सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • काश मेरी भी एक बेटी होती

    अपनी व्यस्ततम ज़िंदगी से कुछ वक़्त निकालकर यशोदा बगीचे में शाम को टहलने अवश्य ही ज...

  • असली अपराधी (भाग-3)

    जब जगन टीम के सदस्यों को पता चला कि पुलिस भी उस मामले में शामिल है। उन्होंने पूछ...

  • पतिव्रता

    रमिया एक अच्छी व कुशल गृहणी थी । वह पूरे मनोयोग से अपने परिवार का देख भाल कर रही...

अंत... एक नई शुरुआत - 11 By निशा शर्मा

समीर - सुमन!बहुत सुंदर नाम है आपका!वैसे आपके नाम का अर्थ मालूम है आपको? सुमन - जी...जी सुमन का अर्थ है,पुष्प या फूल! समीर - जी बिल्कुल मगर पता है आपको इसका कुछ और भी मतलब होता है!...

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काश मेरी भी एक बेटी होती By Ratna Pandey

अपनी व्यस्ततम ज़िंदगी से कुछ वक़्त निकालकर यशोदा बगीचे में शाम को टहलने अवश्य ही जाती थी। बगीचे में नियमित रूप से आने वाले अधिकतर लोग यशोदा को जानने लगे थे। आस पास में रहने वाले बच्च...

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असली अपराधी (भाग-3) By Ruchika Khanna

जब जगन टीम के सदस्यों को पता चला कि पुलिस भी उस मामले में शामिल है। उन्होंने पूछा, बॉस, आप यह कैसे कह सकते हैं? जगन ने अपने सदस्यों से कहा, मैंने देखा कि रिवॉल्वर पर खून के निशान थ...

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पतिव्रता By amit kumar mall

रमिया एक अच्छी व कुशल गृहणी थी । वह पूरे मनोयोग से अपने परिवार का देख भाल कर रही थी। उसका मरद - रामजीत ,खेतो में खूब मेहनत करता था , जिससे उसकी फसल , पूरे गांव में सबसे अच्छी हो...

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बुनियाद (पार्ट 2) By Kishanlal Sharma

मारिया. इस आशा में समुद्र के किनारे बैठ गयी कि उसका पति डेविड उसे ढूंढता हुआ जरूर आयेगा। वह नही आया तो कोई न कोई जहाज यहां से जरूर गुज़रेगा।वह उससे सहायता मांगेगी।इन्तज़ार में पूरा...

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प्रस्थान से पूर्व By Rama Sharma Manavi

हालांकि बहुत सी घरेलू महिलाएं ऐसी हैं, जिनका अपने गृह राज्य पर पूर्ण वर्चस्व स्थापित रहता है।फिलहाल मैं उन गृहणी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हूँ जो आजीवन अपने मन की बात या व्...

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स्वीकृति - 10 By GAYATRI THAKUR

स्वीकृति 10 निरंजन संदीप को अपने साथ चलने के लिए कहता है परंतु संदीप उसके साथ चलने से इनकार कर देता है. तब निरंजन उससे जोर देते हुए कहता है, "अगर तुम्हें सच में काम चाहिए ..तो, त...

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बदलता परिवेश By Ratna Pandey

इस बदलते हुए परिवेश में हर इंसान बदल जाए, यह ज़रूरी नहीं। जो बात सही ना लगे उसे स्वीकार कर पाना भी संभव नहीं । कुछ ऐसा ही था गांव में रहने वाले मध्यम वर्ग के पुण्य और पवित्रा का मन...

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एक सच्ची कहानी - 1 By Aastha Rawat

एक सच्ची कहानी आस्था रावतयार इतने टाइम बाद कॉलेज फ्रेंड्स का मिलना वाउ 7 साल हो गए कॉलेज फेयरवेल। सब व्यस्त थे अपनी लाइफ म...

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मजबूर (भाग 6) By Shrikar Dixit

Hey guys this is 6th part of majboor storyif you had not read old 5 partso pleaseread all of them and continuedwith this one...

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नौकरी का असली चरित्र By Ruchika Khanna

यह मेरे रचनात्मक विचारों की कहानी है जो किसी भी प्रकार की सच्ची घटना से संबंधित नहीं है:- राखी नौकरी के प्रति एक अच्छी समर्पित लड़की थी। लेकिन वह स्वाभिमानी व्यक्ति से भरा हुआ था ज...

