The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
You are welcome to the world of inspiring, thrilling and motivating stories written in your own language by the young and aspiring authors on Matrubharti. You will get a life time experience of falling in love with stories.
दिल से दिल तक: शादीशुदा आभा के प्यार का क्या था अंजाम (Part-1)‘‘हर्ष,अब क्या होग...
अब तक : संयम उसकी ओर घुमा और उसे गले लगाते हुए बोला " मेरा इस दुनिया में कोई नही...
अग्निपरीक्षा ! कुछ ही दिन पहले वह मुझे नर्सिंग होम कि लिफ्ट में टकरा...
रूही वाशरूम में अइने के सामने खड़ी अपने गले के निशान को देख रही थी जो रूद्र के व...
62चार वर्ष का समय व्यतीत हो गया। प्रत्येक दिवस गुल ने इन चार वर्षों की अवधि की स...
|| उर्वशी: प्रेम की विदाई || कहानी की शुरुआत एक छोटे से गांव से होती है, जहां हर...
सप्तम अध्याय दूर हुआ भ्रम, जाग गई ज्यौं, अपने अस्त्र संभाले। तोड़ा कुड़ी का दर...
अब आगे,कोमल डॉक्टर को कॉल करके अंदर आयी और बोली, " भाई वो आ रहे है । "तब तक मे...
दो महीने बादरॉनित का केबिन "अ.. मिस सुद, एक मिनिट रुकिए।" रॉनित ने राखी को रोकते...
रिश्तों की अहमियत.... राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे।...
"आज फिर नहीं........... इस हफ्ते में ये तीसरी बार हुआ है, अगर आज भी मे लेट पहोची तो उस बंदर ने पक्का मेरा खुन कर देना है , यही सोच के लडकी ने अपनी गति को बढाया और भागने लगी ।...
शाम का वक़्त हो गया था आयशा अपनी दोस्त सकीना के साथ छत पर बाते कर रही थी तभी अज़ान होने लगती है दोनों सर पे दुपट्टा लेती है फिर आयशा बोलती है अच्छा सकीना अब मैं नीचे जा रही हूँ नमा...
ये कहानी है एक लड़की जो प्रेम नगर देहरादून में रहती है जिसका नाम रिचा है वह एक अच्छी और रिच फैमिली से बिलोंगे करती है रिचा के पापा आलोक शर्मा पी.डब्ल्यू.डी. डिपार्टमेंट में सी.ई.ओ....
कविता भारी कदमों से वो बस की और बढ़ी, उसे लगा शमित उसे शायद रोक लेगें.., इसलिये स्टेशन तक छोड़ने आये हों..,कुछ तो कहेगें .., बस में चढ़ते कविता ने पीछे मुड़ के देखा ..शमित नही...
"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।" "तो कैसे?" "पहले कंडोम।" "ओहो नताशा,"पत्नी की बा...
रात साक्षी है ‘रात साक्षी है’ डॉ० सूर्यपाल सिंह की कविता पुस्तक है। इसमें सीता के अन्तिम रात की कथा है। इसे छह खंडों में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रथम खंड प्रस्तुत है। कथा...
अच्छी-खासी ठंड है। मैं पैतालीस साल बाद उस मकान में हूँ जहाँ अपने विद्यार्थी जीवन में रहता था। अलमारी खोलता हूँ तो उसमें टका मेरा कोट पड़ा है। कुछ बेतरतीब सी लिखी कविताओं की एक कापी...
नारी के लिए विवाह बंधन है या जरूरत पढ़िए यह कहानी -------///----------//// "आखिर तेरी शादी हो ही गयी।तू एक मर्द की दासी बन ही गयी,"रूपा बोली,"तूने एक आदमी की गुलामी स...
एक छोटी सी बच्ची , रोते हुए मुंबई की गलियों में भाग रही थी | उस बच्ची की रोने की आवाज़ , हर कोई गुज़रता हुआ इन्सान सुन सकता था | बच्ची का नाम कायरा , जो अभी सिर्फ दो साल की ही थी | उ...
लॉग इन करें
लॉगिन से आप मातृभारती के "उपयोग के नियम" और "गोपनीयता नीति" से अपनी सहमती प्रकट करते हैं.
वेरिफिकेशन
ऐप डाउनलोड करें
ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक प्राप्त करें
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser