सामाजिक कहानियां कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • राव हम्मीर देव चौहान

    रणथम्भौर "रणतभँवर के शासक थे । ये पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। इनके पिता का नाम ज...

  • मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 23

    भाग 23आरिज़ चुपचाप सब सुन रहा था मगर बोल कुछ नही रहा था। बड़ी भाभी साहब अपने कमरें...

  • राणा सांगा

    बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों...

युगांतर - भाग 29 By Dr. Dilbag Singh Virk

आदमी भी विचित्र जीव है। किसी सिद्धांत पर स्थिर रहना उसकी फितरत नहीं, अपितु वह तो सिद्धांतो को मनमर्जी अनुसार तोड़ता-मरोड़ता रहता है। यादवेंद्र भी इसका अपवाद नहीं। वह तो पेंडलुम की तर...

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राव हम्मीर देव चौहान By DINESH KUMAR KEER

रणथम्भौर "रणतभँवर के शासक थे । ये पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था । ये इतिहास में ''हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ 1339 (...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 23 By Chaya Agarwal

भाग 23आरिज़ चुपचाप सब सुन रहा था मगर बोल कुछ नही रहा था। बड़ी भाभी साहब अपने कमरें में थीं। वैसे भी वह घर में सबसे दूर ही रहती थीं। छोटी फरहा भाभी जान वही बैठी प्याज और लहसुन काट रही...

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राणा सांगा By DINESH KUMAR KEER

बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों के सामने सांगा के राजपूत पीछे हटे और फिर कुछ समय बाद सांगा को किसी अपने ने ही विष देकर मार दिया तो...

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माँ की ममता By DINESH KUMAR KEER

माँ की ममता   माँ... घर पहुँचते ही बेशक माँ से... कुछ काम ना हो लेकिन... हमारा पहला सवाल यही... होता है माँ किधर है और... माँ के दिखाई देते ही... दिल को सुकून मिल जाता है... &...

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आश्वस्ति By Dr. Suryapal Singh

शंकर प्रसाद अपना डेढ़ एकड़ खेत गोण्डा के रजिस्ट्री कार्यालय में रमेश प्रधान को लिखकर गांव नहीं लौटे। उनके चचेरे भाई सरजू उन्हें गांव चलने के लिए प्रेरित करते रहे पर उनका मन उदास था...

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धांधू By Dr. Suryapal Singh

बैसाख की रात का पिछला प्रहर। गुलाबी ठंड । गांव में उषा के आगमन तक बिछी चांदनी। इमरती दाल दरने बैठ गई। दरेती की आवाज़ से सुर मिलाते हुए गा उठी................ कुहू कुहू बोलइ ई कारी...

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सलमा का स्वप्न By Dr. Suryapal Singh

रामधीरज को जो भी मिल जाता उसका हाल चाल पूछते। खुश रहते पर बात करते समय कुछ ज्यादा ही बोल जाते। किसी ने उन्हें 'गप्पू' कह दिया। अब यह नाम चल पड़ा। गांव जवांर ही नहीं नाते-रि...

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भालू नाच By Dr. Suryapal Singh

1859 ई० । गर्मियों के दिन सत्तावनी क्रान्ति दबा दी गई। आज कुछ इसकी असफलता पर प्रसन्न हैं कुछ दुखी। सबके अपने तर्क हैं कुछ कुतर्क भी। कुछ इसे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन नहीं मानते...

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चले गांव कि ओर By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पीली भीत उत्तर प्रदेश केतराई क्षेत्र का जिला है पीलीभीत की तहसील है पुरनपुर पूरनपुर तहसील का गांव मंगल का पुरवा पीलीभीत जनपद में पंजाबी जनसँख्या बहुत है जिनका मुख्य व्यवसाय खेती उन...

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बुच्चू By Dr. Suryapal Singh

रात के बारह बजे थे। चाँद भले ही ऊबड़-खाबड़, धरातल वाला क्षेत्र हो पर उससे निःसृत चांदनी धरती पर रस बरसा रही थी। सिवान में खड़े पेड़-पौधे, ऊढ़ कभी कभी किसी मिथ्या भ्रम को पैदा कर दे...

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जिन्दगी यहीं खत्म नहीं होती By Dr. Suryapal Singh

कल केन्द्र सरकार ने शासकीय कर्मचारियों, शिक्षकों के लिए छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को मंजूरी दे दी। आज के अखबार वेतन आयोग की रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणियाँ देने में एक दूसरे से धक्का...

