प्रेरक कथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Motivational Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations a...Read More


Categories
Featured Books

उजाले की ओर ---संस्मरण By Pranava Bharti

उजाले की ओर ---संस्मरण ------------------------ सस्नेह नमस्कार मित्रों जैसे-जैसे नई-नई चीज़ें ईज़ाद हो रही हैं हम बहुत कुछ नया जान रहे हैं लेकिन पशोपेश में भी पड़त...

Read Free

दूसरा मायका   By Ratna Pandey

संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी लता बहुत ही संस्कारी थी।   सबकी चहेती थी वह, भगवान ने भी रंग रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई, छह बहन, पाँच भाई इतना बड...

Read Free

यह कैसी विडम्बना है - भाग ७ By Ratna Pandey

“वैभव तुम्हारी बेगुनाही का कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ, सबूत तो अवश्य ही होगा और मैं उसे ढूँढ कर रहूँगी।” अब संध्या के दिमाग़ में केवल एक ही फितूर था कि किसी भी तरह से वैभव को उतने ही...

Read Free

बापासदाराम -टोटाणा ता. कांकरेज By वात्सल्य

एक अद्भुत महात्मा : - "बापा सदाराम " गुजरात राज्य, बनासकांठा जिल्ला एवम कांकरेज तहसीलका जाने-माने एक "टोटाणा" (totana ) नामक छोटा गाँव है l जहाँ से नजदीक बनास नदी एवम "थरा"...

Read Free

नीतिशास्त्र की दुविधा By Anand M Mishra

नीतिशास्त्र की दुविधा मानव कभी-कभी दुविधा वाली स्थिति में फंस जाता है। मन कुछ सोच नहीं सकता है। नीतिशास्त्र सामने आ जाता है। ऐसे ही एक घटना का जिक्र करना आवश्यक है। विद्यालय में...

Read Free

आत्मसम्मान  By Ratna Pandey

रोज-रोज अपने आत्मसम्मान पर चोट सहन करती उर्मिला अपने मन में सोच रही थी कि आख़िर क्यों वह अपने आत्मसम्मान को प्रतिदिन तार-तार होने देती है? क्यों बात-बात पर ताने सुनती है? क्या इस प...

Read Free

मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 1 By Pooja Singh

कभी सोचा नहीं था ...मैं सेना में भर्ती हो पाऊंगा बस मन में उमंग और दिल में जज्बा था कुछ कर दिखाने का ...मैं भी भारत माता के लिए कुछ कर दिखााना चाहता हूं........ दु:ख होता है ..अपने...

Read Free

मैं गांधारी नहीं By Ratna Pandey

सूरज ढल रहा था अंधेरा पसरने की तैयारी में था। गांव की वह लड़कियां इसी अंधेरे का ही इंतज़ार करती हैं, जिनके घरों में शौचालय नहीं होते। गांव की एक ऐसी ही लड़की हाथ में लोटा लेकर, सून...

Read Free

माँ मुझे माफ़ कर दो By Ratna Pandey

राजीव का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था रंग-बिरंगे फूलों से बने हार, रंगीन बल्बों की सीरीज, बेहद आकर्षक मंडप और कानों को प्रिय लगे ऐसा लाजवाब संगीत चल रहा था। कोई भी राह से गुजरने वाल...

Read Free

रक्षक By Kishanlal Sharma

सब कुत्ते मैदान में आकर इकठे हो गए थे।रोज शाम को ऑफिसर कॉलोनी के बंगलो के नौकर कुत्तो को लेकर इस मैदान में आ जाते।फिर वे अपने अपने कुत्तो को खुला छोड़ देते।कुत्ते इस मैदान में इकठे...

Read Free

मित्रता और पारिवारिक मामले By धृतराष्ट्र सुमन

जीवन में कभी कभी हम ऐसे फैसले दोस्ती में ले लेते हैं जो नहीं लेने चाहिए, जब तक आप किसी को अच्छे से नहीं जानते तब तक मात्र दोस्ती के नाम पर किसी के पारिवारिक मामलों में न पड़ें! इसी...

Read Free

बाज की सीख By Krishna Kant Srivastava

बाज की सीखएक समय की बात है, एक बहेलिया जंगल में पक्षियों का शिकार करने गया। बहेलिया ने दाना डाला और जाल बिछाकर पक्षियों के जाल में फंसने का इंतजार करने लगा। बहुत प्रयास करने के बाद...

