सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अच्छी बेटी

    बड़े ही मन से उसकी सहेलियों ने उसे दुल्हन के लाल जोड़े में सजाया था। बला की खूबसूर...

  • ज़िन्दगी सतरंग.. - 3

    इंसान के अंदर अगर ज़िन्दगी जीने इच्छा हो तो चाहे कितनी भी मुश्किलें हो, कोई न कोई...

  • हद है पिताजी

    पवन जी एक 66 वर्षीय व्यक्ति हैं।वे शुरू से खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं।दो तरह...

अच्छी बेटी By नवीन एकाकी

बड़े ही मन से उसकी सहेलियों ने उसे दुल्हन के लाल जोड़े में सजाया था। बला की खूबसूरत नजर आ रही थी आज वो। अगर चाँद भी देख लेता तो शरम के मारे बादलो में अपना मुंह छुपा लेता। उसके गोरे ग...

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BOYS school WASHROOM - 19 By Akash Saxena "Ansh"

जैसे ही अवि और प्रज्ञा,विहान को गले लगाते हैँ…..तभी आसमान मे बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ उनके घर की लाइट चली जाती है। तीनों बिजली की आवाज़ से डर जाते हैँ और प्रज्ञा घबराकर जल्दी से...

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स्वतन्त्र सक्सैना की कहानिया - 10 - पति देवता By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

पति देवता डॉ0 स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना -‘पति तो देवता होता है,पति की ही बेज्‍जती स्‍वागत सत्‍कार तो गया चूल्‍ह...

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 3 By Sarita Sharma

इंसान के अंदर अगर ज़िन्दगी जीने इच्छा हो तो चाहे कितनी भी मुश्किलें हो, कोई न कोई बहाने निकल ही आते है जीने के.. भले ही सब रास्ते बंद हो गए हों दिल अपने आप ही कई रास्ते ढूंढ लेता है...

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इन्तजार एक हद तक - 3 - (महामारी) By RACHNA ROY

पुरे घर में रमेश ने सबको ढुंढ लिया पर कोई ना मिला।फिर वो रोने लगा कि सब के सब कहा गए? मैं क्यों नहीं देख पा रहा हूं।रमेश अपने कमरे में पहुंच गया जहां पर उसने देखा कि एक दिवाल पर पु...

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एक दूजे के लिए By Sunita Bishnolia

एक-दूजे के लिए "ओफ्फो! रश्मि तुम फिर सब्जी लेने नीचे चली गई कितनी बार मना किया है तुम्हें, पर तुम हो कि मानती ही नहीं।" "अरे! बाबा मैं मास्क लगाकर गई थी और मैं कौनसा द...

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हद है पिताजी By Rama Sharma Manavi

पवन जी एक 66 वर्षीय व्यक्ति हैं।वे शुरू से खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं।दो तरह के लोग होते हैं, एक जो भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्रहण करते हैं।दूसरे वे होते हैं जो सि...

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बच्चों का मेला By sudha bhargava

कहानी बच्चों का मेला /सुधा भार्गव मुकद्दर –चुकद्दर एक बार बड़े शौक से मेला देखने गए । मेला कोई ज्यादा बड़ा नहीं था । एक तरफ छोटी –छोटी दुकाने लगी हुई थीं दूसर...

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नाजायज़ रिश्ता By Ranjana Jaiswal

अपनी बाल.सखी सीमा के दमकते चेहरे को अनामा देखती रह गयी। इतना अपूर्व रूप! सीमा पहले भी सुंदर दिखती थी, पर इस समय उसके चेहरे पर नवयौवन की ताजगी मधुरिमा व कमनीयता एक साथ उतर आई थी। अन...

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सपने (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

वह अपने देश से दुबई गया तब उसके जेहन में ढेर सारे सपने थे।उसने सोचा था।परिवार की सारी दरिद्रता और अभाव हमेशा के लिए खत्म कर देगा।उस समय उसके मन मे यह ख्याल नही आया था कि जरूरी नही...

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Dear comrade - 2 By Heena_Pathan

समर अपने सपनो की कुर्बानी दे देता है और रिक्शा चला कर घर की आथिक समस्या को सुधारने की कोशिश करता है ! समर अपनी जिंदगी से खुश नहीं है बस जी रहा है अपने परिवार की समस्या को बदलना और...

