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आयान ताहिरी चिक को सुनने के बाद धीरे-धीरे उसके रूम की तरफ बरने लगा। वो रूम कि तर...
गीतिका कॉलेज पहुंच जाती हैं और जा कर क्लास में बैठ जाती है और पढ़ने लगती हैं।उधर...
जिसे सुन माया एकदम से डर जाती है,,,और फिर वह अनिरुद्ध को अपनी बात ना मानता देखा...
गर्भस्थ शिशु से क्या बाते करें? कैसे बात करें?हमारे पास दो मन है। एक हमारा बाह्य...
यूँ तो कई मसले निज़ी किस्म के होते हैं पर कई बार वो बा- वजह या बेवजह बा - मतलब य...
अब आगे,अब खुशी अपनी कार को पार्किंग में लगा कर उस को लॉक कर देती हैं और फिर रूही...
आया था मैं जब दुनिया में,मां बाप मेरे थे मुस्करा उठे ।इकलौता ऐसा दिन था जब रोता...
"अरे तीन महीने तो एक-दूसरे को समझने में ही निकल जाते हैं। इंसान की आदतें और व्यव...
1.किसी के रंग में रंगने से अच्छा है, अपनी पसंद के रंगों का ख्याल रखो, बेरंग ना ह...
"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -१८)संतान जब बड़े हो जाते है तब माता पिता...
ये बात उस वक्त की है जब मीठी सात वर्ष की है। उसके घर में बहुत से लोग है, वो घर में सबकी लाडली है ।पर समय सबके साथ अजीबो-गरीब खेल खेलता रहता है, कुछ इसी तरह मीठी के साथ भी हुआ। मीठी...
"सुरेश तुम तो एकदम बदल गए,"वह आराम से बैठ भी नही पाया था कि विभा ने बंदूक की गोली की तरह प्रश्न दाग दिया था। "नही तो।बिल्कुल वैसा ही हूँ।देख लो।कहा से बदला हुआ नजर आ र...
जोग लिखी ‘‘बाऊजी आप फिर हुक्का गुड़गुड़ाने लगे कित्ती बार कहा कि जे तोहार सेहत के लिए ठीक ना है। ’’ ‘अरी लाली, तू क्यों मेरे पीछे पड़ी है, अब जे लत आज की तो है ना जो छूट जाए। अब तो...
“अपने आप को समझते क्या हो तुम. कितनी देर से हुमारे पीछे पीछे चले आ रहे हो. ज़यादा दिमाग़ खराब हो तो बताओ ? बुलाती हूँ अभी प्रिन्सिपल को.” बड़े ही गुस्से मैं बोली थी रिया। इतने म...
"हां मेरी प्यारी मम्मी आ रहा हूं यार आप इतना जोर देकर बार-बार क्यों बोल रहे हो" मनोज ने अपनी मम्मी से कहा। "बार-बार इसलिए बोलना पड़ रहा है क्योंकि तुम पिछले 2 साल से...
रिश्तों की अहमियत.... राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे।...
"आज फिर नहीं........... इस हफ्ते में ये तीसरी बार हुआ है, अगर आज भी मे लेट पहोची तो उस बंदर ने पक्का मेरा खुन कर देना है , यही सोच के लडकी ने अपनी गति को बढाया और भागने लगी ।...
शाम का वक़्त हो गया था आयशा अपनी दोस्त सकीना के साथ छत पर बाते कर रही थी तभी अज़ान होने लगती है दोनों सर पे दुपट्टा लेती है फिर आयशा बोलती है अच्छा सकीना अब मैं नीचे जा रही हूँ नमा...
ये कहानी है एक लड़की जो प्रेम नगर देहरादून में रहती है जिसका नाम रिचा है वह एक अच्छी और रिच फैमिली से बिलोंगे करती है रिचा के पापा आलोक शर्मा पी.डब्ल्यू.डी. डिपार्टमेंट में सी.ई.ओ....
कविता भारी कदमों से वो बस की और बढ़ी, उसे लगा शमित उसे शायद रोक लेगें.., इसलिये स्टेशन तक छोड़ने आये हों..,कुछ तो कहेगें .., बस में चढ़ते कविता ने पीछे मुड़ के देखा ..शमित नही...
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