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राजीव के घर से आकर जया अपनी स्कट्टी से सीधे अपने ऑफिस दी न्यूज टाइम्स में चली जा...
अब आगे,अब वो दोनो फीमेल एम्प्लॉय अपना सिर झुकाकर बैठी हुई थी तो रूही उस दोनो फीम...
और वह उससे पूछता रहा वह कागज पर लिखती रही।और उसने जो बताया निम्न थाजाकिर अपनी बी...
वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी यह शहर कल- कारखानों के लिए जाना जाता है। वक्त की...
य़ह जो बेठे है है पिछली बेंच पे, य़ह भी अच्छे होते हैं पढ़ाई मेंफर्क यहि है कि ब...
अध्याय 1: मुंबई की अद्भुत रातें मुंबई, जिसे अक्सर "सपनों की नगरी" कहा जाता है,...
1."पाने की तलब है ही कहां""हम तो बस तुझे खोने से डरते हैं"2.बहुत खूबसूरत है, तेर...
मेरा जन्म गाव मे एक छोटे से परिवार मे हुआ था। मेरे पापा गुजराती विषय के अध्यापक...
उत्तर प्रदेश,गाँव के मुखिया चौधरी रणधीर के घर आज लोगों की भीड़ लगी हुई थी। पूरा...
दिल से दिल तक: शादीशुदा आभा के प्यार का क्या था अंजाम (Part-1)‘‘हर्ष,अब क्या होग...
"हां मेरी प्यारी मम्मी आ रहा हूं यार आप इतना जोर देकर बार-बार क्यों बोल रहे हो" मनोज ने अपनी मम्मी से कहा। "बार-बार इसलिए बोलना पड़ रहा है क्योंकि तुम पिछले 2 साल से...
रिश्तों की अहमियत.... राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे।...
"आज फिर नहीं........... इस हफ्ते में ये तीसरी बार हुआ है, अगर आज भी मे लेट पहोची तो उस बंदर ने पक्का मेरा खुन कर देना है , यही सोच के लडकी ने अपनी गति को बढाया और भागने लगी ।...
शाम का वक़्त हो गया था आयशा अपनी दोस्त सकीना के साथ छत पर बाते कर रही थी तभी अज़ान होने लगती है दोनों सर पे दुपट्टा लेती है फिर आयशा बोलती है अच्छा सकीना अब मैं नीचे जा रही हूँ नमा...
ये कहानी है एक लड़की जो प्रेम नगर देहरादून में रहती है जिसका नाम रिचा है वह एक अच्छी और रिच फैमिली से बिलोंगे करती है रिचा के पापा आलोक शर्मा पी.डब्ल्यू.डी. डिपार्टमेंट में सी.ई.ओ....
कविता भारी कदमों से वो बस की और बढ़ी, उसे लगा शमित उसे शायद रोक लेगें.., इसलिये स्टेशन तक छोड़ने आये हों..,कुछ तो कहेगें .., बस में चढ़ते कविता ने पीछे मुड़ के देखा ..शमित नही...
"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।" "तो कैसे?" "पहले कंडोम।" "ओहो नताशा,"पत्नी की बा...
रात साक्षी है ‘रात साक्षी है’ डॉ० सूर्यपाल सिंह की कविता पुस्तक है। इसमें सीता के अन्तिम रात की कथा है। इसे छह खंडों में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रथम खंड प्रस्तुत है। कथा...
अच्छी-खासी ठंड है। मैं पैतालीस साल बाद उस मकान में हूँ जहाँ अपने विद्यार्थी जीवन में रहता था। अलमारी खोलता हूँ तो उसमें टका मेरा कोट पड़ा है। कुछ बेतरतीब सी लिखी कविताओं की एक कापी...
नारी के लिए विवाह बंधन है या जरूरत पढ़िए यह कहानी -------///----------//// "आखिर तेरी शादी हो ही गयी।तू एक मर्द की दासी बन ही गयी,"रूपा बोली,"तूने एक आदमी की गुलामी स...
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