प्रेरक कथा कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Motivational Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations a...Read More


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एक जिंदगी - दो चाहतें - 11 By Dr Vinita Rahurikar

विवाह का मतलब सिर्फ दो जिस्मों का एक होना ही तो नहीं होता। दो मानसिक धरातलों का एक होना भी तो जरूरी है। दो बौद्धिक स्तरों का एक होना भी जरूरी है। जहाँ यह जरूरत पूरी नहीं होती वहाँ...

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मम्मी पढ़ रही हैं - 2 By Pradeep Shrivastava

ड्रॉइंगरूम में उसे उम्मीदों के अनुरूप नमन पढ़ता मिला। पूछने पर उसने फिर कहा ‘मम्मी ऊपर टीचर जी से पढ़ रही हैं।’ यह सुनकर हिमानी ने मन ही मन कहा आज देखती हूं तेरी मम्मी कौन सी पढ़ाई कर...

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मेरे खुदा - तू ही है हर जगह By Deepti Khanna

यह कहानी है सच ,जो सुनाऊं मैं आज इस मंच के माध्यम से आज l खाए धोखे मैंने हजार , लोगों ने ताने मार मार तोरा मेरा आत्मविश्वास l फिर एक शाम आई, गई में गुरुद्वारे की अरदास ,कहां मैंने...

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वो फरिश्ता By Renu Gupta

यह कहानी टाइम्स गृप के समाचारपत्र सांध्य टाइम्स में 10 अक्तूबर, 2019 को प्रकाशित हो चुकी है। वो फरिश्ता “अंकल, आपने आज राखी क्यों नहीं बांधी?...

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इंद्रधनुष सतरंगा - 25 - Last Part By Mohd Arshad Khan

दो दिन बाद पंद्रह अगस्त था।
आतिश जी पार्क में अकेले खड़े थे। बीती हुई यादें मन में उमड़-घुमड़ रही थीं। पहले पंद्रह अगस्त की तैयारियों में सभी लोग जुटते थे। पार्क की पूरी सपफ़ाई हो...

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मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम By Ajay Amitabh Suman

(1) मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम,खुद हीं अब खुद के,सहारे बनो तुम। किनारों पे चलना है ,आसां बहुत पर,गिर के सम्भलना है,आसां बहुत पर,डूबे हो...

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ईश्वर कृपा By Rajesh Maheshwari

ईश्वर कृपा जबलपुर शहर में सेठ राममोहन दास नाम के एक मालगुजार रहते थे। वे अत्यंत दयालु, श्रद्धावान, एवं जरूरतमंदों, गरीबों तथा बीमार व्यक...

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हुनर By Rajesh Maheshwari

हुनर बनारस में दो मित्र महेश और राकेश रहते जिन्हें मिठाईयाँ एवं चाट बनाने में महारत हासिल थी। उनके बनाये हुए व्यंजन बनारस में काफी प्रसिद्ध थे। एक दिन इन दोनो के मन में विदेश घूम...

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सुस्त रोहन By Satender_tiwari_brokenwordS

रोहन बहुत सुस्त इंसान था । उसके घरवालों को यही चिंता सताती थी कि रोहन भविष्य में कुछ नही कर पायेगा।। रोज़ सुबह उसी ताने से होती थी, " किस मनहूस घड़ी में ये लड़का हमारे घर मे पैदा हुआ...

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बाल रूप By Sohail Saifi

बाल रूप बड़ा ही चंचल और अस्थिर होता हैं भावनाओं की इस पड़ाव पर कोई एक दिशा नहीं होती क्षण भर मे माँ से रूठ जाता हैं और अगले ही क्षण माता की ममता का प्यासा कभी तो धीट हठी तो कभी परम द...

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एकता दिवस By Jyoti Prakash Rai

आज दिनांक ३१ अक्टूबर है, हम और आप आज के दिन को एकता दिवस के रूप में मना रहे है! एकता क्या है और इसका क्या अर्थ है यह जानना बेहद जरुरी है, आज के समय में बहुत से लोग ऐसे है जिन्हे एक...

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मुक्ति. By Pritpal Kaur

“तुम जिंदा क्यों हो? मर क्यों नहीं जाते? मर जाओ...”
उसकी तरफ से यह सलाह अनायास नहीं आयी थी. कई दिनों से देख रहा था, वह मुझसे ऊब चली थी. मेरे साथ-साथ, कभी मुझसे आगे, कभी पीछे चलते...

