लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में

    रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में, शहर में था उसका एक शीशे का महल। उस महल म...

  • कौवे

    सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार आज का नहीं, यह सच है, मगर आज सर्वाधिक और सबदूर ह...

  • सुबह का भुला..

    "अब बहुत हुआ बस, अब नहीं सह सकती मैं! हर बात में मनमानी, हर बात में जिद| अब और न...

मेल - भाग 3 By Jitin Tyagi

बच्चों के लिए खाना बनाने, खिलाने, और होमवर्क कराकर उन्हें सुलाने में करीब दस बज गए। इन सबके बाद जब वो अपने कमरे में आयी तो उसका लैपटॉप पर एक मेल आया हुआ था। जो महेश का था।महेश के म...

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रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में By F. S

रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में, शहर में था उसका एक शीशे का महल। उस महल में देखा करती थी सतरंगी सपने, उसे क्या पता था सपने झूठे निकलेंगे सारे। हुआ यूँ कि एक दानव की नज़र पड़...

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बरसात की रात By ब्राह्मण सुधांशु Sudh

सभी पाठकों से अनुरोध है यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है इसका किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी संबंध नहीं हैं अतः इसे अन्यथा ना ले और कहानी द्वारा खुद का मनोरंजन होने दें!अमोल जो क...

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कौवे By अशोक असफल

सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार आज का नहीं, यह सच है, मगर आज सर्वाधिक और सबदूर है, पर इसे छुपाया जा रहा है! रिटायर्ड मास्टर सुदामालाल अड़सठ की उम्र में सरपंच बन गये तो जीवन में फिर...

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सुबह का भुला.. By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

"अब बहुत हुआ बस, अब नहीं सह सकती मैं! हर बात में मनमानी, हर बात में जिद| अब और नहीं सहना उनकी तानाशाही| पिता हैं तो क्या हर वक़्त सिर्फ रोकते टोकते रहेंगे? कभी खुल के जीने नहीं देंग...

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नया घर By अशोक असफल

अब उसके प्रति और गहरी सम्वेदना उमड़ पड़ी थी। और मैं उसे खोजता उसी बेडरूम में जा पहुंचा। वहां वह तकिए में सिर दिए उदास पड़ी थी। पलँग पर बैठ प्यार से सिर सहलाते मैंने कहा, तुम्हें गलतफह...

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घातिनी By Deepak sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले ही दिन जीजी अपने प...

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आधुनिकता By राज कुमार कांदु

शेठ जमनादास के घर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। लॉन में एक तरफ खाने पीने की चीजों के स्टॉल लगे हुए थे। एक कोने में बार का भी स्टॉल लगा हुआ था। सामने मंच पर ऑर्केस्ट्रा वाले कोई मीठी...

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घातिनी By Deepak Sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले...

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आँख की पुतली By Deepak sharma

’’कैसे हैं, बाबूजी ?’’ बुध के बुध की शाम वृंदा का सात, सवा-सात के बीच फोन आना तय रहता है। ’’तुम्हें एक चिट्ठी लिखी है।’’ तोते की तरह...

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नए आगंतुक By SUNIL ANJARIA

नए आगंतुकशाम ढल रही थी। सभी वृक्ष आपस में क्षेमकुशल पूछते सान्निध्य का आनंद ले रहे थे। “तेरे पर खिला फूल किसी मानव स्त्री के ज़ुडे में पिरोया हो ऐसी शोभा देता है। तेरी ये मादक सुगंध...

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Robert In Pannah By JUGAL KISHORE SHARMA

कहानी के पात्र,चरित्र,घटनाए काल्पनिक है, मनोरंजन उद्धेश्य हेतुक रचना The Robert Rays Among The Operation Enduring Freedom – Afghanistan   यह उपन्यास - काल्पनिक रचना से लबरेज जिसमें...

