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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • बाली का बेटा (8)

    8 बाल उपन्यास...

  • हमें घर जाना हैं

    भूख शाम का समय था l सूरज अभी डूबा न था, लालिमा छा गयी l आज सारे दिन मेरा एक ही क...

  • देशद्रोही

    जब से कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका थमी थी असलम बडी कशमकश के दौर से गुजर रहा था । ट...

नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

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बाली का बेटा (8) By राज बोहरे

8 बाल उपन्यास बाली का बेटा...

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पर्दे में रहने दो By r k lal

पर्दे में रहने दो आर० के० लाल एक अर्से बाद प्रियंका और सुनयना दोनों सगी बहने एक साथ इकट्ठा थीं। सुनयना की तेरह साल की बेटी सोनम भी अपनी कज़िन हर्षिता के साथ धमा-...

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हमें घर जाना हैं By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

भूख शाम का समय था l सूरज अभी डूबा न था, लालिमा छा गयी l आज सारे दिन मेरा एक ही काम था l जिला दंडाधिकारी दिल्ली से बाहर जाने के लिए पास जारी हो रहे थे l पास बनवाने वालों की बहुत भा...

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आँसू तेरे प्रेम के (लघु कथा) By हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

आंसू तेरे प्रेम के एक स्मृति जिसे मन कभी भूला ना सका। तीस बर्षों बाद साहित्य की पत्रिका पढते हुए अनायास एक अभिनन्दन पत्र पर नजरें पड़ी। पढ़ते पढ़ते रोम रोम रोने लग गया। बेट...

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मंजिल By जगदीप सिंह मान दीप

"इसे कहते हैं पास होना" वाले शब्दों ने मेरे कदम मंजिल की ओर बढ़वा दिए।उस समय मैं जवाहर नवोदय विद्यालय वालपोई उत्तर गोवा,गोवा में हिंदी शिक्षक के रूप में कार्यरत था। एक दिन शाम को म...

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झूठी शान By राज कुमार कांदु

” क्या कह रहे हो ? ……कैसे ? ………. ये कब हुआ ? ” फोन पर बात करते हुए अशोक बाबू अचानक उत्तेजित हो उठे थे । फोन पर दूसरी तरफ से कुछ कहा गया । ” धन्यवाद भाईसाहब ! हमें सूचित करने के लिए...

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देशद्रोही By राज कुमार कांदु

जब से कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका थमी थी असलम बडी कशमकश के दौर से गुजर रहा था । टीले पर चहलकदमी करते हुए उसकी आँखों के सामने पिछले कुछ महीनों के दृश्य घूम रहे थे और वह गंभीरता से सभ...

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क्या मैं रिटायर हूँ ? By राज कुमार कांदु

'कोल्हू के बैल की तरह गृहस्थी की चक्की पिसते पिसते एक दिन एक खबर ने मेरा दिल खिला दिया । हाँ ! खबर ही ऐसी थी जिसका इंतजार हर कर्मचारी , मुलाजिम बड़ी सिद्दत से करता है और फिर ऐस...

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त्याग By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

त्याग मैं उसके लगभग पांच सालों तक सम्पर्क में रहा | जिसमें उससे व्यक्तिगत रूप से कोई दो चार ही मुलाकातें हुई थी, लगभग फोन पर है वो मेरी भेजी हुई कहानियों को प्रूफ चेक करती और छपने...

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अनमोल रिश्ते By राज कुमार कांदु

विवाह के पंद्रह वर्ष बीत चुके थे लेकिन रमा और अंश की झोली संतान के नाम पर अभी तक खाली ही थी । अंश के काम पर चले जाने के बाद रमा को खाली घर काटने को दौड़ता । दिल में निराशा घर करने ल...

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प्राइवेसी By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

रोमित के ऑटो बुलाने पर कानों को चीर देने वाला हॉर्न देते हुए ऑटो रुका l पर ऑटो की आवाज सुनकर गली में आज कोई बच्चा नहीं आय़ा l बीसों साल पहले किसी गाड़ी की आवाज सुनते ही बच्चे दौड़...

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इश्क़ 92 दा वार - 6 By Deepak Bundela AryMoulik

उदाशिया भी अब मजमागार हों चली थी......!चाहतो की बेचेनिया मज़बूरिया मचलने लगी थी... !!कहते हैं ना दिल जब बेचैन हों तो क्या अच्छा लगता हैं मन में सूना पन और दिल उदास लगता हैं ठीक यही...

