लघुकथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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जिंदगी - 2 By Jay Khavada

ए कहानी उस कहानी से थोड़ी सी अलग ही हे । किसी शहर में दो भाई रहते थे। उनमें से एक शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन था तो दूसरा निठल्ला और शराबी था। लोगों को उन्हें देखकर हैरत होती थी कि...

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प्रेमम पिंजरम - 4 By Srishtichouhan

12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा भ्रम है कि तुम सच मूूच में आ रहे हो? सच में! मतलब क्या यह बात सच है कि माधव...

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मेरी नजर से देखो - भाग 2 - दोगुनी आय से मुनाफा बहुत है। By Rajat Singhal

...कि अचानक पास ही चल रहे टेलिविजन पर एक सरकारी अधिकारी की मौत की खबर सुनी, किसी माफियों का काम लगता है। मगर मुझे तो मालूम था कि पीछे कौन- सा माफिया है? ओर ये सोचते- सोचते मै अपने...

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तोहफा By Heena_Pathan

बाते करे तोहफे की तो हम कुछ तोहफे याद के लिए तो कुछ रिवाज समझकर देते है ! पुराने ज़माने में जहा सिर्फ शादियों और जनम दिन की पार्टियों में गिफ्ट देने का कल्चर था, आजकल गृहप्रवेश से...

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नागिन का इंतकाम - 4 By Appa Jaunjat

पिछले अध्याय मैं हमणे देखा कि नंदिनी फिरसे अपनी काहानी लिखणे जा रही है और वो फिरसे पुनर्जन्म लेने वाली हे तो अब हम काहाणी शुरू करते हे एक लडकी काॅलेज जाती हे और तब उसकी दोस्त बोलती...

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नौकरानी की बेटी By Missamittal

देखा मम्मी जी आज फिर कमला काम पर नहीं आई , अब इसका रोज-रोज का हो गया है एक दिन आती है एक दिन आती नहीं , मिसेज शर्मा की बहू ने गुस्से में आते हुए ,मिसेज शर्मा से कहा ""वह आगे कुछ बो...

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एक और अफसोस By Kamal Maheshwari

लघु कथाकहानीकार - कमल माहेश्वरीशीर्षक- एक और अफसोस पिताजी सरकारी नौकरी में थे, उस दिन वह किसी प्रोजेक्ट पर बड़े ध्यान से कार्य कर रहे थे । मैं और मेरी छोटी बहन मस्ती में इतने डूब...

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भाग रहीं हूं, मैं By सीमा कपूर

_*_*_*_*_*मैं सीमा कपूर भाग रहीं हूं ,आखि़र किससेशायद अपने आप से/शायद अपने डर से/ या फिर यह कहलो अपनो की इमोशनल ब्लैक मेलिंग से।थक चुकी हूं,हार महसूस कर रही हूंं,जीना चाहती हूं,खुल...

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भूख : एक व्यथा By Ganesh

भूख, ये ऐसा शब्द है जो अमीर के लिए कुछ भी नही है, परंतु गरीब किए सब कुछ है। वो इसके लिए जीता है, इसके लिए ही काम करता है। भूख अमीर लोगो किए महज दो टाइम का खाना जैसा है। गरीब इसी भू...

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प्रेम का उदय By Kumar Kishan Kirti

पत्नी उदास बैठी है. मन ही मन कुढ़ रही है और अपने पति पर गुस्सा कर रही है. गलती उसी की है, जो एक शायर और लेखक से प्रेम विवाह कर ली हैक्या जरूरत थीउस को इतनी ज्यादा आशा रखने की अपन...

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मैं कब गलत थी ? By S Sinha

अक्सर औरत को जीवन में मजबूर हो कर हालात से समझौता करना पड़ता है , कभी ख़ुशी से तो कभी मजबूरी से …. कहानी - मैं कब गलत थी ? वह एक दिवाली की रात थी...

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आदमखोर By sudha bhargava

कहानी /सुधा भार्गव आदमखोर “हा--–हा-- घबरा गए मुझे देखकर । हाँ !हाँ मैं आदमखोर हूँ । किसे –किसे मारोगे ?कुछ दिनों पहने एक हाथी को गोली मार दी थी । परसों एक चीते को फांसी की स...

