हास्य कथाएं कहानियाँ पढ़े और PDF में डाउनलोड करे

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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लौट के बुद्धू घर को आये - (पार्ट 2) By Kishanlal Sharma

सालों पुरानी बात है।चार दशक से ज्यादा हो गए।जून का महीना था।मई और जून तोसुबह धूप निकलते ही गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगता जो दिन बढ़ने के साथ मे बढ़ता जाता।दोपहर होते होते तो लू के थपेड़...

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फादर्स डे पर पिता जी की याद में By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

फादर्स डे पर पिता जी की याद में स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना डुकरा करोना...

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लूज कंट्रोल By Saroj Prajapati

कई दिनों से राजन और गरिमा का मूड एक दूसरे से काफी उखड़ा उखड़ा था। दोनों ही आपस में ढंग से बात नहीं कर रहे थे। सुबह उठकर नाश्ता, फिर ऑफिस और ऑफिस से आकर दोनों अनजानो की तरह एक ही बि...

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गोलोकधाम By suraj sharma

न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः ।यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ श्रीमद्भगवद गीता 15.6 अथार्त - जिस परमपद को प्राप्त...

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टीके की कहानी By Anand M Mishra

टीका-टीका-टीका!! आज सभी जगह एक ही चर्चा है। आपने टीका लगवा लिया? जिसने लगवा लिया है वह अपनी बत्तीसी दिखाता है तथा जिसने नहीं लिया है वह मुंह फुलाया हुआ चेहरा दिखाता है। साथ ही में...

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प्रजातंत्र का इतिहास By Anand M Mishra

कुछ जानकार लोग कहते हैं - प्रजातंत्र की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'डेमोस' से हुई है। डेमोस का अर्थ है 'जन साधारण' और क्रेसी का अर्थ है 'शासन'। लेकिन यह तथ्य वास्तविकता से कोसों दूर है। ऐ...

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हिन्दी या हिग्लिश By Alok Mishra

हिन्दी या हिंग्लिश भाषाएं रस बदलती है, विलुपत होती है और परिष्कृत होती हैं। भाषाओं के परिवर्तन का सिलसिला हमशा जारी रहता है। वर्तमान में विश्व में लगभग ७००० भाषाएं बोली जा...

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बहस--परिचर्चा By Kishanlal Sharma

गांव की चौपालों और गली मोहल्लों के चबूतरों से निकलकर बहस टी वी चैनलो पर जा पहुंची है।आज कोई भी न्यूज़ चैनल बहस यानी परिचर्चा से अछूता नही है।धर्म,राजनीति,खेल,फ़िल्म, भ्रष्टचार, सरकार...

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अन्ना राजनीति में ‘‘मत’’ जाना .... By Alok Mishra

अन्ना राजनीति में ‘‘मत’’ जाना ....यह आलेख उस समय की तात्कालीन परिस्थितियो में व्यवस्था पर व्यंग्य के रूप में लिखा गया था जो अनेक अखबारों में प्रकाशित भी हुआ था । अन्ना आदरणीय है इस...

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बबन को गड्ढे क्यों पसंद हैं ? (व्यंग्य) By Sunil Jadhav

लेखक- डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव, नांदेड़ मो.९४०५३८४६७२ मास्टर जी ने कक्षा में एक लोकप्रिय पंक्ति सुनाते हुए कहा, बच्चों अब तुम्हारी बारी | तुम्हे एक कविता करके मुझे सुनानी हैं |”...

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ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा (व्यंग्य) By Alok Mishra

ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा अभी-अभी मिले समाचार के अनुसार रामलाल जी देश छोड़ने पर विचार कर रहे है । हमारे रामलाल जी आजकल बहुत परेशान है । आप रामलाल को तो जानत...

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११०१ By Sunil Jadhav

लेखक-डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव नांदेड,महाराष्ट्र मो-९४०५३८४६७२ एक रात सपने में बाबा गूगल द्वारा आकाशवाणी हुई, बेटा यूजर प्रो.बबन जी! सारी दुनिया वेबीनारा कर रही हैं और आप घ...

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गरीबी और झूठ ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और झूठ मंडी के पास एक हम्माल दीनू और ठेला चलाने वाला छोटू कुछ देर बैठे थे । दीनू बोला "आज तो मंडी में माल ही नहीं आया, काम है ही नहीं। है ....कि ...नहीं ।" छोटू ने...

