लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -३ By Appa Jaunjat

हमणे पिछले अध्याय मैं देखा कि शुभांगी ओर नक्ष गायब हो जाते हैं लेकिन शिवकन्या शुभांगी के बेहन मीनाक्षी के घर रहेती थी शिवकन्या का पुणा मै शो था वो जाती है वाहा Apsara Aali इस गा...

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बहुरानी By Ambika Jha

वैंपायर एक बहुरानी अजय बहुत दिनों बाद शहर से पढ़ाई करके वापस अपने गाँव आ रहा था। उसे रास्ते में ही तेज तूफान और बारिश ने घेर लिया... वह जिस बस से आ रहा था वो बस भी खराब हो गई। बस म...

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अलल – अबब By Ramesh Yadav

पाटिल नगर में एक व्यापारी रहता था। उसकी किराना माल और मिठाई की दुकान थी। स्वभाव से वह बड़ा ही धूर्त और शातिर था। उसके पास कोई नौकर अधिक दिनों तक टिकता नहीं था। या यूँ कहें कि वह टिक...

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लाल चप्पल By Archana Anupriya

"लाल चप्पल"दूर दूर तक कोई भी नहीं था। पूरी सड़क सुनसान थी।दोपहर का वक्त था और गर्मी के दिन थे। चिलचिलाती धूप में रधिया नंगे पाँव जलती हुई सड़क पर लगभग दौड़ती हुई बाजा...

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अबकी बार... लल्लन प्रधान By Bhupendra Singh chauhan

जगतपुरा....ऐसा गांव जो अब भी गांव है ।शहरों की चकाचौंध और आधुनिकता से दूर एकांत में बसे इस गांव की खूबी है कि यह अपने मे ही खुश हैं।इसकी अपनी दुनिया है।करीब...

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विवाह गौरी शंकर की By Ambika Jha

गौरी बचपन से ही शरारती थी हर बात जानने कि,सवाल जवाब करने। की आदत थी। गौरी, मां तुम ने अपनी पहली बेटी के शादी से सबक क्यों नहीं लिया। चलो जाने दो दूसरी बेटी के ससुराल के बारे मैं ज...

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प्रेमम पिंजरम By Srishtichouhan

मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे जरूर , 1946 क...

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मनहूस कौन By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के दोस्तों आज मैं आपके लिए एक ऐसी गरीब और विधवा मां और बेटे की कहानी लेकर आया हूं इस कहानी को आप अंत तक पड़ेंगे तभी शीर्षक की यथार्थता समझ पाएंगे। आइए अब...

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पढ़ेगा भारत तभी तो बढ़ेगा भारत। By jagGu Parjapati ️

?? पढ़ेगा भारत तभी तो बढ़ेगा भारत ?? "रे चंदन!!" सुबह सुबह अपने रोजमर्रा के काम पर जाते हुए चंदन और उसके आठ साल के बेटे वीरू को उनके गांव के सबसे अमीर जमींदार ने पीछे से आवाज द...

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वैंपायर एक बहुरानी By Ambika Jha

अजय बहुत दिनों बाद शहर से पढ़ाई करके वापस अपने गाँव आ रहा था। उसे रास्ते में ही तेज तूफान और बारिश ने घेर लिया... वह जिस बस से आ रहा था वो बस भी खराब हो गई। बस में बैठे सभी यात्री...

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ज़ख्‍़मी परिन्‍दा By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- ज़ख्‍़मी परिन्‍दा...

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छोड़ा हुआ आदमी By Anita Bhardwaj

"हमें तो बचपन से ही इस तिरस्कार को सहने की आदत होती है। बेटों को हमसे ज्यादा आज़ादी देकर हमारे सपनों को तिरस्कृत किया जाता है। हमें पर्दे में रहना चाहिए ये कहकर हमारी आज़ादी को तिर...

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सिनेमा घर By Ruchi Jain

एक सिनेमा घर नदी के दूसरे किनारे पर छोटी पहाड़ी पर बना हुआ था! कहते है इसे उस क्षेत्र के राजा ने बनवाया था, वह उनका निजी सिनेमा घर था! सिनेमा घर जाने के लिए नदी पर बन...

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परिणाम By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- परिणाम...

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वो क्यां था By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं। संध्या की कालीम...