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पोशाक By Geeta Kaushik Ratan

रतन घर का सबसे बड़ा बेटा और घर-परिवार में सबका लाड़ला भी था। पिताजी गाँव के लम्बरदार थे, इसीलिए अपनी ज़मीनों के सिलसिले में वे अक्सर व्यस्त ही रहते। रुतबे पैसे के साथ-साथ आसपास के...

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यह भी खूब रही By S Sinha

कहानी - यह भी खूब रही ¨ भरता , तेरी भाभी बोल रही है अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए . ये रोज रोज होटल का खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है . भाभी ने...

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मेरा पहला मोबाइल फोन By Shivani M.R.Joshi

यह कहानी बहुत ही रोमांचित है इसमें किसी पात्र या फिर किसी का कोई जिक्र नहीं बस एक खुशी का जिक्र है हम सब यह जानते हैं कि हमारी जिंदगी का पहला फोन हमारे लिए कितनी खुशियां लाता है म...

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बबली By Geeta Kaushik Ratan

"बबली" मायके की दहलीज पार करते समय माँ-पिताजी की दुआओं में लिपटी ढेर सारी नसीहतों को अपने साथ लेकर गरिमा ने ससुराल में प्रवेश किया और परम्परानुसार मंगल गीत-संगीत के वातावरण में अपन...

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भीडतंत्र By Rajesh Maheshwari

भीडतंत्र एक पाठशाला में प्रधानाचार्य महोदय प्रतिदिन छात्रों को शाला छूटने के बाद एक कहानी सुनाते थे। इससे छात्रों को मनोरंजन के साथ साथ सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के व...

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व्हील-चेअर By Geeta Kaushik Ratan

"गौरी, मेरी गाड़ी सर्विस के लिए गई हुई है और आज ही मेरा डाक्टर का अपॉइंटमेंट भी है। प्लीज, तुम मेरे साथ चली चलो।" फ़ोन पर गौरी का हाल-ख़बर ले, दीवी ने थोड़े संकुचित भाव में पूछ ही...

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घर कब आओगे By नवीन एकाकी

सांसे टूट रही थी, धड़कन भी धीरे धीरे रुकने लगी थी। पूरे शरीर लहूलुहान था। दुश्मन की गोलियों ने उसके शरीर को छलनी कर दिया था। वो ज़मीन में गिरा पड़ा था।उसके अगल बगल उसके साथियों की लाश...

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बचपन By राज कुमार कांदु

वो शब्द जिसका बहुत ही बढ़िया विश्लेषण एक लोकप्रिय फ़िल्मी गीत में किया गया है । गीत के बोल हैं…' बचपन हर गम से बेगाना होता है …होता है ..इसीलिए तो खुशियों का खजाना होता है बचपन ह...

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श्री गाली कथा By Amulya Sharma

"श्री गाली कथा " कभी कभी मै इस सोच में पड़ जाता हूँ की आखिरकार गालियों का उद्भव कब और कहाँ हुआ होगा ?कौन होगा वह वयक्ति , जिसने सबसे पहले गाली दी होगी? अपनी इस जिज्ञासा को शांत करन...

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दिलसे प्यार तक - भाग-२ By Appa Jaunjat

काहाणी शुरु करते हे हमणे पिछले अध्याय मैं देखा कि मानसी पोलिस बन जाती है तब शुभम बोलता हे मानसी तुमणे तुम्हारी मा का सपना पुरा कर दिया लेकिन मेरी और एक काम बाकी है तुम्हारी शादी त...

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तीन बत्ती चार रास्ता By S Sinha

कहानी - तीन बत्ती चार रास्ता कमला ने अपने पति से पूछा “ ये सुखिया दो दिन से...

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प्यार है वो जिंदगी नहीं By Mitu Gojiya

प्यार है वो जिंदगी नहीं हा बिलकुल सही पढ़ा आपने आज कल प्यार सबको होता है किसी को एक तरफा तो किसी को दोनों तरफा मिल जाता है आपने बहुत बार अपने दोस्तों को या किसी और से सुना होगा की...