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अभी तो ये अंगड़ाई है .. ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

अभी तो ये अंगड़ाई है .... एक दिन शहर की एक रैली में लोग जोर-जोर से नारे लगा रहे थे ‘‘ अभी तो ये अंगड़ाई है.....आगे और लड़ाई है ।’’ सड़क के किनारे एक दुकान पर उतनी ही जोर से गान...

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कहानी भोला की - (अंतिम भाग ) By राज कुमार कांदु

पुलिस चौकी से निकल कर भोला एक पार्क के सामने लगे बेंच पर सो गया ।सुबह देर से नींद खुली थी । उठकर अब उसे कुछ काम धाम करने की चिंता सताने लगी । वहीँ बैठे हुए सोचने लगा ‘ अब हम क्या क...

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गरीबी सम्मेलन ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी सम्मेलन शहर के एक आलीशान होटल में गरीबी सम्मेलन का आयोजन किया गया है । देश-विदेश से इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया । अधिकांश विशेषज्ञों ने गरीबों क...

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भैंस की उड़ान ( व्यंग्य) By Alok Mishra

भैंस की उड़ान कहावत तो सुनी होगी " अकल बड़ी या भैंस ।" हमारे आस पास बहुत से लोग हैं जिनके लिए भैंस ही बड़ी होती है । उनके लिए भैंस कहां और अकल कहां ? उन्हीं में से एक...

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सब मिथ्या है By Anand M Mishra

सब मिथ्या है ईश्वर ने सृष्टि के निर्माण के समय लगता है कि अपना दिमाग बहुत चलाया होगा. यदि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को देखते हैं तो मन एकदम गुस्से से भर जाता है. वे क्षीरसागर म...

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कोई समाचार नहीं.. By Alok Mishra

कोई समाचार नहीं ... भोलाराम जी को समाचार देखे ,सुने और पढ़े बगैर चैन ही नहीं मिलता । यही कारण है देश ही नहीं पूरी दुनिया के घटनाक्रम पर हमेशा ही पकड़ बनाए रखते हैं । उ...

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ईमानदारी का कीड़ा (व्यंग्य) By Alok Mishra

ईमानदारी का कीड़ा ( व्यंग्य ) हमारे आस-पास सामान्य लोगों की संख्या बहुत अधिक है । आज के समय में सामान्य वही है जो खुद खाता है औरों को खाने देता है। ले- दे के अपने और दूसरों क...

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नो गधा बनाइंग By Alok Mishra

गधा देश में यूं तो पूरे समय ही राजनीति की बहार रहती है परंतु चुनाव की आहट के साथ ही साथ गधों को गधा बनाने की पूरी राजनीति प्रारंभ हो जाती है । गधा देश के नेता अपने आप को जन...

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जुगाड़ (व्यंग्य) By Alok Mishra

जुगाड़ अरे.....आप शीर्षक पढ़कर क्या सोचने लगे? चलिए तो फिर आपकी और हमारी सोच को ही आगे बढ़ाते हैं । हमारा समाज कुछ खास नियमों से चलता है। इन नियमों से हट कर यदि आपको...

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सामाजिक देवी By राज कुमार कांदु

नमो नारायण की घोर तपस्या से गूगलेश्वर महाराज प्रसन्न हुए और उनसे वर माँगने को कहा।उनके समक्ष नतमस्तक होकर नमो नारायण बोला , " हे सर्वज्ञानी महाराज ! अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो मुझ...

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समाज सेवक जी ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

"समाज सेवा का मजा मेवा जिसने चखा, उसकी जिंदगी धन्य हो गई।" यह वाक्य हमारा नहीं मेवालाल जी का है। मेवालाल वैसे तो एक व्यापारी हैं लेकिन उन्हें सब लोग समाज सेवक के नाम से जानते...

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हड़ासंखन गोत्र By Anand M Mishra

हमारे बाबा समाज में अपनी हाजिरजवाबी के लिए प्रसिद्ध थे। गाँव में यदि किसी का मर्यादित मजाक उड़ाना है तो उस वक्त पूरे गाँव में वे बेजोड़ थे। गाँव की बात तो छोड़ ही दें, उनके जैसा पूरे...

