सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 4 By ramgopal bhavuk

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 4 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज...

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मिडिल क्लास लड़के By hemant Ydv

मुझ जैसे मिडिल क्लास लड़के अक्सर जिम्मेदारियां जल्दी निभाना सीख जाते हैं। रिश्तेदारों के तमाम अड़ंगों के बावजूद मां-बाप का विश्वास कैसे बनाये रखना है इन्हें बखूबी आता है।पापा से खूब...

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ऐसे थे मेरे बाऊजी - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर ब्याह की तैयारियाँ हो रही थीं और उधर दुर्गेश की आत्मा प्रयागी के लिए तड़प रही थी,ज्यों ज्यों ब्याह की तिथि नजदीक आती जा रही थी दुर्गेशप्रताप का दिल डूबता जा रहा था,आखिरकार ब्याह...

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बचपन की यादें By Anand M Mishra

दशहरे और दीपावली से से मुझे लगाव है। इस पर्व से मेरे बचपन की यादें जुडी हैं। मन को ताजा रखने के लिए हमेशा याद करता हूँ। इन यादों में मुझे सबसे ज्यादा याद मुझे फूल तोड़ने का आता है...

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Real Incidents - Incident 4: अखरोट By Anil Patel_Bunny

Incident 4: अखरोटआज से करीबन 2 साल पहले,रोहन अपने दोस्तों के साथ मॉर्निंग शो में फ़िल्म देखने गया था। फ़िल्म खत्म होने के बाद उसने अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में लंच किया। घर वाप...

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सिने संसार और युवा पीढ़ी By Anand M Mishra

पहले तो कोरोना के कारण लंबी बंदिशें लगी। फिर जब सब कुछ सामान्य होने लगा तो एक के बाद एक घटना ऐसी घटनी लगी कि मन खिन्न हो गया। लखीमपुर खीरी की घटना के साथ-साथ हमारी युवा पीढ़ी नशे...

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 18 By RACHNA ROY

फिर बच्चे इधर उधर बैठे थे उर्मी ने देखते ही कहा चलो सब पढ़ने बैठ जाओ। पढ़ाई बहुत जरूरी है। रवि ने कहा हां चाची जरूर।आप पहले भी हमें ऐसा कहती थी। फिर सभी बच्चे पढ़ने बैठ गए। रमेश ने...

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रिश्ते तिज़ारत नहीं होते - 3 - अंतिम भाग By Ranjana Jaiswal

(3) अपने कस्बे की दो घटनाएं आज भी मेरे चित्त पर अंकित हैं। सुचिता मासी ....मेरी माँ की पड़ोसन!अपने समय की बेहद खूबसूरत महिला! धर्म- कर्म, दान- पुण्य, पूजा -पाठ में आस्था और विश...

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महामारी के कारण मानसिकता में बदलाव By Anand M Mishra

कोरोना काल में काम करने वालों के मानसिकता में काफी परिवर्तन हुआ है। बिटिया के प्रवेश परीक्षा के सिलसिले में पूर्वोत्तर के एक बड़े शहर में जाना पड़ा। आने-जाने, रहने-खाने-पीने आदि सभ...

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दयालु By amit kumar mall

रामेश्वर जी की दयालुता के चर्चे सारी तरफ थे । मैं भी नौकरी में हूँ , लेकिन रिश्तेदारों की नजर में देखे - तो कहाँ रामेश्वर दयाल जी और कहाँ मैं। अब तो मुझे भी लगता है कि कहाँ रामेश्व...

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अम्मा By Saroj Prajapati

"आओ आओ अम्मा! इस बार बहुत दिनों बाद दर्शन दिए तुमने। कहीं चली गई थी क्या!" "अरे, मैं कहां जाऊंगी बहुरिया! वो बहु बीमार थी। बस इसलिए निकलना ना हुआ और सुना बाल बच्चे सब सही!" "हां अम...

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कर्तव्य - 8 By Asha Saraswat

कर्तव्य—(8) स्कूल से आने के बाद , जब घर में प्रवेश किया तो माहौल कुछ बोझिल सा लग रहा था । “भैया क्या बात है ?””मैंने अपूर्व भैया से पूछा ।“पता नहीं , मैं अभी अपने स्क...

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इंस्पेक्शन (भाग 4) By Kishanlal Sharma

जी एम कपूर साहिब और डी आर एम देवड़ा एक कार मे बैठे थे।दूसरी कार में मिसेज जी एम और मिसेज डी आर एम बैठी थी।इंजिनयरिंग विभाग की रेलवे की जीप भी बुला ली गयी थी।उसमें मौर्या और मीना व...

