सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 6

    भाग6बीता हुआ एक-एक लम्हा, किसी खौफ़नाक मंजर के माफिक उसके सामने से गुजरने लगा। आँ...

  • बिरजू की पाती

    बिरजू की पाती बिरजू राम फल वाला एक पेड़ के नीचे लेटा है। एक हाथ और एक पैर में प्...

  • फूलों का मन

    अमन कुुमार त्यागी माली के मुँह से क्या निकला कि उसकी बगिया में जो सबसे ज़्यादा ख़...

मौन रहस्य By नंदलाल मणि त्रिपाठी

---------मौन------जुबान ,जिह्वा और आवाज़ जिसके संयम संतुलन खोने से मानव स्वयं खतरे को आमंत्रित करता है और ईश्वरीय चेतना की सत्ता को नकारने लगता है।अतः जिह्वा जुबान का सदैवसंयमित संत...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 6 By Chaya Agarwal

भाग6बीता हुआ एक-एक लम्हा, किसी खौफ़नाक मंजर के माफिक उसके सामने से गुजरने लगा। आँखों को अश्कों से डुबोती हुई फिज़ा बैड पर बैठी हुई सिसक पड़ी। अब तो उसका काम बात- बात पर सिसकना ही रह ग...

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बिरजू की पाती By Dr. Suryapal Singh

बिरजू की पाती बिरजू राम फल वाला एक पेड़ के नीचे लेटा है। एक हाथ और एक पैर में प्लास्टर बंधा होने के कारण खिसकने में थोड़ी दिक्कत होती है। एक बोतल पानी पत्नी बगल में रख गई है। दाहिन...

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सद बुद्धि यज्ञ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

-----सद बुद्धि यज्ञ-----लाला गजपति विल्लोर गाँव के संपन्न कायस्थ परिवार के मुखिया थे उनके परम् मित्र थे ठाकुर सतपाल सिंह और पंडित महिमा दत्त तीनो मित्रो के ही विचार गाँव में सिद्धा...

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फूलों का मन By Aman Kumar

अमन कुुमार त्यागी माली के मुँह से क्या निकला कि उसकी बगिया में जो सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत फूल होगा, उसी को मंदिर में चढाया जाएगा। सुनकर फूलों में ख़ूबसूरत दिखने के लिए होड़ लग गई। होड़ ल...

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वरदेखुआ By Dr. Suryapal Singh

वरदेखुआआज से कुछ वर्ष पहले वर खोजने के लिए प्रायः लोग समूहों में चलते- दस-पाँच, दो-चार के समूहों में। महीनों अपने नाते रिश्ते में घूमते हुए सभी की शादियाँ तय करके घर लौटते । कभी कभ...

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गुलाबों का बादशाह By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी आसपास के सभी लोग उसे गुलाबों के बादशाह के रूप में ही जानते थे। उसका असल नाम क्या है? अब तो स्वयं उसे भी स्मरण नहीं रहा। मुश्किल से तीन वर्ष का रहा होगा, जब उसके मा...

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दो औरते - 1 By Kishanlal Sharma

"सुरेश तुम तो एकदम बदल गए,"वह आराम से बैठ भी नही पाया था कि विभा ने बंदूक की गोली की तरह प्रश्न दाग दिया था।"नही तो।बिल्कुल वैसा ही हूँ।देख लो।कहा से बदला हुआ नजर आ रहा हूँ,"सुरेश,...

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मौत का हिसाब By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मौत का हिसाब--अपराधी पैदा नही होता बल्कि अपराधी बनाया जाता है कोई भी प्राणि अपने मूल स्वभाव के साथ जन्म लेता है किसी विशेष परिस्थितियों में उसके स्वभाव में परिवर्तन स्प्ष्ट परिलक्ष...

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मूंग की खिचड़ी By sudha jugran

”मूंग की खिचड़ी””शुभा, सो गई क्या? लो खाना खालो””खाना..?” पुलकित सी वह फटाफट रजाई फेंक, उठ खड़ी हुई, ”हाँ बहुत भूख भी लग रही है” बेचैनी से प्लेट पकड़ती हुई वह बोली, लेकिन यह क्या, ”फि...

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MY HERO - 1 By shama parveen

कहानी का नाम सुन कर सभी को लग रहा होगा की ये कोई लव स्टोरी है एक लड़का और लड़की की। जी मगर ऐसा नहीं है। ये प्यारी सी कहानी एक पापा और उसकी प्यारी सी बेटी की है। वैसे हर पापा अपने ब...