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खुशियाँ लौटी By Sneh Goswami

खुशियाँ लौट आई बेशक हर तरफ उदासी बिछी पङी थी ,पर वक्त हर पल बीत रहा था । सुबह सूरज समय से उदय हो रहा था और साम को सही समय पर छिप जाता । वाणी की शादी को बारह साल बीत गए थे पर...

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स्वप्न एक वरदान By Ambika Jha

सुमन 12 साल की पढ़ी-लिखी और संस्कारी लड़की है। सहेलियों के साथ खेलना कूदना मस्ती करना उसे पसंद है । माता-पिता की लाडली परिवार में सबकी चहेती चंचल और हंसमुख हमेशा प्रसन्न रहने वाली।...

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हॉरर स्टोरी कहानी इंसाफ की By Nurussaba Nishi

इस कहानी के सभी पात्र वा घटनाएं काल्पनिक है इसका किसी व्यक्ति के निजी जीवन से कोई सम्बन्ध नही है। एक समय की बात है। नील और उसका दोस्त सूरज बात कर रहे होते हैं, कि यार...

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निर्लज्ज By रवि प्रकाश सिंह रमण

सरिता बहुत हीं प्रतिभावान लड़की थी।इधर ग्रेजुएशन का उसका रिजल्ट आया उधर एस.बी.आई से पी.ओ पद पर चयन का सूचना पत्र।पिता समझ ना सके लड़की ने इसे कैसे संभव कर दिखाया।वे स्वयं पी.डब्लू....

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और वो लौट ही आया By Mamta

और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ने पराग को कस कर पकड़ लिया ।ज़ोर ज़ोर से हंसती आस्था बहुत रोमांचित हो रही थी और पराग था कि मोटर साइकिल...

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मां आखिर मां होती है By मनिष कुमार मित्र"

नमस्कार मेरे मातृभारती के दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं, मां की कभी खत्म ना होने वाले प्यार की उसमें अपार स्नेह की ,आई अब कहानी शुरू करते हैं। म...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 7 - अंतिम भाग By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य(भाग - ७)तीनों ध्यान लगाकर एक विशेष दिन की कहानी को हृदय की गहराइयों से स्मरण करते हैं।...और मायाजाल अपना असर दिखाना शुरू करता है।कुछ समय पश्चात...उन तीनो...

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परोपकार By Rajesh Maheshwari

परोपकार बांधवगढ़ के जंगल में एक शेर एवं एक बंदर की मित्रता की कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा...

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आख़िरी मुलाक़ात।️ By jagGu Parjapati ️

"तो तुम भी यही मानती हो कि ये सब हमारी वजह से हुआ है ??" "हां बिल्कुल क्यूं नहीं और सच मानने या ना मानने से बदल नहीं जाता और इन सब की वजह तुम हो, ये भी एक सच है।" "तुम इतने यकीन से...

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मुठ्ठी भर एहसान By Meenakshi Singh

आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते ही दीप्ति का माथा ऐसे छनका, जैसे गर्म तवा पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहाँ थी तीन दिन ? बताकर तो जाना चाहिए था !"...

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पछतावा By Anita Bhardwaj

सुनिए ये एड्रेस बता सकेंगी। एक अजनबी की आवाज़ आयी और गेट खोलते हुए ही उसने पीछे मुड़ कर देखा, ये तो सुबोध ही उसके सामने खड़ा था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। फिर अचानक खुद को...

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दिवाली By रामानुज दरिया

घना अंधेरा था, हवा के तेज सायं सायं चलने कीआवाज़ उस छोटी सी खिड़की से आ रही थी जिसपे अभी तक पल्ला नहीं लग पाया था। दीपक की रोशनी से पूरा घर रोशन था हर जगह पर , कोई कोना तक बचा नहीं थ...

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शराबी की आत्मकथा (व्यंग्य) By Alok Mishra

शराबी की आत्मकथा हाँ मैं शराबी हूँ। लेकिन आप ये भी तो सोचो कि कोई आदमी जन्म से शराबी नहीं होता। बस मैं भी जन्म से शराबी तो था नहीं, बस बनते-बनते बन गया। आपने अनेकों महान ल...

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सौतेला भाई... By निशा शर्मा

जच्चा ननदी बुलाया करो, ननदी बिन शोभा नहीं चाहे लाख व्यवहार करो ! आज शर्मा जी का पूरा घर मंगल गीतों से गूंज रहा था। अरे कमला चलो ये तुमनें बहुत अच्छा किया कि सत्यनारायण भगवान की कथा...