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प्यार का नशा By Kishanlal Sharma

प्यार का नशा--------------//////------रमा अमीर बाप की बेटी थी।रमेश छोटा सा सरकारी नौकर।रमा ,रमेश की सादगी और व्यक्तित्व पर ऐसी मोहित हुई कि माँँबाप के न चाहने पर भी उसने उ...

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मेरी कहानी मेरी जुबानी By Deepak Pradhan

मै दीपक प्रधान मेरा जन्म 1जुलाई1993 में मध्यप्रदेश के धार जिले के धामनोद शहर में हुआ था। मैं एक साधारण परिवार का सदस्य हूँ, हम परिवार में कुल 5 सदस्य थे पापा का नाम जगदीश प्रधान मा...

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पापा एक चमकता हुआ सितारा By shama parveen

पापा जो हर एक बच्चे के सुपर हीरो होते हैं. हर बच्चा अपने पापा को सुपर हीरो मानता है. बच्चो को लगता है कि जब हमारे पास पापा होते हैं तो दुनिया की कोई भी परेशानी हम पर नहीं आ सकती है...

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એક ટેબલની આત્મકથા By NIKETA SHAH

ખૂણાંમાં મૂકી રાખ્યું છે, મને કારણ કે ઉંમરથઈ જવાને લીધે મારો વપરાશ હવે શક્ય નથી. યુવાનીમાં બહુ સાથ આપ્યો છે મે મારા ઘરના દરેક સભ્યનો. દરેકનો બોજો ઉઠાવ્યો છે મેં મારા પર. દરેક સભ્યન...

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दिलसे रिशता By Appa Jaunjat

काहाणी शुरु करते हे . शिवांगी को बच्ची होती हे तब शिवांगी मर जाती हे तब उसका असली नाम राधा था तब दिपक बोलता हे राधा तब वो भी मर जाता है तब राधा टिव्ही मे काम करती थी तब उसे वीर से...

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तिकड़मबाज बहु By Saroj Prajapati

संडे का दिन था। लंच करते ही प्रिया ने फटाफट डाइनिंग टेबल समेटा और अंदर से लूडो उठा लाई।"अरे, यह क्या बहु , लूडो ! कौन खेलेगा इसे !" "हम सब खेलेंगे मम्मी जी!!" "हम सब !!!" प्रिया...

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चुनिंदा लघुकथाएँ - भाग 2 - 4 - अंतिम भाग By Lajpat Rai Garg

16 निरुत्तर सात-आठ वर्षीय सुमी अपनी मम्मी संग गर्मियों की छुट्टियों में अपनी ननिहाल आया हुआ था। बीस-बाईस वर्षीय नीतीश बेड पर बैठा टेलीविजन देख रहा था। सुमी बेडरूम में आया और बोला -...

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चाय की खुशबू By Anita Sinha

चाय की खुशबू से ही चाय के जायके का पता लग जाता है। सुबह होते ही चाय की तलब महसूस होती है। आलस आती है थोड़ी देर बाद बनाऊंगी चाय। मगर चाय तो चाय है। वो भी अदरख वाली चाय जिसके जायके क...

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इस बरस के आम By Renu Hussain

चलो शुक्र है पापा घर आ गए, अब उनसे मिलने अस्पताल नहीं जाना होगा.....बहुत कष्ट झेला है वेंटिलेटर पर उन्होंने....उफ्फ...!! सारे शरीर पर इंजेक्शन ही इंजेक्शन.....वैसे वेंटिलेटर से बाह...

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रात का खेल चले भाग-३ By Appa Jaunjat

हमणे देखा कि कोइ तो बोलता हे मे अवोगा तो चलो देखे क्या होता है एक गाव मे दो पती पत्नी जा रहे थे तबी एक आदमी बोलता हे कहा जाना है तब वो बोलते है पुणे तब रस्ते पे पोस्टर लगे थे कि रा...

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जब ही मेट मौसी By S Sinha

कहानी - जब ही मेट मौसी प्रकृति की लीला भी कभी समझ से परे होती है . एक ही माँ के गर्भ से एक ही समय जन्मे जुड़वाँ संतानों में कितनी...

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एनकाउंटर By Satyadeep Trivedi

सँझवाती का समय है। बाज़ार में घुसने से पहले एक मोड़ पड़ता है, उस मोड़ पर पैंतालीस-छियालीस साल की एक औरत; एक टोकरी में तरकारी बेच रही है। औरत का बदनदेहाती क़िस्म का है- भरा-भरा सा। रंग क...

