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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • ममता की छाँव - 2

    हर रविवार छुट्टी के दिन मौली अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ जानवरों को जं...

  • थोड़ी देर और ठहर

    लम्बी कहानी-"थोड़ी देर और ठहर" -नहीं-नहीं, जेब में चूहा मुझसे नहीं रखा जाये...

  • हड़बड़ी में उगा सूरज

    हड़बड़ी में उगा सूरजक्रिस्टीना से मेरी पहचान कब से है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसक...

मंज़िलों का दलदल - 2 By Deepak Bundela AryMoulik

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चां...

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ममता की छाँव - 2 By Sarita Sharma

हर रविवार छुट्टी के दिन मौली अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ जानवरों को जंगल छोड़ने जाते और दिन तक घर आ जाते थे..आज भी जब पड़ोस में रहने वाली खुशी जो मौली की उम्र की है आवाज दी...

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तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खत्म By Divya Sharma

___________________________“क्या देख रहे हो!हाँ जानती हूँ थोड़ी मोटी हो गई हूँ पर उम्र भी तो देखो पूरी पैंतालीस साल की हूँ।आप भी ना!आँखों से ही सारी बात समझा देते हो।”कह कर स्मृति व...

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सरनेम गांधी By Shikha Kaushik

''पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हु...

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थोड़ी देर और ठहर By Prabodh Kumar Govil

लम्बी कहानी-"थोड़ी देर और ठहर" -नहीं-नहीं, जेब में चूहा मुझसे नहीं रखा जायेगा. मर गया तो? बदन में सुरसुरी सी होती रहेगी. काट लेगा, इतनी देर चुपचाप थोड़े ही रहेगा? सारे में बदब...

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अब लौट चले -10 (अंतिम भाग) By Deepak Bundela AryMoulik

अब लौट चले -10सामने के दरवाजे से रवि, अरविन्द और संजना अंदर आ रहें थे. सहमे और डरे हुए से रवि अपना सर झुकाये चुप चाप मनु के सामने खड़ा हो गया था... बैठिये आप लोग... नो सर थेंक्स.......

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हड़बड़ी में उगा सूरज By Prabodh Kumar Govil

हड़बड़ी में उगा सूरजक्रिस्टीना से मेरी पहचान कब से है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके बहुत सारे उत्तर हो जाएंगे, और ताज़्जुब मुझे बहुत सारे उत्तर हो जाने का नहीं होगा,बल्कि इस बात का ह...

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काश... By Saurabh kumar Thakur

अक्सर सोचा करता हूँ कि मैं आखिर पढ़ता कब हूँ ।रात को बारह बजे मोबाइल में नेट आता है,सुबह से शाम तीन बजे तक मोबाइल चलाते रहता हूँ ।फिर कोचिंग जाता हूँ ।शाम में सात बजे वापस आता हूँ ।...

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चलन By राजनारायण बोहरे

कहानी--- राजनारायण बोहरे चलन...

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सबेरे सबेरे By r k lal

सबेरे सबेरेआर 0 के 0 लालसंजीव अपने बॉस के कमरे से निकल कर कार्यालय के हाल में आया तो उसने सबको बताया कि आज बॉस का मूड बहुत खराब है, बहुत चिड़चिड़ा रहे हैं, आप लोग जरा बहुत संभाल कर...

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मैडम का मन जीत लिया By Monty Khandelwal

3 दिन पहले की ही बात है | मुझे मारवाड़ जाना है| जिसकी टिकट निकलने के लिए में रेलवे स्टेशन गया था | जहाँ पे रिजर्वेशन टिकट मिलती है | वहां पर लंबी सी लाइन लगी हुई थी मैं भी अपना...

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बाँझ By Mirza Hafiz Baig

बांझ1.शाम. . .खिड़की से बाहर देखते हुए, अपनी आत्मा के दर्द को महसूस करना जैसे उसके जीवन का ढर्रा बन गया था। शाम, रात में बदलने लगी थी। उसने एक गहरी सांस के साथ महसूस किया कि उसकी जि...

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अम्मा By Ila Singh

अम्मा ******* “आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !”भाभी ने रोटी सेकते-सेकते झटके से आटे की परात अपने आगे से सरका दी और झल्लाते हुए लकड़ी के पटरे को पैर से ठेल कर चूल्हे के पास से उठ खड़ी...