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हवस का आतंक By Dhaval Trivedi

हवस का आतंक नमस्कार दोस्तों!! आतंक शब्द सुनते ही आपके जहन में क्या आता है? मेरे विचार से सबसे पहले आपके दिमाग में आजतक जितने भी आतंकी हमले पूरी दुनिया में किए या करवाए गए है वही आत...

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कुंठित मानसिकता By रामानुज दरिया

मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते हैं और ओ जब जिससे चाहे उससे बात करे , जहां जिसके साथ चाहे घूमे टहले , ओ आधी रात को आय...

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मित्रता By shelley khatri

प्रिया का फोन बंद ही आ रहा था। तीन चार बार फोन लगाने के बाद चिंता होने लगी, पता नहीं क्या बात है जो उसने फोन नहीं उठाया। कुछ सोचकर तनु ने, उसे टेक्स्ट और वाट्सएप पर मैसेज भेजा- ‘तु...

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क्या हमारी भी आजादी आएगी By अर्चना यादव

चार तो देखो झूल गएक्या बाकियों की बारी भी आएगीजिस सम्मान की नारी लड़ रहीक्या वो सम्मान कभी भी पाएगी...?लड़ाई है सम्मान कीअस्तित्व की, पहचान कीजो दरिंदे खुले में घूम रहेउससे खुद के...

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - (अंतिम भाग) By आशा झा Sakhi

अंशिका के मुँह से शुभी के आने की बात सुन धवल व सुमन दोनों की ही नजर दरवाजे पर गयी। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा ,जब शुभी को सच में दरवाजे पर खड़ा पाया।सुमन ने तो भागकर शुभी को गले ही...

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व्यथा By Shweta Srivastava

लक्ष्मी को समझ नही आ रहा था कि वो हंसे या रोये। उसकी सहेलियां उसको बार बार एहसास दिल रही थीं कि उस से ज़्यादा भाग्यशाली कोई लड़की नही गाँव मे क्योंकि उसको ठाकुर साहब ने पसन्द किया था...

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प्लीज़, मानव को मानव ही रहने दें By Annada patni

अन्नदा पाटनी उफ़ ! बारह बज गए । जल्दी जल्दी खाना मेज़ पर लगाओ नहीं तो सुनना पड़ जायेगा," खाना भी टाइम से नहीं लगा सकते हो । यह नहीं सोचते कि खाने के बाद मैं आधा घंटा आराम कर लूँ ऑफ...

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देश और धर्म के परे By Laiba Hasan

करीब चार साल पहले की बात है मैं अपनी फैमिली के साथ अजमेर शरीफ से वापस लौट रही थी। बारह बजे अजमेर सियालदह ट्रेन आई और हम सब उसमें चढ़ गए। मम्मी ने टिकट पहले से ही हाथ में लिया हुआ था...

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अभिव्यक्ति - शाम और युवक By Yatendra Tomar

यह शाम भी बीती पिछली दो शामो की तरह ही उमस भरी थी। इसी उमस भरी शाम में एक युवक अपने घर की छत के पिछले हिस्से पर पड़ी हुई एक पुरानी बैंच पर बैठा हुआ था, बैंच का एक पैर कुछ छोटा था ज...

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नया दोस्त By Shubham Rawat

दो मंजिला मकान जिसमे दस कमरे हैं। दो कमरे सबसे नीजे, चार कमरे पहली मंजिल पे और चार कमरे दूसरी मंजिल पे। और इन सब कमरों पे केवल किरायेदार रहते हैं। जो यहां रहने का हर महीने मकान-माल...

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मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा By निशा शर्मा

अरे ये क्या हुआ आपके पैर में और आप लंगड़ाकर क्यों चल रहे हैं ? अरे कुछ नहीं बस मामूली सी खरोंच है और तुम तो कुछ ज्यादा ही चिंता करती हो शोभा ! अच्छा, मैं ज्यादा चिंता करती हूँ तो फि...

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मेरी बेटी जिंदा है... By Smita

'मेरी बेटी मुझे नहीं, औरों को तो अपनी आंखों से देख रही है। वह जिंदा है। उसने मृत्यु का वरण किया दूसरे का भला कर..।' वंदना ने पति सुकेश से धीरे से कहा। ' हां तुमने सच...