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स्मृतिबद्ध By Deepak sharma

आपरेशन थिएटर में सबसे पहले मैं दाखिल होती हूं। डाक्टरों में। ’’रेडी सिस्टर?’’ ड्रिप वाली नर्स से मैं पूछती हूं। ’’येस डाक्टर, ’’पैन्...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 16 By Kishanlal Sharma

स्कूल प्रशासन ने पोस्टिंग का फार्मूला निकाला जो परीक्षा में फर्स्ट और सेकंड आये थे।उन्हें बुलाया गया।फर्स्ट नीमच का प्रेम और सेकंड मैं आया था।हम दोनों ने कोटा मण्डल चुन लिया।बाकी क...

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दुलारा By Deepak sharma

प्री-नर्सरी का यह स्कूल इस वर्ष अपनी रजत-जयन्ती मनाने जा रहा है और हम ने ’निम्मो’ के नाम पर एक विशष पुरस्कार रखा है। सब से ज्यादा चुस्त और कर्मठ बच्चे के लिए। यह स्कूल...

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काॅलेज टाईम By Naveen RG

12वी कक्षा कि परीक्षा थी। और परीक्षा केंद्र अलग काॅलेज में लगा जहां मैं किसी को जानता नहीं था। परीक्षा का पहला दिन था तो मैं समय से पहले ही अपनी मेज़ पर जाकर बैठ गया था और आसपास बै...

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Malaal By Tasneem Kauser

मुहब्बत क्या ऐसी होती? जो मैं देख रही हूँ।या ऐसी, जो मै महसूस कर रही हूँ?ऐसी मुहब्बत जो मेरे दिमाग़ को शील किये हुआ है। मेरी सोचने समझने कि ताक़त मुझसे छीन चुका है। मुझे महसूस होता...

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घिराव By Deepak sharma

बज रहे मोबाइल की स्क्रीन ’सिस्टर’ दिखाती है। अंदर गर्भवती मेरी पत्नी अपनी डॉक्टर से अपना चेक-अप करवा रही है और मेरी माँ और बहन के फोन पर न केवल मेरी ही खबर लेती है बल्क...

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माँ का रिश्ता By मानव सिंह राणा सुओम

माँ तुम चलो मैं रोज रोज के हालात से परेशान हो गया हूँ। तुम्हें वृद्धाश्रम छोड़ आता हूँ।" आदेश ने अपनी माँ से झुंझलाते हुए कहा।माँ और पत्नी सुनीता की रोज की झिक झिक से परेशान हो गया...

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गर्मी की छुट्टियाँ! By rajesh sahay

गर्मियों की छुट्टियाँ भोर हो आयी थी । ट्रेन धीरे धीरे जंक्शन की ओर बढ़ रही थी । इसी तरह कुछ ४५ साल पहले यह ट्रेन रेंगते हुए सुबह पटना पहुँच गयीथी। पापा का चेहरा मुझे याद आ गया । सब...

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फाँसी काठ By Deepak sharma

मध्यमवर्गीय मेरे पिता एक लम्बी रेंग के बाद भी जिस दुनिया के पड़ोस तक न पहुँच सके थे, उस दुनिया में आई.पी.एस. की प्रवेश परीक्षा में प्राप्त हुई मेरी सफलता मुझे एक ही छलाँग में उतार ल...

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नगद व्यवहार By मानव सिंह राणा सुओम

आज सुबह से राधिका बहुत खुश थी। रक्षाबंधन मनाने वो आज मायके जा रही थी। तभी उसकी ननद आ गई राखी बांधने। मन ही मन कुसमुसा के रह गई राधिका। इनको भी अभी आना था।बस फिर हंसी ठिठोली के साथ...

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आखिरी खत By piyush rai

कविता - अखिरी खतलेखक - पीयूष राय ️(प्यार️)•प्यार तो आपसे इतना है कि ताउम्र आपका इंतजार करूंगा,आप किसी के साथ हमबिस्तर भी हो जाओगे उसके बाद भी मैं अपना कहूंगा।~पीयूष राय•प्यार या प्...