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फाईल दौड़ (व्यंग्य ) By Alok Mishra

फाईल दौड़ (व्यंग्य ) हमारे बाबू साहब अपने ऑफिस में बैठे पान की जुगाली कर रहे थे कि बस अचानक चार फाईलें में अपने आरंभ स्थल यानी स्टार्टिंग प्वाइंट यानी टेबल पर पहुंचकर स...

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चोर (व्यंग्य ) By Alok Mishra

चोर (व्यंग्य ) नोखेलाल जी रोज ही शाम को टहलने निकलते हैं । कभी-कभी हम से उनकी मुलाकात हो जाती है । साठ की उम्र को पार करते अनोखेलाल अपने नाम को चरितार्थ करते हैं...

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छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद  By Alok Mishra

छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद "प्रणाम गुरुजी" कहते हुए उन्होंने हमारे घुटने छुए । आशीर्वाद के वचन के साथ ही वे सोफे पर अपनी तशरीफ रख चुके थे । हमारे घर आए हुए सज्जन को पू...

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कहानी सब्जीपुर की ( भाग -2 ) By राज कुमार कांदु

साथियों नमस्कार ! इससे पूर्व की कड़ी में आप सभी ने पढ़ा कि किस तरह आलूचन्द और कद्दू कुमारी की सगाई के मौके पर अचानक भिंडी कुमारी की वजह से अच्छा खासा बवाल हो गया और उनकी सगाई का मामल...

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वेलकम टू ड्रीम लैंड By Radha

कार्तिक ने हमेशा अपनी गर्लफ्रैंड से फ़ोन में ही बात की थीं। उसे कभी देखा नहीं था। आज वो अपनी गर्लफ्रैंड से मिलने गार्डन में जाता है, दोनों ने एक दूसरे को पहचानने का एक ड्रेस कोड रखा...

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हॉस्टल के किस्से By अनुराधा अनुश्री

होस्टल में शुरुआत के कुछ चट पटे से दिन और बिताई गई सबसे भयावह रात..एक भयावह रात हमारे कहानी का केंद्र है लेकिन उसके पहले मै हॉस्टल से जुड़ी कुछ खास यादें , कुछ खास बातें और वहां...

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चरणवंदन By Alok Mishra

चरणवंदन सोचता हूं सच कैसे बोलूं ? सच जो हमारे चारों ओर बिखरा है । सच जो मुझे दिखता है ,सच वह भी जो आपको दिखता है । मैं बोलने की कोशिश करता हूं और आप मौन रहते हैं । बहुत...

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मैं कोरोनावायरस बोल रहा हूं By Alok Mishra

मैं कोरोनावायरस बोल रहा हूं हाँ तो साहब मैं बोल रहा हूं । मैं यानी कौन ? मैं वही हूं ,जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया हुआ है। मैं वही हूं जो आप लोगों का सर दर्द बन गया...

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बातों बातों में By Alok Mishra

बातों बातों में ----000---- - आप कौन है ? - नहीं पहचाना ? - नहीं तो ! - अपना नाम तो बताइए ? - दिमाग पर जोर डालिए। - आप कौन ......................... कौन .......

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आत्महत्या के अभिनव प्रयोग By Alok Mishra

आत्महत्या के अभिनव प्रयोग जमाना बदल रहा है, हम सब आधुनिक हो रहे है। इस आधुनिकता की दौड में हमारी खाना-पान, रहन-सहन के साथ ही साथ सोच-विचार भी बदल रहे है। मज़ावादी आधुनिक संस्कृ...

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अंकल By Kishanlal Sharma

"अंकल जी कुर्ला की एम एस टी बना दो।"खूबसूरत बाला अपना परिचय पत्र देते हुए बोली।उस युवा सुंदरी के मुंह से अंकल सुनकर तन बदन में आग लग गई।पर बोले कुछ नही।मन मसोसकर रह गए।लल्लू की बुक...

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मैं नेता बनुंगा By Alok Mishra

मैं नेता बनुंगा आज तो मैं भौचक्का ही रह गया । उसने बस इतना ही कहा ‘‘ सर मैं नेता बनना चाहता हुॅ । ’’ सच कहुॅ तो शिक्षा विभाग में मेरा थट्टी ईयर का एक्सपीरियन्स धरा का ध...