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My Hopes for Life - My Friends By Rutvik Wadkar

With this life nowadays, I just realised that after my school life, my friends are decreased. I have selective people to whom I like. I also realised that these are those friends,...

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नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -३ By Appa Jaunjat

हमणे पिछले अध्याय मैं देखा कि शुभांगी ओर नक्ष गायब हो जाते हैं लेकिन शिवकन्या शुभांगी के बेहन मीनाक्षी के घर रहेती थी शिवकन्या का पुणा मै शो था वो जाती है वाहा Apsara Aali इस गा...

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बहुरानी By Ambika Jha

वैंपायर एक बहुरानी अजय बहुत दिनों बाद शहर से पढ़ाई करके वापस अपने गाँव आ रहा था। उसे रास्ते में ही तेज तूफान और बारिश ने घेर लिया... वह जिस बस से आ रहा था वो बस भी खराब हो गई। बस म...

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अलल – अबब By Ramesh Yadav

पाटिल नगर में एक व्यापारी रहता था। उसकी किराना माल और मिठाई की दुकान थी। स्वभाव से वह बड़ा ही धूर्त और शातिर था। उसके पास कोई नौकर अधिक दिनों तक टिकता नहीं था। या यूँ कहें कि वह टिक...

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लाल चप्पल By Archana Anupriya

"लाल चप्पल"दूर दूर तक कोई भी नहीं था। पूरी सड़क सुनसान थी।दोपहर का वक्त था और गर्मी के दिन थे। चिलचिलाती धूप में रधिया नंगे पाँव जलती हुई सड़क पर लगभग दौड़ती हुई बाजा...

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अबकी बार... लल्लन प्रधान By Bhupendra Singh chauhan

जगतपुरा....ऐसा गांव जो अब भी गांव है ।शहरों की चकाचौंध और आधुनिकता से दूर एकांत में बसे इस गांव की खूबी है कि यह अपने मे ही खुश हैं।इसकी अपनी दुनिया है।करीब...

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विवाह गौरी शंकर की By Ambika Jha

गौरी बचपन से ही शरारती थी हर बात जानने कि,सवाल जवाब करने। की आदत थी। गौरी, मां तुम ने अपनी पहली बेटी के शादी से सबक क्यों नहीं लिया। चलो जाने दो दूसरी बेटी के ससुराल के बारे मैं ज...

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प्रेमम पिंजरम By Srishtichouhan

मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही हूं , यह डायरी जिसमें तुमसे जुड़ी हर बात लिखते ही जा रही , मुझे यकीन है कि तुम आओगे जरूर , 1946 क...

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मनहूस कौन By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के दोस्तों आज मैं आपके लिए एक ऐसी गरीब और विधवा मां और बेटे की कहानी लेकर आया हूं इस कहानी को आप अंत तक पड़ेंगे तभी शीर्षक की यथार्थता समझ पाएंगे। आइए अब...

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वैंपायर एक बहुरानी By Ambika Jha

अजय बहुत दिनों बाद शहर से पढ़ाई करके वापस अपने गाँव आ रहा था। उसे रास्ते में ही तेज तूफान और बारिश ने घेर लिया... वह जिस बस से आ रहा था वो बस भी खराब हो गई। बस में बैठे सभी यात्री...

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ज़ख्‍़मी परिन्‍दा By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- ज़ख्‍़मी परिन्‍दा...

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छोड़ा हुआ आदमी By Anita Bhardwaj

"हमें तो बचपन से ही इस तिरस्कार को सहने की आदत होती है। बेटों को हमसे ज्यादा आज़ादी देकर हमारे सपनों को तिरस्कृत किया जाता है। हमें पर्दे में रहना चाहिए ये कहकर हमारी आज़ादी को तिर...

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सिनेमा घर By Ruchi Jain

एक सिनेमा घर नदी के दूसरे किनारे पर छोटी पहाड़ी पर बना हुआ था! कहते है इसे उस क्षेत्र के राजा ने बनवाया था, वह उनका निजी सिनेमा घर था! सिनेमा घर जाने के लिए नदी पर बन...

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परिणाम By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- परिणाम...

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वो क्यां था By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं। संध्या की कालीम...

