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सुहासिनी चुपके से नीचे चली गई। हवा की तरह चलने का गुण विरासत ले, वो बिना किसी की...
“शंकर चाचा, ज़ल्दी से दरवाज़ा खोलिए!” बाहर से कोई इंसान के चिल्लाने की आवाज़ आई। आव...
अग्निहोत्री हाउसविराट तूफान की तेजी से गाड़ी ड्राइव कर 30 मिनट का रास्ता 12 या 1...
किशोर काका जल्दी-जल्दी अपनी चाय की लारी का सामान समेट रहे थे। बाहर हाईवे पर गाड़...
मुनस्यारी( उत्तराखण्ड) यात्रा-२मुनस्यारी से लौटते हुये हिमालय को देखा जहाँ से कह...
अब तक हम ने पढ़ा की शादी शुदा जोड़े लूसी के मायके आए थे जहां रात के समय कमरे में...
मंजिले ---- ( देश की सेवा ) मंजिले कहानी संगरे मे कुछ अटूट...
पाठशाला अंग्रेजों का जमाना था। अशिक्षा, गरीबी और मूढ़ता का बोलबाला था। गाँव मे...
"ज्वार या भाटा" भूमिकाकहानी ज्वार या भाटा हमारे उन वयोवृद्ध योद्धाओं की है जो अप...
कॉलेज का पहला दिन था। मैं हमेशा की तरह सबसे आगे की बेंच पर जाकर बैठ गया। यही मेर...
वह पुलिस स्टेशन में बैठा, पुलिस की दीवारों पर महात्मा गांधी, भीम रॉव अम्बेडकर और गंगाधर तिलक की तस्वीरों को लगातार देखा जा रहा है। उसकी पलकें झपक ही नहीं रहीं है। उसके मुरझाए हुए च...
इशिता अपनी ही धुन में स्कूटी चला कर अपने घर जा रही थी. अभी वह स्कूल से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर ही गई थी. उसका रूट करीब 50 किलोमीटर का था. इशिता का रास्ता तो सीधा ही था लेकिन रास्ते मे...
चुड़ैल ? चुड़ैल क्या होती हैं ? बता सकता है तुम में से कोई क्या होती है यह चुड़ैल ? मैंने अपने दोस्तों से पूछा मुझे याद है यह उस दिन की बात है जब हम दोस्त मिलकर पूस की रात में जल...
यह एक आदमी के जीवन की एक दर्दनाक और अद्भुत कहानी है, जिसने प्यार की सच्चाई और असफलता को उसकी सच्ची आत्मा को छूने का मौका दिया। पर इस कहानी में एक व्यक्ति का सफर दिखाया गया है, जो प...
तो कहानी की शुरुआत होती है की कोई एक कमरे में बैठ रो रहा होता है और बोलता है प्लीज छोड़ो मुझे प्लीज दया करो मुझ पर ऐसा पापा मत करो प्लीज आप ऐसा क्यू कर रहे हो आप मेरे दे...
गर्म दिन दिखाई दे रहे थे, क्योंकि आसमान में लाल गोल सूरज बैठा हुआ था। और बहुत बेहोश. खुर की तरह.. भारी मात्रा में गर्मी नीचे भूत पर पड़ रही थी। शरीर कैसा काँप रहा था। नीचे राजमार्ग...
ये कहानी हैं आरोही के एक तरफा प्यार कि चलिए फ़िर इस कहानी के सफर मै माँ जल्दी करिये मेरी ट्रेन छूट जाएगी मेरी माँ आते हुए काव्या तुझे कितनी बार बोला है कही जाना हो तो पहले से बताआ...
18 साल की स्वीटी के सामने एक बहुत ही विकट समस्या थी। वह समस्या थी मम्मी या पापा किसके साथ उसे अपना आगे का जीवन बिताना है। उसकी मम्मी अलका और पापा गौरव के बीच रोज़ होते झगड़ों के कार...
बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं...
दुनिया के इस आपाधापी में राधिका अपने आप को धकेलते हुए आगे बढती जा रही थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि किसी भी तरह उसे अपने आप को संभालते हुए आगे बढना है आत्मनिर्भर बनना है।, और अगर ऐस...
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