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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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शोहरत का घमंड - 42 By shama parveen

आलिया की मम्मी आलिया के पापा से बोलती है, "अब हम हम क्या करें हमारे पास तो एक फूटी कौड़ी भी नही है और तीन दिन बाद शादी है"।तब आलिया के पापा बोलते है, "मैं क्या बताऊं मुझे खुद कुछ स...

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पति का आरक्षण By Yogesh Kanava

आज अचानक ही रोहन की नजर अखबार के साहित्य पन्ने पर पड़ी और अपने मित्र लेखक कवि की एक कविता पर कविता की पंक्तियां थी  अपने इरादों को सुरों की झंकार दो  उठो बस तुम गांडीव को टंकार  हो...

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इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 8 By Vaidehi Vaishnav

(8) ये ठीक रहेगा- गरिमा ने ख़ुशी से कार्ड लेते हुए कहा। और फोन की तरफ़ तेज़ कदमों से जाती है। ख़ुशी भी गरिमा के पीछे जाती है। गरिमा रिसीवर उठाकर नम्बर डायल करती है। ख़ुशी मन ही मन भगवान...

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बंधन प्रेम के - भाग 16 By Dr Yogendra Kumar Pandey

(52) मेजर विक्रम अस्पताल में करीब एक हफ्ते रहे। वहां से छुट्टी मिलने पर शांभवी के यहां तीन दिन और रुके। इन दस दिनों में शांभवी ने पूरी लगन से उनकी सेवा की।यहां तक कि उसने दिवंगत शौ...

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सोई तकदीर की मलिकाएँ - 50 By Sneh Goswami

  50 सुभाष को पानी के नक्के मोङते , खेत में पानी देते सुबह से शाम हो गई थी । परछाइयां ढलने लगी थी । पंछी अपने घोंसलों को लौटने लगे थे । सूरज धीरे धीरे पश्चिम की ओर मुङ गया था । खेत...

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दूज का चांद By Yogesh Kanava

 धनजी के परिवार में आज बहुत खुशियां मनाई जा रही थी पूरे 55 बरस की उम्र में आज उनके बेटा हुआ था बहुत मन्नते मांगी मजार मजार मंदिर मंदिर दरगाह सब जगह सब जगह मन्नत का डोरा बांधा लेकिन...

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अग्निजा - 130 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-130 मुंबई पहुंचकर केतकी चकरा गयी थी। मुंबई की भीड़भाड़ से घबरा गयी थी। लोग लगातार भागते हुए ही दिखायी दे रहे थे। इधर से उधर, उधर से इधर। आखिर इतनी भीड़ कहां...

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वो निगाहे.....!! - 9 By Madhu

उनकी निगाह कुछ इस कदर पडी बेजान शरीर में जिन्दा होने की हरकत हुई...!! तेज कुछ काम कर रहा था अपने ढाबे पर उसे किसी कि झलक दिखी फिर उस इंसान कि आवाजे आने लगी l आवाज सुनकर शायद वो किस...

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कोट - ३३ By महेश रौतेला

ठंडी सड़क( नैनीताल):हर क्षण एक कहानी कह रहा है। आज बूढ़ा वहाँ पर जल्दी आ गया है।सूट पहने बैठा है। इधर-उधर देख रहा है। मैं वहाँ पर जाता हूँ और उससे पूछता हूँ किसी की प्रतीक्षा कर रहे...

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कल्कि: अन्त का प्रारंभ। - भाग 1 By Praveen Verma

"कलकी" इस नाम से कलयुग के बहुत से मनुष्य परिचित होंगे। पुराणों के अनुसार कलकी प्रभु श्री विष्णु का अंतिम अवतार बताया गया गया है, जिसमे प्रभु श्री विष्णु मनुष्य योनि में जन्म लेकर क...

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तमाचा - 35 (चिंगारी) By नन्दलाल सुथार राही

रात अपने प्रिय अस्त्र चाँदनी के साथ शीतलता बरसा रही थी। जिससे कोमल भावनाओं वाले प्रेमी उसके समक्ष आत्मसमर्पण कर जाते है। बिंदु अपने कमरे में पलंग पर अपने वक्ष स्थल के नीचे तकिया रख...

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ताश का आशियाना - भाग 24 By Rajshree

वही सी हर रोज की सुबह होती है।रागिनी उठती है, उसके बाजू प्रतिक्षा को ना देख उसकी आंखे खुल जाती है।"कहा हो तुम?" रागिनी ने प्रतीक्षा को पुकारा।" मैं बाथरूम में हु, आ रही हु।" इंसान...

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सब कुछ यथावत By Yogesh Kanava

प्राय ऐसा हर दिन ही होता था कि इधर मैंने चाय पीकर कप रखा और उधर एक जानी पहचानी सी आवाज़ हर दिन आती है। मेरे चाय के कप का खली होना और उसकी आवाज़ आना जैसे दोनों ही यंत्रचालित हों। उसकी...

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छुटकी दीदी - 21 - अंतिम भाग By Madhukant

- 21 - बारह दिन बाद रविवार को सलोनी की तेरहवीं एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन स्वामी जी के आश्रम में किया गया। हॉस्पिटल के ऊपर चमकने वाली लाइट का सुन्दर बोर्ड लगा दिया गया था - &lsqu...

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चलते जाओ खुद से प्रीत जोड़ By Yogesh Kanava

कई दिनों से नेहा का कोई जवाब नहीं आ रहा था। रोहन रोजाना उसे गुडमार्निग मैसेज करता था। वो पहले तो सोचता था कि वो संभवतः अपने पति के डर के कारण मैसेज नहीं करती होगी किन्तु लगातार कई...

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शोहरत का घमंड - 42 By shama parveen

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इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 8 By Vaidehi Vaishnav

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  50 सुभाष को पानी के नक्के मोङते , खेत में पानी देते सुबह से शाम हो गई थी । परछाइयां ढलने लगी थी । पंछी अपने घोंसलों को लौटने लगे थे । सूरज धीरे धीरे पश्चिम की ओर मुङ गया था । खेत...

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छुटकी दीदी - 21 - अंतिम भाग By Madhukant

- 21 - बारह दिन बाद रविवार को सलोनी की तेरहवीं एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन स्वामी जी के आश्रम में किया गया। हॉस्पिटल के ऊपर चमकने वाली लाइट का सुन्दर बोर्ड लगा दिया गया था - &lsqu...

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कई दिनों से नेहा का कोई जवाब नहीं आ रहा था। रोहन रोजाना उसे गुडमार्निग मैसेज करता था। वो पहले तो सोचता था कि वो संभवतः अपने पति के डर के कारण मैसेज नहीं करती होगी किन्तु लगातार कई...

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