Read Free

हम कैसे आगे बढे - भाग ५ - अंतिम भाग By Rajesh Maheshwari

३७. बाँसुरीवाला मुंबई षहर के पैडर रोड पर अपने मित्र के यहाँ जब भी मैं जाता तो प्रतिदिन सुबह 6 बजे के लगभग एक अंधा वहाँ से बाँसुरी बजाता हुआ निकलता था। व...

Read Free

छोटी बहू By Ratna Pandey

घनश्याम अपनी पत्नी शामली के साथ रहते थे। मध्यम वर्ग के घनश्याम के माता-पिता का दुर्घटना होने की वजह से देहांत हो गया था। उनकी पत्नी ने दो वर्ष पूर्व एक बेटे को जन्म दिया था, अब फिर...

Read Free

अमानवीयतासे नैतिकता की ओर By Varun Sharma

अमानवीयतासे नैतिकता की ओरCopyright © 2021 by Varun Sharmaकानपुर के एक कसबे में रेती नामक रोड पर नई सफेदी से चमकते हुए घर के आगे एक छोटा बगीचा था। जिसमे कुछ खुशबू बिखेरते फूल और सब्...

Read Free

विसर्जन - 5 - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena

यह कहते हुए टीटू जोर जोर से रोने लगा और सब उनकी बात से हैरान थे सब को ऐसा लग रहा था जैसे सब ने एक बड़ा पाप किया है तभी पुलिस वाले ने माइक को अपने हाथों में लेकर कहा “ हम सब लोग झूठ...

Read Free

एक राज़ By Ratna Pandey

राम सिंह अपने माता-पिता के साथ अपने छोटे से घर में बहुत ख़ुश था। उसके पिता रघुवीर सिंह हमेशा बीमार रहते थे इसलिए उन्होंने राम सिंह की नौकरी लगते ही अपनी नौकरी छोड़ दी। उसकी माँ घर का...

Read Free

एक पिता का निर्णय By Saroj Prajapati

संजय ऑफिस से आया तो घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। उसकी मां माथा पकड़े बैठी थी तो पत्नी माला ‌ सुबक रही थी। संजय उन दोनों का यह हाल देख घबरा गया और मां से बोला "सब ठीक है ना! क्या हुआ...

Read Free

आख़िर वह कौन था By Ratna Pandey

सोलह वर्ष की हँसती-खेलती सुशीला गुमसुम-सी बहुत उदास रहने लगी थी। कुछ दिनों पहले उसकी माँ इमारत पर काम करते समय, गिरकर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे। अब उ...

Read Free

प्रेरणा पथ - भाग 6 - अंतिम भाग By Rajesh Maheshwari

41 पागल कौन एक अर्द्धविक्षिप्त वृद्ध महिला मैले कुचैले कपड़े पहने किसी तरह अपने शरीर को ढके हुये सड़क पर जा रही थी। उसे देखकर बच्चे पागल पागल कहकर उसे...

Read Free

मेरी पहली कहानी  By Prashant Soni

मेरी पहली कहानी असल में यह कहानी मेरी नहीं है । और मेरी ही है जी हां मैं सच बोल रहा हु । अब आप सोच रहे हो गए की यह क्या पागल की तरह बात कर रहा है चलो अब छोड़ो...

Read Free

यात्रा तम से प्रकाश की By Rudra S. Sharma

मैं जिस तंत्र का हिस्सा हूँ; कोई भी उसमें मुझसे या मेरे होने से संतुष्ट नहीं था। अधिकतर सभी मुझे और मुझसे संबंधित को महत्व नहीं देते थे; मुझे मेरे लिये सभी की कुछ अभिव्यक्ति से तो...

Read Free

काश लौट आये अब वो पल By निखिल ठाकुर

..... .....: काश लौट आये अब वो पल -1 ====================================================================== जब जब देखता हूं बचपन से संघर्ष मे लगे छोटे बच्चों को.... कितना दर्द और...

Read Free

तू इस मन का दास ना बन By Mohit Rajak

तू इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले देखो मन के खेल निराले नित्य नित्य नव डेरा डाले नए अश्व के जैसा चंचल, किसी के संभले ना आए संभाले इंद्रियों के विषयों में फस कर, ज...

Read Free

कोई शाम उदास ना हों By swati tiwari

पिछले दो माह से घर आ गया हूं | लॉकडाउन के बाद दो महीने उसी शहर में रहकर ऑनलाइन काम करता रहा बाद में पता चला मैनेजमेंट ने उन दिनों 70% सैलरी काट ली थी , यह कहकर कि कंपनी का सारा बिज...