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पत्थरों का देवता By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जीवेश एक साधारण परिवार की विरासत में पैदा हुआ था जीवेश के पिता जन्मेजय बहुत साधारण और सांस्कारिक व्यक्तित्व थे धर्म परायण और सच्चे इंसान जनमेजय की विनम्रता के किस्से जवार में मशहूर...

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धर्म की दीवार.. By Saroj Verma

शाहिद लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर आया,उसने सोचा कि किस होटल में कमरा लूँ,यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं,तभी एकायक उसके मन में विचार आया क्यों ना तिवारी मोहल्ले में ही कोई होटल तलाश कर...

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नौ साल की लड़की By Dr. Suryapal Singh

गर्मियों के दिन। अन्ना अपने कमरे में दर्पण के सामने खड़ी अपने बालों को निहारती हुई। मन में थोड़ी उधेड़-बुन। उसने एक सफेद बाल को खींच लिया। आज रविवार है, छुट्टी का दिन। उसकी नौ साल...

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प्यार के जन्म हज़ार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

ऐसी मान्यता है कि जो आत्मा आकस्मिक अपूर्ण इच्छा के साथ शरीर का त्याग करती है वह अपने शुक्ष्म अलौकिक अस्तित्व में ब्रह्मांड में विचरण करती है और अपने जीवन अस्तित्व की अत्रितप्ता की...

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उदास चेहरा By Dr. Suryapal Singh

अपराह्न दो बजे का समय। गोण्डा का बस स्टेशन। दिल्ली जाने वाली बस में लोग बैठ रहे हैं। चालक और परिचालक दिल्ली.........दिल्ली की हाँक लगाते हुए। अभी बस भरी नहीं है। कभी कभी तो एक दम ठ...

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सांस्कार कि शिक्षा By नंदलाल मणि त्रिपाठी

एक गाँव मे एक गरीब ब्राह्मण रहते थे उस गरीब ब्राह्मण के पास अपनी छोपडी के अलावा खेती की कोई जमीन नही थी जिसके कारण पंडित जी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये पांडित्य कर्म करते...

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नानी की कहानी By DINESH KUMAR KEER

आमतौर पर देखा गया है कि हम जो सामने देखते हैं उसे ही सच मान बैठते हैं बिना सोचे समझे सच्चाई जाने बगैर किसी को भी कोसने लगते हैं इसी तरह की एक घटना कुछ दिन पहले हमारे सामने आई जिसने...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पूरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते पंडित जी के...

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पापा कहां थे आप By Vishram Goswami

पापा कहां थे आप                पतझड़ का मौसम था। पेड़ों के पीले पड़े हुए पत्ते जमीन को ढक कर मानो बिछौना सा बना रहे थे। शहर का बाहरी इलाका वीराने का सा एहसास कराता था । पेड़- पौधे...

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फूलों की भेंट.. By Saroj Verma

मँझली बहू गुन्जा जैसे ही दादा जी के कमरें उनके दोपहर का भोजन लेकर पहुँची तो उसने देखा कि दादा जी अपने बिस्तर पर लेटे थे,गुन्जा उनके बिस्तर के पास जाकर बोली... "माँफ कर दीजिए दादाजी...

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चन्द्रिका By Dr. Suryapal Singh

चन्द्रिकादो नदियों के मिलने पर जिस नदी का पानी स्थिर हो जाता है उसका समापन मान लिया जाता है। प्रयाग में यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उसका पानी स्थिर, शान्त दिखता है गंगा का...

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काश…. पहले बता देते ! By Ashwajit Patil

काव्या का पंखे से लटका हुआ देह मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा था. ये किस्मत का कैसा खेल है? कौन कहां पर गलत है ? पुलिस को मिले सुसाइड नोट में स्पष्ट शब्दों में लिखा था. महीप उसके बच्चे...

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ज़िन्दगी मेरे घर आना By DINESH KUMAR KEER

बेटियाँ पराई नहीं, दिलों में रहती है ... एक बार एक गरीब पिता ने अपनी एकलौती पुत्री की सगाई करवाई ... लड़का बड़े अच्छे घर से था, इसलिए माता-पिता दोनों बहुत खुश थे । लड़के के साथ लड़...

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किन्नर अभिशाप नही By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित परमात्मा जी के कोई औलाद नही थी विबाह के लगभग पंद्रह वर्ष बीत चुके थे पण्डित जी एक औलाद के लिये जाने क्या क्या जतन करते सारे तीर्थ स्थलों पर गए कोई मंदिर कुरुद्वारा नही बचा जह...

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पापा की परी By DINESH KUMAR KEER

  बेटी निरमा की शादी हाल ही में हुई थी, कुछ दिनों बाद पहली बार पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे पिता जी को लगा था, मुझे देखते ही निरमा मेरे गले से लग जायेगी, अंत सोचते...