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लाल  - हरी लाईट By Alok Mishra

लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी । जब हमारे कस्बे में कोई कालेज खुल जाये , कोई अस्पताल दस से बीस बिस्तर का हो जाए या किसी चौक पर किसी...

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तबादलोत्सव By Anand M Mishra

उत्सव का नाम बहुत सुना था। देखा था। भाग लिया था। रंगोत्सव, फागोत्सव, दीपोत्सव, नववर्ष उत्सव। बीच-बीच में महोत्सव भी देखता-सुनता था। लेकिन यहाँ चर्चा “तबादलोत्सव” की कर रहे हैं। यह...

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छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा By Alok Mishra

छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा एक छोटे से चाय के टपरे के पास खड़े एक आदमी को एक बच्चा पैसे देकर ‘‘ओपन और क्लोज लगाने’’ के लिए कहता है । बस दूसरे दिन वो बच्चा किसी अखबार के कोने में अलग...

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एक जानवर का सच (व्यंग्य) By Alok Mishra

 एक जानवर का सच  एक सर्वे के अनुसार इन्टरनेट और मोबाइल के कारण अपराध और परिवारों का टूटना बढ़ा है इसके पीछे क्या कारण हो सकते है ? इसे जानने के लिए कृपा करके आप...

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पाक स्थान (व्यंग्य) By Alok Mishra

पाक स्थान (व्यंग्य) आपने शीर्षक तो ध्यान से पढा है न ? यहाँ हम अपने उस पडोसी की बात नहीं कर रहे है जिसे लाख कोशिशों के बाद भी हम बदल नही सके । हमारा पडोसी पाकिस्तान हमे...

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भगवान फॅस गए.....( व्यंग्य) By Alok Mishra

भगवान फॅस गए..... हमारे रामलाल जी हमेशा ही परेशानियों में रहते है । कुछ लोगों कहते है कि उनका और परेशानियों का चोली-दामन का साथ है तो कुछ लोग रामलाल को पैदायशी परेशान आदमी मा...

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किरदारों की दुकान ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

किरदारों की दुकान अमा यार ................. आप क्या सोचने लगे, ज्यादा ना सोचो, सोचने से लोगों का सिर दुखने लगता है और फिर ........... आपका ये नाचिज खिजमतदार आखिर किस दिन...

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आज मतगणना है.......(व्यंग्य) By Alok Mishra

आज मतगणना है....... आजकल एक हंगामा सा बरपा है । पिछले कुछ दिनों से जिसे देखिए एक ही बात करता है और बात है .... चुनाव की । चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता में प्रशासकीय...

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आत्‍मसम्‍मान By rajendra shrivastava

कहानी--- आत्‍मसम्‍मान राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,...

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जूता पुराण  By Alok Mishra

जूता पुराण आज खबरों में रोज ही जूतों की महिमा का गुणगान हो रहा है । जहाॅ देखिए वहीं निर्भीक भाव से जूते चलाए जा रहे है । जूते खाने वाले अक्सर ही ऐसे लोग होते...

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लौट के बुद्धू घर को आये - (पार्ट 2) By Kishanlal Sharma

सालों पुरानी बात है।चार दशक से ज्यादा हो गए।जून का महीना था।मई और जून तोसुबह धूप निकलते ही गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगता जो दिन बढ़ने के साथ मे बढ़ता जाता।दोपहर होते होते तो लू के थपेड़...

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लूज कंट्रोल By Saroj Prajapati

कई दिनों से राजन और गरिमा का मूड एक दूसरे से काफी उखड़ा उखड़ा था। दोनों ही आपस में ढंग से बात नहीं कर रहे थे। सुबह उठकर नाश्ता, फिर ऑफिस और ऑफिस से आकर दोनों अनजानो की तरह एक ही बि...

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गोलोकधाम By suraj sharma

न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः ।यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ श्रीमद्भगवद गीता 15.6 अथार्त - जिस परमपद को प्राप्त...

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टीके की कहानी By Anand M Mishra

टीका-टीका-टीका!! आज सभी जगह एक ही चर्चा है। आपने टीका लगवा लिया? जिसने लगवा लिया है वह अपनी बत्तीसी दिखाता है तथा जिसने नहीं लिया है वह मुंह फुलाया हुआ चेहरा दिखाता है। साथ ही में...

