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    किशोर काका जल्दी-जल्दी अपनी चाय की लारी का सामान समेट रहे थे। बाहर हाईवे पर गाड़...

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  • मंजिले - भाग 4

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  • शून्य से शून्य तक - भाग 40

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    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनित समझ नहीं पाया कि व...

बेगम पुल की बेगम उर्फ़ By Pranava Bharti

घुँघरुओं की छनछनहाट क्यों और कहाँ से उसके कानों में पिघलने लगी थी, वहाँ वह गिरजाघर के प्राँगण में खड़ा था, कॉलेज का नया लेक्चरर अपने कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ इस गिरजाघर की ज़मी...

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ये भी एक ज़िंदगी By S Bhagyam Sharma

तमिलनाडु से महादेव और उनकी पत्नी पार्वती महाराष्ट्र के होशंगाबाद शहर में नौकरी के लिए आए । हिंदी ना जानने के कारण उन्हें बहुत परेशानी हुई । पार्वती अड़ोसी-पड़ोसी से बातें कैसे करें...

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प्रतिशोध. By Ashish Dalal

ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की बूंदो को अपलक निहार रही थी । पास रखे उसके मोबाइल पर जगजीत और चित्रा सिंह की आवाजें गूंज रही थी ।

‘ये...

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रत्नावली By ramgopal bhavuk

तुलसी पत्नी का ताना सुनकर घर छोड़कर निकल पड़े। घर में उनकी पत्नी रत्नावली सारी रात दरवाजे पर खड़ी-खड़ी उनके लौटने की प्रतीक्षा करती रही। वे सोच रही थीं-अब मैं उनका मुस्कराकर हर दिन की...

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तोड़ के बंधन By Asha sharma

“एक तो सुबह की भागादौड़ी दूसरे तुम... बच्चों की तरह हर तीसरे दिन शर्ट का बटन तोड़ लाते हो.” झल्लाती मिताली पति की शर्ट पर बटन टाँकने के लिए सुई में मैचिंग धागा पिरोने लगी.

“मुझे भ...

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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच By Swati

यास्मिन ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत डरावने चेहरे हैं । सभी लाल-काल-पीले मुँह वाले लोग उसकी तरफ बढ़ रहें हैं और उसके आसपास घेरा-सा बनता जा रहा हैं। वह ज़ोर से चिल्लाई बचाओं!!!! तभी...

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भेद By Pragati Gupta

"माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को एक...

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सुलोचना. By Jyotsana Singh

सुलोचना! जैसा नाम वैसा ही रूप बड़ी-बड़ी आँखे गेहुँआ रंग लम्बे काले बाल, उसके रूप को और भी निखार देते थे। उसकी गहरी सिंदूरी माँग बड़ी सी सुर्ख़ लाल सिंदूरी बिंदी! बहुत सलीक़े से माथ...

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सपनों का राजकुमार By shelley khatri

उसे आइने से ही प्यार हो गया था। क्या करती वह कशिश ही इतनी थी कि एक बार जब वह आइने के सामने खड़ी होती तो फिर हटने का नाम ही नहीं लेती। अक्स होता ही था इतना सुंदर। बादलों से घने काले...

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चेक मेट By Saumil Kikani

एक घर में दो लोग बेशुद्ध पड़े है। एक डबल सोफा पर है और दूसरा सिंगल सोफा पर है। घर के बाहर से पुलिस की जीप के सायरन की आवाज, लोगों का शोर, बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज, दो बार दरव...

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