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जिम्मेदार कौन? By Rama Sharma Manavi

विभावरी के निर्जीव देह को उसका पांच वर्षीय बेटा हिलाते हुए कह रहा था कि मम्मी उठो न,मुझे भूख लगी है, दूध-ब्रेड दे दो।देखो,कितने सारे लोग आए हैं और आप सो रही हो।फिर पिता का कंधा...

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अम्मा By Ranjana Jaiswal

कभी- कभी विश्वास ही नहीं होता कि रिश्ते इतने भी कच्चे हो सकते हैं।पड़ोस की अम्मा आख़िरकार जीने की इच्छा मन में लिए चली ही गईं।महीनों से वे यमराज से लड़ रही थीं।अपने जीवन की सावित्री व...

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ममता की तुलना By vidya,s world

सुबह सुबह ब्रिजेश अपनी मां से झगड़ रहा था। मां चुप चाप अपना सिर झुकाए उसकी बाते सुन रही थी।ब्रिजेश अपने छोटे भाई जयेश की तरफ गुस्सैल नजरों से देखते हुए फिर से मां पर बरस पड़ा।" मां...

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अर्थतंत्र By rajendra shrivastava

कहानी--- अर्थतंत्र आर. एन. सुनगरया, दुर्गा प्...

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दहेज बना अभिशाप By Shivani M.R.Joshi

एक बहुत पुराने समय की बात है.एक छोटे से गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था. परिवार के मुखिया का नाम हरीश जी था और उनकी पत्नी का नाम विभा देवी था.हरीश जी एक निजी का निजी कंपनी में क...

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सरहद - 6 - अंतिम भाग By Kusum Bhatt

6 ‘‘दीदी... तुम्हे पता है जेठा जोगी क्यों आये अचानक,’’ बैजन्ती पीछे मुड़ी-हमारी सासू जी को मिल गये थे वे हरिद्वार में...! जब वे बैसाखी को गंगा नहाने गई थी हर...

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विश्वासघात--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर इन्सपेक्टर अरूण और प्रदीप कुछ देर में नटराज के फार्महाउस जा पहुँचे,उन्होंने मोटरसाइकिल दूर ही खड़ी कर दी ताकि मोटरसाइकिल की आवाज़ से किसी को श़क ना हो जाए और दोनों पैदल ही फार्मह...

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जानेमन By Bhupendra Singh chauhan

उर्मि के कदमों में आज तेजी थी।हर दिन से आज 10 मिनट देर से थी वह।सुबह वह भूल ही गयी थी कि आज शुक्रवार है और स्टेशन पर कोई उसका इंतजार कर रहा होगा।कैंट स्टेशन जाने वाली सड़क हर रोज की...

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अतीत के चलचित्र (10) अन्तिम भाग By Asha Saraswat

अतीत के चलचित्र (10) अंतिम भाग पूरी रात कुलदीप दर्द से कराहता रहा और मैं भी उसके पास बैठ कर सुबह होने का इंतज़ार कर रही थी। सुबह की दिनचर्या के बाद वह...

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तलाश - 6 By डा.कुसुम जोशी

#तलाश_6गतांक से आगे पर मन को समझना कौन चाहता है, मन को समझते तो शमित से कोई शिकायत ही नही होती, मैं इन परिस्थिति में भी उनके साथ रहने को तैयार हूं, बस वह कम से कम भावात्मक रुप स...

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प्रतिभा का पहलू By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- प्रतिभा का पहलू आर. एन. सुनगरया,...

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खौलते पानी का भंवर - 14 - काँच के सपने (अंतिम भाग) By Harish Kumar Amit

काँच के सपने बाएं हाथ में उपहार के पैकेट को बड़े ध्यान से पकड़े हुए जब वह घर से निकला तो अंधेरा पूरी तरह छा चुका था. सधे हुए कदमों से वह बस स्टॉप की ओर चल पड़ा. हर साल 21 जुलाई के दिन...

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उदास इंद्रधनुष - 1 By Amrita Sinha

उदास इंद्रधनुष ************ रात के दस बजने वाले थे। कोमल सोने की तैयारी में लगी थी । सिरहाने पानी की बोतल रख, कमरे की बत्...