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दीवार की आंख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी ‘‘कौन मानेगा इस बात को कि दीवार की भी आंख होती है?’’ कमल सवाल करता है और फिर स्वयं ही जवाब भी देता है -‘‘जब दीवार के कान हो सकते हैं तो आंख क्यों नहीं हो सकती।’’मग...

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अरमानों का आकाश By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मानवेन्द्र के पिता सोमेंद्र और माँ रितिका अपने समय के मशहूर चिकित्सक थे डेहरी गांव के नजदीक कस्बे कखारदुल में पाइवेट नर्सिंग होम चलाते थे दोनों की प्रैक्टिस अच्छी खासी थी और दूर दू...

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खुदा का इंसाफ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मृगेंद्र माधव महतो का होनहार एकलौता बेटा था माधव महतो के पास ससुराल की खेती मिली थी क्योंकि महिमा माँ बाप की इकलौती संतान थी जिसकी शादी महिमा जिसकी शादी पंद्रह वर्ष पूर्व माधव से ह...

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एक टुकड़ा सुख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  आज एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता हूँ जिसके पास धन का अभाव था मगर उसने अपने आपको कभी ग़रीब नहीं माना। उसकी पत्नी बीमार थी, बेटी बीमार थी, बेटा बीमार था यहाँ तक कि वह...

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खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा) By DINESH KUMAR KEER

खुशबू: - बेटी को मां की शिक्षा   एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुयें, महिला ने अपनी बच्ची (पायल) से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे...

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राजू किसान By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी    1 पिता जी! जल्दी उठो, अम्मा की तबियत ख़राब है, बहुत ज़ोर का दर्द उठरिया है।’ बेटे राजू ने झंझोड़कर उठाया तो मान सिंह को मजबूरीवश उठना पड़ा। अंगड़ाई लेते हुए उसने पूछ...

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कोख़ में हत्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि क...

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युगांतर - भाग 29 By Dr. Dilbag Singh Virk

आदमी भी विचित्र जीव है। किसी सिद्धांत पर स्थिर रहना उसकी फितरत नहीं, अपितु वह तो सिद्धांतो को मनमर्जी अनुसार तोड़ता-मरोड़ता रहता है। यादवेंद्र भी इसका अपवाद नहीं। वह तो पेंडलुम की तर...

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राव हम्मीर देव चौहान By DINESH KUMAR KEER

रणथम्भौर "रणतभँवर के शासक थे । ये पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था । ये इतिहास में ''हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ 1339 (...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 23 By Chaya Agarwal

भाग 23आरिज़ चुपचाप सब सुन रहा था मगर बोल कुछ नही रहा था। बड़ी भाभी साहब अपने कमरें में थीं। वैसे भी वह घर में सबसे दूर ही रहती थीं। छोटी फरहा भाभी जान वही बैठी प्याज और लहसुन काट रही...

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राणा सांगा By DINESH KUMAR KEER

बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों के सामने सांगा के राजपूत पीछे हटे और फिर कुछ समय बाद सांगा को किसी अपने ने ही विष देकर मार दिया तो...

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माँ की ममता By DINESH KUMAR KEER

माँ की ममता   माँ... घर पहुँचते ही बेशक माँ से... कुछ काम ना हो लेकिन... हमारा पहला सवाल यही... होता है माँ किधर है और... माँ के दिखाई देते ही... दिल को सुकून मिल जाता है... &...

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आश्वस्ति By Dr. Suryapal Singh

शंकर प्रसाद अपना डेढ़ एकड़ खेत गोण्डा के रजिस्ट्री कार्यालय में रमेश प्रधान को लिखकर गांव नहीं लौटे। उनके चचेरे भाई सरजू उन्हें गांव चलने के लिए प्रेरित करते रहे पर उनका मन उदास था...

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धांधू By Dr. Suryapal Singh

बैसाख की रात का पिछला प्रहर। गुलाबी ठंड । गांव में उषा के आगमन तक बिछी चांदनी। इमरती दाल दरने बैठ गई। दरेती की आवाज़ से सुर मिलाते हुए गा उठी................ कुहू कुहू बोलइ ई कारी...

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सलमा का स्वप्न By Dr. Suryapal Singh

रामधीरज को जो भी मिल जाता उसका हाल चाल पूछते। खुश रहते पर बात करते समय कुछ ज्यादा ही बोल जाते। किसी ने उन्हें 'गप्पू' कह दिया। अब यह नाम चल पड़ा। गांव जवांर ही नहीं नाते-रि...