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आजादी का अमृत महोत्सव तथा शिक्षकों की स्थिति By Anand M Mishra

‘सा विद्या या विमुक्तये’ यह उक्ति तो दिन-रात सामने आती है। बच्चों के बिल्ले पर लिखा रहता है। देख कर मन को सुकून मिलता है। हमारे बच्चे उपरोक्त उक्ति का अर्थ भी अच्छी तरह से जानते...

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रिमझिम गिरे सावन - 3 - अन्तिम भाग By Saroj Verma

(अन्तिम भाग) जब झुम्पा घर आई तो उसके बाबा ने उससे पूछा.....    क्या जतिन्दर तुझे पसंद करता है?झुम्पा पलकें झुकाए और गरदन नीचे करके खड़ी हो गई लेकिन बोली कुछ नहीं... ...

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अक्टूबर महीने की गर्मी: नयी चुनौतियाँ By Anand M Mishra

अक्टूबर महीने की गर्मी की विभीषिका को देखकर ऐसा लगा कि मानव अभी भी प्रकृति से बहुत पीछे है। पसीने से शरीर लगभग नहा ही गया था। उफ़ यह जानलेवा गर्मी! मनुष्य अभी बेहतर पूर्वानुमान लगा...

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गैस लाइटिंग By Rama Sharma Manavi

गैस लाइटिंग आखिर है क्या?सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है।यह एक ऐसा दुर्व्यवहार है, जिसमें इस तरह से ब्रेन वाशिंग की जाती है कि आपको अपनी काबिलियत एवं फैसलों पर शक होने लगता है।पीड़ि...

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चुड़ैल कहीं की By Ranjana Jaiswal

हमारे समाज में लड़की को कभी प्यार तो कभी तिरस्कार से चुड़ैल कह देने की परंपरा है पर इसका अर्थ कदापि नहीं होता कि लड़की के पैर पीछे की ओर मुड़े होते हैं या वह किसी पर सवार होकर सताती...

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अन्जानी सी दोस्त... By Saroj Verma

कल शाम को अपनी पत्नी के संग बाज़ार से लौट ही रहा था कि अचानक ही सोसायटी के गेट पर कार पार्किंग के समय वो मिल गई,उसने हाथ हिलाकर हैलो बोला तो मैंने भी मुस्कुराते हुए हाथ हिला दिया फ...

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बोलती गुड़िया - 3 - अंतिम भाग By Asha Saraswat

भाग (3) शीतल अपने घर चली गई कभी-कभी लैंडलाइन नंबर पर उससे बात हो जाती । वह अपनी ससुराल में बड़ी बहू होने के कारण सभी की लाड़ली थी। वह अपनी गृहस्थी में बहुत ख़ुश थी । उसके पति इंजीन...

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आइडेंटिटी क्राईसिस - 3 - अंतिम भाग By Manish Gode

एपिसोड ३. ‘मुँबई-मिरर’ का नया अंक बुक स्टॉल पर आ चुका था। उसने पुरे मुँबई में धुम मचा दी थी। हर तरफ उसकी वाह-वाही हो रही थी। हर तरफ उसके आर्टिकल ने लोगों को सोचने पर मज...

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मेज़बान - 3 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

(3) बुक शेल्फ के बाद किशोर की नज़र एक दीवार पर पड़ी। उसमें कुछ फ्रेम टंगे हुए थे। वह उन्हें देखने लगा। सभी तस्वीरों में प्रोफेसर पवन कुमार एक औरत के साथ थे। वह औरत बहुत सुंदर थी। त...

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मृग मरीचिका - 3 - अंतिम भाग By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

- खंड-3 - यह सब शायद यूँ ही चलता रहता यदि उन दिनों मैं अपनी चचेरी नन्द के घर एक शादी के उत्सव में न जाती, जहाँ एकाएक अनुसुइया भाभी से भेंट हो गई। वैसे उन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल...

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भूलना By S Bhagyam Sharma

तमिल लेखिका वासंती की मूल तमिल कहानी का हिन्दी अनुवाद एस भाग्यम शर्मा छोटू आज बहुत जल्दबाजी में था। आज उसके अध्यापक ने कहा था कि रात को जल्दी सो जाना क्योंकि कल सुबह 7:00 बजे तुम्ह...

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पापा की अनकही By S Bhagyam Sharma

इस तमिल कहानी की लेखिका वासंती है | अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा | लिफ्ट के अंदर कोई नहीं था। उसको इसके अंदर अकेले रहना पसंद है। किसी की निगाह में आए बिना अकेले रहना ऊपर पंखे का चलना उ...