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प्रजातंत्र का इतिहास By Anand M Mishra

कुछ जानकार लोग कहते हैं - प्रजातंत्र की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'डेमोस' से हुई है। डेमोस का अर्थ है 'जन साधारण' और क्रेसी का अर्थ है 'शासन'। लेकिन यह तथ्य वास्तविकता से कोसों दूर है। ऐ...

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हिन्दी या हिग्लिश By Alok Mishra

हिन्दी या हिंग्लिश भाषाएं रस बदलती है, विलुपत होती है और परिष्कृत होती हैं। भाषाओं के परिवर्तन का सिलसिला हमशा जारी रहता है। वर्तमान में विश्व में लगभग ७००० भाषाएं बोली जा...

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बहस--परिचर्चा By Kishanlal Sharma

गांव की चौपालों और गली मोहल्लों के चबूतरों से निकलकर बहस टी वी चैनलो पर जा पहुंची है।आज कोई भी न्यूज़ चैनल बहस यानी परिचर्चा से अछूता नही है।धर्म,राजनीति,खेल,फ़िल्म, भ्रष्टचार, सरकार...

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अन्ना राजनीति में ‘‘मत’’ जाना .... By Alok Mishra

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बबन को गड्ढे क्यों पसंद हैं ? (व्यंग्य) By Sunil Jadhav

लेखक- डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव, नांदेड़ मो.९४०५३८४६७२ मास्टर जी ने कक्षा में एक लोकप्रिय पंक्ति सुनाते हुए कहा, बच्चों अब तुम्हारी बारी | तुम्हे एक कविता करके मुझे सुनानी हैं |”...

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ब्रेकिंग न्यूज - रामलाल देश छोड़ेगा (व्यंग्य) By Alok Mishra

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गरीबी और झूठ ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी और झूठ मंडी के पास एक हम्माल दीनू और ठेला चलाने वाला छोटू कुछ देर बैठे थे । दीनू बोला "आज तो मंडी में माल ही नहीं आया, काम है ही नहीं। है ....कि ...नहीं ।" छोटू ने...

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अभी तो ये अंगड़ाई है .. ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

अभी तो ये अंगड़ाई है .... एक दिन शहर की एक रैली में लोग जोर-जोर से नारे लगा रहे थे ‘‘ अभी तो ये अंगड़ाई है.....आगे और लड़ाई है ।’’ सड़क के किनारे एक दुकान पर उतनी ही जोर से गान...

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कहानी भोला की - (अंतिम भाग ) By राज कुमार कांदु

पुलिस चौकी से निकल कर भोला एक पार्क के सामने लगे बेंच पर सो गया ।सुबह देर से नींद खुली थी । उठकर अब उसे कुछ काम धाम करने की चिंता सताने लगी । वहीँ बैठे हुए सोचने लगा ‘ अब हम क्या क...

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गरीबी सम्मेलन ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

गरीबी सम्मेलन शहर के एक आलीशान होटल में गरीबी सम्मेलन का आयोजन किया गया है । देश-विदेश से इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया । अधिकांश विशेषज्ञों ने गरीबों क...

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भैंस की उड़ान ( व्यंग्य) By Alok Mishra

भैंस की उड़ान कहावत तो सुनी होगी " अकल बड़ी या भैंस ।" हमारे आस पास बहुत से लोग हैं जिनके लिए भैंस ही बड़ी होती है । उनके लिए भैंस कहां और अकल कहां ? उन्हीं में से एक...

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सब मिथ्या है By Anand M Mishra

सब मिथ्या है ईश्वर ने सृष्टि के निर्माण के समय लगता है कि अपना दिमाग बहुत चलाया होगा. यदि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को देखते हैं तो मन एकदम गुस्से से भर जाता है. वे क्षीरसागर म...

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कोई समाचार नहीं.. By Alok Mishra

कोई समाचार नहीं ... भोलाराम जी को समाचार देखे ,सुने और पढ़े बगैर चैन ही नहीं मिलता । यही कारण है देश ही नहीं पूरी दुनिया के घटनाक्रम पर हमेशा ही पकड़ बनाए रखते हैं । उ...

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ईमानदारी का कीड़ा (व्यंग्य) By Alok Mishra

ईमानदारी का कीड़ा ( व्यंग्य ) हमारे आस-पास सामान्य लोगों की संख्या बहुत अधिक है । आज के समय में सामान्य वही है जो खुद खाता है औरों को खाने देता है। ले- दे के अपने और दूसरों क...