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आवारा हूँ - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

रानी के जाने के बाद आवारा बिल्कुल बिखर सा गया,उसे अपनी कोई ख़बर ना रहती ,उसे कुछ पता नहीं था कि अब वो क्या करेंगा?उसने अपना कमरा और गैराज भी छोड़ दिया था,बस सड़कों पर भटकता रहता,उसने...

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मैं भी इंसान हूँ By राज कुमार कांदु

दिसंबर की एक और सर्द रात गुजर चुकी थी। कोहरे की झीनी चादर ने सूर्य की किरणों के धरा पर आगमन को सीमित कर दिया था।अमर ने लिहाफ से हाथ बाहर निकालकर बेड के नजदीक पड़े मोबाइल को उठाया और...

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हम उन्हें जाते हुए देखते रह गए By Ratna Pandey

सुबोध इनकम टैक्स में कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। उनकी पत्नी सुप्रिया हाउस वाइफ थी। उनका एक ही बेटा था वरुण, जिसे पति पत्नी ने पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया था। सुबोध और...

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ऐसा तो सोचा ना था  By Ratna Pandey

साठ वर्ष की आयु पार कर चुकी सुनीता सुंदर होने के साथ ही आकर्षक व्यक्तित्व की भी धनी थी। सुंदर छवि के कारण नारी को कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है। जवानी की दहलीज़ पर क़दम रखने...

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अकेले ही आना - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अकेले ही आना, एक ऐसी कहानी है जिसमें गांव के लोग आस्था और अंध विश्वास के कारण किस तरह पाखंडी स्वामी के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं. आशीर्वाद के नाम पर वह किस तरह गांव की बेटियों का...

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काश  By Ratna Pandey

प्यार था, ख़्याल था, चिंता भी थी किंतु यदि कुछ नहीं था तो समय नहीं था, जो कभी किसी के लिए नहीं रुकता। साहिल के पिता आकाश अपनी पत्नी को खो चुके थे इसलिए वह अपने पिता को अकेला छोड़कर...

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कैसी है ये मजबूरी   By Ratna Pandey

पूरी जिंदगी हमारा साथ देने वाले हमारे बुजुर्ग माता पिता अपने अंतिम वक्त में बिलकुल तन्हा रह जाते हैं और हम आंसू बहाते हुए यह सोचते रह जाते हैं कि काश अपनी व्यस्ततम जिंदगी से थोड़ा...

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पलायन (अंतिम किश्त) By Kishanlal Sharma

"क्या करोगे नाम जानकर""जिसके साथ सोना हो उसका नाम तो पता होना चाहिए""शबनम,"हल्की सी मुस्कराहट उसके होठो पर छलकी थी।"बुरा न मानो तो एक बात---"क्या?'"कब से यह पेशा कर रही हो?""खा...

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अंतिम इच्छा (अंतिम किश्त) By Kishanlal Sharma

राजेश ने सब बाते सुन ली थी लेकिन उसने अपनी पत्नी कविता को यह नही बताया था।असलियत का पता चलने पर वह अपने आपको कविता का गुनहगार समझने लगा।वह कविता को चाहता था।प्यार करता था।लेकिन उ...

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जिजीविषा By amit kumar mall

बेडरूम से निकलते समय बीरेन्द्र ने कहा , - जाकर नहाकर , अपने कपड़े पहन कर चली जाओ । बाथरूम में जाकर , उसने साबुन से अपने शरीर को रगड़कर साफ करने लगी ताकि उसके शरीर और मन का मैल साफ ह...

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 8 - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena

पाक़ीज़ा फिल्म में एक गाना है जिसकी शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की हालत इतनी खराब हो गई कि वह खड़ी भी नहीं हो सकती थी, इसलिए उनकी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया, फिल्म को इस बखूबी स...

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जन कवि मुकुट विहारी सरोज By ramgopal bhavuk

चर्चित कवि मुकुट विहारी सरोज जी के सानिध्य में रामगोपाल भावुक मुझे डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य जी चर्चित कवि मुकुट विहारी सरोज जी के निवा...

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लौट आईं ख़ुशियाँ By Ratna Pandey

सरिता अपने दोनों बेटे करण और वरुण तथा दोनों बहुओं आशा और प्रीति से हमेशा नाराज़ रहती थी, कारण था ज़रूरत से अधिक अपेक्षा रखना। सरिता को ख़ुश रखने की वे चारों चाहे जितनी भी कोशिश करें...

