हास्य कथाएं कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

PART-1

में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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अफसर का अभिनन्दन - 11 By Yashvant Kothari

व्यंग्य सफल और स्वादिष्ट श्रद्धांजली यशवंत कोठारी साहित्य के भंडारे चालू आहे.कविता वाले कविता का भंडारा कर रहे हैं,कहानी वाले कहानी के भंडारे में...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

फेक न्यूज़ याने झूठीं ख़बरों के बड़े खतरे यशवंत कोठारी फेक न्यूज़ के खतरे सर पर चढ़ कर बोलने लगे हैं. क्या सरकार ,क्या पार्टियाँ और क्या चुनाव लड़ने वाले सब...

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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मेरे पोस्टमैन By Yashvant Kothari

मेरे पोस्टमैन यश वन्त कोठारी आज मैं पोस्टमैनों की चर्चा करना चाहता हूं। कारण स्पष्ट है कि बिना पोस्टमैन के लेखक का जीवन अधूरा है। सच पूछा जाये तो पोस्टमैन ही लेखक का सच्चा मित...

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लौट के गाँधी आये दिल्ली By Ajay Amitabh Suman

15 अगस्त 2018, वैस गाँधी जी के लिए आज का समय कुछ उचित नहीं। पर सुना है मैंने , 15 अगस्त 2018 की घटना है।अपने ये जो गांधीजी जी है नेहरु जी के साथ लेटे हुए थे स्वर्ग में । दोनों साथ...

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अन्ना का चूस लिया गन्ना By Ajay Amitabh Suman

पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दर...

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वैलेंटाइन डे मसखरी By Pranjal Saxena

एक बार एक समय हम थे ठोस कुँवारे, बिना प्रेमिका के लगते थे एकदम बेचारे। जब भी आता था वैलेंटाइन का त्यौहार, हमें भी चढ़ता था प्रेमी होने का बुखार। पर जीवन में था प्रेमिका का घोर अभाव,...

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रुमाल वाली लड़की By paresh barai

नितिन की एक बुरी आदत थी| उसे वही चीज़ पसंद आती जो उसकी पहुँच से थोड़ी बाहर होती थी| बचपन से ले कर जवानी तक उसनें अपने मनचले दिल को संभाले रक्खा था| कॉलेज के दिनों में कई बार इन महाशय...

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वैलेंटाइन का त्यौहार : हास्य व्यंग्य By Sumati Joshi

फरवरी का महीना फिर आ गया है, जैसे कि हर साल आता है। इस बार क्या ख़ास है ? वही जो हर साल होता है। वैलेंटाइन का हफ्ता : 7 फरवरी - 14 फरवरी इस हफ्ते कि बात ही कुछ निराली होती है। सारे...

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नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से. By harshad solanki

हर साल की भांती इस साल भी “बांकीचाल” में दीवाली की तैयारी बड़े जोर शोर से हुई थी. सब ने अपने अपने घरों को बड़े शानोसोकत से सजाया था. बड़ी जल्दी सुबह से महिलाएं एवं बच्चे घर आँगन में र...

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पोषाहार प्रभारी By Lecturer Jagdish Siyag

 उतरा मुंह लेकर आये पोषाहार प्रभारी।बोले लकड़ी खत्म हो गई सारी।।अब बनाये कैसे रोटी और दाल।ऊपर से सब कहते मास्टर खा जाते सारा माल।।मैंने कहा, चिंता ना करो सर।गैस की टंकी कल ही त...

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पतु ने बजवा दी गेंदारामानी के कनपट्टी के नीचे…! (हास्य कहानी ) By harshad solanki

कल रात नतू अपनी दुकान से घर की और लौटते हुए हमारी बांकीचाल के कंपाउंड में ही मुझे मिल गए. दीवाली के मौके के चलते बाजार में बड़ी तेजी है; इसलिए उन्हें घर लौटने में देर हो जा रही है.“...

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विकास तो हुआ है By Sadhna Kumar

गर्मियों के   दिन  थे  और  हर  साल  की तुलना  में इस  साल तापमान  थोड़ा  ज्यादा ही  था.मानसून  के आने का  समय&n...

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फरमाईश By S Kumar

कहते हैं जहाँ प्यार होता है अक्सर वहीं तकरार भी होता है शादीशुदा जीवन में अगर प्यार होता है तो पति पत्नी में तकरार , नौंक झोंक हलके फुल्के झगड़े होना भी आम बात है .. और आस पडोस...

