सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) By Asha Saraswat

यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) आपके सामने प्रस्तुत है।मातृभारती के सम्मानित पाठकों को,सम्मानित रचनाकारों को नमस्कार । मैं भोजन बनाने के लिए रसोईघर में ज...

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सर्प-पेटी By Deepak sharma

सर्प-पेटी जैसे ही दरवाजे की घण्टी बजी, मैं चौंककर जाग गई| “सुनिए,” मैंने पति को पुकारा, “मेरे गले में बहुत दर्द है, साँस एकदम घुटती-सी मालूम हो रही है.....|&rdquo...

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जहाँ ईश्वर नहीं था - 1 By Gopal Mathur

गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका था, पर वह घने बादलों के पीछे कैद था. बारिश बादलों में लौट गईं थीं और हवाएँ भी थक कर पेड़ों...

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स्वप्ननिलय By Ila Singh

स्वप्ननिलय**********उखड़े मन से विनी उठती है ,नजर बेड के दूसरे किनारे तक घूम जाती है ।उतारे हुए कपड़े बेड पर फैले पड़े हैं।कुछ अजीब-सी शक्लें लिए ….सलवार का एक पैर उल्टा तो एक सीधा ,क...

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अनमोल सौगात - 8 By Ratna Raidani

भाग ८ ६ माह बाद --- लाल साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, माँग में सिन्दूर और कलाई भर चूड़ियाँ पहने हुए नीता किचन में नाश्ता बना रही थी। "अभी तक नाश्ता बना नहीं क्या? कितनी देर हो रही है? मु...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 8 By Brijmohan sharma

8 स्वतंत्रता का नया सूर्योदय भारत को पूर्ण स्वतंत्रता मिले अभी दो दिन ही हुऐ थे I पूरे देश में गावं गावं शहर शहर उल्लास उमंग की लहर हिलोरे ले रही थी I हर शहर गाँव में स्वतंत्रता से...

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आस्तीन के सांप By Rama Sharma Manavi

जब कोई चाशनी युक्त मधुर वाणी एवं क्षद्म सभ्य व्यवहार के आवरण तले कुत्सित मनोभावों को धारण करने वाला हो वो भी निकट सम्बंधी के रूप में, तो सहज उसके घृणित क्रिया कलापों पर विश्व...

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मेरा पति तेरा पति - 8 By Jitendra Shivhare

8 "अरे!आप अपने पति का नाम बताइये। इनके पति का नहीं।" सार्वजिनक राशन वितरण अधिकारी बोले। वे स्वाति से उसके पति का नाम पुछ रहे थे। "मैंने अपने अपने ही पति का नाम बताया है आपको।" स्वा...

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एक यात्रा समानान्तर - 3 - अंतिम भाग By Gopal Mathur

3 ”और तुम्हारे उन्हीं भटके हुए दिनों की सजा मैं भुगत रही हूँ.“ वह सीधे निखिल को देखती हुई कहती है.... फिर वह बाहर देखने लगती है. वह कुछ नहीं कहता. उसकी निगाहें भी बाहर...

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अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

(10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। उपेंद्र ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश...

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न्याय अन्याय By Alok Mishra

कहते है देश मे कानून सर्वोपरि है, हो सकता है ,ऐसा ही हो लेकिन लगता तो नहीं है । जनता भ्रमित है कि कानून किसके लिए है या किसको न्याय दिलाने के लिए है जनता को या अमीरों क...

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पाप का प्रायश्चित By Gyaneshwar Anand Gyanesh

बात लगभग सन् 1991-92 की है। बम्बई के दादर स्टेशन पर यात्रियों की अत्यंत भीड़ थी "शाने पंजाब" रेलगाड़ी अमृतसर जाने के लिए स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 9 पर जैसे ही पहुँची तो यात्रियों...

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कोड़ियाँ - कंचे - 10 - अंतिम भाग By Manju Mahima

Part- 10 अन्दर बहुत सारी महिलाएं घूँघट निकाले बैठी थीं, गायत्री जी थोड़ी चकित हुई, पराग ने आगे बढ़कर ‘मम्मी’ कहा और उनको लेकर गायत्री जी के साथ अलग कमरे में ले आया. गौरी...

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अपनत्व By Saroj Verma

बेटा, सौजन्य आओ नाश्ता लग गया है, juice लोगे या दूध शेखर ने अपने बेटे सौजन्य को आवाज लगाई। मुझे नाश्ता नहीं करना, बहुत देर हो गई है, मैं जा रहा हूं, सौजन्य तैयार होकर बाहर तो आया ल...

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बीच में कहीं By Gopal Mathur

गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करनी पड़े, जिसे आना ही नहीं था ? नहीं, मैं वेटिंग फाॅर गोदो के गोदो की बात नहीं कर...