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मुझे कोई अफ़सोस नहीं By जॉन हेम्ब्रम

एक दिन मुझे मेरा एक दोस्त आकर कहता है "ये तू क्या फालतू की चीजें कर रहा है?" "ये तुम क्या कह रहे हो,तुम्हे कोई चीज़ नही पसंद इसका ये मतलब तो नही की वो फालतू है" मेने उसे गुस्से से...

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15 जनवरी By Krishna Kaveri K.K.

15 जनवरीकृष्णा सिंह कावेरी "के के"कहानी के पात्र , स्थान , संवाद और घटनाएं काल्पनिक है।"आज पूरे एक साल गुजर गए.. वो दिन आज भी याद है मुझे जिस दिन हर्ष (उम्र 24) ने गुड न्यूज दी थी।...

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डबल सेलिब्रेशन By Deepak sharma

अतिथियों में सबसे पहले सलोनी आंटी आई हैं। साढ़े बारह पर। हालाँकि अपने विवाह की इस पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर पापा ने इस क्लब में लंच का आयोजन एक से तीन बजे तक का रखा है। ’’पह...

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जिंदगी दो पल की – जियो जी भर के By Jas lodariya

नंदन वन में कुटकुट गिलहरी रहती थी। कुटकुट गिलहरी बहुत ईमानदार और बहुत मेहनती थी। वह जंगल के राजा शेर सिंह के यहाँ नौकरी करती थी, शेर सिंह ने उसे 10 बोरी अखरोट देने का वादा किया था।...

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शहर की साँज By Mehul Pasaya

शहर मे अगर सांज ना हो तो वो शहर कैसा,शहर मे अगर देर रात मे, और देर रात तक दंगे फसाद नही होंगे तो इस शहर का पुलिस स्टेशन कैसा, शहर मे अगर टहल ने वाले लोग ना हो तो शहर कैसा, वैसे ही...

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तस्वीर का सम्मान है इंसान का नहीं By Saroj Prajapati

"वाह बहुत ही सुंदर घर बनाया है तुमने नैना और उससे बढ़कर उसे सजाया है।""हां भई! देखने से ही वैभव झलक रहा है। लगता है दिल खोलकर खर्च किया है तुमने!"" अनीता, मेरा बरसों का सपना था कि...

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बँधुआ By अशोक असफल

यह कहानी स्त्री-पुरुष के सहज संबंध से आरंभ होकर स्त्री की गुलामी तक जाती है। दरअस्ल, स्त्री के कमजोर और पुरुष पर आश्रय के कारण पुरुष ने यह फायदा उठाया है। इसी कारण आधुनिक युग में भ...

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छोटा भाई By Shubh Tripathi

पैसे में इतनी ताकत है ना कि अगर तुम्हारे पास नही है तो तुम कुछ नही हो, वो एक कागज का टुकड़ा कुछ भी करवा सकता है, ये कहानी एक उस छोटे भाई की है जो समय की चोट को हर कदम हर मोड़ हर रास्...

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चाह By Latha Ramachandran

लेखिका- सिवसंकरी अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन वह अपनी आँखों को मूंदें उस लड़की की तस्वीर को मन ही मन देख रहा था. पिछले एक महीने से वह उस लड़की को याद कर रहा था, और अपने दिल के आईने में...

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विदेश में अपना देस By Arun Singla

“दीदी में मरना चाहती हूँ “ फातिमा ने दुखी हो कर कहा. फातिमा की उम्र लगभग 42 साल कद 5.5 रंग गेहुआ, चोडा माथा, भूरी आँखे, तीखी नाक शरीर भरा भरा था. वह बंगलादेश भारत के 4,156 किलोमीटर...

