सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • उसके हिस्से का दुःख

    अमन कुमार त्यागी सरिता सौम्य एवं सुशील लड़की थी। वह अपने बहन-भाइयों में सबसे बड़ी...

  • हादसा - भाग 7

    कल्पना और अपने माता-पिता को देखते से कुछ ही पल में पूनम उनके सीने से लग गई और वह...

  • युगांतर - भाग 17

    यादवेन्द्र सोच रहा है कि उसे रमन के सामने अब बात रखनी ही होगी। इसकी भूमिका कैसे...

कजरी By Vishram Goswami

कजरी               दीपावली के बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में ठीक ठंड पड़ने लगी थी। राते थोड़ी बड़ी हो गई थी। जल्दी सुबह जब भ्रमण के लिए निकला तो कस्बे के मुख्य बाजार वाली सड़क पर अ...

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उसके हिस्से का दुःख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी सरिता सौम्य एवं सुशील लड़की थी। वह अपने बहन-भाइयों में सबसे बड़ी होने के कारण सबसे अधिक समझदार भी थी। जब भी पिताजी कुछ खाने की चीजें़ लाते वह अपनी बहन व भाइयों को ही...

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हादसा - भाग 7 By Ratna Pandey

कल्पना और अपने माता-पिता को देखते से कुछ ही पल में पूनम उनके सीने से लग गई और वहीं बेहोश हो गई। डॉक्टर त्रिपाठी जो परिवार के साथ आये थे पूनम की देखरेख में जुट गये। वह पूनम को किसी...

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यह बंधन नही है - 1 By Kishanlal Sharma

नारी के लिए विवाह बंधन है या जरूरतपढ़िए यह कहानी-------///----------////"आखिर तेरी शादी हो ही गयी।तू एक मर्द की दासी बन ही गयी,"रूपा बोली,"तूने एक आदमी की गुलामी स्वीकार कर ही ली।"&...

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युगांतर - भाग 17 By Dr. Dilbag Singh Virk

यादवेन्द्र सोच रहा है कि उसे रमन के सामने अब बात रखनी ही होगी। इसकी भूमिका कैसे बाँधनी है, कैसे बात शुरू करनी है, रास्ते भर वह यही सोचता आया है। जब वह घर पहुँचा तो रमन साढ़े तीन वर...

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अरुण- डूबता सूरज!! By Munish Sharma

अरुण- डूबता सूरज!! --------------------------- ----भाग एक- गांव छोड़ना----अरूणः मां मैं कल सुबह खोड़ा जीजी जीजाजी के पास जाऊंगा। कुछ भिजवा हो तो झोले में रख दियो। पापा से कुछ पैसे भ...

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मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

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जानकारी ही बचाव By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

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दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

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बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

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ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

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वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

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दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

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भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

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प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

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दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Gurpreet Singh HR02

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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बेड नम्बर ग्यारह By Yogesh Kanava

आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अप...

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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सफ़र By Vishram Goswami

सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो...

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दादा-पोता By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  नेकीराम की जवानी की तरह दिन भी ढल चुका था। ठिठुरती सर्दियों की कृष्णपक्षीय रात सर्र-सर्र चलती हवा की वजह से और भी भयावह हो जाने वाली थी। दिन भर पाला गिरा था। यह त...

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कुलक्षणी By Chaya Agarwal

कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा...

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इस छत के नीचे By Sharovan

इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना...

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अपराधी By Vishram Goswami

पॉच बत्ती वाला चौराहा शहर मे पहचान, पता-ठिकाने और आवागमन का बहुचर्चित स्थान है। यह शायद शहर का सबसे व्यस्ततम स्थान हैं जहां अनवरत लोगो का तांता लगा रहता हैं, लाल बत्ती होती हैं तो...

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दो बहनें By Aman Kumar

दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ...

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यादव वंश By Gurpreet Singh HR02

यदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी...

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ढ़लती शाम By कुमार किशन कीर्ति

भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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कजरी By Vishram Goswami

कजरी               दीपावली के बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में ठीक ठंड पड़ने लगी थी। राते थोड़ी बड़ी हो गई थी। जल्दी सुबह जब भ्रमण के लिए निकला तो कस्बे के मुख्य बाजार वाली सड़क पर अ...

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उसके हिस्से का दुःख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी सरिता सौम्य एवं सुशील लड़की थी। वह अपने बहन-भाइयों में सबसे बड़ी होने के कारण सबसे अधिक समझदार भी थी। जब भी पिताजी कुछ खाने की चीजें़ लाते वह अपनी बहन व भाइयों को ही...

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हादसा - भाग 7 By Ratna Pandey

कल्पना और अपने माता-पिता को देखते से कुछ ही पल में पूनम उनके सीने से लग गई और वहीं बेहोश हो गई। डॉक्टर त्रिपाठी जो परिवार के साथ आये थे पूनम की देखरेख में जुट गये। वह पूनम को किसी...

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यह बंधन नही है - 1 By Kishanlal Sharma

नारी के लिए विवाह बंधन है या जरूरतपढ़िए यह कहानी-------///----------////"आखिर तेरी शादी हो ही गयी।तू एक मर्द की दासी बन ही गयी,"रूपा बोली,"तूने एक आदमी की गुलामी स्वीकार कर ही ली।"&...

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युगांतर - भाग 17 By Dr. Dilbag Singh Virk

यादवेन्द्र सोच रहा है कि उसे रमन के सामने अब बात रखनी ही होगी। इसकी भूमिका कैसे बाँधनी है, कैसे बात शुरू करनी है, रास्ते भर वह यही सोचता आया है। जब वह घर पहुँचा तो रमन साढ़े तीन वर...

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अरुण- डूबता सूरज!! By Munish Sharma

अरुण- डूबता सूरज!! --------------------------- ----भाग एक- गांव छोड़ना----अरूणः मां मैं कल सुबह खोड़ा जीजी जीजाजी के पास जाऊंगा। कुछ भिजवा हो तो झोले में रख दियो। पापा से कुछ पैसे भ...

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मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

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जानकारी ही बचाव By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

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दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

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बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

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ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

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वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

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दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

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भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

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प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

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दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Gurpreet Singh HR02

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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सफ़र By Vishram Goswami

सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो...

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दादा-पोता By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  नेकीराम की जवानी की तरह दिन भी ढल चुका था। ठिठुरती सर्दियों की कृष्णपक्षीय रात सर्र-सर्र चलती हवा की वजह से और भी भयावह हो जाने वाली थी। दिन भर पाला गिरा था। यह त...

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कुलक्षणी By Chaya Agarwal

कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा...

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इस छत के नीचे By Sharovan

इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना...

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अपराधी By Vishram Goswami

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दो बहनें By Aman Kumar

दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ...

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यादव वंश By Gurpreet Singh HR02

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ढ़लती शाम By कुमार किशन कीर्ति

भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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