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हीरो By Saurabh kumar Thakur

बात है,बिहार के एक ऐसे जिला जहाँ नक्सली हमले होते रहते हैं,और ज्यादा नक्सली वहीं होते हैं । उस जिले में बारह दोस्त रहते थे,पहले का नाम सौरभ,दूसरे का नाम चंदन,तीसरे का नाम गोलू,चौथे...

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इन्कार By Mukteshwar Prasad Singh

इन्कार​आज राजा देवकीनन्दन एण्ड डायमंड जुबली महाविद्यालय ,मुंगेर के कैम्पस में नयी चहल-पहल थी। ऐसी चहल पहल प्रायः प्रतिवर्ष देखी जाती है जब इन्टरमीडिएट कक्षाओं क...

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दास्तान-ए-अश्क - 30 - लास्ट पार्ट By SABIRKHAN

कहते हैं ना मजबूरी इंसान को बहुत कुछ करवाती है जिंदगी में पहली बार उसने अपने भाइयों से मदद मांगी.. मरने से तो यह रास्ता उचित ही था l अब घर की चिंता नहीं थी मगर एक बात थी जो उसको खा...

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गांव की पंडिताइन By r k lal

"गांव की पंडिताइन" आर0 के0 लाल विजयदशमी के अवसर पर पंडिताइन ने अपने घर में भंडारा किया। कई गांवों के लोगों को निमंत्रण दिया था। बड़ी संख्या में लोग आए थे। पंडिताइन बड़े रोब के...

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मेरा गाँव मेरा देश By Mukteshwar Prasad Singh

मेरा गाँव मेरा देश​नैनसी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ’एम फील’ की परीक्षा उत्तीर्ण कर गयी। उसका शोध का विषय था ’’इण्डियन कल्चर ड्यूरिंग ब्रिटिश राइन’’। शोध-पत्र तैयार...

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एक और मौत By Deepak Bundela AryMoulik

रुपहले पर्दे के पीछे का सच मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... ! ओह सु...

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अतीत By Mukteshwar Prasad Singh

अतीतलगभग एक घंटा से स्थापना समिति की बैठक समाहर्ता कक्ष में चल रही थी।ज़िला के आला अधिकारी इसमें शामिल थे।प्रमुख प्रस्तावों में स्थानान्तरण-पदस्थापन एवं प्रोन...

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रिश्ता अपनो से By Manjeet Singh Gauhar

आपने अब तक शायद सिर्फ़ ऐसे लोगों को ही देखा होगा जो ये कहते हैं कि ' मेरे परिवार में तो चार सदस्य हैं या पाँच सदस्य हैं या आठ, दस, बारह हैं।' जो परिवार के सदस्यों की गिनती...

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अनुराग By Mukteshwar Prasad Singh

अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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गुलाबो By Mukteshwar Prasad Singh

" गुलाबो ’’साहेबपुर कमाल स्टेशन के पश्चिमी छोर पर चालीस -पचास बनजारे कुछ दिनों से अपने तम्बुओं को तान डेरा जमाए थे। तम्बू फटी-चिटी चादरों और टेन्ट को हाथ सिलाई कर ब...

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शरद पूर्णिमा By Pushp Saini

कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा रहा था,तो दूसरी तरफ कृत्रिम झरनों से फूटती कलकल की ध्वनि के साथ-साथ पक्षियों की चह चहाहट वातावरण को...

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रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं By r k lal

रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं आर 0 के 0 लाल तुम यहां सोई हुई हो। तुम्हें पता भी नहीं कि मेहमान चले गए हैं। तुम बड़ी हो गई हो इतना भी नहीं होता कि मां के कुछ काम ही करा लो। मेहमान क...

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सुनहरे हथियार By Manjeet Singh Gauhar

कुछ समय से प्रचलित हमारे भारत देश में एक बात बहुत ही ज़्यादा प्रसिद्ध है। और वो ये कि ' अपनी और अपने सामान की रक्षा स्वयं करें '।अब चूंकि हमारा देश भारत कुछ ज़्यादा ही धार्...