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Broken with you... - 5 By Alone Soul

{गजब ज़िन्दगी है हम राइटर की 500 सिगरेट , 15 घंटे बैठे बैठे पिछवाड़ा सुन्न हो जाता है , तब भी ये खाली पन्ना नहीं पूरा होता है , अरे रहने दीजिए दोस्तो तो हम कहा थे ??}प्रिया बेटा ये...

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गिर्दागिर्द By Deepak sharma

गिर्दागिर्द अमला के अस्पताल में दाखिल होने का समाचार जिस समय सुभाष को दिया गया, वह अपने पड़ोसी को अपने बचपन का एक किस्सा सुना रहा था| जिस के अन्तिम छोर पर पहुँचते ही पड़ोसी, गिरीश और...

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पुराने पन्ने By Deepak sharma

पुराने पन्ने इस सन् २०१६ के नवम्बर माह का विमुद्रीकरण मुझे उन टकों की ओर ले गया है साठ साल पहले हमारे पुराने कटरे के सर्राफ़, पन्ना लाल, के परिवार के पाँच सदस्यों की जानें धर ली थीं...

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ समीक्षा - 8 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

समीक्षा - काव्य कुंज-स्व.श्री नरेन्द्र उत्सुक समीक्षक स्वतंत्र कुमार सक्सेना पुस्तक का नाम- काव्य कुंज कवि -नरेन्द्र उत्सुक सम्पादक- रामगोपाल भावुकसहसम्पादक- वेदराम प्रजापति ‘मदमस्...

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रोशनीघर की लड़की By Yogesh Kanava

रोशनीघर की लड़की रात का गहरा सन्नाटा था, कभी कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ नीरवता को तोड़ देती थी। कई बार ऐसा होता कि नींद नहीं आती थी खाण्डेकर जी को आज भी ऐसा ही हो रहा था, बिस्तर प...

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आखिरी विदा By Suryabala

सूर्यबाला सुबह से तीन बार रपट चुकी थीं वे। एक बार, किचेन में टँगी जाली की आलमारी से खीर के लिए इलायची की डिब्बी निकालते हुए। दूसरी बार, पूजा वाले ताख से भभूती उतारते हुए। और तीसरी...

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कोख - दोषी कौन (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

"सॉरी",डॉक्टर रत्ना,कृतिका का चेकअप करने के बाद बोली,"अब तुम कभी भी माँ नही बन सकती।"कृतिका से प्रवीण की मुलाकात एक फैशन पार्टी में हुई थी।प्रवीण को कृतिका की सुंदरता ने मोहित कर...

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विजित पोत By Deepak sharma

विजित पोत यह संयोग ही था कि अस्थिर उन दिनों अंतर्राष्ट्रीय एक सेमिनार में भागीदारी के निमंत्रण पर स्वराज्या देश के बाहर, जिनेवा गयी हुई थीं जब स्वतंत्रता को कस्बापुर सरकारी अस्पताल...

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क्या मालूम By Suryabala

सूर्यबाला अधबूढ़ी-सी मैं...। सोचा था, हवेली भी अधबूढ़ी ही मिलेगी। उखड़ी-पखड़ी, झँवाई, निस्‍तेज। पर वह तो जैसे बरसों-बरस की बतकहियों वाली पिटारी लिए, आकुल-व्‍याकुल बैठी थी मेर...

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रुका न पंछी पिंजरे में By आदित्य अभिनव

रुका न पंछी पिंजरे में धनेसर को यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो गया है, जिसको देखो वहीं मास्क ल...

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पश्चाताप के आंसू By Gyaneshwar Anand Gyanesh

कहानी "पश्चाताप के आँसू" आज हमारा समाज अनेक बुराइयों और कुरीतियों से ग्रस्त है। जिसमें सबसे बड़ी और भयंकर बुराई है "दहेज प्रथा" आज इसी बुराई के कारण हमारे समाज में अनेक लड़कियों की...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 33 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

भाग - ३३ मेरेअब कई-कई घंटे, कई-कई दिन, ऐसे ही दीवार के उस पार ज़ाहिदा के परिवार को सोचते-सोचते गुजरते जा रहे थे। मुन्ना भी अक्सर ऐसी रातों के इस गहन सन्नाटे में मेरे साथ होते। एक दि...

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यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) By Asha Saraswat

यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (8) आपके सामने प्रस्तुत है।मातृभारती के सम्मानित पाठकों को,सम्मानित रचनाकारों को नमस्कार । मैं भोजन बनाने के लिए रसोईघर में ज...