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कर्म धर्म By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष कायस्त कुल का होनहार नौजवान था हिंदी संस्कृति अंग्रेजी एव गणित में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर चुका था।वह नियमित रूप से महाकाल की भस्म आरती में सम्मिलित होता और आरती के बा...

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जुगाड़ By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी गुणनो न विदेशोऽस्ति न संतुष्टस्य चा सुखम्। धीरस्य च विपन्नास्ति नासाध्यं व्यवसायिनः।। -‘बच्चों! संस्कृत के इस श्लोक का अर्थ यह है कि गुणी मनुष्य के लिए कहीं विदेश...

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मन की बातका 100वां एपिसोड By Jagruti Vakil

मन की बात’ का 100वां एपिसोड 30 अप्रैल 2023 को प्रसारित होगा | मन की बात आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसके जरिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के न...

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ठीहा By Dr. Suryapal Singh

ठीहाचन्दन बाबू को डाकखाने की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए दस वर्ष बीत चुके हैं। उनके एक ही लड़का है देवकी। देवकी एक दैनिक के सम्पादकीय विभाग में कार्यरत है। पहले आगरा में था अब दिल्ली...

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आख़िर मेरा दोष क्या है By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी काला आसमान अपने आपको नीला रंग दे रहा था। तारे छिपने का प्रयास कर रहे थे और चांदनी अब सुनहरी होने को थी। मुर्गे बाग दे चुके थे। कुत्ते रात भर भौंकने के बाद ऊंघ रहे...

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तलाश - 8 By डा.कुसुम जोशी

तलाश-8 (गंताक से आगे) विभत्स से थे ये शब्द ...एक पल के लिये कविता को लगा कि सारी धरती घूम रही है तेज ...बहुत तेज और वो गिरने को हो आई , सम्भाला उसने अपने आप को , वो जानती थी ..कुछ...

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मातृत्व - किराए की कोख - 2 By Kishanlal Sharma

पार्टी देर रात तक चलती रही।उसी रात वे हनीमून के लिए श्रीनगर के लिए रवाना हो गए थे।सुहागरात के दिन वह पति से बोली,"तुम जानते हो मैं एक मॉडल हूँ।मॉडलिंग की दुनिया मे एक औरत तभी तक टि...

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लावारिस By Dr. Suryapal Singh

मेलाराम को बम्बई आए कुल इकतीस दिन हुए हैं। आज जैसे ही सिर पर फलों की टोकरी रख बेचने के लिए निकला एक कुत्ता भौंकते हुए उसके सामने आ गया। कुत्ते के गले में पट्टा पड़ा था। संभवतः गली...

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वाह रे किसान By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भूकंप के आने से गज सिंह को बड़ा नुकसान हुआ था। पिछले दिन ही तो उसने अपने मकान का लिंटर डलवाया था। लिंटर अभी सैट भी नहीं हुआ था कि करीब पाँच घंटे बाद ही भूकंप आ गया...

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उसका बंटी By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भयानक गर्मी थी। रेतीला रास्ता किसी भड़भूजे की भट्टी के समान तप रहा था। रेत पर उगी घास झुलस चुकी थी मगर सुखिया इस रेत पर नंगे पांव सरपट दौड़ी चली जा रही थी। उसके सिर...

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परतें By sudha jugran

“परतें”फोन की घंटी बजी। मां का फोन था। “हैलो मां, प्रणाम” लेकिन मां के आशीर्वाद में ही उनका सारा दर्द छलक गया।“क्या हुआ?” जिया चिन्तित हो गई।“गिर गई, कमर में दर्द हो रहा है”“हां, व...

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टुकड़े पत्थर के By नंदलाल मणि त्रिपाठी

अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है कि हमारी अगली मुलाकात में द्वंद दोष शिकायत का कोई स्थान नही होगा और हम एक दूसरे से बहुत प्रसन्न बाता...

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दादी By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्यों ही पैरों को सीधा किया, एक अजीब से दर्द के आनंद का अनुभव हुआ। दर्द इसलिए कि घुटने जितनी पीड़ा पाँव...

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सन्तो By Dr. Suryapal Singh

गांव में बाघ की ही चलती। दीनहीन उसके अनाचारों से तंग रहते। संतो ने अपने समाज के लोगों के सामने अपनी कठिनाई को रखा पर बाघ का नाम आते ही सभी चुप हो गए। आखिर उसने ही एक फैसला किया। अत...

