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सम्बन्ध आरती अपने पति की फैक्ट्री के निकट बने एक कैफे में बैठी हुई थी । उ...
अनंता जब नहा कर बाहर आती हैं.. तो वो देखती हैं..उसके कपड़े जो अभी उसने अलमीरा से...
अब आगे, राजवीर के पी ए दीप की बात सुन कर, रूही के पिता अमर को आज अपनी बेटी रूही...
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Chapter - 6पनपता एहसास या राज ए दर्द#After Some Time..... नील गिटार बजाते हुए चा...
1.किस हद तक इंतजार करें कोई, गुलाब कब तक ताज़ा रहेगा... आखिर ?2.वो हमसें जुदा हो...
दूसरा अध्याय बांटत द्रव्य अपार, चल दई आगे गंगा माई। पर्वत काटत चली, गुप्त कहीं...
प्रेम, जो दिल की गहराई से उपजता है, वह सिर्फ एक अहसास नहीं होता बल्कि एक यात्र...
पंडित जी ने अवनी की शादी उस नाग से करवा दी और वह नाग वहां से जंगल की तरफ चला गया...
रात का समय, नेशनल हाईवे, सिद्धांत सारे गुंडों को धोने के बाद वापस निशा के...
आज का दिन जस्न का दिन था | क्योंकी सुल्ताना —ए—सूर्यगढ़ मित्रा ने एक सुंदर और आकर्षक पुत्र को जन्म दिया था| सुल्ताना मित्रा के पति धर्मदेव जी थे… जैसा उनका नाम था वैसे ही...
जय श्री राम ...! अयोध्या .....! " क्या लिखू और क्या न लिखूं ? शब्द कम पड़ जाएंगे , लिखते लिखते उंगलियां थक जाएगी लेकिन इस स्थान का संपूर्ण विवरण नही कर पाऊगी । उत्तर प्रदेश के...
यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बहुआपुर की रहने वाली लाजवंती की है ,लाजवंती 18 साल की थी। लाजवंती कुर्ती और अपने बदन पर हमेशा एक दुपट्टा लिए रहती थी । उसकी मां कुछ ह...
लाल और सफेद गुलाबों का जंगल ढोल और तुरहियों की आवाजों से गुज रहा था। गुलतरंग के मेले की अन्तिम रात थी। तीर्थस्थान के एक विशिष्ठ चबूतरे को फूलों में बसे हुये जल से धोया गया था और...
एक वैल एजुकेटेड रिप्यूटेड सिंघानिया परिवार, जिसके सभी सदस्य किसी हायर पोस्ट पर हैं। सोसाइटी में अच्छी रेपुटेशन के साथ हस्ता खेलता सुखी परिवार जिसका छोटा बेटा कार्निश जो एक राइटर बन...
दिव्य जीवन की एक झलक हमारा सौभाग्य है कि हमारी वसुन्धरा कभी संतों से विरहित नहीं रही। संतों की चेष्टायें साधन काल में भी एवं सिद्धावस्था में भी विभिन्न प्रकार की होती हैं पर होती...
चाय का कप हाथ में लेकर धीरे धीरे कांपकपाते पैरों से आराम कुर्सी तक का सफ़र मेरे लिए ऐसा लगा, जैसे एक किलोमीटर का सफ़र। आराम कुर्सी के बराबर में पुराने स्टूल पर चाय का कप रख कर अपने...
सेठ हीरा लाल अपनी पत्नी गायत्री के साथ रोज़ की ही तरह आज भी प्रातः काल सैर पर निकले थे। बारिश के दिन थे, बहुत ही खूबसूरत मौसम, ठंडी पवन, शरीर और मन को लुभा रही थी। प्रातः के लगभग पा...
एक गाव था जिसका नाम था । कैलास पुर । उस गाव मे एक जंगल पड़ता था । शाम के ७ बजे के बाद वहा कोई भी आदमी नहीं जाता था । कहते है शाम के बाद जो वहा...
----वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो----वो दोस्ती ही क्या जिसमें प्यार न हो ,वो सफलता ही क्या जिसमें इन्तजार न हो , दोस्ती तो दो आत्माओं का मिलन है ,पर वो दोस्ती ही क्या जिसमें...
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