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अध्याय 1: अनजान गांव की दहलीज राजेश ने जैसे ही गांव की ओर कदम बढ़ाया, उसे महसूस...
अब आगे,अराध्या की बात सुन कर, अब अर्जुन ने उस की आंखो में देखते हुए उस से कहा, "...
शिव वहां से खड़े होकर चल जाता है ... उसके जाते ही अनंता उसको देखते ही रहती है .....
प्रकरण - ४६मैं दिन की अपनी आखिरी रिकॉर्डिंग ख़त्म करके अभी-अभी घर पहुँचा था। मैं...
रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था, और शहर के बाहरी हिस्से में स्थित एक पुरानी हवेल...
खण्ड काव्य बेटी का यथार्थ राम गोपाल भावुक वेदराम राम प्रजापति...
शालू के हाथ पाँव ठंडा पड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? एक पल...
( यह वैचारिक लेख है,किसी भी तरह इसे राजनीति से लिंक न किया जाए,कोई resemblence ल...
आदित्य जो सभी को नवरात्रि के फंक्शन में आने के लिए वेलकम कह रहा था! वो डीजे वाले...
वो डरी हुई सी दुल्हन बनी बैठी थी। उसकी उम्र अभी बस 24 साल थी देखने में किसी पर...
महाकवि भवभूति भारतीय साहित्य एवं संस्कृति की अमर विभूति हैं। उनका साहित्यिक अवदान न केवल एक कवि एवं नाटकार के रूप में वरन् एक महान प्रेरक के रूप में भी हमारे स्वर्णिम इतिहास का अवि...
भारत से लंदन जाने वाले विमान पर ,चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया था. सभी यात्रियों के चेहरे पर परेशानी की रेखाएं खिंच आई थीं. यात्रियों की आशा भरी निगाहें चालक पर टिकी थीं....
Chapter 1सन 1942 का दौर था। सारे देश में ही अंग्रेज़ों को देश से बाहर कर स्वराज लाने का प्रबल संकल्प था। देश को अंग्रज़ों की पराधीनता से छुड़ाने का जुनून...
ज़िदगी के सफ़र मे ना जानें किस मोड़ पर क्यां होता हे क्यूँ होता हे उनका ना तो हम अंदाजा लगा सकते हैं और ना तो हमें उनकीं खबर होतीं हैं,जाने हुए रास्तों पर भी मैंने ऐसे मोड़ पर गहरा...
पौ फटने का समय दूर था, पर माधव तो तड़के चार बजे ही उठ गया था। धान की रोपाई की रुत थी, तो पंछियों के चहचहाने से पहले ही, गांव के ज्यादातर घरों के किवाड़ खुल गए थे। बिना कोई आहट किए,...
बेडरूम के दरवाजे के ऊपर रही खाली दीवार पर लगी हुई घड़ी के दोनों कांटे आपस में एक होकर मिलने के बाद धीरे धीरे बिछुड़ रहे थे । डबल बेड के सामने की दीवार पर टंगी हुई राजीव और रागिनी की...
घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम (भाग-1)“चलो कपड़े पहनते हैं अब इश्क़ पूरा हुआ–––छी...!! बस यही रह गया है प्यार–मुहब्बत का पर्याय!” पास पड़ी मेज पर किताबें पटकते हुए निशा ने कहा । मैंने...
शोरएक कैफे कराओके क्लब जहाँ सैकड़ों भीड़ जमा हैं हर किसी के चहरे पर मुस्कान हैं और कुछ देर बाद चहरे के भाव बदल जा रहे हैं कभी हँस रहे तो कभी थोडा शांत हो जा रहे हैं साथ ही ताली भी बज...
ट्रेनों की गड़गड़ाहट के बीच, स्टेशन के पिछले हिस्से की तरफ रेलवे ट्रैक पर बैठी सपना की आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे. उधर से निकलने वाले लोग बार-बार उसे रेलवे ट्रैक से हटने की बात कह...
अँधेरी गुफाMen's HUB & Dr.G.Singh बहुत बहुत समय पूर्व जब मनुष्य पूर्ण रूप से वैज्ञानिक नहीं था | उसके पास बहुत अधिक वैज्ञानिक उपकरण नहीं थे और ना ही मनुष्य ने बड़े बड़े साम्रा...
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