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चैट बॉक्स.… - 6 - अंतिम भाग By Anju Choudhary Anu

भाग 6 शायद एक दिन मेरे काउन्टर पर किसी पेपर से उसने मेरी बर्थ-डेट देख ली थी तो वही खड़े खड़े उसने बातों में मेरा जन्म का वक़्त भी पूछ लिया और मैंने बता भी दिया तो उसने उन्हीं पांच मिन...

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सौतेला By padma sharma

सौतेला बगीचे में बैठा अनुराग विचारों में खोया हुआ था । पास ही बस्ता रखा हुआ था, रखा हुआ क्या था, बेतरतीबी से पड़ा था। किताबें-कॉपी बस्ते के बाहर झाँककर उसे मुँह चिढ़ा रही थीं। इन स...

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Broken with you... - 7 By Alone Soul

अंजली चलो यहां क्यू बैठी हो अंधेरे में , चलो अभी तो तुमको बागीचे में जाने का वक्त मिला है "" छोड़ दो तुम अब हमको नगमे दिलाने को, एक अंधेरा ही तो है अपना साया नही छोड़ता बाकी तो दग...

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चिता की आग By Renu Hussain

आंटी को पिछली बार अंकल के चौथे पे देखा था। जाने के समय जब मैंने हाथ जोड़कर उनसे विदा ली तो कहने लगीं,”तुम्हारे अंकल भी चले गए रेनू के पास ...” और अपनी चिरपरिचित उदासी मे...

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अच्छी बेटी By नवीन एकाकी

बड़े ही मन से उसकी सहेलियों ने उसे दुल्हन के लाल जोड़े में सजाया था। बला की खूबसूरत नजर आ रही थी आज वो। अगर चाँद भी देख लेता तो शरम के मारे बादलो में अपना मुंह छुपा लेता। उसके गोरे ग...

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BOYS school WASHROOM - 19 By Akash Saxena "Ansh"

जैसे ही अवि और प्रज्ञा,विहान को गले लगाते हैँ…..तभी आसमान मे बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ उनके घर की लाइट चली जाती है। तीनों बिजली की आवाज़ से डर जाते हैँ और प्रज्ञा घबराकर जल्दी से...

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स्वतन्त्र सक्सैना की कहानिया - 10 - पति देवता By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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ज़िन्दगी सतरंग.. - 3 By Sarita Sharma

इंसान के अंदर अगर ज़िन्दगी जीने इच्छा हो तो चाहे कितनी भी मुश्किलें हो, कोई न कोई बहाने निकल ही आते है जीने के.. भले ही सब रास्ते बंद हो गए हों दिल अपने आप ही कई रास्ते ढूंढ लेता है...

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इन्तजार एक हद तक - 3 - (महामारी) By RACHNA ROY

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एक-दूजे के लिए "ओफ्फो! रश्मि तुम फिर सब्जी लेने नीचे चली गई कितनी बार मना किया है तुम्हें, पर तुम हो कि मानती ही नहीं।" "अरे! बाबा मैं मास्क लगाकर गई थी और मैं कौनसा द...

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हद है पिताजी By Rama Sharma Manavi

पवन जी एक 66 वर्षीय व्यक्ति हैं।वे शुरू से खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं।दो तरह के लोग होते हैं, एक जो भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्रहण करते हैं।दूसरे वे होते हैं जो सि...

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बच्चों का मेला By sudha bhargava

कहानी बच्चों का मेला /सुधा भार्गव मुकद्दर –चुकद्दर एक बार बड़े शौक से मेला देखने गए । मेला कोई ज्यादा बड़ा नहीं था । एक तरफ छोटी –छोटी दुकाने लगी हुई थीं दूसर...

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नाजायज़ रिश्ता By Ranjana Jaiswal

अपनी बाल.सखी सीमा के दमकते चेहरे को अनामा देखती रह गयी। इतना अपूर्व रूप! सीमा पहले भी सुंदर दिखती थी, पर इस समय उसके चेहरे पर नवयौवन की ताजगी मधुरिमा व कमनीयता एक साथ उतर आई थी। अन...