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पुस्तक का विमोचन By Manjari Shukla

मैं सुबह के अखबार में सिर घुसा कर देखने की कोशिश कर रहा था कि कहीं कोई काम की ख़बर दिख जाए कि तभी लगा सामने की कुर्सी पर आकर कोई विराजमान हो गया हैIडर के मारे जैसे मेरी जान ऐसे निकल...

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जब पड़ोसी को सिलेंडर दिया By Manjari Shukla

गरीबी भी सोलवहें साल की पहली मोहब्बत की तरह होती है जो उम्र भर पीछा नहीं छोड़तीI मेरा पीछा ना तो पहली मोहब्बत ने छोड़ा और ना ही गरीबी नेI जवानी के दिनों का उबाल मारता इश्क़ आज रसोईघ...

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बिना मेकअप की सेल्फ़ी By Manjari Shukla

सामने बैठी मेरी पत्नी मेरे उत्तर की प्रतीक्षा कर रही है और मै डरपोक सा इधर उधर छिपने के लिए कोई जगह तलाश रहा हूँI सही नंबर के चश्में से भी पहली बार मुझे धुँधला नज़र आ रहा हैI चश्मा...

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ह्रदय दान By Ajay Amitabh Suman

इस कड़ी में मैंने कुछ हास्य कविताओं को शामिल किया है. उम्मीद है पाठकों को पसंद आएगी. (१) हृदय दान हृदय दान पर बड़े हल्के फुल्के अन्दाज में लिखी गयी ये हास्य कविता है। यहाँ पर एक...

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ओल्ड इज आलवेज गोल्ड By dilip kumar

ओल्ड इज आलवेज गोल्डकिम जोंग द्वारा अमेरिका से सुलह कर लेने के बाद भारत टीवी चैनल के कर्ता-धर्ता बहुत परेशान थे कि अब कौन सा देश उनसे युध्दनीति की सूचनाएं साझा करेगा और वो अपनी दुनि...

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प्रेम के साथ प्रयोग By Ajay Amitabh Suman

सारे लोग उस पर हंस रहे थे। वह बुजुर्ग चुुपचाप उनके ताने सुन रहा था। बस कंडक्टर उसे बार-बार किराए के पैसे मांग रहा था। वह बुजुर्ग आदमी बार बार बोल रहे थे, मेरे पास पैसे तो हैं लेकि...

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अथ लेखन चालीसा By dilip kumar

अथ लेखन चालीसाचुनाव के विशेष शस्त्रों यानी नारों की दुकान में आपका हार्दिक स्वागत है। दुकान पर न भी आएँ तो भी दूसरे विकल्प उपलब्ध हैं। इस हेतु हमारा प्रतिष्ठान ख्यातिलब्ध है। किसी...

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डॉलर का मारा मारा - व्यंग्य लेख By Mahendra Rajpurohit

नमस्ते देश के प्रेमी और प्रेमिकाओ, कवियों और कवियत्रीयो, मेरे जैसे बिना समझने वाले भाई और बहनों।आज-कल देेश में , रूूपया की तबीयत काफी समय से खराब चल रही है। देेश मैं कुछ लोगों को इ...

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कॉर्पोरेट गधे By Ajay Amitabh Suman

आज दिल्ली में गर्मी आपने उफान पे थी। अपनी गाड़ी की सर्विस कराने के लिए मै ओखला सर्विस सेंटर गया था। गाड़ी छोड़ने के बाद वहां से लौटने के लिए ऑटो रिक्शा ढूंढने लगा। थोड़ी ही देर मे...

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झा का मतलब क्या By Ajay Amitabh Suman

एक दिन रोज की तरह मैं ऑफिस से घर गया तो मेरा बेटा कुछ नाराज सा बैठा हुआ था . मैंने उससे पूछा : बेटा क्यों नाराज हो ?पुत्र : पापा आज स्कूल में मुझे डाँट पड़ी . मैडम ने मेरे नाम का म...

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मेरा बाप By Ankit Maharshi

..dirty comedy .. ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो हर किसी की बेइज़्ज़ती करने में दक्ष है. पर क्या हो जब वो ऐसे बच्चे से मिले जिसका बेइज़्ज़तियाँ मारने में कोई जवाब नहीं.