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बहुत कुछ बदल गया था! By Brajesh Kumar

आज वो फिर मिली। इतने सालों बाद, उसी पुराने बरगद के नीचे, यूं अचानक। मैं तो लाइब्रेरी से निकल कर किताब की दुकान पे कोई किताब देख रहा था। तभी एक जानी पहचानी आवाज़ मेरे कानों तक पहुंच...

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कोमल तुम्हारे लिए... By Lalit Rathod

कोमल तुम्हारे लिए... जब कोई अपना शहर छोड़कर चला जाता है, तब ना जाने क्यों समय भी उसके अभाव में रिसने लगता है। ऐसे समय में मुझे मौसम भी बदला हुआ प्रतीत होता है। रात को आसमान पर चमकी...

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जादुई तोहफ़ा - 5 - अंतिम भाग By जॉन हेम्ब्रम

अनुज पूरी शाम उस ताबीज़ के बारे में सोचता रहा। उसका मन इधर से उधर घूमता ही रहा।"क्या उसने सिर्फ मज़ाक में कहा था,या वाकई ऐसा कुछ है?" "क्या बात है छोटे मालिक?" उसे परेशान देखा उसके...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 20) By Kishanlal Sharma

62--त्रिया चरित्रश्वसुर दिन भर बड़बड़ाता रहता और खांस खांस कर कमरे को गंदा करता रहता।जिसे राधा को साफ करना पड़ता।पति दूसरे शहर मे नौकरी करता था।वह शनिवार को रात को आता और सोमवार की सु...

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….. कुछ ख्वाहिशें…. By Anup

ज़िन्दगी हर सू एक कहानी सी है , हर पल जाने कितना कुछ कहती है | समझना तो दूर, हम उसे एहसास भी नहीं करना चाहते | आज ही तो कहा था पत्नी ने कहीं साथ चलने को कहीं साथ घूमने को, मैंने वाद...

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बचपन का गुल्लक By praveen singh

मैं अपने कपडे को पैक कर रहा था | कल सुबह में ही  ४ बजे के करीब मेरी ट्रैन के आने का टाइम था| मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढाई के लिए दूसरे शहर को जाने वाला था | मुझे बहुत ख़ुशी थी की मै...

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इश्क. - 9 By om prakash Jain

शेखर सिम्मी को उसके घर बाइक से पहुँचाने जाता है।सिम्मी के घर वाले शेखर को ताने कंज रहे हैं ।पिताजी सिम्मी के बारे में कहा रहा है -जब भी देखो सहेली ,सहेली,अमेरिका वाली सहेली के नाम...

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सुनसान By Priyansu Jain

जुलाई महीने की सुबह 4 बजे मैं तैयार होके जूत्ते पहन कर घर से निकला। अँधेरा था, पर मेरा रोज़ का यही नियम था। जिम का रास्ता यहाँ से लगभग 4 किलोमीटर था। आसमान में बादल आये हुए थे और बू...

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प्यार इक्तर्फा By Piya

सुबह के 7 बजे थे मे बस अख़बार पढ़ते पढ़ते चाई का एक सिप लेने वाली थी की बारवाजे की घंटी बजी, ऊपर से आवाज भी दी " कोई है क्या plz help" आवाज किसी लड़के की थी दरवाजा खोला तो...., ये कनो...

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मेल - भाग 3 By Jitin Tyagi

बच्चों के लिए खाना बनाने, खिलाने, और होमवर्क कराकर उन्हें सुलाने में करीब दस बज गए। इन सबके बाद जब वो अपने कमरे में आयी तो उसका लैपटॉप पर एक मेल आया हुआ था। जो महेश का था।महेश के म...

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रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में By F. S

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बरसात की रात By ब्राह्मण सुधांशु Sudh

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कौवे By अशोक असफल

सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार आज का नहीं, यह सच है, मगर आज सर्वाधिक और सबदूर है, पर इसे छुपाया जा रहा है! रिटायर्ड मास्टर सुदामालाल अड़सठ की उम्र में सरपंच बन गये तो जीवन में फिर...

