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अब आगे,और वो बॉडीगार्ड टाइप ड्रेस पहने हुए और कोई नही बल्कि अर्जुन का पर्सनल बॉड...
स्मृतियाँ देहरादून की सुरमई बादियों में कदम रखते ही मेरी वे सारी यादें ता...
23=== एक दिन दीना जी लॉबी में अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे न जाने क्या स...
यह कहानी रवि और काशी की है, दो दिलों की दास्तान जो बरसों से अधूरी थी। रवि, 30 सा...
मां की भावनाओं का गर्भ में बच्चे के डेवलपमेंट पर प्रभाव—संतान की प्रथम शिक्षिका...
भाषा के पूर्व छायावाद युग उपन्यासकार ,कहानीकार, कविता ,जीवनी, संस्मरण साहित्य...
1.महसूस खुद को तुझ से अलग... मैंने कभी किया ही नहीं... तू क्या जाने कोई भी लम्हा...
मैं तो ओढ चुनरिया 23 कमरे में आये हुए उसे काफी देर हो गयी थी । ज्यों ज्यों...
ये कहानी है दो ऐसे दिलो की जो मिल कर भी कभी मिल ना सके, इनकी कहानी पूरी होकर भी...
"हमारी देखा देखी मे तो यह हमारे लड़के भी डंट जाएंगे और थोड़ा और ज्यादा खाना खा ल...
कितनी भी योजनाएं बना लो, किस्मत से ज्यादा और वक्त से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता।' दीवा ने नई सोसाइटी के वेटिंग एरिया में यह लाइन पढ़ी तो वह मन ही मन गाली देते हुए आगे बढ़ गई।...
ये बात आज से बहुत पहले की है जब सामाजिक कुरीतियों और वीभत्स प्रथाओं का समय हुआ करता था। उस समय एक राज्य था नागोनी होरा, ये एक आदिवासी राज्य था यहाँ उस समय सभी प्रकार की सामाजिक कुर...
कभी कभी इन्सान अपने जीवन से विरक्त होकर इस सांसारिक जीवन से सन्यास लेकर सन्यासी बन जाता है, लेकिन क्या वो सच में इस संसार के चक्रव्यूह से निकल पाता है,शायद नहीं! क्योंकि सांसारिक ज...
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और सिर्फ़ मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई है। कहानी में दर्शाए गए पात्र , संस्थाएं और घटनाएं काल्पनिक है। इनका उपयोग दृश्यों, पात्रों और घटनाओं को न...
प्रताप गढ़ ( राजस्थान) एक आलीशान कमरे में तीन लड़की बिस्तर पर बैठी थी। तीनों ने राजस्थानी कपड़े पहने थे और तीनो बहुत ही खूबसूरत और प्यारी थी तीनो लड़कियां बीस से बाईस के बीच की...
नवंबर का दूसरा सप्ताह बस जाने ही वाला था। मौसम बहुत सुहावना हो रहा था। लेकिन मेरा मन बड़ा अशांत था। थका-थका सा, अपना स्ट्रॉली बैग खींचता हुआ ट्रेन की एक बोगी में चढ़ गया। कई सीटों पर...
'और मास्टर जी, आजकल फिर यहीं...?' चंदन ने अपनी लहराती साइकल की तेज़ रफ़्तार को जान- बूझकर ब्रेक लगाया और घंटी बजाकर मास्टर जी को जगाते हुए पूछा। जून की तपती दुपहर...
एक लड़का ,,,,एक लड़की का गला दबाते हुए,,,,उसे दीवार से लगा देता है,,,,,और गुस्से से उसे घूरते हुए ,,,,,स्नेहा तुमने सही नहीं किया ,,,,,,जब तुम्हें मुझसे प्यार था ही नहीं,,,,तो मुझस...
"तुमने कमल के पत्तों पर गिरी ओस देखी है कभी? अच्छी लगती है कितनी। है न?" नीलाभ ने पूछा। "नहीं, कभी देखी नहीं, क्योंकि वह गिरती भी है तो तुरंत फिसल जाती है। कमल के पत...
अचिन्त्य परमेश्वर की अतर्क्स लीला से त्रिगुणात्मक प्रकृति द्वारा जब सृष्टि-प्रवाह होता है तो उस समय रजोगुण से प्रेरित वे ही परब्रह्म परमात्मा सगुण होकर अवतार ग्रहण करते हैं। वस्तुत...
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