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खण्ड काव्य बेटी का यथार्थ राम गोपाल भावुक वेदराम राम प्रजापति...
शालू के हाथ पाँव ठंडा पड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? एक पल...
( यह वैचारिक लेख है,किसी भी तरह इसे राजनीति से लिंक न किया जाए,कोई resemblence ल...
आदित्य जो सभी को नवरात्रि के फंक्शन में आने के लिए वेलकम कह रहा था! वो डीजे वाले...
वो डरी हुई सी दुल्हन बनी बैठी थी। उसकी उम्र अभी बस 24 साल थी देखने में किसी पर...
1.साथ रहते यूँ ही वक़्त गुजर जायेगा,दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा,जी लो ये प...
फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ला,,,,,...
अब तक हम ने पढ़ा की दोनो घर वालों में रजामंदी हो गई थी अब बारी थी सगाई की। लूसी...
आइए, आज मैं आपको एक ऐसी रेसिपी बताने जा रहा हूँ, जो एक सीक्रेट फॉर्मूला है, बिल्...
जिसे सुन डॉक्टर अनिरुद्ध को ऊपर से नीचे देखते हुए ,,,,,,कुछ देर कुछ सोच अपने सर...
अर्ज किया है,निगाहे क्या खूब है,सुकु छाया हुआ है,हस्त की रेखा क्या कमाल है,कोमल से पंख है,खुबसूरती क्या लाजवाब है,दिल पे धार है..सुबह की हल्की सी किरने खिड़की के अंदर दस्तक ले रही...
नवलकथा के बारे में: दुनिया का सबसे अटल सत्य ये है कि, होनी को कोई नहीं टाल सकता। कभी कभी हम सभी को लगता है कि, काश हम अपना पुराना वक़्त बदल पाते। काश कुछ लम्हे हम उनके साथ बिता पाते...
सिन्घनियां मेंशन, सुबह का वक़्त था चारो तरफ चिड़ियों की गड़गड़ाहट और डाइनिंग टेबल पर सब किसी का वेट कर रहे है पर वो इंसान घोड़े बेच कर सो रहा है तभी कृति बोलती है । मम्मा पापा ये छोटी...
"इतनी जरूरी मीटिंग और ऊपर से लेट हो गया। आज तो मेरी खैर नहीं। पक्का आज तो मुझपर शामत आने वाली है और बॉस से गालियां खाने को मिलेंगी।" – अपनी अम्मी को बोलता हुआ रफ़ीक़ घर से बा...
ये किताब मैं मेरी मां स्वर्गीय श्रीमती अनिमा भट्टाचार्या को समर्पित करती हुं। राजू दसवीं में पढ़ता था और सबका बहुत ही दुलारा था।राजू को किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। उसके घर में दो...
( A Murder Mystery ) ( अगले दिन सुबह पुलिस थाने में ) " यार साठे मुझे समझ नही आता, ये आज़कल माता पिता अपने बच्चों को बचपन मे ही पैसा कमाने की मशीन बनाने में क्यो तुले हैं। और ये...
“ क्या बात है , मैं कुछ दिनों से देख रही हूँ कि आजकल मुझ से कटे कटे रहते हैं ? मुझसे नाराज़ हैं क्या ? “ सीमा ने करवट बदलते हुए अपने पति सुरेश से कहा जो दूसरी ओर मुँह घुमा कर सोया...
हवलदार साठे बाकी के हवलदारों को जांच करने का बोल उस युवक को उठाते हुए एक कोने में ले जाते हैं। इधर इंस्पेक्टर विजय लाश को बड़े गौर से देखते हैं। दोनो का गला चीरकर बड़ी निर्ममता से उ...
जी हां ये बात सौ फीसदी बिलकुल सही हैं..एक मोहल्ला ही हैं जहां ज़माने भर की चर्चाए तों होती हैं लेकिन वो कभी खबरों में शामिल नहीं हो पाती हैं.. क्योंकि जो भी खबर कनाफूसी से शुरू होकर...
नुक्कड़ व चौराहों पर चल रही राजनीतिक चर्चाओं को शब्द रूप देने का प्रयास करती 2017 में लिखी हुई एक धारावाहिक रचना !*********एक देहाती बाजार में नुक्कड़ पर एक चाय की दूकान पर रामू, क...
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