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खुशियाँ लौटी By Sneh Goswami

खुशियाँ लौट आई बेशक हर तरफ उदासी बिछी पङी थी ,पर वक्त हर पल बीत रहा था । सुबह सूरज समय से उदय हो रहा था और साम को सही समय पर छिप जाता । वाणी की शादी को बारह साल बीत गए थे पर...

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स्वप्न एक वरदान By Ambika Jha

सुमन 12 साल की पढ़ी-लिखी और संस्कारी लड़की है। सहेलियों के साथ खेलना कूदना मस्ती करना उसे पसंद है । माता-पिता की लाडली परिवार में सबकी चहेती चंचल और हंसमुख हमेशा प्रसन्न रहने वाली।...

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हॉरर स्टोरी कहानी इंसाफ की By Nurussaba Nishi

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निर्लज्ज By रवि प्रकाश सिंह रमण

सरिता बहुत हीं प्रतिभावान लड़की थी।इधर ग्रेजुएशन का उसका रिजल्ट आया उधर एस.बी.आई से पी.ओ पद पर चयन का सूचना पत्र।पिता समझ ना सके लड़की ने इसे कैसे संभव कर दिखाया।वे स्वयं पी.डब्लू....

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और वो लौट ही आया By Mamta

और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ने पराग को कस कर पकड़ लिया ।ज़ोर ज़ोर से हंसती आस्था बहुत रोमांचित हो रही थी और पराग था कि मोटर साइकिल...

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मां आखिर मां होती है By मनिष कुमार मित्र"

नमस्कार मेरे मातृभारती के दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं, मां की कभी खत्म ना होने वाले प्यार की उसमें अपार स्नेह की ,आई अब कहानी शुरू करते हैं। म...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 7 - अंतिम भाग By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य(भाग - ७)तीनों ध्यान लगाकर एक विशेष दिन की कहानी को हृदय की गहराइयों से स्मरण करते हैं।...और मायाजाल अपना असर दिखाना शुरू करता है।कुछ समय पश्चात...उन तीनो...

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परोपकार By Rajesh Maheshwari

परोपकार बांधवगढ़ के जंगल में एक शेर एवं एक बंदर की मित्रता की कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा...

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आख़िरी मुलाक़ात।️ By jagGu Parjapati ️

"तो तुम भी यही मानती हो कि ये सब हमारी वजह से हुआ है ??" "हां बिल्कुल क्यूं नहीं और सच मानने या ना मानने से बदल नहीं जाता और इन सब की वजह तुम हो, ये भी एक सच है।" "तुम इतने यकीन से...

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मुठ्ठी भर एहसान By Meenakshi Singh

आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते ही दीप्ति का माथा ऐसे छनका, जैसे गर्म तवा पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहाँ थी तीन दिन ? बताकर तो जाना चाहिए था !"...

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पछतावा By Anita Bhardwaj

सुनिए ये एड्रेस बता सकेंगी। एक अजनबी की आवाज़ आयी और गेट खोलते हुए ही उसने पीछे मुड़ कर देखा, ये तो सुबोध ही उसके सामने खड़ा था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। फिर अचानक खुद को...

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दिवाली By रामानुज दरिया

घना अंधेरा था, हवा के तेज सायं सायं चलने कीआवाज़ उस छोटी सी खिड़की से आ रही थी जिसपे अभी तक पल्ला नहीं लग पाया था। दीपक की रोशनी से पूरा घर रोशन था हर जगह पर , कोई कोना तक बचा नहीं थ...

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शराबी की आत्मकथा (व्यंग्य) By Alok Mishra

शराबी की आत्मकथा हाँ मैं शराबी हूँ। लेकिन आप ये भी तो सोचो कि कोई आदमी जन्म से शराबी नहीं होता। बस मैं भी जन्म से शराबी तो था नहीं, बस बनते-बनते बन गया। आपने अनेकों महान ल...

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सौतेला भाई... By निशा शर्मा

जच्चा ननदी बुलाया करो, ननदी बिन शोभा नहीं चाहे लाख व्यवहार करो ! आज शर्मा जी का पूरा घर मंगल गीतों से गूंज रहा था। अरे कमला चलो ये तुमनें बहुत अच्छा किया कि सत्यनारायण भगवान की कथा...

