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सुबह हुई, सूरज उग आया ।रोते हुए उसने रात को बिताया ।आंखों के सामने उसके,अंधेरा अ...
अब तक : लड़के उसे घूरते हुए देखकर हंसने लगे । एक लड़का बोला " नहीं कर पाएगी चुप...
(Part-2)कालेज के आखिरी दिनों में ही हर्ष उस से कुछ खिंचाखिंचा सा रहने लगा था और...
रूही वाशरूम में अइने के सामने खड़ी अपने गले के निशान को देख रही थी जो रूद्र के व...
63द्वारका में काशी से पंडित जगन्नाथ पधारे थे। भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन के उपरा...
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में तीन प्यारे बच्चे रहते थे - सोनू, मोनू और र...
सोलहप्यास लगी है बुधवार, दस मई 2006 ...
स्मार्टफोन चलाने हेतु आंखों के स्वास्थ्य के लिए कुछ जानकारियां:- रोजाना 8 घंटे क...
आखिरकार, जिस ट्रेन में मैं दिल्ली लाइन पर था, वह मेरे गंतव्य के रास्ते में पूरी...
1 भरोसा यानि विश्वास! विश्वास रिश्तों को जोडती हुई वो कडी है जो रिश्तों में मजबूती बनाए रखती है। अगर रिश्तों में भरोसा न रहे तो विश्वास नाम की ये कडी तूटने लगती है और रिश्तों में द...
"तो क्या हमें मिलना चाहिए?" "क्यों नहीं जरूर।" "कल सुबह 10 बजे उसी रेस्टोरेंट पर।" "तय रहा।" अगले दिन राजेश सुबह जल्दी उठ कर तैयार होकर रेस्टोरे...
(1) सुज़ैन की कैब अपार्टमेंट में दाखिल हुई। उसने सीट पर पड़ा अपना बैग निकाला। पेमेंट करके लिफ्ट की तरफ बढ़ गई। लिफ्ट से अपने फ्लोर पर पहुँच कर उसने फ्लैट का दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा ख...
रात के लगभग ढाईं बजे...... कमरे की खिड़की खुली थी जिससे ठंडी हवा का झोंका बार बार कमरे के अन्दर आकर कानों में अजीब सी खुसफुसाहट पैदा कर रहा था कि तभी बड़ी तेज कैलेंडर के फड़फड़ाने क...
देखने में अच्छा ही लगता था। चेहरे पे प्रतिक्रिया कम ही रहती थी जैसे पता नहीं क्या सोचता रहता था हरवक्त, परन्तु आँखें बोलती थी उसकी। कुल मिलाकर एक सीधा सादा भोला भाला लड़का लगता था।...
भाग-1 छुट्टी का दिन था। खुशी अपने टेरेस गार्डन में पौधों की निराई गुड़ाई में लगी हुई थी। चंपा का पौधा जो उसने सर्दियों से पहले लगाया था। बसंत का मौसम आते ही उसमें व उसके साथ साथ दू...
प्रातकाल नहा धोकर मैं तैयार होकर स्कूल की तरफ निकल चुकी थी स्कूल में मॉर्निंग की प्रार्थना हो गई थी हम सभी अपनी-अपनी क्लासों में बैठ चुके थे आज हमारा टेस्ट था फिर अचानक मेरी बड़ी द...
नमसकार मे आज आपके लिए पेश करते है. एक नई धारावाहिक रचना तो चलो आगे बढते है. अक्सर मेरे देख है. लोगो को लड़ते हुए की जिन्दगी मे सब कुच करो लेकिन गलत काम मत करो किसीको दुखी मत करो...
चंदनपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ के लोग सीधे-सादे थे। अपनी मेहनत से कमाना, खाना और ख़ुश रहना, यही वहाँ का दस्तूर था। शांति के साथ रहने के लिए चंदनपुर आसपास के गाँव में बड़ा ही मशहूर...
कोई छह सौ वर्ष पुरानी बात है। विजयनगर का साम्राज्य सारी दुनिया में प्रसिद्ध था। उन दिनों भारत पर विदेशी आक्रमणों के कारण प्रजा बड़ी मुश्किलों में थी। हर जगह लोगों के दिलों में दुख-...
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