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बालू और पत्थर By Anita Sinha

जब भी हम बालू और पत्थर के विषय पर गौर करते हैं तो पाते हैं कि बालू और पत्थर आपस में नहीं मिलते हैं। जब भी घर के पास बालू का ट्रक आता तो मैं दौड़कर देखने जाती ‌। ‌ बचपन की बाते...

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छोटी कहानियां By नवीन एकाकी

दो जिस्म एक जानचाचा जलेबी खानी है... तो खा ले बेटा... पर मेरे पास आज पैसे नही तो कल दे देना... हम्म्म्म...ठीक है चाचा, कल पैसे दे दूंगी। ठीक है बिटिया, ले खा ले...! जलेबी खा कर वो...

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अधूरा सौदा By राज कुमार कांदु

अधूरा सौदा अमर औसत कद काठी का आकर्षक नवयुवक था। वह एक निजी कंपनी में जूनियर एग्जीक्यूटिव के पद पर तैनात था। उसकी ऑफिस हेड रुबिका मैडम एक अधेड़ आधुनिक महिला थी। वह अपने मातहतों से रू...

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अबकी बार... लल्लन प्रधान - 5 - (अंतिम भाग) By Bhupendra Singh chauhan

नाहर अपनी जीत में सबसे बड़ा रोड़ा लल्लन को मानते थे।चुनावी पंडितों द्वारा भी यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस वर्ष का चुनाव नाहर बनाम लल्लन होगा।मलिनपुरा...

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चाय पीजिए जरुर By Anita Sinha

कडाके की ठंड में चाय पीने से शीत लहर से बचाव होता है चाय स्फूर्ति दायक है। खाली पेट चाय पीना हानिकारक है. चाय की खुशबू इसका जायका है.चाय लोकप्रिय पेय है. चाय पत्ती देख भाल कर खरीदे...

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जिंदगी - 2 By Jay Khavada

ए कहानी उस कहानी से थोड़ी सी अलग ही हे । किसी शहर में दो भाई रहते थे। उनमें से एक शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन था तो दूसरा निठल्ला और शराबी था। लोगों को उन्हें देखकर हैरत होती थी कि...

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प्रेमम पिंजरम - 4 By Srishtichouhan

12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा भ्रम है कि तुम सच मूूच में आ रहे हो? सच में! मतलब क्या यह बात सच है कि माधव...

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मेरी नजर से देखो - भाग 2 - दोगुनी आय से मुनाफा बहुत है। By Rajat Singhal

...कि अचानक पास ही चल रहे टेलिविजन पर एक सरकारी अधिकारी की मौत की खबर सुनी, किसी माफियों का काम लगता है। मगर मुझे तो मालूम था कि पीछे कौन- सा माफिया है? ओर ये सोचते- सोचते मै अपने...

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तोहफा By Heena_Pathan

बाते करे तोहफे की तो हम कुछ तोहफे याद के लिए तो कुछ रिवाज समझकर देते है ! पुराने ज़माने में जहा सिर्फ शादियों और जनम दिन की पार्टियों में गिफ्ट देने का कल्चर था, आजकल गृहप्रवेश से...

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नागिन का इंतकाम - 4 By Appa Jaunjat

पिछले अध्याय मैं हमणे देखा कि नंदिनी फिरसे अपनी काहानी लिखणे जा रही है और वो फिरसे पुनर्जन्म लेने वाली हे तो अब हम काहाणी शुरू करते हे एक लडकी काॅलेज जाती हे और तब उसकी दोस्त बोलती...

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नौकरानी की बेटी By Missamittal

देखा मम्मी जी आज फिर कमला काम पर नहीं आई , अब इसका रोज-रोज का हो गया है एक दिन आती है एक दिन आती नहीं , मिसेज शर्मा की बहू ने गुस्से में आते हुए ,मिसेज शर्मा से कहा ""वह आगे कुछ बो...