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सर्प-पेटी By Deepak sharma

सर्प-पेटी जैसे ही दरवाजे की घण्टी बजी, मैं चौंककर जाग गई| “सुनिए,” मैंने पति को पुकारा, “मेरे गले में बहुत दर्द है, साँस एकदम घुटती-सी मालूम हो रही है.....|&rdquo...

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जहाँ ईश्वर नहीं था - 1 By Gopal Mathur

गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका था, पर वह घने बादलों के पीछे कैद था. बारिश बादलों में लौट गईं थीं और हवाएँ भी थक कर पेड़ों...

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स्वप्ननिलय By Ila Singh

स्वप्ननिलय**********उखड़े मन से विनी उठती है ,नजर बेड के दूसरे किनारे तक घूम जाती है ।उतारे हुए कपड़े बेड पर फैले पड़े हैं।कुछ अजीब-सी शक्लें लिए ….सलवार का एक पैर उल्टा तो एक सीधा ,क...

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अनमोल सौगात - 8 By Ratna Raidani

भाग ८ ६ माह बाद --- लाल साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, माँग में सिन्दूर और कलाई भर चूड़ियाँ पहने हुए नीता किचन में नाश्ता बना रही थी। "अभी तक नाश्ता बना नहीं क्या? कितनी देर हो रही है? मु...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 8 By Brijmohan sharma

8 स्वतंत्रता का नया सूर्योदय भारत को पूर्ण स्वतंत्रता मिले अभी दो दिन ही हुऐ थे I पूरे देश में गावं गावं शहर शहर उल्लास उमंग की लहर हिलोरे ले रही थी I हर शहर गाँव में स्वतंत्रता से...

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जब कोई चाशनी युक्त मधुर वाणी एवं क्षद्म सभ्य व्यवहार के आवरण तले कुत्सित मनोभावों को धारण करने वाला हो वो भी निकट सम्बंधी के रूप में, तो सहज उसके घृणित क्रिया कलापों पर विश्व...

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मेरा पति तेरा पति - 8 By Jitendra Shivhare

8 "अरे!आप अपने पति का नाम बताइये। इनके पति का नहीं।" सार्वजिनक राशन वितरण अधिकारी बोले। वे स्वाति से उसके पति का नाम पुछ रहे थे। "मैंने अपने अपने ही पति का नाम बताया है आपको।" स्वा...

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न्याय अन्याय By Alok Mishra

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अपनत्व By Saroj Verma

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गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा करनी पड़े, जिसे आना ही नहीं था ? नहीं, मैं वेटिंग फाॅर गोदो के गोदो की बात नहीं कर...

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{गजब ज़िन्दगी है हम राइटर की 500 सिगरेट , 15 घंटे बैठे बैठे पिछवाड़ा सुन्न हो जाता है , तब भी ये खाली पन्ना नहीं पूरा होता है , अरे रहने दीजिए दोस्तो तो हम कहा थे ??}प्रिया बेटा ये...

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गिर्दागिर्द By Deepak sharma

गिर्दागिर्द अमला के अस्पताल में दाखिल होने का समाचार जिस समय सुभाष को दिया गया, वह अपने पड़ोसी को अपने बचपन का एक किस्सा सुना रहा था| जिस के अन्तिम छोर पर पहुँचते ही पड़ोसी, गिरीश और...

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स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ समीक्षा - 8 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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रोशनीघर की लड़की By Yogesh Kanava

रोशनीघर की लड़की रात का गहरा सन्नाटा था, कभी कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ नीरवता को तोड़ देती थी। कई बार ऐसा होता कि नींद नहीं आती थी खाण्डेकर जी को आज भी ऐसा ही हो रहा था, बिस्तर प...

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सूर्यबाला सुबह से तीन बार रपट चुकी थीं वे। एक बार, किचेन में टँगी जाली की आलमारी से खीर के लिए इलायची की डिब्बी निकालते हुए। दूसरी बार, पूजा वाले ताख से भभूती उतारते हुए। और तीसरी...

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सूर्यबाला अधबूढ़ी-सी मैं...। सोचा था, हवेली भी अधबूढ़ी ही मिलेगी। उखड़ी-पखड़ी, झँवाई, निस्‍तेज। पर वह तो जैसे बरसों-बरस की बतकहियों वाली पिटारी लिए, आकुल-व्‍याकुल बैठी थी मेर...

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पश्चाताप के आंसू By Gyaneshwar Anand Gyanesh

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 33 - अंतिम भाग By Pradeep Shrivastava

भाग - ३३ मेरेअब कई-कई घंटे, कई-कई दिन, ऐसे ही दीवार के उस पार ज़ाहिदा के परिवार को सोचते-सोचते गुजरते जा रहे थे। मुन्ना भी अक्सर ऐसी रातों के इस गहन सन्नाटे में मेरे साथ होते। एक दि...

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