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अध्याय 5 पिछला सारांश- एक करोड़ रूपया तिरुपति के दान पेटी में डालना है। उसे संस्...
उसने युवक को यह भी बता दिया कि कोठी से भागने के पहले रात को वहाँ क्या हुआ था और...
प्रकरण - ६०स्टूडियो में बैठे रोशनकुमारने कहा, "अपनी आंखों की रोशनी वापस आने से म...
*!! संगत का असर !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आ...
73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच गया। चारों दिशाओं म...
बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं ह...
अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर रूद्र पर से हटा ली रु...
अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भी जाता है... । दिमाग...
नेहा और आनंद के जाने के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई उसे बहुत ही बुरा लग...
अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था नहीं चेतना का, नए उत्...
ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल की छुट्टी का समय हो रहा था। स्कूल के बाहर आइसक्रीम बेचने वाले आकर खड़े हो गए थे। एक काले रंग की वैन दो बार स्कूल के सामने से गुज़र चुकी थी। छुट्टी की घंटी...
'और मास्टर जी, आजकल फिर यहीं...?' चंदन ने अपनी लहराती साइकल की तेज़ रफ़्तार को जान- बूझकर ब्रेक लगाया और घंटी बजाकर मास्टर जी को जगाते हुए पूछा। जून की तपती दुपहर...
विवान महज दो महीने का लड़का था जो बालपन में ही बड़ा खुश मिजाज था। उसके चेहरे पर हर पल हल्की सी मुस्कुराहट रहती थी। विवान के होने से पहले उसके माता-पिता ने उसके पालन पोषण, उसको किस...
एक छोटा सा गाँव था जहाँ सुंदर बगीचे, ऊँचे-ऊँचे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल खिले रहते थे। इसी गाँव में एक छोटा सा घर था जिसमें एक प्यारी सी बिल्ली मिन्नी और एक नन्हा सा चूहा चीकी रहते थे...
बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं...
दानी अक्सर अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों को अपने ज़माने की कहानियाँ सुनाती हैं | बच्चों को भी बड़ा मज़ा आता है क्योंकि उनके लिए आज का माहौल ही सब कुछ है | वो कहाँ जानते हैं दानी के ज़माने...
आखिर जिस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी, वही हुई। गोलू घर से भाग गया। गोलू के मम्मी-पापा, बड़ा भाई आशीष और दोनों दीदियाँ ढूँढ़-ढूँढ़कर हैरान हो गईं। रोते-रोते उसकी मम्मी का बुरा...
सर्दियों का पूरा मौसम नसरुद्दीन ने अपने बगीचे की देखरेख में बिताया. वसंत आते ही हर तरफ मनमोहक फूलों ने अपनी छटा बिखेरी. बेहतरीन गुलाबों और दूसरे शानदार फूलों के बीच नसरुद्दीन को कु...
मीना अपने लड़के को दवा लाने को कहती है,और मोनू अपनी टूक टूक (सायकल) में सवार हो कर पर्चा हाथ मे लेकर निकलने लगता है। वो अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास पहुँचा ही होता है,की तभी घर के...
एक था ठुनठुनिया। बड़ा ही नटखट, बड़ा ही हँसोड़। हर वक्त हँसता-खिलखिलाता रहता। इस कारण माँ का तो वह लाड़ला था ही, गाँव गुलजारपुर में भी सभी उसे प्यार करते थे। गाँव में सभी आकर ठुन...
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