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सुबह का भुला.. By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

"अब बहुत हुआ बस, अब नहीं सह सकती मैं! हर बात में मनमानी, हर बात में जिद| अब और नहीं सहना उनकी तानाशाही| पिता हैं तो क्या हर वक़्त सिर्फ रोकते टोकते रहेंगे? कभी खुल के जीने नहीं देंग...

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नया घर By अशोक असफल

अब उसके प्रति और गहरी सम्वेदना उमड़ पड़ी थी। और मैं उसे खोजता उसी बेडरूम में जा पहुंचा। वहां वह तकिए में सिर दिए उदास पड़ी थी। पलँग पर बैठ प्यार से सिर सहलाते मैंने कहा, तुम्हें गलतफह...

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घातिनी By Deepak sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले ही दिन जीजी अपने प...

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आधुनिकता By राज कुमार कांदु

शेठ जमनादास के घर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। लॉन में एक तरफ खाने पीने की चीजों के स्टॉल लगे हुए थे। एक कोने में बार का भी स्टॉल लगा हुआ था। सामने मंच पर ऑर्केस्ट्रा वाले कोई मीठी...

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घातिनी By Deepak Sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले...

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आँख की पुतली By Deepak sharma

’’कैसे हैं, बाबूजी ?’’ बुध के बुध की शाम वृंदा का सात, सवा-सात के बीच फोन आना तय रहता है। ’’तुम्हें एक चिट्ठी लिखी है।’’ तोते की तरह...

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नए आगंतुकशाम ढल रही थी। सभी वृक्ष आपस में क्षेमकुशल पूछते सान्निध्य का आनंद ले रहे थे। “तेरे पर खिला फूल किसी मानव स्त्री के ज़ुडे में पिरोया हो ऐसी शोभा देता है। तेरी ये मादक सुगंध...

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Robert In Pannah By JUGAL KISHORE SHARMA

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स्मृतिबद्ध By Deepak sharma

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 16 By Kishanlal Sharma

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दुलारा By Deepak sharma

प्री-नर्सरी का यह स्कूल इस वर्ष अपनी रजत-जयन्ती मनाने जा रहा है और हम ने ’निम्मो’ के नाम पर एक विशष पुरस्कार रखा है। सब से ज्यादा चुस्त और कर्मठ बच्चे के लिए। यह स्कूल...

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काॅलेज टाईम By Naveen RG

12वी कक्षा कि परीक्षा थी। और परीक्षा केंद्र अलग काॅलेज में लगा जहां मैं किसी को जानता नहीं था। परीक्षा का पहला दिन था तो मैं समय से पहले ही अपनी मेज़ पर जाकर बैठ गया था और आसपास बै...

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Malaal By Tasneem Kauser

मुहब्बत क्या ऐसी होती? जो मैं देख रही हूँ।या ऐसी, जो मै महसूस कर रही हूँ?ऐसी मुहब्बत जो मेरे दिमाग़ को शील किये हुआ है। मेरी सोचने समझने कि ताक़त मुझसे छीन चुका है। मुझे महसूस होता...

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घिराव By Deepak sharma

बज रहे मोबाइल की स्क्रीन ’सिस्टर’ दिखाती है। अंदर गर्भवती मेरी पत्नी अपनी डॉक्टर से अपना चेक-अप करवा रही है और मेरी माँ और बहन के फोन पर न केवल मेरी ही खबर लेती है बल्क...

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माँ का रिश्ता By मानव सिंह राणा सुओम

माँ तुम चलो मैं रोज रोज के हालात से परेशान हो गया हूँ। तुम्हें वृद्धाश्रम छोड़ आता हूँ।" आदेश ने अपनी माँ से झुंझलाते हुए कहा।माँ और पत्नी सुनीता की रोज की झिक झिक से परेशान हो गया...