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घर का माहौल By r k lal

“घर का माहौल” आर 0 के 0 लाल हेलो सविता! कैसी हो? हम लोग सोच रहे हैं कि शुक्रवार को तुम्हारे यहां आ जाएं। बहुत दिन से मुलाकात नहीं हुई है। राधिका ने फोन पर...

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असीम प्रतीक्षा By Pushp Saini

कहानी --- असीम प्रतीक्षा ✍?***********************"तुमने पार्क में मिलने को क्यों बुलाया ? घर ही आ जाती न" --- असीम ने कहा प्रतीक्षा ने इस बात पर कुछ नहीं कहा और तलाक़ के कागज़ असी...

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असली आज़ादी वाली आज़ादी By devendra kushwaha

देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर...

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लल्लू By Pushp Saini

( कहानी -- लल्लू ✍)__________________"बेटा हुआ है" नर्स ने जैसे ही यह ख़बर दी तो अम्मा चहक उठी और बोली --"अरे लल्लू तू बाप बन गया,छोटा लल्लू आया है" ।जी हाँ लल्लू ! इसी नाम से ही स...

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दूर देश में मेरा दोस्त By Manjeet Singh Gauhar

एक बात तो है भाइयों अपना देश अपना होता है।इस विषय में मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ-:मेरा एक बहुत प्यारा दोस्त था। जिसका नाम शिवम् था। लेकिन मैं प्यार से उसे शिव्बू कह कर पुकारता था...

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मंज़िलों का दलदल - 2 By Deepak Bundela AryMoulik

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चां...

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ममता की छाँव - 2 By Sarita Sharma

हर रविवार छुट्टी के दिन मौली अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ जानवरों को जंगल छोड़ने जाते और दिन तक घर आ जाते थे..आज भी जब पड़ोस में रहने वाली खुशी जो मौली की उम्र की है आवाज दी...

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तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खत्म By Divya Sharma

___________________________“क्या देख रहे हो!हाँ जानती हूँ थोड़ी मोटी हो गई हूँ पर उम्र भी तो देखो पूरी पैंतालीस साल की हूँ।आप भी ना!आँखों से ही सारी बात समझा देते हो।”कह कर स्मृति व...

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सरनेम गांधी By Shikha Kaushik

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थोड़ी देर और ठहर By Prabodh Kumar Govil

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अब लौट चले -10 (अंतिम भाग) By Deepak Bundela AryMoulik

अब लौट चले -10सामने के दरवाजे से रवि, अरविन्द और संजना अंदर आ रहें थे. सहमे और डरे हुए से रवि अपना सर झुकाये चुप चाप मनु के सामने खड़ा हो गया था... बैठिये आप लोग... नो सर थेंक्स.......

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हड़बड़ी में उगा सूरज By Prabodh Kumar Govil

हड़बड़ी में उगा सूरजक्रिस्टीना से मेरी पहचान कब से है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके बहुत सारे उत्तर हो जाएंगे, और ताज़्जुब मुझे बहुत सारे उत्तर हो जाने का नहीं होगा,बल्कि इस बात का ह...

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काश... By Saurabh kumar Thakur

अक्सर सोचा करता हूँ कि मैं आखिर पढ़ता कब हूँ ।रात को बारह बजे मोबाइल में नेट आता है,सुबह से शाम तीन बजे तक मोबाइल चलाते रहता हूँ ।फिर कोचिंग जाता हूँ ।शाम में सात बजे वापस आता हूँ ।...

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चलन By राजनारायण बोहरे

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सबेरे सबेरे By r k lal

सबेरे सबेरेआर 0 के 0 लालसंजीव अपने बॉस के कमरे से निकल कर कार्यालय के हाल में आया तो उसने सबको बताया कि आज बॉस का मूड बहुत खराब है, बहुत चिड़चिड़ा रहे हैं, आप लोग जरा बहुत संभाल कर...

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मैडम का मन जीत लिया By Monty Khandelwal

3 दिन पहले की ही बात है | मुझे मारवाड़ जाना है| जिसकी टिकट निकलने के लिए में रेलवे स्टेशन गया था | जहाँ पे रिजर्वेशन टिकट मिलती है | वहां पर लंबी सी लाइन लगी हुई थी मैं भी अपना...