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बीटिंग, ईटिंग, डम्पिंग ऐंड डिसएन्फ़्रेंचाइज़िंग By Mahesh Dewedy

बीटिंग, ईटिंग, डम्पिंग ऐंड डिसएन्फ़्रेंचाइज़िंग हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया विश्व की किसी भी फ़्राडियर-संस्था के लिये ज्ञानवर्धक सिद्ध हो सकती है. हम चुनाव में शुचिता की...

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लाइनें लगी हैं । By Dr Narendra Shukl

line lagi hain is basically a satire on current issues . line lagi hain is basically a satire on current issues . line lagi hain is basically a satire on current issues . lineline...

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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

PART-1

में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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अफसर का अभिनन्दन - 11 By Yashvant Kothari

व्यंग्य सफल और स्वादिष्ट श्रद्धांजली यशवंत कोठारी साहित्य के भंडारे चालू आहे.कविता वाले कविता का भंडारा कर रहे हैं,कहानी वाले कहानी के भंडारे में...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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मेरे पोस्टमैन By Yashvant Kothari

मेरे पोस्टमैन यश वन्त कोठारी आज मैं पोस्टमैनों की चर्चा करना चाहता हूं। कारण स्पष्ट है कि बिना पोस्टमैन के लेखक का जीवन अधूरा है। सच पूछा जाये तो पोस्टमैन ही लेखक का सच्चा मित...

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लौट के गाँधी आये दिल्ली By Ajay Amitabh Suman

15 अगस्त 2018, वैस गाँधी जी के लिए आज का समय कुछ उचित नहीं। पर सुना है मैंने , 15 अगस्त 2018 की घटना है।अपने ये जो गांधीजी जी है नेहरु जी के साथ लेटे हुए थे स्वर्ग में । दोनों साथ...

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अन्ना का चूस लिया गन्ना By Ajay Amitabh Suman

पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दर...

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वैलेंटाइन डे मसखरी By Pranjal Saxena

एक बार एक समय हम थे ठोस कुँवारे, बिना प्रेमिका के लगते थे एकदम बेचारे। जब भी आता था वैलेंटाइन का त्यौहार, हमें भी चढ़ता था प्रेमी होने का बुखार। पर जीवन में था प्रेमिका का घोर अभाव,...

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रुमाल वाली लड़की By paresh barai

नितिन की एक बुरी आदत थी| उसे वही चीज़ पसंद आती जो उसकी पहुँच से थोड़ी बाहर होती थी| बचपन से ले कर जवानी तक उसनें अपने मनचले दिल को संभाले रक्खा था| कॉलेज के दिनों में कई बार इन महाशय...

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वैलेंटाइन का त्यौहार : हास्य व्यंग्य By Sumati Joshi

फरवरी का महीना फिर आ गया है, जैसे कि हर साल आता है। इस बार क्या ख़ास है ? वही जो हर साल होता है। वैलेंटाइन का हफ्ता : 7 फरवरी - 14 फरवरी इस हफ्ते कि बात ही कुछ निराली होती है। सारे...

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नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से. By harshad solanki

हर साल की भांती इस साल भी “बांकीचाल” में दीवाली की तैयारी बड़े जोर शोर से हुई थी. सब ने अपने अपने घरों को बड़े शानोसोकत से सजाया था. बड़ी जल्दी सुबह से महिलाएं एवं बच्चे घर आँगन में र...

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पोषाहार प्रभारी By Lecturer Jagdish Siyag

 उतरा मुंह लेकर आये पोषाहार प्रभारी।बोले लकड़ी खत्म हो गई सारी।।अब बनाये कैसे रोटी और दाल।ऊपर से सब कहते मास्टर खा जाते सारा माल।।मैंने कहा, चिंता ना करो सर।गैस की टंकी कल ही त...

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पतु ने बजवा दी गेंदारामानी के कनपट्टी के नीचे…! (हास्य कहानी ) By harshad solanki

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गर्मियों के   दिन  थे  और  हर  साल  की तुलना  में इस  साल तापमान  थोड़ा  ज्यादा ही  था.मानसून  के आने का  समय&n...

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पुस्तक का विमोचन By Manjari Shukla

मैं सुबह के अखबार में सिर घुसा कर देखने की कोशिश कर रहा था कि कहीं कोई काम की ख़बर दिख जाए कि तभी लगा सामने की कुर्सी पर आकर कोई विराजमान हो गया हैIडर के मारे जैसे मेरी जान ऐसे निकल...

