो गया। इनका देखो फैशन के नाम पर तन पर कपड़े ही कम है। और तो और पैंट भी नही है बेचारे के पास कैसी परिस्थिति है। ओ हो,ये देखो कि...

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लकीर का फ़क़ीर By राज कुमार कांदु

दफ्तर से निकल कर दीपक बस स्टॉप की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था कि उसके फोन की घंटी बज उठी। जेब से इयरफोन निकालकर उसने कान से लगाया और बातें करता हुआ बस स्टॉप की तरफ बढ़ता रहा। फोन उसकी म...

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मोक्ष By Pratap Singh

आस-पास के चालीस गावों के सबसे बड़े जमींदार उदय प्रताप के यहां बहुत बड़ा यज्ञ हो रहा था।। बाहर से आये स्वामी जी यज्ञ के बाद कथा भी बांचते। जमींदार साहब ने यज्ञ में हो रहे उच्चारण...

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पिता की खोज By राज कुमार कांदु

" आज तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा अम्मी... कौन हैं मेरे अब्बू ? क्या नाम है उनका ? कहाँ रहते हैं ?.. और तुम अकेले क्यों रहती हो ?" बाईस वर्षीय नदीम ने लगभग चीखते हुए सवालों की झड़ी लग...

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संयोग-मुराद मन की - 1 By Kishanlal Sharma

या हू-------पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।"मिल गई।माँ मिल गई...

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हारने से पहले By Poonam Gujrani Surat

कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। इसके अलावा जाने कितनी दवाइयां, इंजेक्शन, विटामिन, प्...

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दूरी क्यों--दाम्पत्य प्रेम By Kishanlal Sharma

प्लेटफार्म एक के अंतिम छोर पर खाली पड़ी बैंच पर वह आकर बैठ गया।जून का महीना।सूरज ढल चुका था।आसमान एकदम साफ था।शाम भी अपनी अंतिम अवस्था की ओर बढ़ रही थी।अंधरे की परतें आसमान में नज़र आ...

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उनींदा सा एक दिन By Abhinav Bajpai

सुकेश जब चार दिनों बाद घर पहुंचा तो वह दिन समाप्त हो चुके थे, रुई से हल्के दिन... उन चार दिनों के बाद उसके मन में घर पहुंचने की कोई ललक नहीं बची थी, वह बस पहुंचना चाहता था क्योंकि...

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कागज के फूल By राज कुमार कांदु

कमजोर, कृषकाय अमर कार की अगली सीट पर बैठा न जाने किस ख्याल में गुम था कि अचानक कार को एक हल्का सा झटका लगा और कार सड़क के किनारे खड़ी हो गई ! कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे ब...

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उदास इंद्रधनुष - 4 By Amrita Sinha

भीतर घुसते ही ब्रीफ़केस को सोफ़े पर रखा और बोले बस फ़्रेश होकर आता हूँ बहुत थक गया हूँ । नींद भी पूरी नहीं हुई है,इसीलिए मैं सोच रहा हूँ कि थोड़ा सो लूँ । अरे खाना तो खा लो, बोलते...

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मैं वेश्या हूँ... By राज कुमार कांदु

हाँ ! तुमने ठीक कहा ! मैं वेश्या हूँ ! लेकिन क्या कभी तुमने यह भी सोचा है कि हम लड़कियाँ वेश्या क्यों बनती हैं ? नहीं न ! और तुम मर्द जात ये सोचोगे भी क्यों ?तुम लोगों को तो तब तक क...

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सलीब अपना-अपना By Amrita Sinha

सलीब अपना अपनापरीक्षाएँ ख़त्म कर घर में यूँही बेकार बैठना अच्छा नहीं लग रहा था मीता को । घर बैठे - बैठे ऊब रही थी कि माँ ने सुझाया कि क्यों नहीं वह पेंटिंग का एक क्रैश कोर्स जॉइन क...

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इस्तीफ़ा By Amrita Sinha

कहानी —- इस्तीफ़ा—— अमृता सिन्हा जबसे सिस्टर जूही स्कूल की प्रिंसिपल बनकर आयी हैं तब से पूरे स्टाफ़ रूम में हड़कंप मचा रहता है। स्कूल में अनुशासन पहले भी थाप...

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एक अजनबी से मुलाकात By Atul Baghresh

रोज़ की तरह में वाक करनेघर से पार्क के लिए निकल रहा ताहीड्फोने उठए, शूज पेह्नेओर निकल गया घर स।तोडे देर पार्क में वाक करने के बादमे अपनी जगह बैठने गयामेने देखा जहा में बेठता हु उधार...

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विश्वासघात--भाग(१२) By Saroj Verma

लीला और विजय की खबर सुनकर शक्तिसिंह जी की आँखों से आँसू बह निकलें, उनका मन व्याकुल हो उठा अपने नन्हें को देखने के लिए और उन्होंने प्रदीप से पूछा कि तुम कब मिले बेला से। जी रक्...

