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एपिसोड 1: पहली मुलाकातकिरनपुर, एक छोटा सा और शांत सा शहर, जहां हर सुबह की ठंडी ह...
सुबह का समय, फातिमा हॉस्पिटल, मिस्टर ठाकुर ने सबको बाहर जाने को बोला तो स...
*_प्रेम की परिभाषा : कृष्ण और राधा_* पहली बार जब राधा आई,गोकुल अपने पिता के संग...
जब महक अपने घर में खुशी खुशी अंडर जाति हैं! तो उसे दिखाई देता है! की उसकी मम्मी...
सुबह के नौ बज रहे थे। अब्राहम ने यूनिवर्सिटी में मोमल के लिए मेडिकल लीव की एप्ली...
अब आगे,जब रूही की दोस्त खुशी ने उस एक्सपेंसिव कपड़ो की शॉप के मैनेजर से ये पूछा...
Chapter - 9क्या हो जाता है मुझे इसके सामनेअब तकनील का ध्यान सामने ग्लास पर पड़ता...
1.कोई पूछे तो भी तेरे किस्से बयाँ नहीं करते, हम अपने दिल की बातें यहाँ वहाँ नहीं...
प्रिय मित्रो! स्नेहिल नमस्कार आशा है सब स्वस्थ वआनंदित हैं और आने वाले त्योहारों...
लाइन हाजिर लघुकथा संग्रह पर भावुक दृष्टि ...
‘दो शब्दों की अपनी राहें’’ मां के आँचल की छाँव में पलता, बढ़ता एक अनजाना बचपन(भ्रूण), जो कल का पौधा बनने की अपनी अनूठी लालसा लिए, एक नवीन काव्य संकलन-‘‘बेटी’’ के रूप में, अपन...
जोया माथे को हाथ लगा कर basketball hall के stairs पे बैठी थी। उपर से माया stairs उतरते हुए आई और उसने कहा, “जोया, चल ये books renew करनी हैं...” जोया के face को देख...
स नावेल मे आप सब को अलग अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली गई l इस नावेल को लिख कर जितनी मुझे ख़ुशी हो रही है , उम्मीद है आप सब wonderful readers को भी जे नावेल पढ़ कर उतनी ही ख़ुशी हो...
फूलझर वन जहाँ के फूल कभी भी कुम्हालाते नहीं थे,फूलझर वन सदैव किसी ना किसी पुष्पों की सुन्दरता से सुसज्जित रहता था,वहां की धरती पर सदैव पुष्प झड़ कर गिरते रहते हैं, इसलिए उसका नाम फू...
आज तारू अपने घर आने वाली थी। घरमे कोई खुश नही था उसके आनेसे। तारू पूरे चार साल अपने परिवार से दूर रही है। तारू को भी उसके परिवार से लगाव नही था वी भी...
"मशहूर बिजनेसमैन गौतम रॉय की स्विमिंग पूल में डूबकर मौत : हत्या या आत्महत्या??" यह सवाल शहर के हर न्यूज़ चैनल में चल रहा था। गौतम रॉय शहर के नामी बिजनेसमैन थे, अपने परिवार...
आज भैरवी को घर लौटने में कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी। टैक्सी से जल्दी से उतर तेज कदमों से लगभग दौड़ती हुई लिफ्ट की ओर लपकी । बार बार कोशिश करने पर भी लिफ्ट की डोर नही खुली। हार कर...
वो किसी से भी ज्यादा बोलता नहीं था गुमसुम-सा ही रहता था। चौदह-पंद्रह साल का मान
अधूरा इश्क दोस्तों आपने मेरी आगे लिखी कहानी अधूरी हवस दिल से पाढ़ी और मेरी उम्मीद से भी ज्यादा आप सब को पसंद आई तो फिर एक और कहानी आप सब के लिए उम्मीद करता हूँ ये भी आप को पढ़ने...
सुबह के 9:30 या 10 का समय हो रहा था बस कुछ देर पहले ही कॉलेज की गेट खुली ही थी हेमंत और हिमाशु किसी बात को लेकर बहस करते हुए कॉलेज के अंदर प्रवेश करते हैं । इन दोनों के बीच ऐसी लड़ा...
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