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स्मार्टफोन चलाने हेतु आंखों के स्वास्थ्य के लिए कुछ जानकारियां:- रोजाना 8 घंटे क...
आखिरकार, जिस ट्रेन में मैं दिल्ली लाइन पर था, वह मेरे गंतव्य के रास्ते में पूरी...
69 बहू कहाँ है? डॉक्टर ने किशोर और राधा के माँ-बापू का मायूस का चेहरा देखा व...
और शबनम उसे कोई काम नही करने देती थी।वह शबनम के इशारे और क्या बोलती है कुछ कुछ स...
अध्याय 1: अनजान गांव की दहलीज राजेश ने जैसे ही गांव की ओर कदम बढ़ाया, उसे महसूस...
अब आगे,अराध्या की बात सुन कर, अब अर्जुन ने उस की आंखो में देखते हुए उस से कहा, "...
शिव वहां से खड़े होकर चल जाता है ... उसके जाते ही अनंता उसको देखते ही रहती है .....
प्रकरण - ४६मैं दिन की अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग ख़त्म करके अभी-अभी घर पहुँचा था। मैं...
रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था, और शहर के बाहरी हिस्से में स्थित एक पुरानी हवेल...
खण्ड काव्य बेटी का यथार्थ राम गोपाल भावुक वेदराम राम प्रजापति...
देश का दिल दिल्ली, कई सपनों का रंग महल.. सत्ता के गलियारों से लेकर तंग गलियों तक.. कई जिन्दगियों की गवाह दिल्ली, आज भीड़ वाली सड़क पर एम्बुलेंस पूरी तेजी में साइरन बजाते दौड़ी चली...
इस बार महाशिवरात्री और वेलेन्टाइन-डे लगभग साथ-साथ आ गये। युवा लोगों ने वेलेन्टाइन-डे मनाया। कुछ लड़कियों ने मनाने वालों की धज्जियां उड़ा दी और बुजुर्गों व घरेलू महिलाओं ने शिवरात्री...
“एक तो सुबह की भागादौड़ी दूसरे तुम... बच्चों की तरह हर तीसरे दिन शर्ट का बटन तोड़ लाते हो.” झल्लाती मिताली पति की शर्ट पर बटन टाँकने के लिए सुई में मैचिंग धागा पिरोने लगी. “मुझे भ...
वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है. वह व्यर्थ...
दादी की सिलाई मशीन “ एक उपन्यास है जिसमें पढ़ेंगे - एक विधवा स्त्री ने अकेले सिलाई मशीन के बल पर कैसे अपने परिवार का न सिर्फ पालन पोषण किया बल्कि एक परम्परा शुरू की जिसका पालन आने व...
शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाल...
यास्मिन ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत डरावने चेहरे हैं । सभी लाल-काल-पीले मुँह वाले लोग उसकी तरफ बढ़ रहें हैं और उसके आसपास घेरा-सा बनता जा रहा हैं। वह ज़ोर से चिल्लाई बचाओं!!!! तभी...
"माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को एक...
सुलोचना! जैसा नाम वैसा ही रूप बड़ी-बड़ी आँखे गेहुँआ रंग लम्बे काले बाल, उसके रूप को और भी निखार देते थे। उसकी गहरी सिंदूरी माँग बड़ी सी सुर्ख़ लाल सिंदूरी बिंदी! बहुत सलीक़े से माथ...
उसे आइने से ही प्यार हो गया था। क्या करती वह कशिश ही इतनी थी कि एक बार जब वह आइने के सामने खड़ी होती तो फिर हटने का नाम ही नहीं लेती। अक्स होता ही था इतना सुंदर। बादलों से घने काले...
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