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वापसी By Amrita Sinha

वापसी ————। ———————-कड़क स्वभाव वाली अम्मा यूँ लाड़ कभी नहीं जतातीं, जब तक कि कोई ख़ास बात न हो, नीलिमा सुबह से ही...

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शुक्रिया दोस्त By Atul Baghresh

शुक्रिया मुझे वो ज़िन्दगी के सबसे हसीं पल देने के लिए शुक्रिया मेरी परेशानी को खुद की तकलीफ मान कर अपने सर लेने के लिए शुक्रिया उन मस्तियो के लिए और मेरा सहारा बन जाने के लिए शुक्रि...

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ख़ाम रात - 11 By Prabodh Kumar Govil

मैं असमंजस में था। क्या करूं? क्या अपना इरादा छोड़ कर चैन से अपने कमरे में जा सोऊं? भूल जाऊं मैडम और उनके आशिक को? नहीं- नहीं, इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगा। हाथ में आया हुआ मौका...

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वेश्या का भाई - भाग(५) By Saroj Verma

इन्द्रलेखा भीतर जाकर भगवान के मंदिर के सामने खड़ी होकर फूट फूटकर रो पड़ी और भगवान से प्रार्थना करते हुए बोली.... हे!ईश्वर! ये कौन-कौन से दिन दिखा रहा है मुझको,वो नन्ही सी बच्ची है कु...

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अपराधी कौन ? By राज कुमार कांदु

अदालत परिसर में काफी गहमागहमी थी लेकिन अदालत कक्ष में नीरव शांति थी जहाँ नृशंस हत्या के एक आरोपी की सुनवाई चल रही थी। सरकार द्वारा मुफ्त वकील दिए जाने के प्रस्ताव को मुस्कुरा कर न...

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दुर्गेशनन्दिनी (बंगला उपन्यास) : बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय By Suvayan Dey

प्रथम परिच्छेद : देवमन्दिर बङ्गदेशीय सम्वत् ९९८ के ग्रीष्मकाल के अन्त में एक दिन एक पुरुष घोड़े पर चढ़ा विष्णुपुर से जहानाबाद की राह पर अकेला जाता था। सायंकाल समीप जान उसने घोड़े क...

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चाँद- बदली की ओट में By राज कुमार कांदु

शाम गहरा गई थी। आसमान में चाँद चमक रहा था और रजनी अपने कमरे में पड़ी सिसक रही थी।आज वह सुबह से ही खुद को बड़ी असहज महसूस कर रही थी। हर साल की तरह आज भी उसने करवा चौथ का व्रत रखा था,...

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चल उड़ जा रे पंछी By सुधाकर मिश्र ” सरस ”

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दशा और दिशा - गहरे मित्र By Varun Sharma

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कशिश - वो शायर बदनाम By Anand Tripathi

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प्रतीक्षा By नन्दलाल सुथार राही

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साहित्‍य की जनवादी धारा By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

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ऐतिहासिक कहानी चाणक्य की चतुराई मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र उस दिन दुलहिन की तरह सजाई गई थी। साम्राज्य के नये राजा चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया जा रहा था। पाटलिपुत्र...

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वर्षा ऋतु का सुहावना समय था। आकाश में काले काले बादल छाए हुए थे 1 पपीहा पीयू पीयू की पुकार कर रहा था। मोर अपने सुंदर पंखों को फैला कर मस्त होकर नाच रहे थे। प्रकृति अपने पूर्ण यौवन...

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कैसा जमाना आ गया है। है रि इसको देखो ये क्या से क्या हो गया। इनका देखो फैशन के नाम पर तन पर कपड़े ही कम है। और तो और पैंट भी नही है बेचारे के पास कैसी परिस्थिति है। ओ हो,ये देखो कि...

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दफ्तर से निकल कर दीपक बस स्टॉप की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था कि उसके फोन की घंटी बज उठी। जेब से इयरफोन निकालकर उसने कान से लगाया और बातें करता हुआ बस स्टॉप की तरफ बढ़ता रहा। फोन उसकी म...

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मोक्ष By Pratap Singh

आस-पास के चालीस गावों के सबसे बड़े जमींदार उदय प्रताप के यहां बहुत बड़ा यज्ञ हो रहा था।। बाहर से आये स्वामी जी यज्ञ के बाद कथा भी बांचते। जमींदार साहब ने यज्ञ में हो रहे उच्चारण...

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पिता की खोज By राज कुमार कांदु

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या हू-------पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।"मिल गई।माँ मिल गई...

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कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। इसके अलावा जाने कितनी दवाइयां, इंजेक्शन, विटामिन, प्...

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मैं वेश्या हूँ... By राज कुमार कांदु

हाँ ! तुमने ठीक कहा ! मैं वेश्या हूँ ! लेकिन क्या कभी तुमने यह भी सोचा है कि हम लड़कियाँ वेश्या क्यों बनती हैं ? नहीं न ! और तुम मर्द जात ये सोचोगे भी क्यों ?तुम लोगों को तो तब तक क...

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