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एक था मोनू By राज कुमार कांदु

बाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं ‘ मोनू ‘ था ।मोनू एक दस वर्षीय अनाथ बालक था । अपनी दुकान के बगल में चाय वाले की दुकान पर...

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आत्मविश्वास By जगदीप सिंह मान दीप

"आत्मविश्वास"लाइट नहीं है वाली घटना, मेरे जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई। आज मैं मेरे अजीज मित्र सुरेश को प्राध्यापक हिंदी पद पर नौकरी ज्वाइन करवाने के लिए उसके साथ जा रहा था। मेरा...

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ये कैसा इश्क है By Monty Khandelwal

ये कैसा इश्क हैरहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|ईतने जोर से...

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आई एम नोट वेल By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

आई एम नोट वेल ( भाग 1). एक हर शाम हमेशा नई होती है l आज शाम को घर लौटते वक्त बस में भरी सवारी के साथ मैं एक नन्हीं सी बिटिया को खड़ा देख उसे सीट दी l वह अपनी मात...

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राजालाल का भैंसा राजा। By Ranjeev Kumar Jha

राजालाल का भैंसा राजा।.......................... ( कहानी)लेखक -रणजीव कुमार झा (R K Jha) भोपाल (स्वरचित और मौलिक).............................................…...आजकल गोपालपुर के...

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इंस्पेक्शन By SURENDRA ARORA

कहानी इंस्पेक्शन...

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रक्त सम्बन्ध By Vijay Vibhor

‘तीस बरस की हो गई है । इस उम्र में कौन तुझसे ब्याह करेगा ?’ मौसी के इन तानों की बौछार के बीच फोन पर मैसेज़ आया, ‘एक युवक घायलावस्था में अस्पताल पहुँचा है । उसे बी पॉजिटिव रक्त की आव...

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मृत्यु का वरण By Chandresh Kumar Chhatlani

वो मृत्यु से डरते थे, वैसे तो यह डर सभी के मन में होता है, लेकिन एक वैरागी के मुख से यह बात सुन कर शायद कुछ अजीब लगे। अमृत्यानंद जी ने 10 वर्ष की आयु में ही वैराग्य ले लिया था। और...

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तो नैना हमारे बीच होती... By Shikha Kaushik

शानदार कोठी के लॉन में कुर्सियों पर आमने-सामने बैठी हुई नैना और पुनीता की जैसे ही आँखें मिली पुनीता गंभीरता की साथ बोली -'' हमेशा अपने ही बारे में सोचती रहोगी या कभी किसी औ...

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धरना - 5 By Deepak Bundela AryMoulik

दो दिन के लम्बे सफर के बाद निखिल, प्रिया और पवन शासकीय स्कूल पहुंचे थे.... आप लोग जिस शख्स की जानकारी लेने आये हैं वो शख्स आज से तीन साल पहले तक तो इस स्कूल में अतिथि शिक्षक था......

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दो दोस्तों की सच कहानी By Dev Borana

एक गाव था जहा दो दोस्त साथ साथ रहते थे मतलब उनका घर पास पास ही था ।वो दोनो साथ साथ मे ही पढते थे । एक दोस्त जिसके पिता खेती का काम करते थे जबकी दुसरे के पिता विदेश मे नौकरी करते थे...

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इन्द्रधनुष By Prabodh Kumar Govil

आज वो कुछ अलग सा दिख रहा था। वो लंबा है, ये तो दिखता ही है, मगर उसके बाजू मछलियों से चिकने और गदराए हुए होंगे ये कभी ध्यान ही नहीं गया। जाता भी कैसे, रोज़ तो वो फॉर्मल शर्ट पहने हु...

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लेजेण्ड आफ बटालिक By Mohd Siknandar

रोम जिसे सात पहाड़ियो का देश भी कहा जाता है जिसकी पत्थरो पर आज भी तलवारों के निशान मौजूद है और उस घटना का जिक्र बार बार करते है जिसे हम भूलना भी चाहे तो इतिहास हमे भूलने नहीं देता ।...

