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वो एक दुकान के सामने जा कर खड़ी हो जाति है .. वो पूरी दुकान कपड़ो से घेरी हुई थी...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"(पार्ट -२०)इंसान के स्वभाव को पहचानना मुश्किल है,...
अब तक: शिविका ने अपनी साड़ी संभाली और वह भी उनके पीछे जाने लगी । मोनिका देख सकती...
(7)अगले ही दिन सब इंस्पेक्टर राशिद एक हवलदार के साथ माधोपुर के लिए निकल...
बंटी की बाते सुन कर यूवी बोलता है, "मुझे क्या पता कि इसने मुझे गोली क्यों मारी,...
पटारे मैं से निकली कहानी से ये भी याद आता हैँ की लोग अभी विश्वास जल्दी कर लेते ह...
79 खून गाड़ी में ही दोनों के हाथ और मुँह बाँध दिए गए हैं, अब गाड़ी शहर से दूर ए...
इस वक्त अमीषा के होंठ एक दम लाल हो गए थे उन्होंने रोते रोते रणविजय से कहा कि कित...
प्रकरण - ५६वक्त कहां बीत जाता है, कुछ पता ही नहीं चलता। देखते ही देखते तो दिवाली...
69 “भ्रमण से पूर्व भगवान के मंदिर में जा...
दिल्ली की एक शानदार सोसाइटी का एक आलीशान बंगला। यह बंगला है जाने माने बिजनेस में अरविंद चतुर्वेदी का जहां पर अरविंद चतुर्वेदी अपनी पत्नी साधना और दोनों बेटे अक्षत और ईशान के साथ रह...
आसमान पर पूरा चांद अपनी रोशनी से भनायक दिखने वाली जगहों को भी हसीन बना रही थी। अंधेरा एक हसीन जगह को भयानक बना सकता है और रौशनी एक भयानक जगह को हसीन बना सकती है। घने जंगल को चीरत...
ये कहानी है। अंश दीक्षित जो एक माफिया और टॉप बिजनेसमैन है,। जो अपने रुतबे और खतरनाक पहचान के लिए जाना जाता है। उसकी दुनिया में ताकत का ही राज होता है,। और वह किसी को भी अपने सामने...
अपना पुरा ब्रम्हांड चक्राकार रुप में घुमता रहता है। उसकी घुमने की प्रक्रिया बहुत ही धीरे से चलती रहती है। कभी-कभी व्यक्ति जीवन के सफर में पिसते हुए ऐसे निर्णायक मोड पर आकर रुकता है...
कुछ रिश्ते ऊपर वाले ही तय कर के रखता है और हमारे ऊपर छोड़ देता कि किसी तरह से भी इनको मिलना ही है पर प्यार का दूसरा नाम समर्पण त्याग बलिदान भी होता है।। इंसान सोचता कुछ है और होता...
एक कातिल और श्रापित तो दूसरी कुदरत के तोहफे से नवाज़ी गई! लेकिन असल श्रापित कौन?....वो जिसे श्राप मिला या फिर वो जिसे कुदरत ने तोहफा दिया? बदनामी में एक गुमनाम ज़िंदगी और मासूमि...
एकआखेट महल के परकोटे के सामने आज सुबह से ही चहल-पहल थी। बड़ी मोटर अभी-अभी आकर लौट चुकी थी। ट्रकों में भरकर ढेर सारे कामगार लाये गये थे। परकोटे के किनारे-किनारे महल के एक ओर के हिस्...
घड़ी की सुइयों के साथ भागता ये वक़्त कितना जल्दी - जल्दी ख़तम हो गया , हमें तो पता भी नहीं चला कब छुट्टियां ख़तम हो गई थी उन बगीचों में फूलों का खुशबू , तितलियों के साथ खेलना वो...
एक लड़की अभी खिड़की के पास खड़ी खड़ी कुछ सोच रही थी .. असमान में बेहद ही प्यारा सा moon ? चमक रहा था. जो उसकी रोशनी से बेहद ही प्यारी लाइट अपने आसपास के वातारण में नई ऊर्जा भर रहा...
में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिय...
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