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सामुदायिक रसोई योजना By Anand M Mishra

अपने देश में प्राचीन काल से ही देश में मंदिरों के माध्यम से सामुदायिक रसोई की भावना रही है। कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रह जाए, इसके लिए समाज में ‘भंडारे’ की योजना काम करती थी। दुनि...

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बधाई हो.... By Saroj Verma

अभी पिछले रविवार की बात है,मैं अपने दोस्त के घर गया था,मेरे दोस्त बैंक में मैनेजर हैं और उनकी पत्नी भी घरेलू महिला हैं,उनका बड़ा बेटा मेडिकल का स्टूडेंट हैं और छोटा इन्जीनियरिंग कर...

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पाणिग्रहण संस्कार-बदलता स्वरुप By Anand M Mishra

पाणिग्रहण संस्कार के बाद पुरुष तथा स्त्री समाज के समक्ष युगल रूप में रह सकते हैं। यह सामाजिक स्वीकृति के साथ जीवन-यापन करने की व्यवस्था है। यह व्यवस्था सभ्यता के विकास के साथ अस्...

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माँ का प्रसाद By Shwet Kumar Sinha

एक महीने की छुट्टी पर अर्जुन अपने गृह शहर पटना आया था। भारतीय सेना का वह एक जांबाज सिपाही था और उसकी पोस्टिंग लेह लद्दाख में थी। संयुक्त परिवार वाला उसका घर, जिसमें पत्‍‌नी, दो बेट...

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अंत... एक नई शुरुआत - 11 By निशा शर्मा

समीर - सुमन!बहुत सुंदर नाम है आपका!वैसे आपके नाम का अर्थ मालूम है आपको? सुमन - जी...जी सुमन का अर्थ है,पुष्प या फूल! समीर - जी बिल्कुल मगर पता है आपको इसका कुछ और भी मतलब होता है!...

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काश मेरी भी एक बेटी होती By Ratna Pandey

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पतिव्रता By amit kumar mall

रमिया एक अच्छी व कुशल गृहणी थी । वह पूरे मनोयोग से अपने परिवार का देख भाल कर रही थी। उसका मरद - रामजीत ,खेतो में खूब मेहनत करता था , जिससे उसकी फसल , पूरे गांव में सबसे अच्छी हो...

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बुनियाद (पार्ट 2) By Kishanlal Sharma

मारिया. इस आशा में समुद्र के किनारे बैठ गयी कि उसका पति डेविड उसे ढूंढता हुआ जरूर आयेगा। वह नही आया तो कोई न कोई जहाज यहां से जरूर गुज़रेगा।वह उससे सहायता मांगेगी।इन्तज़ार में पूरा...

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प्रस्थान से पूर्व By Rama Sharma Manavi

हालांकि बहुत सी घरेलू महिलाएं ऐसी हैं, जिनका अपने गृह राज्य पर पूर्ण वर्चस्व स्थापित रहता है।फिलहाल मैं उन गृहणी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हूँ जो आजीवन अपने मन की बात या व्...

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स्वीकृति - 10 By GAYATRI THAKUR

स्वीकृति 10 निरंजन संदीप को अपने साथ चलने के लिए कहता है परंतु संदीप उसके साथ चलने से इनकार कर देता है. तब निरंजन उससे जोर देते हुए कहता है, "अगर तुम्हें सच में काम चाहिए ..तो, त...

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बदलता परिवेश By Ratna Pandey

इस बदलते हुए परिवेश में हर इंसान बदल जाए, यह ज़रूरी नहीं। जो बात सही ना लगे उसे स्वीकार कर पाना भी संभव नहीं । कुछ ऐसा ही था गांव में रहने वाले मध्यम वर्ग के पुण्य और पवित्रा का मन...

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एक सच्ची कहानी - 1 By Aastha Rawat

एक सच्ची कहानी आस्था रावतयार इतने टाइम बाद कॉलेज फ्रेंड्स का मिलना वाउ 7 साल हो गए कॉलेज फेयरवेल। सब व्यस्त थे अपनी लाइफ म...

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नौकरी का असली चरित्र By Ruchika Khanna

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रानी के जाने के बाद आवारा बिल्कुल बिखर सा गया,उसे अपनी कोई ख़बर ना रहती ,उसे कुछ पता नहीं था कि अब वो क्या करेंगा?उसने अपना कमरा और गैराज भी छोड़ दिया था,बस सड़कों पर भटकता रहता,उसने...