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गर्मी की छुट्टियाँ! By rajesh sahay

गर्मियों की छुट्टियाँ भोर हो आयी थी । ट्रेन धीरे धीरे जंक्शन की ओर बढ़ रही थी । इसी तरह कुछ ४५ साल पहले यह ट्रेन रेंगते हुए सुबह पटना पहुँच गयीथी। पापा का चेहरा मुझे याद आ गया । सब...

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फाँसी काठ By Deepak sharma

मध्यमवर्गीय मेरे पिता एक लम्बी रेंग के बाद भी जिस दुनिया के पड़ोस तक न पहुँच सके थे, उस दुनिया में आई.पी.एस. की प्रवेश परीक्षा में प्राप्त हुई मेरी सफलता मुझे एक ही छलाँग में उतार ल...

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नगद व्यवहार By मानव सिंह राणा सुओम

आज सुबह से राधिका बहुत खुश थी। रक्षाबंधन मनाने वो आज मायके जा रही थी। तभी उसकी ननद आ गई राखी बांधने। मन ही मन कुसमुसा के रह गई राधिका। इनको भी अभी आना था।बस फिर हंसी ठिठोली के साथ...

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आखिरी खत By piyush rai

कविता - अखिरी खतलेखक - पीयूष राय ️(प्यार️)•प्यार तो आपसे इतना है कि ताउम्र आपका इंतजार करूंगा,आप किसी के साथ हमबिस्तर भी हो जाओगे उसके बाद भी मैं अपना कहूंगा।~पीयूष राय•प्यार या प्...

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मुझे कोई अफ़सोस नहीं By जॉन हेम्ब्रम

एक दिन मुझे मेरा एक दोस्त आकर कहता है "ये तू क्या फालतू की चीजें कर रहा है?" "ये तुम क्या कह रहे हो,तुम्हे कोई चीज़ नही पसंद इसका ये मतलब तो नही की वो फालतू है" मेने उसे गुस्से से...

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15 जनवरी By Krishna Kaveri K.K.

15 जनवरीकृष्णा सिंह कावेरी "के के"कहानी के पात्र , स्थान , संवाद और घटनाएं काल्पनिक है।"आज पूरे एक साल गुजर गए.. वो दिन आज भी याद है मुझे जिस दिन हर्ष (उम्र 24) ने गुड न्यूज दी थी।...

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डबल सेलिब्रेशन By Deepak sharma

अतिथियों में सबसे पहले सलोनी आंटी आई हैं। साढ़े बारह पर। हालाँकि अपने विवाह की इस पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर पापा ने इस क्लब में लंच का आयोजन एक से तीन बजे तक का रखा है। ’’पह...

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जिंदगी दो पल की – जियो जी भर के By Jas lodariya

नंदन वन में कुटकुट गिलहरी रहती थी। कुटकुट गिलहरी बहुत ईमानदार और बहुत मेहनती थी। वह जंगल के राजा शेर सिंह के यहाँ नौकरी करती थी, शेर सिंह ने उसे 10 बोरी अखरोट देने का वादा किया था।...

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शहर की साँज By Mehul Pasaya

शहर मे अगर सांज ना हो तो वो शहर कैसा,शहर मे अगर देर रात मे, और देर रात तक दंगे फसाद नही होंगे तो इस शहर का पुलिस स्टेशन कैसा, शहर मे अगर टहल ने वाले लोग ना हो तो शहर कैसा, वैसे ही...

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तस्वीर का सम्मान है इंसान का नहीं By Saroj Prajapati

"वाह बहुत ही सुंदर घर बनाया है तुमने नैना और उससे बढ़कर उसे सजाया है।""हां भई! देखने से ही वैभव झलक रहा है। लगता है दिल खोलकर खर्च किया है तुमने!"" अनीता, मेरा बरसों का सपना था कि...

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बँधुआ By अशोक असफल

यह कहानी स्त्री-पुरुष के सहज संबंध से आरंभ होकर स्त्री की गुलामी तक जाती है। दरअस्ल, स्त्री के कमजोर और पुरुष पर आश्रय के कारण पुरुष ने यह फायदा उठाया है। इसी कारण आधुनिक युग में भ...