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नो गधा बनाइंग By Alok Mishra

गधा देश में यूं तो पूरे समय ही राजनीति की बहार रहती है परंतु चुनाव की आहट के साथ ही साथ गधों को गधा बनाने की पूरी राजनीति प्रारंभ हो जाती है । गधा देश के नेता अपने आप को जन...

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जुगाड़ (व्यंग्य) By Alok Mishra

जुगाड़ अरे.....आप शीर्षक पढ़कर क्या सोचने लगे? चलिए तो फिर आपकी और हमारी सोच को ही आगे बढ़ाते हैं । हमारा समाज कुछ खास नियमों से चलता है। इन नियमों से हट कर यदि आपको...

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सामाजिक देवी By राज कुमार कांदु

नमो नारायण की घोर तपस्या से गूगलेश्वर महाराज प्रसन्न हुए और उनसे वर माँगने को कहा।उनके समक्ष नतमस्तक होकर नमो नारायण बोला , " हे सर्वज्ञानी महाराज ! अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो मुझ...

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समाज सेवक जी ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

"समाज सेवा का मजा मेवा जिसने चखा, उसकी जिंदगी धन्य हो गई।" यह वाक्य हमारा नहीं मेवालाल जी का है। मेवालाल वैसे तो एक व्यापारी हैं लेकिन उन्हें सब लोग समाज सेवक के नाम से जानते...

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हड़ासंखन गोत्र By Anand M Mishra

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फाईल दौड़ (व्यंग्य ) By Alok Mishra

फाईल दौड़ (व्यंग्य ) हमारे बाबू साहब अपने ऑफिस में बैठे पान की जुगाली कर रहे थे कि बस अचानक चार फाईलें में अपने आरंभ स्थल यानी स्टार्टिंग प्वाइंट यानी टेबल पर पहुंचकर स...

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चोर (व्यंग्य ) By Alok Mishra

चोर (व्यंग्य ) नोखेलाल जी रोज ही शाम को टहलने निकलते हैं । कभी-कभी हम से उनकी मुलाकात हो जाती है । साठ की उम्र को पार करते अनोखेलाल अपने नाम को चरितार्थ करते हैं...

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छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद  By Alok Mishra

छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद "प्रणाम गुरुजी" कहते हुए उन्होंने हमारे घुटने छुए । आशीर्वाद के वचन के साथ ही वे सोफे पर अपनी तशरीफ रख चुके थे । हमारे घर आए हुए सज्जन को पू...

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साथियों नमस्कार ! इससे पूर्व की कड़ी में आप सभी ने पढ़ा कि किस तरह आलूचन्द और कद्दू कुमारी की सगाई के मौके पर अचानक भिंडी कुमारी की वजह से अच्छा खासा बवाल हो गया और उनकी सगाई का मामल...

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वेलकम टू ड्रीम लैंड By Radha

कार्तिक ने हमेशा अपनी गर्लफ्रैंड से फ़ोन में ही बात की थीं। उसे कभी देखा नहीं था। आज वो अपनी गर्लफ्रैंड से मिलने गार्डन में जाता है, दोनों ने एक दूसरे को पहचानने का एक ड्रेस कोड रखा...

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हॉस्टल के किस्से By अनुराधा अनुश्री

होस्टल में शुरुआत के कुछ चट पटे से दिन और बिताई गई सबसे भयावह रात..एक भयावह रात हमारे कहानी का केंद्र है लेकिन उसके पहले मै हॉस्टल से जुड़ी कुछ खास यादें , कुछ खास बातें और वहां...

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चरणवंदन By Alok Mishra

चरणवंदन सोचता हूं सच कैसे बोलूं ? सच जो हमारे चारों ओर बिखरा है । सच जो मुझे दिखता है ,सच वह भी जो आपको दिखता है । मैं बोलने की कोशिश करता हूं और आप मौन रहते हैं । बहुत...

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मैं कोरोनावायरस बोल रहा हूं By Alok Mishra

मैं कोरोनावायरस बोल रहा हूं हाँ तो साहब मैं बोल रहा हूं । मैं यानी कौन ? मैं वही हूं ,जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया हुआ है। मैं वही हूं जो आप लोगों का सर दर्द बन गया...