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विदेश में अपना देस By Arun Singla

“दीदी में मरना चाहती हूँ “ फातिमा ने दुखी हो कर कहा .फातिमा की उम्र लगभग 42 साल कद 5.5 रंग गेहुआ, चोडा माथा, भूरी आँखे, तीखी नाक शरीर भरा भरा था. वह बंगलादेश भारत के 4,156 किलोमीटर...

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कर्मफल By Saroj Prajapati

" मैं भी तो तेरी भाभी हूं! आज रात रूक जा यही!" अपनी बड़ी भाभी की बीमारी का सुनकर उनसे मिलने आई मैं उन्हें मना ना कर सकी और रुक गई।हर दम चुस्त-दुरुस्त रहने वाली और अपने इशारों पर प...

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 4 By ramgopal bhavuk

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मुझ जैसे मिडिल क्लास लड़के अक्सर जिम्मेदारियां जल्दी निभाना सीख जाते हैं। रिश्तेदारों के तमाम अड़ंगों के बावजूद मां-बाप का विश्वास कैसे बनाये रखना है इन्हें बखूबी आता है।पापा से खूब...

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ऐसे थे मेरे बाऊजी - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर ब्याह की तैयारियाँ हो रही थीं और उधर दुर्गेश की आत्मा प्रयागी के लिए तड़प रही थी,ज्यों ज्यों ब्याह की तिथि नजदीक आती जा रही थी दुर्गेशप्रताप का दिल डूबता जा रहा था,आखिरकार ब्याह...

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बचपन की यादें By Anand M Mishra

दशहरे और दीपावली से से मुझे लगाव है। इस पर्व से मेरे बचपन की यादें जुडी हैं। मन को ताजा रखने के लिए हमेशा याद करता हूँ। इन यादों में मुझे सबसे ज्यादा याद मुझे फूल तोड़ने का आता है...

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Real Incidents - Incident 4: अखरोट By Anil Patel_Bunny

Incident 4: अखरोटआज से करीबन 2 साल पहले,रोहन अपने दोस्तों के साथ मॉर्निंग शो में फ़िल्म देखने गया था। फ़िल्म खत्म होने के बाद उसने अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में लंच किया। घर वाप...

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 18 By RACHNA ROY

फिर बच्चे इधर उधर बैठे थे उर्मी ने देखते ही कहा चलो सब पढ़ने बैठ जाओ। पढ़ाई बहुत जरूरी है। रवि ने कहा हां चाची जरूर।आप पहले भी हमें ऐसा कहती थी। फिर सभी बच्चे पढ़ने बैठ गए। रमेश ने...

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रिश्ते तिज़ारत नहीं होते - 3 - अंतिम भाग By Ranjana Jaiswal

(3) अपने कस्बे की दो घटनाएं आज भी मेरे चित्त पर अंकित हैं। सुचिता मासी ....मेरी माँ की पड़ोसन!अपने समय की बेहद खूबसूरत महिला! धर्म- कर्म, दान- पुण्य, पूजा -पाठ में आस्था और विश...

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महामारी के कारण मानसिकता में बदलाव By Anand M Mishra

कोरोना काल में काम करने वालों के मानसिकता में काफी परिवर्तन हुआ है। बिटिया के प्रवेश परीक्षा के सिलसिले में पूर्वोत्तर के एक बड़े शहर में जाना पड़ा। आने-जाने, रहने-खाने-पीने आदि सभ...

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दयालु By amit kumar mall

रामेश्वर जी की दयालुता के चर्चे सारी तरफ थे । मैं भी नौकरी में हूँ , लेकिन रिश्तेदारों की नजर में देखे - तो कहाँ रामेश्वर दयाल जी और कहाँ मैं। अब तो मुझे भी लगता है कि कहाँ रामेश्व...

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अम्मा By Saroj Prajapati

"आओ आओ अम्मा! इस बार बहुत दिनों बाद दर्शन दिए तुमने। कहीं चली गई थी क्या!" "अरे, मैं कहां जाऊंगी बहुरिया! वो बहु बीमार थी। बस इसलिए निकलना ना हुआ और सुना बाल बच्चे सब सही!" "हां अम...

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कर्तव्य - 8 By Asha Saraswat

कर्तव्य—(8) स्कूल से आने के बाद , जब घर में प्रवेश किया तो माहौल कुछ बोझिल सा लग रहा था । “भैया क्या बात है ?””मैंने अपूर्व भैया से पूछा ।“पता नहीं , मैं अभी अपने स्क...