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हवस का आतंक By Dhaval Trivedi

हवस का आतंक नमस्कार दोस्तों!! आतंक शब्द सुनते ही आपके जहन में क्या आता है? मेरे विचार से सबसे पहले आपके दिमाग में आजतक जितने भी आतंकी हमले पूरी दुनिया में किए या करवाए गए है वही आत...

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कुंठित मानसिकता By रामानुज दरिया

मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते हैं और ओ जब जिससे चाहे उससे बात करे , जहां जिसके साथ चाहे घूमे टहले , ओ आधी रात को आय...

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मित्रता By shelley khatri

प्रिया का फोन बंद ही आ रहा था। तीन चार बार फोन लगाने के बाद चिंता होने लगी, पता नहीं क्या बात है जो उसने फोन नहीं उठाया। कुछ सोचकर तनु ने, उसे टेक्स्ट और वाट्सएप पर मैसेज भेजा- ‘तु...

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क्या हमारी भी आजादी आएगी By अर्चना यादव

चार तो देखो झूल गएक्या बाकियों की बारी भी आएगीजिस सम्मान की नारी लड़ रहीक्या वो सम्मान कभी भी पाएगी...?लड़ाई है सम्मान कीअस्तित्व की, पहचान कीजो दरिंदे खुले में घूम रहेउससे खुद के...

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - (अंतिम भाग) By आशा झा Sakhi

अंशिका के मुँह से शुभी के आने की बात सुन धवल व सुमन दोनों की ही नजर दरवाजे पर गयी। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा ,जब शुभी को सच में दरवाजे पर खड़ा पाया।सुमन ने तो भागकर शुभी को गले ही...

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व्यथा By Shweta Srivastava

लक्ष्मी को समझ नही आ रहा था कि वो हंसे या रोये। उसकी सहेलियां उसको बार बार एहसास दिल रही थीं कि उस से ज़्यादा भाग्यशाली कोई लड़की नही गाँव मे क्योंकि उसको ठाकुर साहब ने पसन्द किया था...

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प्लीज़, मानव को मानव ही रहने दें By Annada patni

अन्नदा पाटनी उफ़ ! बारह बज गए । जल्दी जल्दी खाना मेज़ पर लगाओ नहीं तो सुनना पड़ जायेगा," खाना भी टाइम से नहीं लगा सकते हो । यह नहीं सोचते कि खाने के बाद मैं आधा घंटा आराम कर लूँ ऑफ...

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देश और धर्म के परे By Laiba Hasan

करीब चार साल पहले की बात है मैं अपनी फैमिली के साथ अजमेर शरीफ से वापस लौट रही थी। बारह बजे अजमेर सियालदह ट्रेन आई और हम सब उसमें चढ़ गए। मम्मी ने टिकट पहले से ही हाथ में लिया हुआ था...

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अभिव्यक्ति - शाम और युवक By Yatendra Tomar

यह शाम भी बीती पिछली दो शामो की तरह ही उमस भरी थी। इसी उमस भरी शाम में एक युवक अपने घर की छत के पिछले हिस्से पर पड़ी हुई एक पुरानी बैंच पर बैठा हुआ था, बैंच का एक पैर कुछ छोटा था ज...

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नया दोस्त By Shubham Rawat

दो मंजिला मकान जिसमे दस कमरे हैं। दो कमरे सबसे नीजे, चार कमरे पहली मंजिल पे और चार कमरे दूसरी मंजिल पे। और इन सब कमरों पे केवल किरायेदार रहते हैं। जो यहां रहने का हर महीने मकान-माल...

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मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा By निशा शर्मा

अरे ये क्या हुआ आपके पैर में और आप लंगड़ाकर क्यों चल रहे हैं ? अरे कुछ नहीं बस मामूली सी खरोंच है और तुम तो कुछ ज्यादा ही चिंता करती हो शोभा ! अच्छा, मैं ज्यादा चिंता करती हूँ तो फि...

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मेरी बेटी जिंदा है... By Smita

'मेरी बेटी मुझे नहीं, औरों को तो अपनी आंखों से देख रही है। वह जिंदा है। उसने मृत्यु का वरण किया दूसरे का भला कर..।' वंदना ने पति सुकेश से धीरे से कहा। ' हां तुमने सच...

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My Hopes for Life - My Friends By Rutvik Wadkar

With this life nowadays, I just realised that after my school life, my friends are decreased. I have selective people to whom I like. I also realised that these are those friends,...

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