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एक और अफसोस By Kamal Maheshwari

लघु कथाकहानीकार - कमल माहेश्वरीशीर्षक- एक और अफसोस पिताजी सरकारी नौकरी में थे, उस दिन वह किसी प्रोजेक्ट पर बड़े ध्यान से कार्य कर रहे थे । मैं और मेरी छोटी बहन मस्ती में इतने डूब...

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भाग रहीं हूं, मैं By सीमा कपूर

_*_*_*_*_*मैं सीमा कपूर भाग रहीं हूं ,आखि़र किससेशायद अपने आप से/शायद अपने डर से/ या फिर यह कहलो अपनो की इमोशनल ब्लैक मेलिंग से।थक चुकी हूं,हार महसूस कर रही हूंं,जीना चाहती हूं,खुल...

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भूख : एक व्यथा By Ganesh

भूख, ये ऐसा शब्द है जो अमीर के लिए कुछ भी नही है, परंतु गरीब किए सब कुछ है। वो इसके लिए जीता है, इसके लिए ही काम करता है। भूख अमीर लोगो किए महज दो टाइम का खाना जैसा है। गरीब इसी भू...

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प्रेम का उदय By Kumar Kishan Kirti

पत्नी उदास बैठी है. मन ही मन कुढ़ रही है और अपने पति पर गुस्सा कर रही है. गलती उसी की है, जो एक शायर और लेखक से प्रेम विवाह कर ली हैक्या जरूरत थीउस को इतनी ज्यादा आशा रखने की अपन...

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मैं कब गलत थी ? By S Sinha

अक्सर औरत को जीवन में मजबूर हो कर हालात से समझौता करना पड़ता है , कभी ख़ुशी से तो कभी मजबूरी से …. कहानी - मैं कब गलत थी ? वह एक दिवाली की रात थी...

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आदमखोर By sudha bhargava

कहानी /सुधा भार्गव आदमखोर “हा--–हा-- घबरा गए मुझे देखकर । हाँ !हाँ मैं आदमखोर हूँ । किसे –किसे मारोगे ?कुछ दिनों पहने एक हाथी को गोली मार दी थी । परसों एक चीते को फांसी की स...

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पोशाक By Geeta Kaushik Ratan

रतन घर का सबसे बड़ा बेटा और घर-परिवार में सबका लाड़ला भी था। पिताजी गाँव के लम्बरदार थे, इसीलिए अपनी ज़मीनों के सिलसिले में वे अक्सर व्यस्त ही रहते। रुतबे पैसे के साथ-साथ आसपास के...

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यह भी खूब रही By S Sinha

कहानी - यह भी खूब रही ¨ भरता , तेरी भाभी बोल रही है अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए . ये रोज रोज होटल का खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है . भाभी ने...

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बबली By Geeta Kaushik Ratan

"बबली" मायके की दहलीज पार करते समय माँ-पिताजी की दुआओं में लिपटी ढेर सारी नसीहतों को अपने साथ लेकर गरिमा ने ससुराल में प्रवेश किया और परम्परानुसार मंगल गीत-संगीत के वातावरण में अपन...

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भीडतंत्र By Rajesh Maheshwari

भीडतंत्र एक पाठशाला में प्रधानाचार्य महोदय प्रतिदिन छात्रों को शाला छूटने के बाद एक कहानी सुनाते थे। इससे छात्रों को मनोरंजन के साथ साथ सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के व...

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घर कब आओगे By नवीन एकाकी

सांसे टूट रही थी, धड़कन भी धीरे धीरे रुकने लगी थी। पूरे शरीर लहूलुहान था। दुश्मन की गोलियों ने उसके शरीर को छलनी कर दिया था। वो ज़मीन में गिरा पड़ा था।उसके अगल बगल उसके साथियों की लाश...

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तीन बत्ती चार रास्ता By S Sinha

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प्यार का नशा By Kishanlal Sharma

प्यार का नशा--------------//////------रमा अमीर बाप की बेटी थी।रमेश छोटा सा सरकारी नौकर।रमा ,रमेश की सादगी और व्यक्तित्व पर ऐसी मोहित हुई कि माँँबाप के न चाहने पर भी उसने उ...

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मेरी कहानी मेरी जुबानी By Deepak Pradhan

मै दीपक प्रधान मेरा जन्म 1जुलाई1993 में मध्यप्रदेश के धार जिले के धामनोद शहर में हुआ था। मैं एक साधारण परिवार का सदस्य हूँ, हम परिवार में कुल 5 सदस्य थे पापा का नाम जगदीश प्रधान मा...

