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  • साथ साथ - 1

    "अब हमें भी शहर छोड़ देना चाहिएकुलदीप लौटकर आया तो पत्नी से बोला था।"क्यो?"पति की...

  • आई कैन सी यू - 21

    कहानी में अब तक हम ने पढ़ा की लूसी ने एक बेचैनी की शिद्दत वाली रात गुजारी फिर वह...

  • मोहब्बत की जीत

    गर्मियों की एक शाम थी। सूरज ढल रहा था और पूरे गांव में हल्की-सी ठंडक का एहसास हो...

  • नक़ल या अक्ल - 60

    60 सोच   निहाल ने अपन पिता से बहुत पूछा तो उनको बताना पड़ा, “उन्होंने बड़े ही आराम...

  • मैं तो श्याम रंग रांची

    गाँव के पालीवालों की वास में एक साथ उगे नीम और पीपल के पेड़ के चारों ओर एक बड़ा चौ...

  • कोमल की डायरी - 7 - फिर आऊँगा

    सातफिर आऊँगा                          इतवार, बाईस जनवरी २००६ ठंड अभी कुछ कम नहीं...

  • भय का कहर.. - भाग 6

    भय का गह्वर (एक अंतहीन अंधकार)राहुल और उसके साथियों की गुमशुदगी के बाद, गांव में...

  • We Met - 1

    एक advertisement company के एक डिपार्टमेंट में 6 एम्प्लॉय के बीच बतें हो रही थी ...

  • जीवन सरिता नोंन - १

    खण्ड काब्य-जीवन सरिता नौंन          (लवणा सरिता) ‘परोपकाराय बहन्ति नद्याः’ अर्पण...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 34

    रूही ने सारी फाइल्स समेटी और अपने केबिन में चली गई रूही भगवान जी आप मेरी मदद करन...

नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
-------...

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छुट-पुट अफसाने By Veena Vij

वक़्त की ग़र्द में लिपटा काफ़ी कुछ छूट जाता है, अगर उसे याद का जामा पहना के बांध न लिया जाए। पिछली सदी में चालीस के दशक की बातें हैं, जब मैं कुछ महीनों की थी । पापा लाहौर में उस वक...

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अक्षम्य अपराध By Rama Sharma Manavi

प्रस्तर मूर्ति के समान स्थिर बैठी दिव्या निर्निमेष,सूनी अश्रुविहीन नेत्रों से सामने की दीवार देखे जा रही थी।सफेद चेहरे पर ठहरी हुई पुतलियां इंगित कर रही थीं कि वह जीवित तो है, प...

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जिंदगी से मुलाकात By Rajshree

हा ठीक है, कल मुझे दाल सब्जी दूध लेकर आना है।अरे यार! कल तो मुझे ऑफिस के भी कपडे धोने है। इन्हे भी लिस्ट में शामिल कर लेती हुँ।अरे हा,नंदिनी के पास जो ब्लाउज सिलने को डाला था वो भी...

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ज़िन्दगी सतरंग.. By Sarita Sharma

अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जो...

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जोरावर गढ़ By Shakti Singh Negi

मैं एक लेखक हूं। मेरे लेख और कहानियां पत्र-पत्रिकाओं तथा सोशल मीडिया में प्रकाशित होते रहते हैं। अनेक पाठक - पाठिकाओं के पत्र इस संबंध में मुझे आते रहते हैं। अभी - अभी मैं सोकर...

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समर्पण. By Anubhav Pandey

आज दोपहर मैं अचानक लेटे लेटे अचानक जब मंझरी की आँख खुली तो उसने सुना की ऊपर की कमरे मैं से कुछ आवाज आ रही है औरवो आवाज धीरे धीरे तेज़ हो रही हैये इतनी तेज़ आवाज में आखिर बेटा और बहु...

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कहानी सब्जीपुर की By राज कुमार कांदु

सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने...

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र By Apoorva Singh

मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों न मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्ट...

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नूर By Priyanka Jangir

यह एक काल्पनिक कहानी है, इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं और किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इस कहानी का कोई लेना देना नहीं है, जगह का नाम, या कोई पदवी अतः सब काल्पनिक हैं।

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नि.र.स. By Rajat Singhal

नि.र.स.

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क्या तुम्हे पता है कि -
गर तुम कुछ ना कहो, ना लिखो,
ना ही मेरी हकीकत में हो,
तो मै नि.र.स. हो जाता हूँ।
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छुट-पुट अफसाने By Veena Vij

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हा ठीक है, कल मुझे दाल सब्जी दूध लेकर आना है।अरे यार! कल तो मुझे ऑफिस के भी कपडे धोने है। इन्हे भी लिस्ट में शामिल कर लेती हुँ।अरे हा,नंदिनी के पास जो ब्लाउज सिलने को डाला था वो भी...

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अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जो...

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