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मैं भी इंसान हूँ By राज कुमार कांदु

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सुबोध इनकम टैक्स में कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। उनकी पत्नी सुप्रिया हाउस वाइफ थी। उनका एक ही बेटा था वरुण, जिसे पति पत्नी ने पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया था। सुबोध और...

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साठ वर्ष की आयु पार कर चुकी सुनीता सुंदर होने के साथ ही आकर्षक व्यक्तित्व की भी धनी थी। सुंदर छवि के कारण नारी को कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है। जवानी की दहलीज़ पर क़दम रखने...

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अकेले ही आना - अंतिम भाग By Ratna Pandey

अकेले ही आना, एक ऐसी कहानी है जिसमें गांव के लोग आस्था और अंध विश्वास के कारण किस तरह पाखंडी स्वामी के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं. आशीर्वाद के नाम पर वह किस तरह गांव की बेटियों का...

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काश  By Ratna Pandey

प्यार था, ख़्याल था, चिंता भी थी किंतु यदि कुछ नहीं था तो समय नहीं था, जो कभी किसी के लिए नहीं रुकता। साहिल के पिता आकाश अपनी पत्नी को खो चुके थे इसलिए वह अपने पिता को अकेला छोड़कर...

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कैसी है ये मजबूरी   By Ratna Pandey

पूरी जिंदगी हमारा साथ देने वाले हमारे बुजुर्ग माता पिता अपने अंतिम वक्त में बिलकुल तन्हा रह जाते हैं और हम आंसू बहाते हुए यह सोचते रह जाते हैं कि काश अपनी व्यस्ततम जिंदगी से थोड़ा...

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पलायन (अंतिम किश्त) By Kishanlal Sharma

"क्या करोगे नाम जानकर""जिसके साथ सोना हो उसका नाम तो पता होना चाहिए""शबनम,"हल्की सी मुस्कराहट उसके होठो पर छलकी थी।"बुरा न मानो तो एक बात---"क्या?'"कब से यह पेशा कर रही हो?""खा...

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राजेश ने सब बाते सुन ली थी लेकिन उसने अपनी पत्नी कविता को यह नही बताया था।असलियत का पता चलने पर वह अपने आपको कविता का गुनहगार समझने लगा।वह कविता को चाहता था।प्यार करता था।लेकिन उ...

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जिजीविषा By amit kumar mall

बेडरूम से निकलते समय बीरेन्द्र ने कहा , - जाकर नहाकर , अपने कपड़े पहन कर चली जाओ । बाथरूम में जाकर , उसने साबुन से अपने शरीर को रगड़कर साफ करने लगी ताकि उसके शरीर और मन का मैल साफ ह...

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 8 - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena

पाक़ीज़ा फिल्म में एक गाना है जिसकी शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की हालत इतनी खराब हो गई कि वह खड़ी भी नहीं हो सकती थी, इसलिए उनकी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया, फिल्म को इस बखूबी स...

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जन कवि मुकुट विहारी सरोज By ramgopal bhavuk

चर्चित कवि मुकुट विहारी सरोज जी के सानिध्य में रामगोपाल भावुक मुझे डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य जी चर्चित कवि मुकुट विहारी सरोज जी के निवा...

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सरिता अपने दोनों बेटे करण और वरुण तथा दोनों बहुओं आशा और प्रीति से हमेशा नाराज़ रहती थी, कारण था ज़रूरत से अधिक अपेक्षा रखना। सरिता को ख़ुश रखने की वे चारों चाहे जितनी भी कोशिश करें...

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सामुदायिक रसोई योजना By Anand M Mishra

अपने देश में प्राचीन काल से ही देश में मंदिरों के माध्यम से सामुदायिक रसोई की भावना रही है। कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रह जाए, इसके लिए समाज में ‘भंडारे’ की योजना काम करती थी। दुनि...

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बधाई हो.... By Saroj Verma

अभी पिछले रविवार की बात है,मैं अपने दोस्त के घर गया था,मेरे दोस्त बैंक में मैनेजर हैं और उनकी पत्नी भी घरेलू महिला हैं,उनका बड़ा बेटा मेडिकल का स्टूडेंट हैं और छोटा इन्जीनियरिंग कर...

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माँ का प्रसाद By Shwet Kumar Sinha

एक महीने की छुट्टी पर अर्जुन अपने गृह शहर पटना आया था। भारतीय सेना का वह एक जांबाज सिपाही था और उसकी पोस्टिंग लेह लद्दाख में थी। संयुक्त परिवार वाला उसका घर, जिसमें पत्‍‌नी, दो बेट...

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