Read Free

उजाले की ओर ---संस्मरण By Pranava Bharti

उजाले की ओर ---संस्मरण ------------------------ सस्नेह नमस्कार मित्रों जैसे-जैसे नई-नई चीज़ें ईज़ाद हो रही हैं हम बहुत कुछ नया जान रहे हैं लेकिन पशोपेश में भी पड़त...

Read Free

दूसरा मायका   By Ratna Pandey

संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी लता बहुत ही संस्कारी थी।   सबकी चहेती थी वह, भगवान ने भी रंग रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई, छह बहन, पाँच भाई इतना बड...

Read Free

यह कैसी विडम्बना है - भाग ७ By Ratna Pandey

“वैभव तुम्हारी बेगुनाही का कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ, सबूत तो अवश्य ही होगा और मैं उसे ढूँढ कर रहूँगी।” अब संध्या के दिमाग़ में केवल एक ही फितूर था कि किसी भी तरह से वैभव को उतने ही...

Read Free

बापासदाराम -टोटाणा ता. कांकरेज By वात्सल्य

एक अद्भुत महात्मा : - "बापा सदाराम " गुजरात राज्य, बनासकांठा जिल्ला एवम कांकरेज तहसीलका जाने-माने एक "टोटाणा" (totana ) नामक छोटा गाँव है l जहाँ से नजदीक बनास नदी एवम "थरा"...

Read Free

नीतिशास्त्र की दुविधा By Anand M Mishra

नीतिशास्त्र की दुविधा मानव कभी-कभी दुविधा वाली स्थिति में फंस जाता है। मन कुछ सोच नहीं सकता है। नीतिशास्त्र सामने आ जाता है। ऐसे ही एक घटना का जिक्र करना आवश्यक है। विद्यालय में...

Read Free

आत्मसम्मान  By Ratna Pandey

रोज-रोज अपने आत्मसम्मान पर चोट सहन करती उर्मिला अपने मन में सोच रही थी कि आख़िर क्यों वह अपने आत्मसम्मान को प्रतिदिन तार-तार होने देती है? क्यों बात-बात पर ताने सुनती है? क्या इस प...

Read Free

मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 1 By Pooja Singh

कभी सोचा नहीं था ...मैं सेना में भर्ती हो पाऊंगा बस मन में उमंग और दिल में जज्बा था कुछ कर दिखाने का ...मैं भी भारत माता के लिए कुछ कर दिखााना चाहता हूं........ दु:ख होता है ..अपने...

Read Free

मैं गांधारी नहीं By Ratna Pandey

सूरज ढल रहा था अंधेरा पसरने की तैयारी में था। गांव की वह लड़कियां इसी अंधेरे का ही इंतज़ार करती हैं, जिनके घरों में शौचालय नहीं होते। गांव की एक ऐसी ही लड़की हाथ में लोटा लेकर, सून...

Read Free

माँ मुझे माफ़ कर दो By Ratna Pandey

राजीव का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था रंग-बिरंगे फूलों से बने हार, रंगीन बल्बों की सीरीज, बेहद आकर्षक मंडप और कानों को प्रिय लगे ऐसा लाजवाब संगीत चल रहा था। कोई भी राह से गुजरने वाल...

Read Free

रक्षक By Kishanlal Sharma

सब कुत्ते मैदान में आकर इकठे हो गए थे।रोज शाम को ऑफिसर कॉलोनी के बंगलो के नौकर कुत्तो को लेकर इस मैदान में आ जाते।फिर वे अपने अपने कुत्तो को खुला छोड़ देते।कुत्ते इस मैदान में इकठे...

Read Free

मित्रता और पारिवारिक मामले By धृतराष्ट्र सुमन

जीवन में कभी कभी हम ऐसे फैसले दोस्ती में ले लेते हैं जो नहीं लेने चाहिए, जब तक आप किसी को अच्छे से नहीं जानते तब तक मात्र दोस्ती के नाम पर किसी के पारिवारिक मामलों में न पड़ें! इसी...

Read Free

बाज की सीख By Krishna Kant Srivastava

बाज की सीखएक समय की बात है, एक बहेलिया जंगल में पक्षियों का शिकार करने गया। बहेलिया ने दाना डाला और जाल बिछाकर पक्षियों के जाल में फंसने का इंतजार करने लगा। बहुत प्रयास करने के बाद...