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आत्महत्या के अभिनव प्रयोग By Alok Mishra

आत्महत्या के अभिनव प्रयोग जमाना बदल रहा है, हम सब आधुनिक हो रहे है। इस आधुनिकता की दौड में हमारी खाना-पान, रहन-सहन के साथ ही साथ सोच-विचार भी बदल रहे है। मज़ावादी आधुनिक संस्कृ...

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अंकल By Kishanlal Sharma

"अंकल जी कुर्ला की एम एस टी बना दो।"खूबसूरत बाला अपना परिचय पत्र देते हुए बोली।उस युवा सुंदरी के मुंह से अंकल सुनकर तन बदन में आग लग गई।पर बोले कुछ नही।मन मसोसकर रह गए।लल्लू की बुक...

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मैं नेता बनुंगा By Alok Mishra

मैं नेता बनुंगा आज तो मैं भौचक्का ही रह गया । उसने बस इतना ही कहा ‘‘ सर मैं नेता बनना चाहता हुॅ । ’’ सच कहुॅ तो शिक्षा विभाग में मेरा थट्टी ईयर का एक्सपीरियन्स धरा का ध...

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लाल  - हरी लाईट By Alok Mishra

लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी । जब हमारे कस्बे में कोई कालेज खुल जाये , कोई अस्पताल दस से बीस बिस्तर का हो जाए या किसी चौक पर किसी...

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तबादलोत्सव By Anand M Mishra

उत्सव का नाम बहुत सुना था। देखा था। भाग लिया था। रंगोत्सव, फागोत्सव, दीपोत्सव, नववर्ष उत्सव। बीच-बीच में महोत्सव भी देखता-सुनता था। लेकिन यहाँ चर्चा “तबादलोत्सव” की कर रहे हैं। यह...

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छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा By Alok Mishra

छोटा सट्टा-बड़ा सट्टा एक छोटे से चाय के टपरे के पास खड़े एक आदमी को एक बच्चा पैसे देकर ‘‘ओपन और क्लोज लगाने’’ के लिए कहता है । बस दूसरे दिन वो बच्चा किसी अखबार के कोने में अलग...

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एक जानवर का सच (व्यंग्य) By Alok Mishra

 एक जानवर का सच  एक सर्वे के अनुसार इन्टरनेट और मोबाइल के कारण अपराध और परिवारों का टूटना बढ़ा है इसके पीछे क्या कारण हो सकते है ? इसे जानने के लिए कृपा करके आप...

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पाक स्थान (व्यंग्य) By Alok Mishra

पाक स्थान (व्यंग्य) आपने शीर्षक तो ध्यान से पढा है न ? यहाँ हम अपने उस पडोसी की बात नहीं कर रहे है जिसे लाख कोशिशों के बाद भी हम बदल नही सके । हमारा पडोसी पाकिस्तान हमे...

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भगवान फॅस गए.....( व्यंग्य) By Alok Mishra

भगवान फॅस गए..... हमारे रामलाल जी हमेशा ही परेशानियों में रहते है । कुछ लोगों कहते है कि उनका और परेशानियों का चोली-दामन का साथ है तो कुछ लोग रामलाल को पैदायशी परेशान आदमी मा...

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किरदारों की दुकान ( व्यंग्य ) By Alok Mishra

किरदारों की दुकान अमा यार ................. आप क्या सोचने लगे, ज्यादा ना सोचो, सोचने से लोगों का सिर दुखने लगता है और फिर ........... आपका ये नाचिज खिजमतदार आखिर किस दिन...

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आज मतगणना है.......(व्यंग्य) By Alok Mishra

आज मतगणना है....... आजकल एक हंगामा सा बरपा है । पिछले कुछ दिनों से जिसे देखिए एक ही बात करता है और बात है .... चुनाव की । चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता में प्रशासकीय...

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आत्‍मसम्‍मान By rajendra shrivastava

कहानी--- आत्‍मसम्‍मान राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,...

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जूता पुराण  By Alok Mishra

जूता पुराण आज खबरों में रोज ही जूतों की महिमा का गुणगान हो रहा है । जहाॅ देखिए वहीं निर्भीक भाव से जूते चलाए जा रहे है । जूते खाने वाले अक्सर ही ऐसे लोग होते...

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