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डकैत By Sohail K Saifi

विशवाजीत साधारण सा दिखने वाला सामान्य लोगों मे रह रहा एक शातिर डकैत थाउसको देख कर होशियार से होशियार आदमी भी चकमा खा जाये ऐसा रूप धारण कर रखा था महाशय ने अरे औरो की तो छोड़ो अपनी पर...

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आस्था भूचाल By Sohail Saifi

भूचालयूँ तो श्रीमान सोमनाथ का एक मंजिला छोटा सा मकान था किन्तु अति सुन्दर था मकान के चारो ओर चार फिट की दीवारे थी अंदर प्रवेश करने के लिए एक धातु का सुन्दर द्वार था उसके बाद एक पां...

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शुरूआत By Sapna Singh

नेहा ज्यों ही लाइब्रेरी में दाखिल हुई, कोई आंधी की तरह उस से टकराते-टकराते बचा, ’’ सुनिए आप ने ’’ ’मैडम बावेरी’ इष्यू करवाई है क्या? आप शायद हफ्ते भर से ...........’’ कहते - कहते प...

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भूख... By Sarvesh Saxena

आज मंगलवार है | मैं और श्याम चौराहे के पास वाले हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ा के सीधा श्याम की बुआ जी को लेने बस अड्डे पहुंच गए, बस लेट थी, इसीलिए हमने वहीँ बैठकर बुआ जी की बस का इं...

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आस्था तर्क वितर्क By Sohail Saifi

तर्क वितर्कएक दिन प्रात काल दफ्तर के लिए घर से सोम नाथ जो निकले तो नुक्कड़ पर चायवाले के यहाँ खड़े पंडित जी ने सोम बाबू को अपनी ओर आते देख घबरा कर बचते हुए बोला राम राम सोम जी सोम -र...

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प्राप्ति By Sapna Singh

‘‘गुड नाईट‘‘ मिसेज राव । ‘‘शायद घर जाने से पहले अन्तिम बार वह राउंड मे आये थे। पीठ कि तरफ तकिया लगाये वह पूरी तरह किताब मे डूबी थी । वह कमरे मे दखिल हुए है, उसने देख लिया है कि उनक...

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आस्था परिचय By Sohail Saifi

परिचयमहाशय सोम एक नैतिक और सामाजिक व्यक्ति हैं ज्ञान का सागर उनके मस्तिष्क मे भरा पड़ा था किन्तु थे वो नास्तिक समाज की धार्मिक नीतियाँ उनको लुभाती तो थी मगर धार्मिकता के उपासक की अं...

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पदक By Upasna Siag

विभा शाम को अक्सर पास के पार्क चली जाया करती है .उसे छोटे बच्चों से बेहद लगाव है, सोचती है कितने प्यारे कितने मासूम, दौड़ते, भागते, मस्त हो कर दीन -दुनिया के ग़मों से बेखबर, बस चिं...

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साहित्य और मैं !.. By Pandit Swayam Prakash Mishra

दोस्तों !..आज मैं जिंदगी के उस दोहराहे पर खड़ा हूँ जहां मेरे लिए यह तय कर पाना संभव नही कि मैं किस रास्ते का चुनाव करू?एक ओर जहां साहित्य है तो दूसरी ओर मेरी जिंदगी ! ...भला कोई तो...

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वरुण का सफर -- अजनबी से........तक By Deepak Singh

नमस्कार मित्रों,सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।आप सभी पाठकों ने मेरा पहला लेख "मेरा पहला अनुभव...." को इतना प्यार और स्नेह दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके इतने...

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एक जिंदगी - दो चाहतें - 11 By Dr Vinita Rahurikar

विवाह का मतलब सिर्फ दो जिस्मों का एक होना ही तो नहीं होता। दो मानसिक धरातलों का एक होना भी तो जरूरी है। दो बौद्धिक स्तरों का एक होना भी जरूरी है। जहाँ यह जरूरत पूरी नहीं होती वहाँ...

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मम्मी पढ़ रही हैं - 2 By Pradeep Shrivastava

ड्रॉइंगरूम में उसे उम्मीदों के अनुरूप नमन पढ़ता मिला। पूछने पर उसने फिर कहा ‘मम्मी ऊपर टीचर जी से पढ़ रही हैं।’ यह सुनकर हिमानी ने मन ही मन कहा आज देखती हूं तेरी मम्मी कौन सी पढ़ाई कर...

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मेरे खुदा - तू ही है हर जगह By Deepti Khanna

यह कहानी है सच ,जो सुनाऊं मैं आज इस मंच के माध्यम से आज l खाए धोखे मैंने हजार , लोगों ने ताने मार मार तोरा मेरा आत्मविश्वास l फिर एक शाम आई, गई में गुरुद्वारे की अरदास ,कहां मैंने...

