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                               कहने को शातिर दिमाग़ वाला स्पिन निशाने बाज़ था।प्लान था...

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    एक बार एक आचार्य  जी कक्षा में पढ़ा रहे थे | कक्षा के सभी छात्र रुचिपूर्वक उन्हें...

  • डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 68

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  • सात फेरे हम तेरे - सेकेंड सीजन - भाग - ३१

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  • खैर छोड़िए..!!

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  • बारिश की बूंदें और वो - भाग 11

      इस कहानी में, आदित्य और स्नेहा की अनपेक्षित मुलाकात ने उन्हें एक नए सफर पर ले...

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  • भारत की रचना - 13

    भारत की रचना / धारावाहिकतेरहवां भाग उसे देखकर तो रचना के तो तन-बदन में एक सिहरन-...

  • Revenge Love - Part 2

    वो एक दुकान के सामने जा कर खड़ी हो जाति है .. वो पूरी दुकान कपड़ो से घेरी हुई थी...

मेरे किरदार By Dhruvin Mavani

मुझे नही पता कि मै ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ ! लेकिन दिल कह रहा है बस आखिरी बार ...बस एक बार । शायद इसीलिए मरना छोड़कर लिखने बैठ गया ।जी हाँ , मरना ! मै मरने जा रहा हूँ । पंखे...

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रंग थे मेरे पास लेकिन… By Hetal

रंग थे मेरे पास लेकिन… भाग 1हमारे जिंदगी में कुछ रंग इतने मायने रखते हैं कि जैसे वोही हमारे जीने का जरिया बन जाते हैं । है मेरी भी जिंदगी में ऐसे ही कुछ रंग थे,हा सही पढ़ा थे जो सिर...

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लम्हों की गाथा By सीमा जैन 'भारत'

1 - पानी
2 - भविष्य
3 - रोशनी

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मंटो की बदनाम कहानियाँ - पार्ट २ By Saadat Hasan Manto

लाहौर से बाबू हरगोपाल आए तो हामिद घर का रहा ना घाट का। उन्हों ने आते ही हामिद से कहा। “लो भई फ़ौरन एक टैक्सी का बंद-ओ-बस्त करो।” हामिद ने कहा। “आप ज़रा तो आराम कर लीजिए। इतना लंबा सफ़...

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मंटो की दिलचस्प कहानियाँ By Saadat Hasan Manto

मैं आज आप को चंद शिकारी औरतों के क़िस्से सुनाऊंगा। मेरा ख़याल है कि आप को भी कभी उन से वास्ता पड़ा होगा। मैं बंबई में था। फिल्मिस्तान से आम तौर पर बर्क़ी ट्रेन से छः बजे घर पहुंच जा...

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मंटो की श्रेष्ठ कहानियाँ - 2 By Saadat Hasan Manto

दो तीन रोज़ से तय्यारे स्याह उक़ाबों की तरह पर फुलाए ख़ामोश फ़िज़ा में मंडला रहे थे। जैसे वो किसी शिकार की जुस्तुजू में हों सुर्ख़ आंधियां वक़तन फ़वक़तन किसी आने वाली ख़ूनी हादिसे का पैग़ाम...

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मंटो की लघुकथाएं By Saadat Hasan Manto

सन इकत्तीस के शुरू होने में सिर्फ़ रात के चंद बरफ़ाए हुए घंटे बाक़ी थे। वो लिहाफ़ में सर्दी की शिद्दत के बाइस काँप रहा था। पतलून और कोट समेत लेटा था, लेकिन इस के बावजूद सर्दी की लहरें...

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मंटो की चुनिंदा कहानियाँ By Saadat Hasan Manto

नाज़िम जब बांद्रा में मुंतक़िल हुआ तो उसे ख़ुशक़िसमती से किराए वाली बिल्डिंग में तीन कमरे मिल गए। इस बिल्डिंग में जो बंबई की ज़बान में चाली कहलाती है, निचले दर्जे के लोग रहते थे। छोटी...

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मंटो की श्रेष्ठ कहानियां By Saadat Hasan Manto

दिन भर की थकी माँदी वो अभी अभी अपने बिस्तर पर लेटी थी और लेटते ही सो गई। म्युनिसिपल कमेटी का दारोगा सफ़ाई, जिसे वो सेठ जी के नाम से पुकारा करती थी। अभी अभी उस की हड्डियां पसलियां झ...

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मंटो की बेख़ौफ़ कहानियां By Saadat Hasan Manto

ये 1919-ई- की बात है भाई जान जब रौलट ऐक्ट के ख़िलाफ़ सारे पंजाब में एजीटेशन होरही थी। मैं अमृतसर की बात कररहा हूँ। सर माईकल ओडवायर ने डीफ़ैंस आफ़ इंडिया रूल्ज़ के मातहत गांधी जी का दाख़...

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