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इच्छांचा सागर दूरवर पसरला आहे. एका इच्छेने पृथ्वी आणि स्वर्गाला स्पर्श केला आहे....
तिब्बत के देवतातंत्र,मंत्र,ध्यान,साधना प्रस्तावनातिब्बत, जिसे अक्सर "पृथ्वी क...
रात का समय, फातिमा हॉस्पिटल, यश ने मिसेज माथुर के पैर छूते हुए कहा, " हा...
"मान्या मैम चाहती थी कि वृषा बाबा को क्रूरता से मारा जैसा कभी किसीने नहीं सुना ह...
अधीरा राम आचार्य के इंटरव्यू देख रही थी तभी अधीरा का फोन बजा ... अधीरा फोन पर स्...
सहारनपुर लाइन पर देहरादून या मसूरी लाइन की तुलना में बहुत अधिक भीड़ थी। यह अभी भ...
अवनी की एक सांप से शादी हुई 6 साल हो गए थे और अब उसकी शादी नागेंद्र नाम के किसी...
Chapter -7सपनो की दुनियाँअब तकअंजली ड्राइव करते हुए," तूने नास्ता क्यों नहीं किय...
गर्भस्थ शिशु से बात करने का तरीकाशिशु को कहानी सुनाना : "मेरे प्यारे शिशु! मैं त...
**कहानी: अनुशासन का महत्त्व** बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में ए...
** हे प्रभो ! (पुरुषः ) ज्ञानम् कथम् अवाप्नोति । (पुंसः) मुक्तिः कथम् भविष्यति । ( पुंसः) वैराग्यम् च कथम् प्राप्तम् ( भवति ) एतत् मम ब्रूहि ॥१॥ Old king Janak asks the young As...
प्यार प्रेरणा की भावना है। दो व्यक्तियों की कहानी जो पूरी तरह से अलग है और ये स्थिति, जीवन शैली के बारे में है जिसे भी उनके लाइफ में फर्क पड़ता है लेकिन उनमें से दो एक घटना के साथ...
मुम्बई के एक पब में जैन शराब के नशे ने धुत हो कर अपने सामने नाचती हुई लड़कियों को देख रहा था, तभी नैना उसके पास आ कर बोली। "हये ज़ैन।" ज़ैन जो ब्लैक पैंट और शर्ट और बिखरे हुए...
" यह जो हल्का हल्का सुरूर है,, मेरा इश्क , मेरा फितूर है,,, यह जो हल्का,,,!!!! कहते हुए वो लडका अचानक रूक गया । उसकी आंखो से बेतहांशा,,, दर्द के साथ एक नमी उभर आयी । वो लडका एक...
《नमस्ते दोस्तो तो आज एक दिल टुटे हुए आशिक़ की कहानी बताने जा रहा हू गौर से सुनियेगा और जानियेगा》एक बार विजय अपने दोस्तो से मिलने गया था कॉलेज वहा पे आज उसका पेहला दिन भी था सारे क...
शेयरबाजार व फिल्मनिर्माण के व्यवसाय में तूफानी उतार चढाव की लोमहर्षक दास्तान जुऐं की लत से परिवार के बर्बाद व फिर से आबाद होने की रोंगटे खड़े करने वाली कहानी लेखक : ब्रजमोहन श...
वीरपुर गाँव ऐसी धरती पर बसा था, जिसे कई बार इंद्र देवता शायद भूल ही जाते थे कि वहाँ भी धरती प्यासी होगी। पानी के लिए तड़पती धरती में दरारें पड़ गई होंगी और वह दरारें चीख-चीख कर चिल...
एक था ठुनठुनिया। बड़ा ही नटखट, बड़ा ही हँसोड़। हर वक्त हँसता-खिलखिलाता रहता। इस कारण माँ का तो वह लाड़ला था ही, गाँव गुलजारपुर में भी सभी उसे प्यार करते थे। गाँव में सभी आकर ठुन...
माघ का महीना है। दिन ढल चुका है। केंटाकी प्रदेश के किसी नगर के एक मकान में भोजन के उपरांत दो भलेमानस पास-पास बैठे हुए किसी वाद-विवाद में लीन हो रहे थे। कहने को दोनों ही भलेमानस...
शुक्र गुजार था वह सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा का जिसने उसे ऐसी सूरत बख्सी थी।लम्बा कद,गोरा रंग, आकर्षक नैन नक्स और व्यक्तित्व।कुल मिलाकर ऐसी सीरत पायी थी कि उसके आगे हीरो भी फीके लग...
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