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अब तकजब रागिनी की मां अपनी गाड़ी में बैठकर रागिनी को बचाने के लिए रवाना हो गई थी...
71 लोमड़ी सोनाली ने राजवीर की बात सुनकर हँसते हुए कहा, ”तुम्हारा दिमाग ठीक है।...
इसी तरह हम शहेर से वापस गाँव रहने आ गये अब आगे मेरी स्कूल की पढाई शरू हो गई । जि...
अब आगे,अर्जुन की बात सुन कर, अब आराध्या ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए अर्जुन से क...
प्रकरण - ४८अमिता बोली, "नमस्कार दर्शकों! एक बार फिर से आप सभी का स्वागत है। मेरे...
गजेंद्र सिंह गायत्री जी के पिता दिलराज सिंह को अपनी बातों में फंसा कर उनका पूरा...
अक्षत ने उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसके माथे को चूम जैसे ही दूर जाने को हुआ स...
शाम का समय, सोनीपत - हरियाणा, आज का मौसम बहुत सुहाना था । हल्की हल्की धूप...
किसी सुहाने मंझर को देखता जा रहा थायह जंगल भी खूबसूरत होते हैं न?( आपको याद आ गय...
(part-4)हर्ष के अपनेआप से तर्क अब तक भी जारी थे. वह 2 कदम आगे बढ़ता और अगले ही प...
बराबरी का सपना स्वतंत्र कुमार सक्सेना भारत के मध्य में बसा बुंदेलखण्ड, विध्याचल पर्वत व इसके बीच बहने वालीं नदियां इसकी शोभा हैं। कवि ने इसकी सीमा इन शब्दों में बांधी है-...
गाड़ी रुकते ही मैं अपना सूटकेस उठाए स्टेशन से बाहर आया। एक रिक्शावाला तेज़ी से रिक्शा घुमाकर मेरे ठीक सामने आ गया। बोला- कहां चलिएगा? मैंने कहा - मानसरोवर - रखिए... रखिए सामान।...
ये कहानी कुछ इसी वह जिसे पढ़ा कर आप चौक जाएंगे। कहानी एक ऐसे बंगले की वह जो की हिमाचल में पर्वतो पर जंगल के बिच स्थिति है . एक एसा बंगला जिस्के के बारे में वहा के स्थानिक लोगो...
"ओ रे पिया रे उड़ने लगा मन बावरा रे........." गाना म्यूजिक प्ले पर बज रहा है,और मैं इस गाने पर ज़ूम -ज़ूम कर डांस कर रही हूँ | तभी रूम में कोई आता है और म्यूजिक ऑफ कर देता ह...
कहानी स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कहानीकार के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कहानी...
सर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का व...
यह उन दिनों की बात है सर्दी का सीजन चल रहा था घर में शादी की तैयारी चल रही थी सब अपनी अपनी पैकिंग में लगे थे घर के एक कमरे में कपड़ों का ढेर लगाए कोई इस कदर बैठा था मानो जैसे उसकी...
मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे जरूर , 1946 क...
रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस...
आज मैं कोई कहानी नही बल्कि एक ऐसी सच्ची घटना के बारे में लिख रहा हूं जिसका प्रमाण वो ख़ुद है जो किसी और कि एक अनजाने में हुई गलती का परिणाम एक श्राप के रूप में आज भी भुगत रहा है। को...
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