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पापा एक चमकता हुआ सितारा By shama parveen

पापा जो हर एक बच्चे के सुपर हीरो होते हैं. हर बच्चा अपने पापा को सुपर हीरो मानता है. बच्चो को लगता है कि जब हमारे पास पापा होते हैं तो दुनिया की कोई भी परेशानी हम पर नहीं आ सकती है...

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એક ટેબલની આત્મકથા By NIKETA SHAH

ખૂણાંમાં મૂકી રાખ્યું છે, મને કારણ કે ઉંમરથઈ જવાને લીધે મારો વપરાશ હવે શક્ય નથી. યુવાનીમાં બહુ સાથ આપ્યો છે મે મારા ઘરના દરેક સભ્યનો. દરેકનો બોજો ઉઠાવ્યો છે મેં મારા પર. દરેક સભ્યન...

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दिलसे रिशता By Appa Jaunjat

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तिकड़मबाज बहु By Saroj Prajapati

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चुनिंदा लघुकथाएँ - भाग 2 - 4 - अंतिम भाग By Lajpat Rai Garg

16 निरुत्तर सात-आठ वर्षीय सुमी अपनी मम्मी संग गर्मियों की छुट्टियों में अपनी ननिहाल आया हुआ था। बीस-बाईस वर्षीय नीतीश बेड पर बैठा टेलीविजन देख रहा था। सुमी बेडरूम में आया और बोला -...

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चाय की खुशबू By Anita Sinha

चाय की खुशबू से ही चाय के जायके का पता लग जाता है। सुबह होते ही चाय की तलब महसूस होती है। आलस आती है थोड़ी देर बाद बनाऊंगी चाय। मगर चाय तो चाय है। वो भी अदरख वाली चाय जिसके जायके क...

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चलो शुक्र है पापा घर आ गए, अब उनसे मिलने अस्पताल नहीं जाना होगा.....बहुत कष्ट झेला है वेंटिलेटर पर उन्होंने....उफ्फ...!! सारे शरीर पर इंजेक्शन ही इंजेक्शन.....वैसे वेंटिलेटर से बाह...

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जब ही मेट मौसी By S Sinha

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एनकाउंटर By Satyadeep Trivedi

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बालू और पत्थर By Anita Sinha

जब भी हम बालू और पत्थर के विषय पर गौर करते हैं तो पाते हैं कि बालू और पत्थर आपस में नहीं मिलते हैं। जब भी घर के पास बालू का ट्रक आता तो मैं दौड़कर देखने जाती ‌। ‌ बचपन की बाते...

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छोटी कहानियां By नवीन एकाकी

दो जिस्म एक जानचाचा जलेबी खानी है... तो खा ले बेटा... पर मेरे पास आज पैसे नही तो कल दे देना... हम्म्म्म...ठीक है चाचा, कल पैसे दे दूंगी। ठीक है बिटिया, ले खा ले...! जलेबी खा कर वो...

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अधूरा सौदा By राज कुमार कांदु

अधूरा सौदा अमर औसत कद काठी का आकर्षक नवयुवक था। वह एक निजी कंपनी में जूनियर एग्जीक्यूटिव के पद पर तैनात था। उसकी ऑफिस हेड रुबिका मैडम एक अधेड़ आधुनिक महिला थी। वह अपने मातहतों से रू...

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अबकी बार... लल्लन प्रधान - 5 - (अंतिम भाग) By Bhupendra Singh chauhan

नाहर अपनी जीत में सबसे बड़ा रोड़ा लल्लन को मानते थे।चुनावी पंडितों द्वारा भी यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस वर्ष का चुनाव नाहर बनाम लल्लन होगा।मलिनपुरा...

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चाय पीजिए जरुर By Anita Sinha

कडाके की ठंड में चाय पीने से शीत लहर से बचाव होता है चाय स्फूर्ति दायक है। खाली पेट चाय पीना हानिकारक है. चाय की खुशबू इसका जायका है.चाय लोकप्रिय पेय है. चाय पत्ती देख भाल कर खरीदे...

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