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  • साथिया - 113

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  • पुंछ पुराण पे चर्चा

    ( यह वैचारिक लेख है,किसी भी तरह इसे राजनीति से लिंक न किया जाए,कोई resemblence ल...

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  • Devil I Hate You - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ला,,,,,...

  • आई कैन सी यू - 29

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  • भ्रष्ट नेता पुष्ट वर्धक च्यवनप्राश

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  • Devil se Mohhabat - 27

    जिसे सुन डॉक्टर अनिरुद्ध को ऊपर से नीचे देखते हुए ,,,,,,कुछ देर कुछ सोच अपने सर...

पान या खून ? By TUHINANSHU MISHRA

ढलता सूरज। प्रयागराज की धरती और संगम का किनारा। पुरानी सी नांव को धक्का देता गिट्टू। बड़ी मुश्किल से कुछ रुपए इकट्ठा किए थे आज। दो दिन बाद दीवाली है। मिठाई लाएगा शहर से। नए कपड़े,...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा By ARUANDHATEE GARG मीठी

अरनव ( खुशी को संभालते हुए ) - आराम से बैठो आप यहां पर ....., और खुद का खयाल रखा करो ।

खुशी - मुझे क्या जरूरत खुद का खयाल रखने की , आप तो हैं न मेरा खयाल रखने के लिए ।

अरनव...

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जलपरी और वृक्ष मानव By Shakti Singh Negi

अकरोमा की मां एक जलपरी थी। अकरोमा ने दो हजार साल तक घने जंगलों में कठोर तपस्या की। अकरोमा की जटाएं और दाढ़ी - मूंछ पैरों तक बढ़ गये। सारे शरीर पर दीमक की बांबी चढ़ गई। आखिर ब्रह्मा...

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वह अब भी वहीं है By Pradeep Shrivastava

समीना तुमसे बिछुड़े हुए तीन बरस से ज़्यादा होने जा रहा है। मगर ऐसा लग रहा है मानो अभी तुम इस रमानी हाउस के किसी कमरे से जोर-जोर से मुझे पुकारती हुई सामने आ खड़ी होगी और मुझे डपटते हु...

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बचपन का प्यार By निखिल ठाकुर

गरीब परिवार में जन्मा आनन्द बहुत ही शरारती और जिद्दी लड़का था। अपनी शैतानी शरारतों से पूरे परिवार को परेशान करता रहता था। आखिर आनन्द जिद्दी हो भी क्यों ना...बडी़ मुश्किल से उसके म...

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प्यार के इन्द्रधुनष By Lajpat Rai Garg

आज मनमोहन को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेनु के पास अस्पताल में होता। आज सुबह ज...

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पाज़ेब By Saroj Verma

शहनाज़! कहाँ जा रहीं हैं आप? हमीदा ने अपनी बेटी से पूछा।।
अम्मीजान घर में बैठें बैठें बोर हो गए हैं,सोच रहे थे कि बाहर ही घूम आएं,शहनाज़ बोली।।
सुनिए ये गाँव है आपका शहर नहीं है जो...

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Block इश्क़ By Shrikar Dixit

यूँ तो बहुत आसान होता है किसी को ब्लॉक करना,दिल पे क्या गुज़रती है कभी सोचो तो सही,एक वो शख्स जिसने ख़ुद से बढ़कर चाहा हो किसी को,हर बुरे पल में साथ दिया हो जिसने,जिसने उम्मीद ना क...

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पप्पा जल्दी आ जाना : एक पारलौकिक सत्य कथा By Shwet Kumar Sinha

"मुझे स्कूल पहुंचा दो । जब मैं वहाँ जाकर खूब रोऊंगी, तब पापा को मुझे लेने आना ही पड़ेगा।" - पापा से मिलने की आस में सिसकती हुई पांच साल की अनोखी ने अपनी माँ से कहा ।

छोट...

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एक लड़की By Radha

पंछी का आज कॉलेज में पहला दिन था आज वो बहुत खुश थी वह कॉलेज के बाहर दरवाजे पर खड़ी खड़ी सोच रही थीं कि कॉलेज कैसा होगा यहाँ के स्टूडेंट्स कैसे होंगे टीचर्स कैसे होंगे। ऐसा सोच ही रह...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा By ARUANDHATEE GARG मीठी

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बचपन का प्यार By निखिल ठाकुर

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पप्पा जल्दी आ जाना : एक पारलौकिक सत्य कथा By Shwet Kumar Sinha

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