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सपने (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

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जिम्मेदार कौन? By Rama Sharma Manavi

विभावरी के निर्जीव देह को उसका पांच वर्षीय बेटा हिलाते हुए कह रहा था कि मम्मी उठो न,मुझे भूख लगी है, दूध-ब्रेड दे दो।देखो,कितने सारे लोग आए हैं और आप सो रही हो।फिर पिता का कंधा...

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अम्मा By Ranjana Jaiswal

कभी- कभी विश्वास ही नहीं होता कि रिश्ते इतने भी कच्चे हो सकते हैं।पड़ोस की अम्मा आख़िरकार जीने की इच्छा मन में लिए चली ही गईं।महीनों से वे यमराज से लड़ रही थीं।अपने जीवन की सावित्री व...

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ममता की तुलना By vidya,s world

सुबह सुबह ब्रिजेश अपनी मां से झगड़ रहा था। मां चुप चाप अपना सिर झुकाए उसकी बाते सुन रही थी।ब्रिजेश अपने छोटे भाई जयेश की तरफ गुस्सैल नजरों से देखते हुए फिर से मां पर बरस पड़ा।" मां...

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अर्थतंत्र By rajendra shrivastava

कहानी--- अर्थतंत्र आर. एन. सुनगरया, दुर्गा प्...

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सरहद - 6 - अंतिम भाग By Kusum Bhatt

6 ‘‘दीदी... तुम्हे पता है जेठा जोगी क्यों आये अचानक,’’ बैजन्ती पीछे मुड़ी-हमारी सासू जी को मिल गये थे वे हरिद्वार में...! जब वे बैसाखी को गंगा नहाने गई थी हर...

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विश्वासघात--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर इन्सपेक्टर अरूण और प्रदीप कुछ देर में नटराज के फार्महाउस जा पहुँचे,उन्होंने मोटरसाइकिल दूर ही खड़ी कर दी ताकि मोटरसाइकिल की आवाज़ से किसी को श़क ना हो जाए और दोनों पैदल ही फार्मह...

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तलाश - 6 By डा.कुसुम जोशी

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खौलते पानी का भंवर - 14 - काँच के सपने (अंतिम भाग) By Harish Kumar Amit

काँच के सपने बाएं हाथ में उपहार के पैकेट को बड़े ध्यान से पकड़े हुए जब वह घर से निकला तो अंधेरा पूरी तरह छा चुका था. सधे हुए कदमों से वह बस स्टॉप की ओर चल पड़ा. हर साल 21 जुलाई के दिन...

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उदास इंद्रधनुष - 1 By Amrita Sinha

उदास इंद्रधनुष ************ रात के दस बजने वाले थे। कोमल सोने की तैयारी में लगी थी । सिरहाने पानी की बोतल रख, कमरे की बत्...

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चैट बॉक्स.… - 6 - अंतिम भाग By Anju Choudhary Anu

भाग 6 शायद एक दिन मेरे काउन्टर पर किसी पेपर से उसने मेरी बर्थ-डेट देख ली थी तो वही खड़े खड़े उसने बातों में मेरा जन्म का वक़्त भी पूछ लिया और मैंने बता भी दिया तो उसने उन्हीं पांच मिन...

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सौतेला By padma sharma

सौतेला बगीचे में बैठा अनुराग विचारों में खोया हुआ था । पास ही बस्ता रखा हुआ था, रखा हुआ क्या था, बेतरतीबी से पड़ा था। किताबें-कॉपी बस्ते के बाहर झाँककर उसे मुँह चिढ़ा रही थीं। इन स...

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अंजली चलो यहां क्यू बैठी हो अंधेरे में , चलो अभी तो तुमको बागीचे में जाने का वक्त मिला है "" छोड़ दो तुम अब हमको नगमे दिलाने को, एक अंधेरा ही तो है अपना साया नही छोड़ता बाकी तो दग...

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चिता की आग By Renu Hussain

आंटी को पिछली बार अंकल के चौथे पे देखा था। जाने के समय जब मैंने हाथ जोड़कर उनसे विदा ली तो कहने लगीं,”तुम्हारे अंकल भी चले गए रेनू के पास ...” और अपनी चिरपरिचित उदासी मे...

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