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1. शेर और चूहाएक जंगल था। जंगल का राजा शेर था। वह पेड़ की छाया में सो रहा था। वह...
इस कहानी में, आदित्य और स्नेहा की अनपेक्षित मुलाकात ने उन्हें एक नए सफर पर ले...
भारत की रचना / धारावाहिकतेरहवां भाग उसे देखकर तो रचना के तो तन-बदन में एक सिहरन-...
वो एक दुकान के सामने जा कर खड़ी हो जाति है .. वो पूरी दुकान कपड़ो से घेरी हुई थी...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"(पार्ट -२०)इंसान के स्वभाव को पहचानना मुश्किल है,...
अब तक: शिविका ने अपनी साड़ी संभाली और वह भी उनके पीछे जाने लगी । मोनिका देख सकती...
(7)अगले ही दिन सब इंस्पेक्टर राशिद एक हवलदार के साथ माधोपुर के लिए निकल...
बंटी की बाते सुन कर यूवी बोलता है, "मुझे क्या पता कि इसने मुझे गोली क्यों मारी,...
पटारे मैं से निकली कहानी से ये भी याद आता हैँ की लोग अभी विश्वास जल्दी कर लेते ह...
आज अनन्या की फुफेरी बहिन शालिनी की शादी है।दुल्हन की पोशाक में सजी सँवरी शालिनी बेहद खूबसूरत लग रही है।अनन्या भी दौड़ दौड़कर घर के काम काज में अपनी बुआ का हाथ बंटा रही है।तभी बैंड बा...
नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी...
आभा आज बहुत उदास थी।उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था ।उसका दिल चाह रहा था कि वह फूट फूट कर रोये।उसने दुनिया से क्या चाहा था सिर्फ प्यार और सम्मान लेकिन उसे मिला क्या सिवाय अपमान...
आघात उपन्यास पुरुष प्रधन मध्यवर्गीय समाज में स्त्री की स्थिति का यथार्थ चित्रा प्रस्तुत करने का एक प्रयास है, जहाँ प्रत्येक स्तर पर स्त्राी टूट जाने के लिए या सामंजस्य करने के लिए...
"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो इतनी देर से लगी...
ऊषा चंदनपुर गांव की रहने वाली लड़की है, वो खूबसूरत और सुशील भी है| एक बार उसके गांव में अकाल पड़ जाता है, लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं होता है, खाने के लाले पड़े होते हैं, कहीं...
बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर पतले हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखो...
सुबह के 8:00 बजे हैं, लक्ष्मी अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई है, उसे बहुत तेज बुखार है, उसका बदन बुखार से बुरी तरह तप रहा है, वह उठना तो चाहती है, लेकिन उसकी हिम्मत साथ नहीं देती...
एक विधवा और एक चाँद नीला प्रसाद (1) आज यहाँ आखिरी रात है। फैसले की ये रात मान्या के दिल पर बहुत भारी है- अपनी कह और अजित की सुन सकने वाली आखिरी रात! 'आज का दिन मेरी उम्मीद का ह...
बुरी औरत हूँ मैं (1) झुरमुटी शामों में उदास पपीहे की पीहू पीहू कौंच रही थी सीना और नरेन हर लहर से लड़ रहा था, समेट रहा था खुद को जब भी किसी दरीचे में कोई न कोई लहर आकर छेड़ जाती सुप्...
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