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नटिनी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जान्हवी को ना जाने क्या हो गया था अनिरुद्ध से मिलने के बाद वह माँ जंगिया को समाज मे नारी के साथ विकसित एव पढ़े लिखे सभ्य समाज द्वारा किये जा रहे भेद भाव को विशेषकर आदिवासी नारी के प...

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विस्तार सपनों का By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी कभी-कभी परिस्थितियाँ इतनी भयावह हो जाती हैं। आदमी सोचता कुछ है, करता कुछ है और हो कुछ जाता है। जीवन भर योजना बनाता है मगर अंतिम समय में किसी रेतीली दीवार सा भरभराक...

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एक रेखा और..... By Sharovan

एक रेखा और *** कहानी अंश... ‘अब जब देखो, तब ही महारानी के समान बिस्तर पर आराम फरमाती रहती है। एक तो लड़की पैदा की और वह भी मरी हुई . . . . .’ अरे, हमने भी ये सब किया था। इतना आराम...

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बासी खाना By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चारों ओर हाहाकार मचा था। शहर का एक भी अस्पताल ऐसा नहीं था जिसमें संक्रमित मरीजों को भर्ती न कराया गया हो। पत्रकारों के लिए यह अच्छी ख़बर थी और चिकित्सकों के लिए अच्...

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किन्ने By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की कहानी ‘किन्ने’ समाज की विसंगतियों पर एक तीखी टिप्पणी है। सबसे कमजोर व्यक्ति भी अपना धर्म बदल कर कुछ पाने की इच्छा नहीं रखता है। ईमान ही उसका धर्म है। कैसे उसे...

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ईमानदारी और शराफत पर ठहाके By Vijay Tiwari Kislay

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके एक ही शहर में रहने वाले आदर्श और अशोक ने साथ-साथ पढ़ाई की थी। संयोगवश अशोक अपने दबंग पिताजी की धन-संपत्ति और राजनीतिक रौब के चलते एक चर्चित नेता बन गया।...

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युगांतर - भाग 19 By Dr. Dilbag Singh Virk

रश्मि के घर आने के बाद रमन को तो जैसे नया जीवन मिल गया। यशवंत का स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। यशवंत के स्कूल जाने के बाद वह रश्मि को संभालने में व्यस्त रहती। यशवंत के आने के बाद...

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यह बंधन नही है - 4 By Kishanlal Sharma

औरत का अकेले रहना पहले भी आसान नही था और आज भी नही है।अकेली औरत को अनेक समस्यों का साम्बा करना पड़ता है।अनेक परेशानी आती है अकेली औरत के सामने।मुझे भी अनेक छोटी बड़ी मुसीबतों परेशानि...

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संस्कार By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी संदीप को क्रोध आ गया था। वह सीधा बाबू जी के पास पहँुचा और बिना किसी भूमिका के बरसना शुरू हो गया- ‘हद हो गई बाबू जी! अलका भी आख़िर इंसान ही तो है.... मुन्ना.... मैं...

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वैशाली By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भारतीय संविधान ने वैशाली को इतना अधिकार तो दिला ही दिया था कि वह चुनाव जीत गई और मंत्री बन गई थी। शपथ समारोह के बाद अपने नगर का उसका यह पहला दौरा था। जब वह डाक बंग...

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बेसहारा By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी जनवरी की कँपकँपा देने वाली सर्दी थी। मैंने स्वेटर और जैकेट पहने होने के बावजूद सर्दी से ठिठुरन का अहसास किया। चाय पीने का मन हुआ और एक मित्र के साथ छोटे से होटल मे...

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नीड़ By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की संवेदनशील कहानी ‘नीड़।’ ‘नीड़’ कहानी बड़े पेड़ों के कटते जाने के कारण पक्षियों के सामने उत्पन्न संकट को रेखांकित करती है। कपोत-कपोती के माध्यम से केवल पक्षियों...

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अकेला‌ चिड़ा By Yogesh Kanava

डाली सातवीं कक्षा की छात्रा, इस बार ही एक नया विषय सिलेबस में जुड़ा है आज उसी की कक्षा है। मैडम भी थोड़ी सी सोचती सी लड़कियों को इस विषय को बताने के लिए शुरू कहां से करूं। कुछ सोचते स...