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बाँझ By Mirza Hafiz Baig

बांझ1.शाम. . .खिड़की से बाहर देखते हुए, अपनी आत्मा के दर्द को महसूस करना जैसे उसके जीवन का ढर्रा बन गया था। शाम, रात में बदलने लगी थी। उसने एक गहरी सांस के साथ महसूस किया कि उसकी जि...

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अम्मा By Ila Singh

अम्मा ******* “आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !”भाभी ने रोटी सेकते-सेकते झटके से आटे की परात अपने आगे से सरका दी और झल्लाते हुए लकड़ी के पटरे को पैर से ठेल कर चूल्हे के पास से उठ खड़ी...

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हीरो By Saurabh kumar Thakur

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इन्कार By Mukteshwar Prasad Singh

इन्कार​आज राजा देवकीनन्दन एण्ड डायमंड जुबली महाविद्यालय ,मुंगेर के कैम्पस में नयी चहल-पहल थी। ऐसी चहल पहल प्रायः प्रतिवर्ष देखी जाती है जब इन्टरमीडिएट कक्षाओं क...

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दास्तान-ए-अश्क - 30 - लास्ट पार्ट By SABIRKHAN

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गांव की पंडिताइन By r k lal

"गांव की पंडिताइन" आर0 के0 लाल विजयदशमी के अवसर पर पंडिताइन ने अपने घर में भंडारा किया। कई गांवों के लोगों को निमंत्रण दिया था। बड़ी संख्या में लोग आए थे। पंडिताइन बड़े रोब के...

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मेरा गाँव मेरा देश By Mukteshwar Prasad Singh

मेरा गाँव मेरा देश​नैनसी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ’एम फील’ की परीक्षा उत्तीर्ण कर गयी। उसका शोध का विषय था ’’इण्डियन कल्चर ड्यूरिंग ब्रिटिश राइन’’। शोध-पत्र तैयार...

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एक और मौत By Deepak Bundela AryMoulik

रुपहले पर्दे के पीछे का सच मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... ! ओह सु...

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अतीतलगभग एक घंटा से स्थापना समिति की बैठक समाहर्ता कक्ष में चल रही थी।ज़िला के आला अधिकारी इसमें शामिल थे।प्रमुख प्रस्तावों में स्थानान्तरण-पदस्थापन एवं प्रोन...

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अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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गुलाबो By Mukteshwar Prasad Singh

" गुलाबो ’’साहेबपुर कमाल स्टेशन के पश्चिमी छोर पर चालीस -पचास बनजारे कुछ दिनों से अपने तम्बुओं को तान डेरा जमाए थे। तम्बू फटी-चिटी चादरों और टेन्ट को हाथ सिलाई कर ब...

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शरद पूर्णिमा By Pushp Saini

कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा रहा था,तो दूसरी तरफ कृत्रिम झरनों से फूटती कलकल की ध्वनि के साथ-साथ पक्षियों की चह चहाहट वातावरण को...

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रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं By r k lal

रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं आर 0 के 0 लाल तुम यहां सोई हुई हो। तुम्हें पता भी नहीं कि मेहमान चले गए हैं। तुम बड़ी हो गई हो इतना भी नहीं होता कि मां के कुछ काम ही करा लो। मेहमान क...

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घर का माहौल By r k lal

“घर का माहौल” आर 0 के 0 लाल हेलो सविता! कैसी हो? हम लोग सोच रहे हैं कि शुक्रवार को तुम्हारे यहां आ जाएं। बहुत दिन से मुलाकात नहीं हुई है। राधिका ने फोन पर...

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असीम प्रतीक्षा By Pushp Saini

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असली आज़ादी वाली आज़ादी By devendra kushwaha

देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर...

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लल्लू By Pushp Saini

( कहानी -- लल्लू ✍)__________________"बेटा हुआ है" नर्स ने जैसे ही यह ख़बर दी तो अम्मा चहक उठी और बोली --"अरे लल्लू तू बाप बन गया,छोटा लल्लू आया है" ।जी हाँ लल्लू ! इसी नाम से ही स...

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दूर देश में मेरा दोस्त By Manjeet Singh Gauhar

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