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डायरेक्टर सर के जाने के बाद मुझे एक और धक्का सा लगा जब मैं ने उसी औरत को आते देख...
1घंटे बादरुद्र रूही के कमरे में आया रूही जो मोबाइल चला रही थी उसने जैसे ही अपने...
अचानक सुभ्रत के दिमाग में धमाका हुआ। उसके इस सवाल ने सुभ्रत को अंधे बूढ़े और रहस...
अद्याप्रसाद रजवंत मुन्नका एव सुभाषिनी लाडली बेटी जो मात्र चार वर्ष कि ही थी एव ब...
अब आगे, राजवीर के पर्सनल बॉडीगार्ड देव ने उस कंस्ट्रक्शन साइट के मालिक के मैनेजर...
वहा इतनी सारी लड़किया थी जिन्होंने रंग बिरंगी कपडे पहने थे। उन में से कुछ ने भी...
भाग-3 प्रदीप श्रीवास्तव मैं बोलने ही जा रहा था कि अचानक ही उसने अपनी मध्यम हील क...
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1.नहीं मालूमक्या शेष रहेगामिलन की कोई सांझ रहेगीया विरह का गीत रहेगातुम रहोगी वा...
'कल पढ़ाया था ना, अ से अनार, आ से आम। लिखो।'यहां भी आम... ये आम, आम होकर...
राठौर फैमिली में आज चारों तरफ खुशी का महौल था घर का हॉल पुरा फुलों से सजा हुआ था क्योंकि आज विक्रम सिंह राठौर का साठवां जन्मदिन की शानदार पार्टी का आयोजन किया गया था राठौर फैमिली न...
बहुत कुछ कहता 'वह जो नहीं कहा' (लघुकथा संग्रह : स्नेह गोस्वामी )==================000 ॥ पूर्वकथन...
मायरा बहुत खुश थी।आज उसकी राहुल के साथ सगाई होने जा रही थीं। कितनी मुश्किल से मायरा के घर वाले इस शादी के लिए राज़ी हुए थे। मायरा ने पिंक कलर का गाऊन पहना था।उसमे वो बिल्कुल परी...
तो चलो चले एक बार ओर मिलके चले कही दुर कही दुर जहा सिर्फ हम ओर सिर्फ तुम हो ओर कोई नही तुम्हे पता हे दिया जब ना हम ने आपको बोला था कि एक बार तो कही जायेंगे सो आज ये मौका मिला हे...
यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है किसी जाति धर्म इंसान से कोई मतलब नहीं रखती है फिर हम मनोरंजन की दृष्टि से से पढ़ें चट्टानी पत्थरों से टकराकर , समुद्री लहरों का शोर उसके मन...
पारुल और अविनाश दोनों के रास्ते एक हैं पर मन्ज़िल अलग हैं पारुल इक सामान्य मिड्ल क्लास फ़ैमीली से हैं तो अविनाश बहोत बडा सुपर स्टार हैं दोनों कि लाइफ़ मे ज़मीन आसमान का फ़र्क हैं पर फ़ि...
ये बात २००५ की तब हम लखनऊ इसी आलमबाग रेलवे क्वार्टर में रहते थे। हमारा परिवार तीसरे माले में रहता था। एक रात सोटे हुए अचानक मेरी आंख खुल गई। में बाथरूम की तरफ से बड़ा तो मुझे किसी...
"पश्चाताप " यह रचना मैने प्रतिलिपि पर वेवसीरीज के तौर पर लिखी थी जिसे अब बिना परिवर्तित करे मै उपन्यास की रूप मातृभारती पर देने जा रही हूँ | प्रतिलिपि पर मैने इसे दस भागो मे प्रस...
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है इसका किसी भी गांव या व्यक्ति से कोई संबंध नही है। एक गांव था जिसका नाम सुंदर नगर था। ये गांव भी और गांव की तरह ही था। मगर यहां के नियम थोड़े अजी...
23 अगस्त 2018 की सुबह 8:20 वाली मेट्रो नंबर 12427 नोएडा सिटी सेन्टर से द्वारका सेक्टर21 की और बीच में पड़ने वाले हर स्टेशन पर रुकते हुए, बड़ी तेजी से हवा को दो हिस्सों में बाटती हुई...
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