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बंजर By Aman Kumar

  अमन कुमार त्यागी जिस्म को झुलसा देने वाली तेज़ धूप थी। मेरे कदम तेज़ी से आगे बढ़ते चले जा रहे थे। दिमाग़ में एक साथ अनगिनत सवाल थे। क्या पति परमेश्वर ही होता है, भले ही वो पत्नी को ज...

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हादसा - भाग 8 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उस हादसे को हुए जब लगभग एक हफ़्ता बीत गया तो गोताखोरों ने भी जवाब दे दिया। वे ना तो प्रकाश को ढूँढ पाए ना उसके पार्थिव शरीर को। पूरा परिवार अंतिम बार प्रकाश की एक झलक देखना चाहता था...

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मौन रहस्य By नंदलाल मणि त्रिपाठी

---------मौन------जुबान ,जिह्वा और आवाज़ जिसके संयम संतुलन खोने से मानव स्वयं खतरे को आमंत्रित करता है और ईश्वरीय चेतना की सत्ता को नकारने लगता है।अतः जिह्वा जुबान का सदैवसंयमित संत...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 6 By Chaya Agarwal

भाग6बीता हुआ एक-एक लम्हा, किसी खौफ़नाक मंजर के माफिक उसके सामने से गुजरने लगा। आँखों को अश्कों से डुबोती हुई फिज़ा बैड पर बैठी हुई सिसक पड़ी। अब तो उसका काम बात- बात पर सिसकना ही रह ग...

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बिरजू की पाती By Dr. Suryapal Singh

बिरजू की पाती बिरजू राम फल वाला एक पेड़ के नीचे लेटा है। एक हाथ और एक पैर में प्लास्टर बंधा होने के कारण खिसकने में थोड़ी दिक्कत होती है। एक बोतल पानी पत्नी बगल में रख गई है। दाहिन...

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सद बुद्धि यज्ञ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

-----सद बुद्धि यज्ञ-----लाला गजपति विल्लोर गाँव के संपन्न कायस्थ परिवार के मुखिया थे उनके परम् मित्र थे ठाकुर सतपाल सिंह और पंडित महिमा दत्त तीनो मित्रो के ही विचार गाँव में सिद्धा...

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फूलों का मन By Aman Kumar

अमन कुुमार त्यागी माली के मुँह से क्या निकला कि उसकी बगिया में जो सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत फूल होगा, उसी को मंदिर में चढाया जाएगा। सुनकर फूलों में ख़ूबसूरत दिखने के लिए होड़ लग गई। होड़ ल...

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वरदेखुआ By Dr. Suryapal Singh

वरदेखुआआज से कुछ वर्ष पहले वर खोजने के लिए प्रायः लोग समूहों में चलते- दस-पाँच, दो-चार के समूहों में। महीनों अपने नाते रिश्ते में घूमते हुए सभी की शादियाँ तय करके घर लौटते । कभी कभ...

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गुलाबों का बादशाह By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी आसपास के सभी लोग उसे गुलाबों के बादशाह के रूप में ही जानते थे। उसका असल नाम क्या है? अब तो स्वयं उसे भी स्मरण नहीं रहा। मुश्किल से तीन वर्ष का रहा होगा, जब उसके मा...

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दो औरते - 1 By Kishanlal Sharma

"सुरेश तुम तो एकदम बदल गए,"वह आराम से बैठ भी नही पाया था कि विभा ने बंदूक की गोली की तरह प्रश्न दाग दिया था।"नही तो।बिल्कुल वैसा ही हूँ।देख लो।कहा से बदला हुआ नजर आ रहा हूँ,"सुरेश,...

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मौत का हिसाब By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मौत का हिसाब--अपराधी पैदा नही होता बल्कि अपराधी बनाया जाता है कोई भी प्राणि अपने मूल स्वभाव के साथ जन्म लेता है किसी विशेष परिस्थितियों में उसके स्वभाव में परिवर्तन स्प्ष्ट परिलक्ष...

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मूंग की खिचड़ी By sudha jugran

”मूंग की खिचड़ी””शुभा, सो गई क्या? लो खाना खालो””खाना..?” पुलकित सी वह फटाफट रजाई फेंक, उठ खड़ी हुई, ”हाँ बहुत भूख भी लग रही है” बेचैनी से प्लेट पकड़ती हुई वह बोली, लेकिन यह क्या, ”फि...

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MY HERO - 1 By shama parveen

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आशीष कायस्त कुल का होनहार नौजवान था हिंदी संस्कृति अंग्रेजी एव गणित में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर चुका था।वह नियमित रूप से महाकाल की भस्म आरती में सम्मिलित होता और आरती के बा...

