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एकआखेट महल के परकोटे के सामने आज सुबह से ही चहल-पहल थी। बड़ी मोटर अभी-अभी आकर लौ...
( बदले की भावना और अनजानी यादें ) अंश अपने ऑफिस में अपने सबसे करीबी आद...
फिल्म रिव्यु श्रीकांत बॉलीवुड में दिव्यां...
वो इक खाब है या हकीकत ये लफ्जों में बयान ना कर सकता है पता नहीं वो क्या है पर दि...
अब तक आपने देखा कैसे ईशान और रॉकी की बहस होती है। और ईशान वीर फिर से इतने दिन बा...
(Present day ) एक सूने से हॉल में दो कमरे हैं । उनके सामने की तरफ दीवार पर घड़ी ल...
किसान और नाग एक गरीब ब्राह्मण अपने खेत में बहुत मेहनत करता था। एक दिन वह थककर ए...
अधूरे जंगल का अमर रहस्य**महल और जंगल से भागने के बाद, तीनों दोस्तों ने राहत की स...
अब तो सिर्फ एक हफ्ते बाकी है सब कुछ ठीक हो रहा है।नैना ने कहा हां सर प्लीज आप टे...
माया ने उन कागजो को पढ़ा था।फिर बोली,"तुंमने तो जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया...
सुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की कार्यलय की हलचल धीरे-धीरे शुरू हो चुकी थी। ऑफिस की इमारत चमचमाती थी, लेकिन उसके अंदर कर्मचारियों की ज़िंदगी उतनी ही जटिल और संघर्षप...
ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की छुट्टी का समय हो रहा था। स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने वाले आकर खड़े हो गए थे। एक काले रंग की वैन दो बार स्कूल के सामने से गुज़र चुकी थी। छुट्टी की घंटी...
'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) । शोकगीत लिखने की परम्परा अँग्रेजी, पर्शियन, उर्दू में अधिक रही है। शोकगीत किसी प्रिय के अवसान, निधन पर लिखे ज...
राजस्थान : रात का वक्त : मंदिर में एक लड़की दुल्हन के जोड़े में खड़ी थी । उमर करीब 19 साल । तीखे नैन नक्श , पतला सा चेहरा , गोरा रंग , सांचे में ढला शरीर , काली गहरी आंखें...
दिल्ली की एक शानदार सोसाइटी का एक आलीशान बंगला। यह बंगला है जाने माने बिजनेस में अरविंद चतुर्वेदी का जहां पर अरविंद चतुर्वेदी अपनी पत्नी साधना और दोनों बेटे अक्षत और ईशान के साथ रह...
एक लड़की अभी खिड़की के पास खड़ी खड़ी कुछ सोच रही थी .. असमान में बेहद ही प्यारा सा moon ? चमक रहा था. जो उसकी रोशनी से बेहद ही प्यारी लाइट अपने आसपास के वातारण में नई ऊर्जा भर रहा...
में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिय...
हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभग अस्सी-नब्बे लोगों का समूह। रोज सभी लोग एक दूसरे को सुप्रभात वाले पोस्टर डालते। दिन में कुछ लोग तो अपनी मौलिक रचनाएँ पर अध...
अपने जन्म वर्ष 1953 से अपने जीवन की युवावस्था और दाम्पत्य तथा नौकरी शुरुआत तक की अवधि का आत्मगंधी लेखा- जोखा मैंने अपनी आत्मकथा के पहले खंड “ आमी से गोमती तक “ में दे दिया है जिसे...
बात उन दिनों की है, एक मकान बना कर रहना, एक मिसाल और योग्यता थी। मकान अगर मंजिले हो, तो कया बात, बहुत अमीर समझे जाने वाला शक्श....." हाहाहा, "हसता हुँ, आपने पर.... ये दोगल...
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