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जब पड़ोसी को सिलेंडर दिया By Manjari Shukla

गरीबी भी सोलवहें साल की पहली मोहब्बत की तरह होती है जो उम्र भर पीछा नहीं छोड़तीI मेरा पीछा ना तो पहली मोहब्बत ने छोड़ा और ना ही गरीबी नेI जवानी के दिनों का उबाल मारता इश्क़ आज रसोईघ...

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बिना मेकअप की सेल्फ़ी By Manjari Shukla

सामने बैठी मेरी पत्नी मेरे उत्तर की प्रतीक्षा कर रही है और मै डरपोक सा इधर उधर छिपने के लिए कोई जगह तलाश रहा हूँI सही नंबर के चश्में से भी पहली बार मुझे धुँधला नज़र आ रहा हैI चश्मा...

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ह्रदय दान By Ajay Amitabh Suman

इस कड़ी में मैंने कुछ हास्य कविताओं को शामिल किया है. उम्मीद है पाठकों को पसंद आएगी. (१) हृदय दान हृदय दान पर बड़े हल्के फुल्के अन्दाज में लिखी गयी ये हास्य कविता है। यहाँ पर एक...

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ओल्ड इज आलवेज गोल्ड By dilip kumar

ओल्ड इज आलवेज गोल्डकिम जोंग द्वारा अमेरिका से सुलह कर लेने के बाद भारत टीवी चैनल के कर्ता-धर्ता बहुत परेशान थे कि अब कौन सा देश उनसे युध्दनीति की सूचनाएं साझा करेगा और वो अपनी दुनि...

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प्रेम के साथ प्रयोग By Ajay Amitabh Suman

सारे लोग उस पर हंस रहे थे। वह बुजुर्ग चुुपचाप उनके ताने सुन रहा था। बस कंडक्टर उसे बार-बार किराए के पैसे मांग रहा था। वह बुजुर्ग आदमी बार बार बोल रहे थे, मेरे पास पैसे तो हैं लेकि...

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अथ लेखन चालीसा By dilip kumar

अथ लेखन चालीसाचुनाव के विशेष शस्त्रों यानी नारों की दुकान में आपका हार्दिक स्वागत है। दुकान पर न भी आएँ तो भी दूसरे विकल्प उपलब्ध हैं। इस हेतु हमारा प्रतिष्ठान ख्यातिलब्ध है। किसी...

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डॉलर का मारा मारा - व्यंग्य लेख By Mahendra Rajpurohit

नमस्ते देश के प्रेमी और प्रेमिकाओ, कवियों और कवियत्रीयो, मेरे जैसे बिना समझने वाले भाई और बहनों।आज-कल देेश में , रूूपया की तबीयत काफी समय से खराब चल रही है। देेश मैं कुछ लोगों को इ...

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कॉर्पोरेट गधे By Ajay Amitabh Suman

आज दिल्ली में गर्मी आपने उफान पे थी। अपनी गाड़ी की सर्विस कराने के लिए मै ओखला सर्विस सेंटर गया था। गाड़ी छोड़ने के बाद वहां से लौटने के लिए ऑटो रिक्शा ढूंढने लगा। थोड़ी ही देर मे...

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झा का मतलब क्या By Ajay Amitabh Suman

एक दिन रोज की तरह मैं ऑफिस से घर गया तो मेरा बेटा कुछ नाराज सा बैठा हुआ था . मैंने उससे पूछा : बेटा क्यों नाराज हो ?पुत्र : पापा आज स्कूल में मुझे डाँट पड़ी . मैडम ने मेरे नाम का म...

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मेरा बाप By Ankit Maharshi

..dirty comedy .. ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो हर किसी की बेइज़्ज़ती करने में दक्ष है. पर क्या हो जब वो ऐसे बच्चे से मिले जिसका बेइज़्ज़तियाँ मारने में कोई जवाब नहीं.

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बीटिंग, ईटिंग, डम्पिंग ऐंड डिसएन्फ़्रेंचाइज़िंग By Mahesh Dewedy

बीटिंग, ईटिंग, डम्पिंग ऐंड डिसएन्फ़्रेंचाइज़िंग हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया विश्व की किसी भी फ़्राडियर-संस्था के लिये ज्ञानवर्धक सिद्ध हो सकती है. हम चुनाव में शुचिता की...

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लाइनें लगी हैं । By Dr Narendra Shukl

line lagi hain is basically a satire on current issues . line lagi hain is basically a satire on current issues . line lagi hain is basically a satire on current issues . lineline...

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