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भालू नाच By Dr. Suryapal Singh

1859 ई० । गर्मियों के दिन सत्तावनी क्रान्ति दबा दी गई। आज कुछ इसकी असफलता पर प्रसन्न हैं कुछ दुखी। सबके अपने तर्क हैं कुछ कुतर्क भी। कुछ इसे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन नहीं मानते...

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पीली भीत उत्तर प्रदेश केतराई क्षेत्र का जिला है पीलीभीत की तहसील है पुरनपुर पूरनपुर तहसील का गांव मंगल का पुरवा पीलीभीत जनपद में पंजाबी जनसँख्या बहुत है जिनका मुख्य व्यवसाय खेती उन...

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बुच्चू By Dr. Suryapal Singh

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पत्थरों का देवता By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जीवेश एक साधारण परिवार की विरासत में पैदा हुआ था जीवेश के पिता जन्मेजय बहुत साधारण और सांस्कारिक व्यक्तित्व थे धर्म परायण और सच्चे इंसान जनमेजय की विनम्रता के किस्से जवार में मशहूर...

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धर्म की दीवार.. By Saroj Verma

शाहिद लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर आया,उसने सोचा कि किस होटल में कमरा लूँ,यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं,तभी एकायक उसके मन में विचार आया क्यों ना तिवारी मोहल्ले में ही कोई होटल तलाश कर...

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नौ साल की लड़की By Dr. Suryapal Singh

गर्मियों के दिन। अन्ना अपने कमरे में दर्पण के सामने खड़ी अपने बालों को निहारती हुई। मन में थोड़ी उधेड़-बुन। उसने एक सफेद बाल को खींच लिया। आज रविवार है, छुट्टी का दिन। उसकी नौ साल...

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प्यार के जन्म हज़ार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

ऐसी मान्यता है कि जो आत्मा आकस्मिक अपूर्ण इच्छा के साथ शरीर का त्याग करती है वह अपने शुक्ष्म अलौकिक अस्तित्व में ब्रह्मांड में विचरण करती है और अपने जीवन अस्तित्व की अत्रितप्ता की...

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उदास चेहरा By Dr. Suryapal Singh

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सांस्कार कि शिक्षा By नंदलाल मणि त्रिपाठी

एक गाँव मे एक गरीब ब्राह्मण रहते थे उस गरीब ब्राह्मण के पास अपनी छोपडी के अलावा खेती की कोई जमीन नही थी जिसके कारण पंडित जी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये पांडित्य कर्म करते...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पूरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते पंडित जी के...

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चन्द्रिका By Dr. Suryapal Singh

चन्द्रिकादो नदियों के मिलने पर जिस नदी का पानी स्थिर हो जाता है उसका समापन मान लिया जाता है। प्रयाग में यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उसका पानी स्थिर, शान्त दिखता है गंगा का...

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ज़िन्दगी मेरे घर आना By DINESH KUMAR KEER

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पापा की परी By DINESH KUMAR KEER

  बेटी निरमा की शादी हाल ही में हुई थी, कुछ दिनों बाद पहली बार पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे पिता जी को लगा था, मुझे देखते ही निरमा मेरे गले से लग जायेगी, अंत सोचते...

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दीवार की आंख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी ‘‘कौन मानेगा इस बात को कि दीवार की भी आंख होती है?’’ कमल सवाल करता है और फिर स्वयं ही जवाब भी देता है -‘‘जब दीवार के कान हो सकते हैं तो आंख क्यों नहीं हो सकती।’’मग...

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मानवेन्द्र के पिता सोमेंद्र और माँ रितिका अपने समय के मशहूर चिकित्सक थे डेहरी गांव के नजदीक कस्बे कखारदुल में पाइवेट नर्सिंग होम चलाते थे दोनों की प्रैक्टिस अच्छी खासी थी और दूर दू...

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खुदा का इंसाफ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मृगेंद्र माधव महतो का होनहार एकलौता बेटा था माधव महतो के पास ससुराल की खेती मिली थी क्योंकि महिमा माँ बाप की इकलौती संतान थी जिसकी शादी महिमा जिसकी शादी पंद्रह वर्ष पूर्व माधव से ह...

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खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा) By DINESH KUMAR KEER

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राजू किसान By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी    1 पिता जी! जल्दी उठो, अम्मा की तबियत ख़राब है, बहुत ज़ोर का दर्द उठरिया है।’ बेटे राजू ने झंझोड़कर उठाया तो मान सिंह को मजबूरीवश उठना पड़ा। अंगड़ाई लेते हुए उसने पूछ...

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कोख़ में हत्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि क...

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