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70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न दृष्टिगोचर हो रहा था...
अब आगे दीवाली के बाद की सुबह अंश के लिए नई मुश्किलें लेकर आई। राघव का धमकी भरा म...
अब आगे रुद्र तुम यह क्या कर रही हो क्या तुम पागल हो गई हों छोड़ो मुझे अर्जेंट जा...
कुछ जंगली पन साथ पुख्ता होता है, जो कर्म किये जाते है। पुराना लेनदेन समझ स...
अब आगे,अर्जुन, अराध्या को कमरे से बाहर लाकर अब उसको जबरदस्ती सीढ़ियों से नीचे हॉ...
अब तक :प्रशांत बोले " क्या ये तुमने पहली बार बनाई है... ?? अगर ऐसा है तो मैं मान...
’मां कैसी लगीं? रेवती मेरे परिवार से आज पहली बार मिली है । “असुरक्षि...
80 दिल की बात गोली की आवाज़ से नंदन और नन्हें ने सिर नीचे कर लिए थे, मगर जब उन्...
प्रकरण - ५७दिवाली का त्यौहार आया, ढेर सारी खुशियाँ लेकर आया।नई उम्मीदें लेकर आया...
तु मेरे पास है मेरे साथ है और इससे खूबसूरत कोई एहसास नही। आज सुकून मिला है इस ब...
एक बार फिर विनय का फोन। अब तो मैं मोबाइल की तरफ देखे बिना ही बता सकती हूं कि विनय का ही फोन होगा। वह दिन में तीस चालीस बार फोन करता है। कभी यहां संख्या पचास पार कर जाती है। और इतनी...
ऐमिलियो डोरा को मैं आज भी अपनी पत्नी ही मानता हूं। वह आज भी मेरे हृदय के इतने करीब है, मुझमें इतना समायी हुई है कि मैं उसकी महक को महसूस करता हूं। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि जैसे वह...
शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह कर रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती ल...
ओफ्फ़! कल शाम ही तो वह यहाँ आया है. पर ऐसा लग रहा है मानो हफ़्तों से नज़रबंद है यहाँ. कैसे रह पाते हैं लोग, भला इन छोटे कस्बों में? ठीक है पहले यहाँ एक आदिम बस्ती थी. पर अब तो काफी...
सुबह पढ़ने के लिए पेपर उठाया तो नज़र शहर में एक नए फाइव स्टार होटल के खुलने के विज्ञापन पर ठहर गई। पेपर के पहले पूरे पेज़ पर एक बेहद खूबसूरत युवती की नमस्ते की मुद्रा में बहुत ही प्रभ...
हनुवा धारूहेड़ा, हरियाणा से कई बसों में सफर करने, और काफी पैदल चलने के बाद जब नोएडा सेक्टर पंद्रह घर पहुंची तो करीब ग्यारह बजने वाले थे। मौसम में अच्छी खासी खुनकी का अहसास हो रहा था...
शायद ही कोई ऐसा धंधा करने वाला दुकानदार होगा जिसे लोग कई नामों से पुकारते हों। उसे हेय दृष्टि से देखते हों। नाम सुनकर मुँह बिचका देते हों। लेकिन मेरे धंधे पर ये सब बातें लागू होती...
सविता ने तली हुयी मछली का एक बड़ा सा टुकड़ा मुंह में डाला था. मछली बेह्द स्वाद बनी हुयी थी. वह जल्दी जल्दी खा रही थी. सविता खाना हमेशा बहुत जल्दी में खाती है. जैसे कहीं भागना हो. इसी...
शाम होते ही मुझे घर में अकेलापन खाने को दौड़ता है इसलिए कॉलोनी के पार्क की ओर चल देता हूँ। आज भी शाम से ही पार्क में आ गया दो तीन चक्कर लगाये थक गया तो एक बेंच पर बैठ गया। काफी देर...
चार घंटे देरी से जब ट्रेन लखनऊ रेलवे स्टेशन पर रुकी तो ग्यारह बज चुके थे। जून की गर्मी अपना रंग दिखा रही थी। ग्यारह बजे ही चिल-चिलाती धूप से आंखें चुंधियां रही थीं। ट्रेन की एसी बो...
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