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इंस्पेक्शन (भाग 4) By Kishanlal Sharma

जी एम कपूर साहिब और डी आर एम देवड़ा एक कार मे बैठे थे।दूसरी कार में मिसेज जी एम और मिसेज डी आर एम बैठी थी।इंजिनयरिंग विभाग की रेलवे की जीप भी बुला ली गयी थी।उसमें मौर्या और मीना व...

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‘सा विद्या या विमुक्तये’ यह उक्ति तो दिन-रात सामने आती है। बच्चों के बिल्ले पर लिखा रहता है। देख कर मन को सुकून मिलता है। हमारे बच्चे उपरोक्त उक्ति का अर्थ भी अच्छी तरह से जानते...

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(अन्तिम भाग) जब झुम्पा घर आई तो उसके बाबा ने उससे पूछा.....    क्या जतिन्दर तुझे पसंद करता है?झुम्पा पलकें झुकाए और गरदन नीचे करके खड़ी हो गई लेकिन बोली कुछ नहीं... ...

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अक्टूबर महीने की गर्मी: नयी चुनौतियाँ By Anand M Mishra

अक्टूबर महीने की गर्मी की विभीषिका को देखकर ऐसा लगा कि मानव अभी भी प्रकृति से बहुत पीछे है। पसीने से शरीर लगभग नहा ही गया था। उफ़ यह जानलेवा गर्मी! मनुष्य अभी बेहतर पूर्वानुमान लगा...

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गैस लाइटिंग आखिर है क्या?सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है।यह एक ऐसा दुर्व्यवहार है, जिसमें इस तरह से ब्रेन वाशिंग की जाती है कि आपको अपनी काबिलियत एवं फैसलों पर शक होने लगता है।पीड़ि...

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अन्जानी सी दोस्त... By Saroj Verma

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बोलती गुड़िया - 3 - अंतिम भाग By Asha Saraswat

भाग (3) शीतल अपने घर चली गई कभी-कभी लैंडलाइन नंबर पर उससे बात हो जाती । वह अपनी ससुराल में बड़ी बहू होने के कारण सभी की लाड़ली थी। वह अपनी गृहस्थी में बहुत ख़ुश थी । उसके पति इंजीन...

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आइडेंटिटी क्राईसिस - 3 - अंतिम भाग By Manish Gode

एपिसोड ३. ‘मुँबई-मिरर’ का नया अंक बुक स्टॉल पर आ चुका था। उसने पुरे मुँबई में धुम मचा दी थी। हर तरफ उसकी वाह-वाही हो रही थी। हर तरफ उसके आर्टिकल ने लोगों को सोचने पर मज...

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मेज़बान - 3 - अंतिम भाग By Ashish Kumar Trivedi

(3) बुक शेल्फ के बाद किशोर की नज़र एक दीवार पर पड़ी। उसमें कुछ फ्रेम टंगे हुए थे। वह उन्हें देखने लगा। सभी तस्वीरों में प्रोफेसर पवन कुमार एक औरत के साथ थे। वह औरत बहुत सुंदर थी। त...

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मृग मरीचिका - 3 - अंतिम भाग By श्रुत कीर्ति अग्रवाल

- खंड-3 - यह सब शायद यूँ ही चलता रहता यदि उन दिनों मैं अपनी चचेरी नन्द के घर एक शादी के उत्सव में न जाती, जहाँ एकाएक अनुसुइया भाभी से भेंट हो गई। वैसे उन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल...

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तमिल लेखिका वासंती की मूल तमिल कहानी का हिन्दी अनुवाद एस भाग्यम शर्मा छोटू आज बहुत जल्दबाजी में था। आज उसके अध्यापक ने कहा था कि रात को जल्दी सो जाना क्योंकि कल सुबह 7:00 बजे तुम्ह...

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पापा की अनकही By S Bhagyam Sharma

इस तमिल कहानी की लेखिका वासंती है | अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा | लिफ्ट के अंदर कोई नहीं था। उसको इसके अंदर अकेले रहना पसंद है। किसी की निगाह में आए बिना अकेले रहना ऊपर पंखे का चलना उ...

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“दीदी में मरना चाहती हूँ “ फातिमा ने दुखी हो कर कहा .फातिमा की उम्र लगभग 42 साल कद 5.5 रंग गेहुआ, चोडा माथा, भूरी आँखे, तीखी नाक शरीर भरा भरा था. वह बंगलादेश भारत के 4,156 किलोमीटर...

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कर्मफल By Saroj Prajapati

" मैं भी तो तेरी भाभी हूं! आज रात रूक जा यही!" अपनी बड़ी भाभी की बीमारी का सुनकर उनसे मिलने आई मैं उन्हें मना ना कर सकी और रुक गई।हर दम चुस्त-दुरुस्त रहने वाली और अपने इशारों पर प...

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