Read Free

हम कैसे आगे बढे - भाग ५ - अंतिम भाग By Rajesh Maheshwari

३७. बाँसुरीवाला मुंबई षहर के पैडर रोड पर अपने मित्र के यहाँ जब भी मैं जाता तो प्रतिदिन सुबह 6 बजे के लगभग एक अंधा वहाँ से बाँसुरी बजाता हुआ निकलता था। व...

Read Free

छोटी बहू By Ratna Pandey

घनश्याम अपनी पत्नी शामली के साथ रहते थे। मध्यम वर्ग के घनश्याम के माता-पिता का दुर्घटना होने की वजह से देहांत हो गया था। उनकी पत्नी ने दो वर्ष पूर्व एक बेटे को जन्म दिया था, अब फिर...

Read Free

अमानवीयतासे नैतिकता की ओर By Varun Sharma

अमानवीयतासे नैतिकता की ओरCopyright © 2021 by Varun Sharmaकानपुर के एक कसबे में रेती नामक रोड पर नई सफेदी से चमकते हुए घर के आगे एक छोटा बगीचा था। जिसमे कुछ खुशबू बिखेरते फूल और सब्...

Read Free

विसर्जन - 5 - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena

यह कहते हुए टीटू जोर जोर से रोने लगा और सब उनकी बात से हैरान थे सब को ऐसा लग रहा था जैसे सब ने एक बड़ा पाप किया है तभी पुलिस वाले ने माइक को अपने हाथों में लेकर कहा “ हम सब लोग झूठ...

Read Free

एक राज़ By Ratna Pandey

राम सिंह अपने माता-पिता के साथ अपने छोटे से घर में बहुत ख़ुश था। उसके पिता रघुवीर सिंह हमेशा बीमार रहते थे इसलिए उन्होंने राम सिंह की नौकरी लगते ही अपनी नौकरी छोड़ दी। उसकी माँ घर का...

Read Free

एक पिता का निर्णय By Saroj Prajapati

संजय ऑफिस से आया तो घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। उसकी मां माथा पकड़े बैठी थी तो पत्नी माला ‌ सुबक रही थी। संजय उन दोनों का यह हाल देख घबरा गया और मां से बोला "सब ठीक है ना! क्या हुआ...

Read Free

आख़िर वह कौन था By Ratna Pandey

सोलह वर्ष की हँसती-खेलती सुशीला गुमसुम-सी बहुत उदास रहने लगी थी। कुछ दिनों पहले उसकी माँ इमारत पर काम करते समय, गिरकर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे। अब उ...

Read Free

प्रेरणा पथ - भाग 6 - अंतिम भाग By Rajesh Maheshwari

41 पागल कौन एक अर्द्धविक्षिप्त वृद्ध महिला मैले कुचैले कपड़े पहने किसी तरह अपने शरीर को ढके हुये सड़क पर जा रही थी। उसे देखकर बच्चे पागल पागल कहकर उसे...

Read Free

मेरी पहली कहानी  By Prashant Soni

मेरी पहली कहानी असल में यह कहानी मेरी नहीं है । और मेरी ही है जी हां मैं सच बोल रहा हु । अब आप सोच रहे हो गए की यह क्या पागल की तरह बात कर रहा है चलो अब छोड़ो...

Read Free

यात्रा तम से प्रकाश की By Rudra S. Sharma

मैं जिस तंत्र का हिस्सा हूँ; कोई भी उसमें मुझसे या मेरे होने से संतुष्ट नहीं था। अधिकतर सभी मुझे और मुझसे संबंधित को महत्व नहीं देते थे; मुझे मेरे लिये सभी की कुछ अभिव्यक्ति से तो...

Read Free

काश लौट आये अब वो पल By निखिल ठाकुर

..... .....: काश लौट आये अब वो पल -1 ====================================================================== जब जब देखता हूं बचपन से संघर्ष मे लगे छोटे बच्चों को.... कितना दर्द और...

Read Free

तू इस मन का दास ना बन By Mohit Rajak

तू इस मन का दास ना बन इस मन को अपना दास बना ले देखो मन के खेल निराले नित्य नित्य नव डेरा डाले नए अश्व के जैसा चंचल, किसी के संभले ना आए संभाले इंद्रियों के विषयों में फस कर, ज...

Read Free

कोई शाम उदास ना हों By swati tiwari

पिछले दो माह से घर आ गया हूं | लॉकडाउन के बाद दो महीने उसी शहर में रहकर ऑनलाइन काम करता रहा बाद में पता चला मैनेजमेंट ने उन दिनों 70% सैलरी काट ली थी , यह कहकर कि कंपनी का सारा बिज...

Read Free