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  • बैरी पिया.... - 53

    अब तक :प्रशांत बोले " क्या ये तुमने पहली बार बनाई है... ?? अगर ऐसा है तो मैं मान...

  • आडंबर

    ’मां कैसी लगीं? रेवती मेरे परिवार से आज पहली बार मिली है । “असुरक्षि...

  • नक़ल या अक्ल - 80

    80 दिल की बात   गोली की आवाज़ से नंदन और नन्हें ने सिर नीचे कर लिए थे, मगर जब उन्...

  • तमस ज्योति - 57

    प्रकरण - ५७दिवाली का त्यौहार आया, ढेर सारी खुशियाँ लेकर आया।नई उम्मीदें लेकर आया...

  • साथिया - 124

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  • पुनर मिलन

    एक छोटे से गाँव में, एक सुखी और समृद्ध परिवार निवास कर रहा था। इस परिवार का मुखि...

  • उजाले की ओर –संस्मरण

    ================...

  • नफ़रत-ए-इश्क - 3

    यशबर्धन जी के जाते ही चित्रा जी चुप चाप सोफे पर बैठ गई ।चिंता की लकीरें उनके माथ...

  • हवा और पानी।

    ( कहानी छोटी )                 आज पांच शहरो कसबो मे पानी बंद रहेगा। हवा भी दूषित...

  • स्वच्छ भ्रष्टाचार पर कुछ घटिया रचनाएँ

    य़ह  व्यंग्यात्मक कविता है जो भ्रष्टाचार पर आधारित है:भ्रष्टाचार का खेलनेता और अ...

हारा हुआ आदमी By Kishanlal Sharma

जनवरीआज का दिन बेहद ठंंडा था।पिछले दो दिनो से शीत लहर चल रही थी।आसमान बादलो से ढका हुआ था।आज भी सूर्य देवता के दर्शन नही हुए थे।कल रात बरसात हुई थी।बरसात की वजह से आज का दिन और ज्य...

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रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम By Prabodh Kumar Govil

आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो...

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यहां... वहाँ... कहाँ ? By S Bhagyam Sharma

यहां... वहाँ... कहाँ ? मूल लेखक राजेश कुमार राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और...

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जीवन का गणित By Seema Singh

शाम तक पूरा घर चमाचम हो जाना चाहिए नीतू! अवंतिका ने फिर से दोहराया। नीली सलवार, पीला कुर्ता, गुलाबी स्वेटर के साथ लाल दुपट्टा कंधे से ओढ़ कर कमर तक लपेटे, नीतू ठुमकती सी दरवाजे के...

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साहेब सायराना By Prabodh Kumar Govil

कहते हैं कि अपनी जवानी में हर कोई ख़ूबसूरत होता है। जवानी इंसान की ज़िन्दगी में एक बार आने वाला वो मौसम है जो जिस्म के पोर- पोर को फूल की तरह खिलाकर एक शोख चटक के तड़के से खुशबूदार...

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मैं सौतन नहीं हूँ By S Sinha

“ शेखर , हमारी पढ़ाई खत्म हुई और आज हमदोनों को डिग्री भी मिल गयी . इसके बाद न जाने तुम कहाँ होगे और मैं कहाँ रहूंगी . तुम जानते हो हमारा रिश्ता मुमकिन नहीं है . इसलिए अब हमें...

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लावण्या By Jagruti Joshi

हेलो दोस्तों मैं एक नई कहानी आपके लिए पेश कर रही हूं। अभी उसका टाइटल क्या लिखूं वह मुझे समझ नहीं आया इसलिए लावण्या कर दिया है। स्टोरी के आगे के पार्ट रिड करके सोचकर आप मुझे सजेस्ट...

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यासमीन By गायत्री शर्मा गुँजन

यासमीन रमजान के दिनों में बिना कुछ खाये पिये यासमीन घर के सारे काम करती , झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाकर स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार करना । एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजू...

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मॉटरनी का बुद्धु By सीमा बी.

"मॉटर जी खाना लग गया है, आप जल्दी से आ जाओ हम दोनो को बहुत जोरों की भूख लगी है", आवाज सुनकर भूपेंद्र जी ने जल्दी से अपनी किताब बंद की और डायनिंग टेबल पर पहुँच गए, जहाँ उनका...

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Nice to meet you By Emika Ease

राशि आज उसी रेस्टोरेंट मैं बैठी थी जहाँ राशि और प्रतिक पहली बार डेट पर गये थे । आज राशि और प्रतिक को मिले तीन साल हो चुके हैं । राशि अपने बगल वाली सीट पर सलगिरा का तौफा साथ में लिए...

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