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स्वतन्त्र  सक्सेना के विचार By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

बराबरी का सपना
स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना भारत के मध्‍य में बसा बुंदेलखण्‍ड, विध्‍याचल पर्वत व इसके बीच बहने वालीं नदियां इसकी शोभा हैं। कवि ने इसकी सीमा इन शब्‍दों में बांधी है-...

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बैंगन By Prabodh Kumar Govil

गाड़ी रुकते ही मैं अपना सूटकेस उठाए स्टेशन से बाहर आया।
एक रिक्शावाला तेज़ी से रिक्शा घुमाकर मेरे ठीक सामने आ गया।
बोला- कहां चलिएगा?
मैंने कहा - मानसरोवर
- रखिए... रखिए सामान।...

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हिल हॉउस के रहस्यमयी कहानी By Gumnam Lekhak

ये कहानी कुछ इसी वह जिसे पढ़ा कर आप चौक जाएंगे।

कहानी एक ऐसे बंगले की वह जो की हिमाचल में पर्वतो पर जंगल के बिच स्थिति है . एक एसा बंगला जिस्के के बारे में वहा के स्थानिक लोगो...

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चाहत By sajal singh

"ओ रे पिया रे उड़ने लगा मन बावरा रे........." गाना म्यूजिक प्ले पर बज रहा है,और मैं इस गाने पर ज़ूम -ज़ूम कर डांस कर रही हूँ | तभी रूम में कोई आता है और म्यूजिक ऑफ कर देता ह...

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

कहानी स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कहानीकार के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कहानी...

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सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर By Hussain Chauhan

सर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का व...

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पेहली मुलाकात By Heer Jani

यह उन दिनों की बात है सर्दी का सीजन चल रहा था घर में शादी की तैयारी चल रही थी सब अपनी अपनी पैकिंग में लगे थे घर के एक कमरे में कपड़ों का ढेर लगाए कोई इस कदर बैठा था मानो जैसे उसकी...

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प्रेमम पिंजरम By Srishtichouhan

मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे जरूर , 1946 क...

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रघुवन की कहानियां By Sandeep Shrivastava

रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस...

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अघोरी का शाप By नवीन एकाकी

आज मैं कोई कहानी नही बल्कि एक ऐसी सच्ची घटना के बारे में लिख रहा हूं जिसका प्रमाण वो ख़ुद है जो किसी और कि एक अनजाने में हुई गलती का परिणाम एक श्राप के रूप में आज भी भुगत रहा है। को...

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स्वतन्त्र  सक्सेना के विचार By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर By Hussain Chauhan

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अघोरी का शाप By नवीन एकाकी

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