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अब आगे,जब खुशी ने कहा था कि उस ने यानी इस बनारस शहर के पुलिस कमिश्नर के साथ अपनी...
"वह रेड्डी परिवार के प्रति भी कुछ गुस्सा थी कि वह चाहती थी कि मैं तुम्हें और तुम...
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव के किनारे एक चरवाहा अपने झुंड की भेड़ों को ल...
जया अपने घर में थी , अपने रूम में में अपने छोटे भाई बहन को पढ़ा रही थी।उसके भाई...
आदित्य जब स्वाति को ये सीसीटीवी फुटेज दिखाता हैं! तो स्वाति पूरी तरह से हैरान पर...
सुबह का समय, फातिमा हॉस्पिटल, सिद्धांत के सवाल पर मिसेज माथुर ने ना में स...
अब तक हम ने पढ़ा की लूसी और रोवन की सगाई हो चुकी थी। वो बच्ची लूसी को अब तक नहीं...
अब तक : शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक जोर दार धमाके की गूंज उसे सुनाई दी ।...
65 “ओह, यह कथा है गुल से पंडित गुल बनने की?”...
गर्भ संस्कार–1 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु को जीवन लक्ष्य के प्रति...
इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा दिवंगत अम्मां-पिता बिमला और प्रेमचंद चतुर्वेदी की स्मृति को समर्पित अपनी बात ....उबरना स्वयं से.... मैं यह तो नहीं कहूंगी कि मैं उपन्यास लिखने के लि...
कमला को गेट तक विदा करके ज्यों ही सुधा ने पीठ मोड़ी, रमा के खिलखिलाने की आवाज उसके कानों मे पड़ी थी।रमा की हंसी की आवाज सुनकर उसके कदम किचिन की तरफ बढ़ गए। किचन मेंं शिखा सब्जी काट...
भाग 1 - बात बात में दो सखियों के बीच एक शर्त लगी . शर्त चाहे जिसने भी जीती या हारी दोनों के लिए बुरा ही साबित हुआ ....
बेला… तुम्हें आना ही था… (भूमिका) हुआ कुछ यूं कि पहली अप्रैल को जब डॉक्टर के क्लीनिक से दाहिने पैर पर प्लास्टर लगवा कर निकली, तो ना जाने क्यों जबरदस्त हंसी आ गई। प्लास्टर ताजा-त...
फौजी जासूस केदारसिंह अपने दोनों बेटों के साथ सीमा की एक चौकी पर आये हुए थे और सब लोग सीमा पार की दूसरे देश की चौकी की ओर ताक रहे थे। कुछ देर बार एक फौजी ट्रक सीमा पार की च...
कई साल पहले तक जो भी मुझे देखता था वो यही कहता था कि इसके उपर किसी बुरी आत्मा का वास है, लेकिन मेरे घर वाले इस बात को मानने के लिए राजी नही थे. घर वालों ने मुझे बहुत सारे डॉक्टरों...
में जो अब लिखने जा रही हुं वो कोई काल्पनीक Story नहीं है । वो एक बास्तबिक घटणा है । जिसे में जब भी याद करती हुं तो मेरी अन्दर एक अजीब सी सबाल पैदा होती है । पता नहीं क्युं ?...
मैं यानि पवन पेसे से एक अकाउंटेंट, ऑफिस से निकल कर मैं पास के ही बस स्टॉप पे बस का इंतजार कर रहा था। ये वो दौर था जब देश अभी उतना डिजिटल नहीं हुआ था, और भगवन की कृपा से अभी फ़ोन नही...
Haa...y...eeee, कैसे हो आप, hello.....मैं ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी ठीक हूँ, क्या हुआ...........?, No reply, अरे बोलो भी कुछ..................No reply, उसके बार बार आग्रह करन...
गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत समर्पण : श्री बाँके बिहारी जी के उपासक श्री रामजी व बुआ माया देवी (बेरी वालों) को सादर समर्पित भूमिका सुबह-सुबह सब्ज़ी ख़रीदने जा...
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