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वो फरिश्ता By Renu Gupta

यह कहानी टाइम्स गृप के समाचारपत्र सांध्य टाइम्स में 10 अक्तूबर, 2019 को प्रकाशित हो चुकी है। वो फरिश्ता “अंकल, आपने आज राखी क्यों नहीं बांधी?...

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इंद्रधनुष सतरंगा - 25 - Last Part By Mohd Arshad Khan

दो दिन बाद पंद्रह अगस्त था।
आतिश जी पार्क में अकेले खड़े थे। बीती हुई यादें मन में उमड़-घुमड़ रही थीं। पहले पंद्रह अगस्त की तैयारियों में सभी लोग जुटते थे। पार्क की पूरी सपफ़ाई हो...

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मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम By Ajay Amitabh Suman

(1) मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम,खुद हीं अब खुद के,सहारे बनो तुम। किनारों पे चलना है ,आसां बहुत पर,गिर के सम्भलना है,आसां बहुत पर,डूबे हो...

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हुनर By Rajesh Maheshwari

हुनर बनारस में दो मित्र महेश और राकेश रहते जिन्हें मिठाईयाँ एवं चाट बनाने में महारत हासिल थी। उनके बनाये हुए व्यंजन बनारस में काफी प्रसिद्ध थे। एक दिन इन दोनो के मन में विदेश घूम...

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सुस्त रोहन By Satender_tiwari_brokenwordS

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बाल रूप By Sohail Saifi

बाल रूप बड़ा ही चंचल और अस्थिर होता हैं भावनाओं की इस पड़ाव पर कोई एक दिशा नहीं होती क्षण भर मे माँ से रूठ जाता हैं और अगले ही क्षण माता की ममता का प्यासा कभी तो धीट हठी तो कभी परम द...

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एकता दिवस By Jyoti Prakash Rai

आज दिनांक ३१ अक्टूबर है, हम और आप आज के दिन को एकता दिवस के रूप में मना रहे है! एकता क्या है और इसका क्या अर्थ है यह जानना बेहद जरुरी है, आज के समय में बहुत से लोग ऐसे है जिन्हे एक...

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मुक्ति. By Pritpal Kaur

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डकैत By Sohail K Saifi

विशवाजीत साधारण सा दिखने वाला सामान्य लोगों मे रह रहा एक शातिर डकैत थाउसको देख कर होशियार से होशियार आदमी भी चकमा खा जाये ऐसा रूप धारण कर रखा था महाशय ने अरे औरो की तो छोड़ो अपनी पर...

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आस्था भूचाल By Sohail Saifi

भूचालयूँ तो श्रीमान सोमनाथ का एक मंजिला छोटा सा मकान था किन्तु अति सुन्दर था मकान के चारो ओर चार फिट की दीवारे थी अंदर प्रवेश करने के लिए एक धातु का सुन्दर द्वार था उसके बाद एक पां...

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नेहा ज्यों ही लाइब्रेरी में दाखिल हुई, कोई आंधी की तरह उस से टकराते-टकराते बचा, ’’ सुनिए आप ने ’’ ’मैडम बावेरी’ इष्यू करवाई है क्या? आप शायद हफ्ते भर से ...........’’ कहते - कहते प...

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भूख... By Sarvesh Saxena

आज मंगलवार है | मैं और श्याम चौराहे के पास वाले हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ा के सीधा श्याम की बुआ जी को लेने बस अड्डे पहुंच गए, बस लेट थी, इसीलिए हमने वहीँ बैठकर बुआ जी की बस का इं...

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पदक By Upasna Siag

विभा शाम को अक्सर पास के पार्क चली जाया करती है .उसे छोटे बच्चों से बेहद लगाव है, सोचती है कितने प्यारे कितने मासूम, दौड़ते, भागते, मस्त हो कर दीन -दुनिया के ग़मों से बेखबर, बस चिं...

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साहित्य और मैं !.. By Pandit Swayam Prakash Mishra

दोस्तों !..आज मैं जिंदगी के उस दोहराहे पर खड़ा हूँ जहां मेरे लिए यह तय कर पाना संभव नही कि मैं किस रास्ते का चुनाव करू?एक ओर जहां साहित्य है तो दूसरी ओर मेरी जिंदगी ! ...भला कोई तो...

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वरुण का सफर -- अजनबी से........तक By Deepak Singh

नमस्कार मित्रों,सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।आप सभी पाठकों ने मेरा पहला लेख "मेरा पहला अनुभव...." को इतना प्यार और स्नेह दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके इतने...

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