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छोटा भाई By Shubh Tripathi

पैसे में इतनी ताकत है ना कि अगर तुम्हारे पास नही है तो तुम कुछ नही हो, वो एक कागज का टुकड़ा कुछ भी करवा सकता है, ये कहानी एक उस छोटे भाई की है जो समय की चोट को हर कदम हर मोड़ हर रास्...

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चाह By Latha Ramachandran

लेखिका- सिवसंकरी अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन वह अपनी आँखों को मूंदें उस लड़की की तस्वीर को मन ही मन देख रहा था. पिछले एक महीने से वह उस लड़की को याद कर रहा था, और अपने दिल के आईने में...

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विदेश में अपना देस By Arun Singla

“दीदी में मरना चाहती हूँ “ फातिमा ने दुखी हो कर कहा. फातिमा की उम्र लगभग 42 साल कद 5.5 रंग गेहुआ, चोडा माथा, भूरी आँखे, तीखी नाक शरीर भरा भरा था. वह बंगलादेश भारत के 4,156 किलोमीटर...

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बहुत कुछ बदल गया था! By Brajesh Kumar

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कोमल तुम्हारे लिए... By Lalit Rathod

कोमल तुम्हारे लिए... जब कोई अपना शहर छोड़कर चला जाता है, तब ना जाने क्यों समय भी उसके अभाव में रिसने लगता है। ऐसे समय में मुझे मौसम भी बदला हुआ प्रतीत होता है। रात को आसमान पर चमकी...

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जादुई तोहफ़ा - 5 - अंतिम भाग By जॉन हेम्ब्रम

अनुज पूरी शाम उस ताबीज़ के बारे में सोचता रहा। उसका मन इधर से उधर घूमता ही रहा।"क्या उसने सिर्फ मज़ाक में कहा था,या वाकई ऐसा कुछ है?" "क्या बात है छोटे मालिक?" उसे परेशान देखा उसके...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 20) By Kishanlal Sharma

62--त्रिया चरित्रश्वसुर दिन भर बड़बड़ाता रहता और खांस खांस कर कमरे को गंदा करता रहता।जिसे राधा को साफ करना पड़ता।पति दूसरे शहर मे नौकरी करता था।वह शनिवार को रात को आता और सोमवार की सु...

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….. कुछ ख्वाहिशें…. By Anup

ज़िन्दगी हर सू एक कहानी सी है , हर पल जाने कितना कुछ कहती है | समझना तो दूर, हम उसे एहसास भी नहीं करना चाहते | आज ही तो कहा था पत्नी ने कहीं साथ चलने को कहीं साथ घूमने को, मैंने वाद...

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बचपन का गुल्लक By praveen singh

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इश्क. - 9 By om prakash Jain

शेखर सिम्मी को उसके घर बाइक से पहुँचाने जाता है।सिम्मी के घर वाले शेखर को ताने कंज रहे हैं ।पिताजी सिम्मी के बारे में कहा रहा है -जब भी देखो सहेली ,सहेली,अमेरिका वाली सहेली के नाम...

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सुनसान By Priyansu Jain

जुलाई महीने की सुबह 4 बजे मैं तैयार होके जूत्ते पहन कर घर से निकला। अँधेरा था, पर मेरा रोज़ का यही नियम था। जिम का रास्ता यहाँ से लगभग 4 किलोमीटर था। आसमान में बादल आये हुए थे और बू...

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प्यार इक्तर्फा By Piya

सुबह के 7 बजे थे मे बस अख़बार पढ़ते पढ़ते चाई का एक सिप लेने वाली थी की बारवाजे की घंटी बजी, ऊपर से आवाज भी दी " कोई है क्या plz help" आवाज किसी लड़के की थी दरवाजा खोला तो...., ये कनो...

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