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---"शुरुआत कही से भी कर, लालच खत्म कर ही देता है। "कहने पे मत जाना, कुछ जीवन मे...
अब आगे वाइफी तुम्हारा रोना रूही गुस्से में चिल्लाई झूठ बोल रहे हो तुम तुम्हें अच...
वो परेशान था शरीर उसका सामने पड़ा था वह कुछ भी नहीं कर पा रहा था ,करता कैसे ?...
अब तक : वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो शिविका बोली " मैं संयम की जिंदगी में...
39=== डॉ.सहगल के परिवार के साथ हुई इस दुर्घटना को लगभग अब एक माह हो...
कनक टीचर का सामाजिक विज्ञान कनक टीचर मेना टीचर की तरह स्कूल में भी आते थे और ट्य...
क़ायनात में दिलों से नफ़रतों को मिटाते चलो l प्यार मोहब्बत के धर धर दिये जलाते च...
प्रकरण - ५९मुझे अब ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। मैं ऑपरेशन थियेटर में कुछ भी न...
शीर्षक - "मैजिकल वर्ल्ड"By - Shweta Pandeyरात के बारह बजे अचानक मेरी नींद खुलती...
"आप सांझ को जानते हैं क्या.." तभी अचानक से नेहा बोली तो अक्षत के चेहरे की मुस्क...
बाग़ के फल अब पकने लगे थे। लेकिन माली भी बूढ़ा होने लगा। माली तो अब भी मज़े में था, क्योंकि बूढ़ा होने की घटना कोई एक अकेले उसी के साथ नहीं घटी थी। जो उसके सामने पैदा हुए वो भी बूढ...
मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (1) ज़िंदगी यूँ हुई बसर तनहा काफिला साथ और सफर तनहा जो घर फूँके आपनो कबीर मेरे जीवन में रचे बसे थे। खाली वक्त कभी रहा नहीं। रहा भी तो कबी...
( एक )जबलपुर आते समय मन में ठंडक और बेचैनियों का एक मिला- जुला झुरमुट सा उमड़ रहा था जो मुंबई से ट्रेन में बैठते ही मंद- मंद हवा के झौंकों की तरह सहला भी रहा था और कसक भी रहा था।ईम...
13 जनवरी रुद्रपुर के एक हॉस्पिटल में मेने इस दुनिया को पहली बार देखा।बहुत यादगार था वो पल लेकिन बहुत दुखदायी भी।मेरी हालत बहुत दयनीय थी।डाक्टर्स ने मुझे एमरजेंसी वार्ड में सिफत किय...
एक ही व्यक्ति के दो किरदारों को मानना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है, यूं कहूँ तो उसके दो किरदार मै मानता ही नही । पहले किरदार मे वह लोगों मे फुट डालने की बात करता है, लोगों मे नफरत फैला...
पहला कदम बचपन की पहली याद के बारे में सोचती हूँ तो मुँह पर ठांय-से पड़े एक ज़ोरदार थप्पड़ की याद आ जाती है। इस थप्पड़ से पहले की कुछ यादें अवश्य हैं, पर वे सभी यादें धुँधली-सी हैं।...
बॉलीवुड लीजेंडस Part 1 . दादा साहब फाल्के जन्म 30 अप्रैल - 1870 , त्रयम्केश्वर ( नासिक ) , बॉम्बे ब्रिटिश इंडिया मृत्यु -16 फ़रवरी 1944 , नासिक जन्म का...
(1)यदि कल्पना या सुनी सुनाई बातों का सहारा न लेना हो तो मुझे केवल पैंसठ साल पहले की बात ही याद है। अपने देखे हुए से दृश्य लगते हैं पर धुंधले।धूप थी, रस्सी की बुनी चारपाई थी, खपरैल...
- आप बाहर बैठिए, बच्ची को क्लास में भेज दीजिए। चिंता मत कीजिए, इतनी छोटी भी नहीं है। हैड मिस्ट्रेस ने कहा। बच्ची ने हाथ हिला कर मां को "बाय" कहा और क्लास की ओर दौड़ गई। हैड...
(कैप्टन अरुण जसरोटिया, अशोक चक्र, सेना मेडल, निशाने पंजाब ) 'संत सिपाही', विरोधाभास लगता है न आप सब को, कि हिंसक - अस्त्र-शस्त्रों के साथ शत्रु संहार की शिक्षा-दीक्षा लेने...
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