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मन की बातका 100वां एपिसोड By Jagruti Vakil

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आख़िर मेरा दोष क्या है By Aman Kumar

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मातृत्व - किराए की कोख - 2 By Kishanlal Sharma

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परतें By sudha jugran

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टुकड़े पत्थर के By नंदलाल मणि त्रिपाठी

अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है कि हमारी अगली मुलाकात में द्वंद दोष शिकायत का कोई स्थान नही होगा और हम एक दूसरे से बहुत प्रसन्न बाता...

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अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्यों ही पैरों को सीधा किया, एक अजीब से दर्द के आनंद का अनुभव हुआ। दर्द इसलिए कि घुटने जितनी पीड़ा पाँव...

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सन्तो By Dr. Suryapal Singh

गांव में बाघ की ही चलती। दीनहीन उसके अनाचारों से तंग रहते। संतो ने अपने समाज के लोगों के सामने अपनी कठिनाई को रखा पर बाघ का नाम आते ही सभी चुप हो गए। आखिर उसने ही एक फैसला किया। अत...

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नटिनी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

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विस्तार सपनों का By Aman Kumar

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एक रेखा और..... By Sharovan

एक रेखा और *** कहानी अंश... ‘अब जब देखो, तब ही महारानी के समान बिस्तर पर आराम फरमाती रहती है। एक तो लड़की पैदा की और वह भी मरी हुई . . . . .’ अरे, हमने भी ये सब किया था। इतना आराम...

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बासी खाना By Aman Kumar

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ईमानदारी और शराफत पर ठहाके By Vijay Tiwari Kislay

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके एक ही शहर में रहने वाले आदर्श और अशोक ने साथ-साथ पढ़ाई की थी। संयोगवश अशोक अपने दबंग पिताजी की धन-संपत्ति और राजनीतिक रौब के चलते एक चर्चित नेता बन गया।...

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युगांतर - भाग 19 By Dr. Dilbag Singh Virk

रश्मि के घर आने के बाद रमन को तो जैसे नया जीवन मिल गया। यशवंत का स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। यशवंत के स्कूल जाने के बाद वह रश्मि को संभालने में व्यस्त रहती। यशवंत के आने के बाद...

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यह बंधन नही है - 4 By Kishanlal Sharma

औरत का अकेले रहना पहले भी आसान नही था और आज भी नही है।अकेली औरत को अनेक समस्यों का साम्बा करना पड़ता है।अनेक परेशानी आती है अकेली औरत के सामने।मुझे भी अनेक छोटी बड़ी मुसीबतों परेशानि...

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संस्कार By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी संदीप को क्रोध आ गया था। वह सीधा बाबू जी के पास पहँुचा और बिना किसी भूमिका के बरसना शुरू हो गया- ‘हद हो गई बाबू जी! अलका भी आख़िर इंसान ही तो है.... मुन्ना.... मैं...

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वैशाली By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भारतीय संविधान ने वैशाली को इतना अधिकार तो दिला ही दिया था कि वह चुनाव जीत गई और मंत्री बन गई थी। शपथ समारोह के बाद अपने नगर का उसका यह पहला दौरा था। जब वह डाक बंग...

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नीड़ By Dr. Suryapal Singh

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अकेला‌ चिड़ा By Yogesh Kanava

डाली सातवीं कक्षा की छात्रा, इस बार ही एक नया विषय सिलेबस में जुड़ा है आज उसी की कक्षा है। मैडम भी थोड़ी सी सोचती सी लड़कियों को इस विषय को बताने के लिए शुरू कहां से करूं। कुछ सोचते स...

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बंजर By Aman Kumar

  अमन कुमार त्यागी जिस्म को झुलसा देने वाली तेज़ धूप थी। मेरे कदम तेज़ी से आगे बढ़ते चले जा रहे थे। दिमाग़ में एक साथ अनगिनत सवाल थे। क्या पति परमेश्वर ही होता है, भले ही वो पत्नी को ज...

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हादसा - भाग 8 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उस हादसे को हुए जब लगभग एक हफ़्ता बीत गया तो गोताखोरों ने भी जवाब दे दिया। वे ना तो प्रकाश को ढूँढ पाए ना उसके पार्थिव शरीर को। पूरा परिवार अंतिम बार प्रकाश की एक झलक देखना चाहता था...

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