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पुस्तक समीक्षा By Yashvant Kothari

पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी राजकमल ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्या...

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तिलिस्मी कमल By Vikrant Kumar

चन्दनगढ़ पहाड़ की हसीन वादियों के बीच बसा एक छोटा सा राज्य था । जिसके राजा जयदेव सिंह थे जो अपने प्रजा को अपने पुत्र की तरह चाहते थे । राजा जयदेव सिंह के राज्य में प्रजा अपने अच्छे स...

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? By Captain Dharnidhar

आपने एक खेल कभी अपने बचपन मे खेला होगा दो दल बच्चो के बनाये जाते है एक दल घोड़ी बन जाता है दूसरे दल वाले उनकी पीठ पर बैठ जाते हैं फिर एक बच्चा पूछता है "धींगा ऊपर कौन चढ़ा ? चढ...

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We Met By GA...

एक advertisement company के एक डिपार्टमेंट में 6 एम्प्लॉय के बीच बतें हो रही थी

एक एंप्लॉय जिसका नाम राज है वह कहता है "देखो तो अब कैसे-कैसे ऐप आने लगे हैं"

राज की...

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हीर... By रितेश एम. भटनागर... शब्दकार

डिस्क्लेमर - ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी का किसी भी तरह से किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है... कहानी को वास्तविक रंग देने के लिये कहानी की जरूरत के...

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इंतजार आपका By Sankhat Nayna

आज में आपको एक रियल स्टोरी बताने जा रही हूं।प्यारी सी मासूम सी एक लड़की है। जो अपने छोटे से परिवार के साथ बहुत खुश है। सबको हंसाती है खुुद दुखी हो कर भी दूसरों क...

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युवा किंतु मजबूर By Lalit Kishor Aka Shitiz

आषाढ़ का महिना था, हल्की ठंडी हवा गुनगुना रही थी और धीमे धीमे भोर की खुशबू फैल रही थी और प्रकृति ये संदेश दे रही थी की कुछ ही क्षणों में सूर्योदय होने को है ...

राकेश वही रोज की...

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भय का कहर.. By Abhishek Chaturvedi

गॉंव के किनारे पर स्थित एक प्राचीन हवेली थी, जिसे लोग "अन्धकार का किला" कहते थे। यह हवेली घने जंगल के बीचोबीच स्थित थी, जहां दिन में भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती थी। इस हव...

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साथ साथ By Kishanlal Sharma

"अब हमें भी शहर छोड़ देना चाहिए
कुलदीप लौटकर आया तो पत्नी से बोला था।
"क्यो?"पति की बात सुनकर इवाना बोली थी
"शहर खाली होता जा रहा है।लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने...

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अफसर का अभिनन्दन By Yashvant Kothari

कामदेव के वाण और प्रजातंत्र के खतरे यशवन्त कोठारी होली का प्राचीन संदर्भ ढूंढने निकला तो लगा कि बसंत के आगमन के साथ ही चारों तरफ कामदेव अपने वाण छोड़ने को आतुर हो जाते हैं मा...

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