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बाजूबंद By Rita Gupta

बाज़ूबंद संभव, सुहानी और झिलमिल की छोटी सी दुनिया थी। संभव और सुहानी दोनों अच्छी नौकरी में थे और उनकी बेटी झिलमिल स्कूल में ही पढ़ रही थी। सप्ताह भर तीनों जी तोड़ मेहनत कर...

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इसे डॉलर मत पुकारना बे By Nirdesh Nidhi

“इसे डॉलर कभी मत पुकारना बे” शैंकी ने अलोए ब्लेक का गाना प्ले किया, जबसे डॉलर आया था तबसे उसे यह गाना बेहद पसंद आने लगा था । जैसे ही गाने का प्रेलूड शुरू हुआ टूँ टूँ टूँ टूँ ........

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सांझा By Prabodh Kumar Govil

- सेव क्या भाव हैं? मैंने एक सेव हाथ में उठाकर उसे मसलते हुए लड़के की ओर देखते हुए पूछा। - साठ रुपए किलो! कह कर उसने आंखें झुका लीं। मैं चौंक गया, क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले मैंने...

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जिदंगी कैसी है पहेली By Minni Mishra

( कहानी )* जिंदगी कैसी है पहेली * न चाहते हुए भी मेरी नजरें बारबार आकाश पर चली जा रही थीं | आज वह अकेले बेड पर पड़ा सामने दीवार को एकटक देख रहा था |इस तरह आकाश को मैंने कभी अकेले नह...

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ज्ञान की सरिता By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

ज्ञान की सरिता हर रोज की तरह आज भी सर्दी भरी रात गुजर गई सुबह के छ: बज चुके थे l अभी भी बाहर दरवाजे पर शीत लहर का प्रकोप था l सुबह सूरज की किरणें कब लौट कर आए...

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नीडी By Nirdesh Nidhi

“ नीडी ““आप, यहाँ ?”नीरू दी को अकस्मात अपने गाँव में देखकर वो विस्मित हो उठे । नीरू दी ने दृष्टि उठाई तो प्रश्न कर्ता को क्षण भर में पहचान कर बस देखती ह...

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काश वो ऐसी वैसी होती By Prabodh Kumar Govil

समय बदल गया। कोई सबूत, सनद या मिसाल मांगे तो शुभम दे सकता है। चालीस साल पहले एक दिन उसकी नई- नवेली दुल्हन ने उसकी ताज़ा खरीद कर लाई गई पत्रिका अपनी सहेली रीना को पढ़ने के लिए दे दी...

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असल जिंदगी.. By Tarun Kumar Saini

हैं अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा..... सुनियेगा एक बार गाना और बोल पर थोड़ा ध्यान दीजियेगा । ज़िंदगी और आवारापन बहुत कम लोग "जी" पाते हैं । दिल तो मानो अब एक बाय-पास या ओपनहा...

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नारायणपुर की लक्ष्मी By Mukesh nagar

बड़ा सा राज्य था वह। राजा भी बड़ा प्रतापी था उसका। बुद्धिमान और प्रजापालक। सदा सच्चे हृदय से प्रजा की भलाई में लगा रहता। उसने सोचा...बाकी तो सब ठीक है, बस दूर-दराज के गाँवों का विकास...

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ये कैसा इश्क हैरहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|ईतने जोर से...

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राजालाल का भैंसा राजा। By Ranjeev Kumar Jha

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वो मृत्यु से डरते थे, वैसे तो यह डर सभी के मन में होता है, लेकिन एक वैरागी के मुख से यह बात सुन कर शायद कुछ अजीब लगे। अमृत्यानंद जी ने 10 वर्ष की आयु में ही वैराग्य ले लिया था। और...

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बाजूबंद By Rita Gupta

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नीडी By Nirdesh Nidhi

“ नीडी ““आप, यहाँ ?”नीरू दी को अकस्मात अपने गाँव में देखकर वो विस्मित हो उठे । नीरू दी ने दृष्टि उठाई तो प्रश्न कर्ता को क्षण भर में पहचान कर बस देखती ह...

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असल जिंदगी.. By Tarun Kumar Saini

हैं अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा..... सुनियेगा एक बार गाना और बोल पर थोड़ा ध्यान दीजियेगा । ज़िंदगी और आवारापन बहुत कम लोग "जी" पाते हैं । दिल तो मानो अब एक बाय-पास या ओपनहा...

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